Saturday 28 April 2018

स्पेनिश फिल्म के हिंदी रीमेक में लाश खोजेंगे ऋषि कपूर !

सबसे ऊपर एल कुरेपो,  वेट्टा (बाएं) और द वैनिश (दायें) 
मलयालम फिल्म निर्देशक जीतू जोसफ की पहली हिंदी फिल्म की स्टार कास्ट अनोखी है।

जीतू जोसफ से हिंदी दर्शक, अजय देवगन की फिल्म दृश्यम से याद कर सकते हैं, जिसके मूल संस्करण मलयालम दृश्यम का निर्देशन किया था।  

इस हिंदी फिल्म में पहली बार, इमरान हाश्मी और ऋषि कपूर साथ नज़र आएंगे ।

जीतू की यह फिल्म एक स्पेनिश फिल्म एल कुरेपो  (२०१२) की रीमेक है।

फिल्म एल कुरेपो की कहानी एक पुलिस अफसर की है, जिसे उस मृत महिला शरीर की तलाश है, जो एक मुर्दाघर से यकायक लापता हो गई है।

इस खोज के दौरान, उस अफसर को उस औरत की पृष्ठभूमि और उसकी ह्त्या के कारणों का पता चलता है।

इस  क्राइम थ्रिलर फिल्म को अंगेज़ी भाषा में द बॉडी टाइटल के साथ रिलीज़ किया गया।

फिल्म को समीक्षकों की प्रशंसा मिली।

द बॉडी पर कोरियाई फिल्म द वैनिशड (२०१८) का निर्माण हुआ।

एल कुरेपो को, भारत में पहली बार  रीमेक नहीं किया जा रहा।  इस स्पेनिश फिल्म पर राजेश  पिल्लई ने मलायलम फिल्म वेट्टा (२०१६) का निर्माण किया था।

इस फिल्म को तमिल, कन्नड़ और तेलुगु में भी ओरू मेलिया कोडु/ गेम/ नोटकू पोटू टाइटल के साथ रिलीज़ किया गया।

जीतू जोसफ की फिल्म  शूटिंग, मई में शुरू हो कर ४५ दिनों तक लगातार चलती रहेगी।  

ऋषि कपूर की अमिताभ बच्चन के साथ हिंदी फिल्म १०२ नॉट आउट ४ मई को रिलीज़ हो रही है। 

फिल्म फ्रंट पर इमरान हाश्मी का कुछ अच्छा नहीं चल रहा।  उनकी पिछली फिल्म, अजय  देवगन के साथ बादशाओ फ्लॉप हुई थी।  उनकी थ्रिलर फिल्म कैप्टेन नवाब का अब तक कोई अतापता नहीं है।  


एस्क्वायर मैगज़ीन में प्रियंका चोपड़ा - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

एस्क्वायर मैगज़ीन में प्रियंका चोपड़ा

 
प्रियंका चोपड़ा, पिछले दिनों, अमेरिका में अपने शो क्वांटिको ३ के प्रमोशन में गई हुई थी।  इस दौरान, उन्होंने काफी जगहों पर क्वांटिको कर प्रचार किया।  इस शो को लेकर मीडिया से बात चीत की।  इस तीन के दौरे में, लगातार व्यस्त होने के बावजूद, प्रियंका चोपड़ा थकावट से कोसों दूर थी।  उनकी इस एनर्जी की सराहना पत्रकारों ने भी की।
प्रचार के दौरान, प्रियंका चोपड़ा ने, अमेरिका की मशहूर पुरुष मैगज़ीन एस्क्वायर से बातचीत की और फोटो सेशन किया।  इस मैगज़ीन के पत्रकार को, प्रियंका चोपड़ा अपनी फुर्ती, ताज़गी और ख़ुशमिज़ाजी के लिहाज़ से क्वांटिको की एफबीआई एजेंट अलेक्स परिष जैसी लगी।  वह लिखता है, "दोनों (प्रियंका चोपड़ा और अलेक्स परिष) अतिशय तनाव के क्षणों में भी, प्रसन्नचित्त रहने वाली असंभव सुंदरियाँ हैं।  दोनों ही अमरीका की सांकेतिक भाषा सहित, कई भाषाओँ की जानकार है।"
प्रियका चोपड़ा से, जब क्वांटिको के चौथे सीजन में शामिल होने के बारे में पूछा गया तो प्रियंका ने साफ कहा कि वह भारत या अमेरिका तक सीमित रहना नहीं चाहती।  मैं पूरी दुनिया तक पहुंचना चाहती हूँ। जहाँ तक मेरे काम का सवाल है, जब तक लोग मुझे देखना चाहेंगे, मैं काम करती रहना चाहूंगी। 

ओबेरॉय मॉल में अवेंजर्स के किरदार !

स्कोर ट्रेंड्स इंडिया पर प्रियंका चोपडा ने पछाड़ा दीपिका पादुकोण को

बॉलीवूड की अंतरराष्ट्रीय आइकन प्रियंका चोपडा हमेशा अव्वल दर्जे का काम करने में विश्वास रखती हैं। अब स्कोर ट्रेंड्स इंडिया के चार्ट्स पर वह इस बार लोकप्रियता में वह अव्वल स्थान पर हैं। 

प्रियंका के बाद स्कोर ट्रेंड्स की सूचि में आलिया भट दूसरे, सोनम कपूर तीसरे और दीपिका पदूकोण चौथे स्थान पर पहूँच गयीं हैं। यह आंकडे अमरिका की मीडिया टेक कंपनी स्कोर टेंड्स इंडिया व्दारा दिए और  प्रमाणित हैं।  

प्रियंका चोपडा की सलमान खान के साथ रहीं फिल्म भारत की घोषणा से प्रियंका पिछले दिनों हर मीडिया प्लेटफॉर्म पर चर्चा का विषय बनीं।

सलमान खान हमेशा लोकप्रियता के शिखर पर रहनेवाले कलाकार हैं।

ऐसे में सलमान खान के साथ प्रियंका के फिल्म की घोषणा ने उन्हें डिजीटल तथा सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर ट्रेंडिंग बनायें रखा। 

पिछले सप्ताहांत निकाले गए आंकडों के मुताबिक प्रियंका को अप्रैल के दूसरे सप्ताह में 87.43 अंक हासिल हुए। तो दूसरे स्थान पर रहीं आलिया भट को 54.67 अंक मिले हैं। 

स्कोर ट्रेंड्स के सह-संस्थापक अश्वनी कौल कहते हैं, "प्रियंका सोशल मीडिया में काफी लोकप्रिय हैं। ट्विटर, फेसबुक, डिजिटल न्यूज, ब्रॉडकास्ट, वायरल न्यूज और सभी प्रिंट प्रकाशन में वह चर्चा में रहीं प्रियंका 87.43 अंकों के साथ बॉलीवुड की सबसे लोकप्रिय सेलिब्रिटी बन गयीं।" 



मीरा से अम्बालिका और हैप्पी तक डायना पेंटी - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

मीरा से अम्बालिका और हैप्पी तक डायना पेंटी

पारसी पिता और क्रिस्चियन माँ की संतान डायना पेंटी अपने लुक से ठेठ हिंदुस्तानी नहीं, काफी मॉडर्न लगती है।

लेकिन, उन्होंने फिल्मों में जो भूमिकाये की हैं, वह ठेठ हिंदुस्तानी है।

"मुंबई की इस मॉडल ने अपने करियर की शुरुआत होमी अदजानिया की सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म कॉकटेल (२०१२) से की थी। उस समय तक, सैफ और दीपिका की जोड़ी इम्तियाज़ अली की फिल्म लव आजकल (२००९) से हिट हो चुकी थी। कॉकटेल के दर्शक इन्ही दोनों की केमिस्ट्री का मज़ा लेने आये थे।"

लेकिन, बाज़ी मार ले गई डायना पेंटी। 

वह फिल्म में हिंदुस्तानी लिबास में रहने, ईश्वर की पूजा करने वाली मीरा का किरदार कर रही थी।  फिल्म हिट हुई।

हालाँकि, कॉकटेल दीपिका के ग्लैमर पर काफी केंद्रित थी।

मगर, सीधी सादी मीरा की भूमिका में डायना ने दर्शकों को प्रभावित किया था।

अजीब बात यह हुई कि पहली हिट फिल्म और अपनी अभिनयशीलता प्रभाव छोड़ने के बावजूद डायना पेंटी की दूसरी फिल्म हैप्पी भाग जाएगी चार साल बाद यानि २०१६ में रिलीज़ हुई।

हैप्पी भाग जाएगी, डायना के किरदार हैप्पी पर केंद्रित कॉमेडी फिल्म थी। छोटे बजट की इस फिल्म को बड़ी सफलता हासिल हुई।

इस फिल्म के बाद, २०१७ में रिलीज़ फिल्म फरहान अख्तर के साथ डायना की फिल्म लखनऊ सेंट्रल बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। लखनऊ सेंट्रल में डायना ने एक एनजीओ वर्कर गायत्री कश्यप की भूमिका की थी। डायना के काम की प्रशंसा हुई।

फिर भी, डायना को नई फिल्मों की किल्लत होती रही।

मगर, अपनी पांच सालों में रिलीज़ तीन फिल्मों से डायना ने हिंदी फिल्म निर्माताओं का ध्यान खींच लिया था ।

हैप्पी भाग जायेगी के निर्माता आनंद एल राज ने अपनी हैप्पी यानि डायना पेंटी पर विश्वास कायम रखा । हैप्पी फिर भाग जायेगी में डायना पेंटी फिर हैप्पी की भूमिका में हैं ।

अलबत्ता, इस फिल्म में कहानी की मांग के अनुसार दूसरी हैप्पी सोनाक्षी सिन्हा के रूप में आ गई है ।

बताते चलें हैप्पी फिर भाग जाएगी से पहले, २५ मई को, डायना पेंटी, फिल्म परमाणु द स्टोरी ऑफ़ पोखरण में भारतीय सेना की कैप्टेन और जॉन अब्राहम की सहयोगी अम्बालिका की भूमिका में दर्शकों का परिचय अपनी जांबाजी से करा रही होंगी ।

बेशक, शुरूआती दौर में ही दो दो हिट फिल्मों के बावजूद बॉलीवुड द्वारा डायना को तरजीह नहीं देना, डायना के लिए निराशाजनक था ।

लेकिन, इस साल कसर पूरी हो सकती है ।

पहले, परमाणु और हैप्पी फिर भाग जायेगी के बाद डायना को बॉलीवुड अपनी फिल्मों में शामिल करने लगेगा । 


बॉलीवुड में हिट-फ्लॉप होता रहा है मज़दूर - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

बॉलीवुड में हिट-फ्लॉप होता रहा है मज़दूर

आगामी दो फ़िल्में महत्वपूर्ण हैं। यशराज बैनर की फिल्म सुई धागा : मेड इन इंडिया और दक्षिण से तमिलतेलुगु और हिंदी में बनाई गई फिल्म काला।  यशराज फिल्म्स के बैनर तले सुई धागा में वरुण धवन और अनुष्का शर्मा केंद्रीय भूमिका में है।  इस फिल्म में वरुण धवन एक मज़दूर की भूमिका में हैं।  उनके साइकिल या बस पर सवारटिफ़िन थामे चित्र सोशल साइट्स पर नज़र आते हैं।  दक्षिण की फिल्म काला में रजनीकांत टाइटल रोल यानि करिकालन काला की भूमिका कर रहे हैं।  यह एक तमिल भाषी मज़दूर हैजिसे मुंबई में रहते हुए रंगभेद का शिकार होना पड़ता है। इससे दुखी हो कर वह खुद का नाम काला रख लेता है।  फिर वह इतना ताक़तवर बनता है कि सब उसके सामने झुकते हैं। यह दो फ़िल्में बताती हैं कि बॉलीवुड या दक्षिण की फिल्म इंडस्ट्री चाहे कितनी बदल गई होमज़दूर और मालिक अथवा वर्ग विभेद कथानक के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हैं।अगरकहानी और अभिनय की दरकार है तो इमोशन के लिहाज़ से मज़दूर की दशा और जोश के लिहाज़ से वर्ग भेद महत्वपूर्ण कारक बन जाता है।  भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की यह सोच आज की नहींहमेशा से रही है।
महबूब खान की फिल्मों का वर्ग संघर्ष
पुराने दौर की फिल्मों का विषय वर्ग संघर्ष, किसान ज़मींदार, शोषण ही हुआ करता था । पचास के दशक की फिल्मों की बात करते हैं ! कभी महबूब खान का बैनर महबूब प्रोडक्शनस का लोगो हंसिया और हथौड़ा हुआ करता था । यह चिन्ह वर्ग संघर्ष और साम्यवाद के प्रतीक थे । महबूब खान की फ़िल्में प्रमाण है कि उन्होंने अपनी सोच के अनुरूप अपनी फिल्मों में किसान, साहूकार और शोषण को अहमियत दी । महबूब खान की फिल्म औरत (१९४०) और इसकी रीमेक फ़िल्म मदर इंडिया (१९५७) स्त्री शक्ति के साथ साथ खेतिहर मज़दूर की दशा और सहकर के शोषण पर केन्द्रित थी । महबूब खान की फिल्म आन एक आम आदमी के एक राजकुमारी से प्रेम की कहानी थी । उन्होंने हुमायूँ में आम जनता को महारानी से भी ऊपर दिखाया था । उनकी फिल्म रोटी भी वर्ग संघर्ष पर, पूंजीपतियों के खिलाफ फिल्म थी ।
चोपड़ाओं की मज़दूर फ़िल्में
बॉलीवुड के चोपड़ा बंधुओ बीआर चोपड़ा और यशराज चोपड़ा की फिल्मों में मज़दूर की बात हुई है । वर्ग संघर्ष चित्रित हुआ है । बलदेव राज चोपड़ा (बीआर चोपड़ा) की १९५७ में रिलीज़ फिल्म नया दौर दो दोस्तों की कहानी के बीच किसान और खेत खलिहान की बात करने वाली फिल्म थी । इस फिल्म के गीत साथी हाथ बढ़ाना और यह देश है वीर जवानों का जोशीले और आम आदमी की बात कहने वाले थे । यश चोपड़ा के निर्देशन में बीआर फिल्म्स की फिल्म आदमी और इंसान में भी दोस्ती के साथ वर्ग संघर्ष का चित्रण हुआ था । चोपड़ा बंधुओं की फिल्म मज़दूर तो पूरी तरह से मज़दूरों पर केन्द्रित और वर्ग संघर्ष की वकालत करने वाली थी । यश चोपड़ा की फिल्म त्रिशूल (१९७८) मिल मालिक और मज़दूर के टकराव,  काला पत्थर (१९७९) कोयला खान मज़दूरों पर तथा मशाल (१९८४) एक पत्रकार और मज़दूर किरदारों का पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष की फ़िल्में थी ।
जब मज़दूर बने सुपर स्टार
सशक्त कहानियां हो और अभिनय का माद्दा हो तो सुपर स्टार भी मज़दूर का चोला पहनने से गुरेज़ नहीं करते । दिलीप कुमार की मज़दूर की भूमिका में नया दौर और पैगाम जैसी फ़िल्में उल्लेखनीय हैं । यह फ़िल्में वर्ग संघर्ष की समर्थक थी । दिलीप कुमार, फिल्म गंगा जमुना में किसान की भूमिका में थे, जो ज़मींदार के अत्याचार के खिलाफ बन्दूक उठाने को मज़बूर हो जाता है । राजेंद्र कुमार की फिल्म गंवार किसान और जमींदार के बीच संघर्ष की कहानी थी । अमिताभ बच्चन ने तो मज़दूर या कुली बन कर काफी शोहरत हासिल की । उनकी मज़दूर किरदार वाली फिल्मों में नमक हराम, दीवार, काला पत्थर, कुली, त्रिशूल आदि उल्लेखनीय हैं । अमिताभ बच्चन नमक हराम में एक पूंजीपति के बेटे बने थे तो त्रिशूल में उसकी अवैध संतान थे । शाहरुख़ खान ने फिल्म कोयला में एक मज़दूर की भूमिका की थी । फिल्म नमक हराम में राजेश खन्ना मज़दूर बने थे । फिल्म अवतार में वह मज़दूर बने थे तो राजेश खन्ना अभिनीत नासिर हुसैन निर्देशित फिल्म बहारों के सपने पूरी तरह से मज़दूरों पर केन्द्रित थी ।
किसान/मजदूर और जमींदार टकराव की डाकू फ़िल्में
पुराने दौर की ज़्यादातर डाकू फ़िल्में शोषण और अत्याचार का परिणाम थी । मदर इंडिया जैसे ढेरो फिल्मों में साहूकार का शोषण था तो गंगा जमुना जैसी फिल्म जमींदार के अत्याचार की कहानी थी । ज़मींदार के अत्याचार से तंग आकर डाकू बन जाने वाले किरदार केवल हीरो ही नहीं था, हीरोइन को भी डाकू बनाना पसंद था । सुनील दत्त ने मदर इंडिया के डाकू किरदार से जो शोहरत पाई, उसके परिणामस्वरुप वह फिल्म दर फिल्म डाकू बनते चले गए । इस लिहाज़ से मुझे जीने दो उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्म थी । अमिताभ बच्चन ने भी बहुत से डकैत फ़िल्में की । हिंदी फिल्मों में अमिताभ बच्चन की नायिका रह चुकी रेखा, श्रीदेवी, जयाप्रदा, हेमा मालिनी, आदि ने भी बदला लेने के लिए डाकू बनाना पसंद किया । बॉलीवुड की बी ग्रेड की ज़्यादातर फ़िल्में ज़मींदार के खिलाफ बन्दूक उठा लेने की कहानी थी ।
नए दौर की फ़िल्में
अस्सी के दशक के बाद हिंदी फिल्मों के कथानक में काफी बदलाव आया है । दर्शकों को मज़दूरों की कहानी वाली फ़िल्में नापसंद हो गई थी । निर्देशक महेश मांजरेकर की फिल्म सिटी ऑफ़ गोल्ड बॉम्बे की कपड़ा मिलो, उनके बंद होने और मज़दूरों के शोषण पर फिल्म थी । लेकिन, बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हुई । चंद्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म जेड प्लस भी बुरी तरह से असफल हुई । इसके बावजूद, मज़दूर, मिल मालिक, वर्ग संघर्ष पर कुछ फ़िल्में बनी । आमिर खान की फिल्म पीपली लाइव गाँव की पृष्ठभूमि पर न्यूज़ चैनल पर व्यंग्य करती थी । मणिरत्नम की फिल्म गुरु, रिलायंस के संस्थापक धीरुभाई अम्बानी पर फिल्म थी । इस फिल्म में अम्बानी सीनियर के किरदार को मज़दूर समर्थक दिखाया गया था ।
काला और सुई धागा को हिंदी में अपवाद फ़िल्में ही कहा जाना होगा । अब हिंदी फिल्म निर्माताओं का ज्यादा ध्यान चमक-दमक, ग्लैमर और सेक्स पर लगी हुई है । मज़दूर या वर्ग संघर्ष पर फिल्मों में इसकी गुंजाईश नहीं होती । ऐसी फिल्मों को दर्शक स्वीकार भी नहीं कर रहा । यह कारण है कि प्यासा, सत्यकाम, दो बीघा ज़मीन, आदि फिल्मों की कोई गुंजाईश नहीं है । इसके बावजूद, लगान, स्वदेश, इक़बाल, कॉर्पोरेट, शंघाई, चक्रव्यूह, मटरू की बिजली का मनडोला, आदि फ़िल्में देखने को मिल रही हैं ।

शिकारियों का शिकार करने वाली जेनिफर का रिवेंज ! - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

Thursday 26 April 2018

शिकारियों का शिकार करने वाली जेनिफर का रिवेंज !

तीन अमीर, मगर शादीशुदा आदमी (रिचर्ड, स्टैनली और दिमित्री), रेतीली घाटी में अपने वार्षिक शिकार कार्यक्रम के लिए इकठ्ठा होते हैं।

इनमे से एक व्यक्ति अपनी खूबसूरत और सेक्सी प्रेमिका जेनिफर को भी साथ ले आता है।

उसे देख कर बाकी दो में भी उसके साथ सेक्स करने की इच्छा पैदा होती है।

अब होता यह है कि परिस्थितियां हाथ से बाहर हो जाती हैं। जेनिफर के साथ बलात्कार किया जाता है।  उसका प्रेमी उसे एक पहाड़ी चोटी से धक्का दे देता है।  उस युवती को मरने के लिए छोड़ कर वह तीनों चले जाते हैं।

अब यह बात दीगर है कि वह लड़की मौत से बाहर आ जाती है।

इसके बादवह सेक्सी शिकारी महिला शुरू करती है क्रूरता से हत्याएं करते जाने का सिलसिला।

यह कहानी, लेखक निर्देशक करली फारगेट की बलात्कार, बदला हॉरर से भरपूर फ्रेंच फिल्म रिवेंज की है।

इस फिल्म में जेनिफर की भूमिका माटिल्डा लुट्ज़ ने की है।

केविन जानसेन्स रिचर्ड, विन्सेंट कोलम्बे स्टैनले और गुइलॉमे बौचड़े दिमित्री बने हैं।

माटिल्डा एक इतालवी मॉडल और एक्ट्रेस हैं। उन्हें पिछले साल हॉरर फिल्म रिंग्स में देखा गया था।
बड़ी मामूली सी लग रही इस फिल्म की कहानी में माटिल्डा के बदला लेने के दृश्यों को बड़ी कल्पनाशीलता के साथ दिलचस्प तरीके से फिल्माया गया है।

यह फिल्म ११ मई को रिलीज़ हो रही है।  


परमाणु : द स्टोरी ऑफ़ पोखरण का टीज़र - पढ़ने के लिए क्लिक करे