भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday 27 August 2019
साहो की पुलिस भूमिका में मुरली शर्मा
बॉलीवुड में अपने नेगेटिव किरदारों के लिए मशहूर अभिनेता मुरली शर्मा ,
साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में भी बहुत ज्यादा मशहूर है और इन दिनों एक बार
फिर से चर्चा का विषय बने हुए हैं क्योंकि उनकी आने वाली फिल्म साहो बहुत जल्द
रिलीज होने वाली है| इस फिल्म
में मुरली शर्मा का काफी अहम किरदार है जिसके लिए वह बेहद उत्साहित हैं.
मुरली कहते हैं -'
इस फिल्म के लिए मैं काफी उत्साहित हूं क्योंकि मेरा काफी दिलचस्प और अहम
किरदार है, फिल्म की शूटिंग करते वक्त मुझे बहुत ही
ज्यादा मजा आया| मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि यू वी
क्रिएशन, जो कि प्रोडक्शन हाउस है वह एक तरीके से
मेरा होम प्रोडक्शन बन गया है, यह लोग अपने
काम के प्रति बहुत ही ज्यादा सजग रहते हैं|'
मुरली आगे कहते हैं- '
प्रभास को डार्लिंग कहा जाता है और सही मायने में वह एक डार्लिंग ही हैं,
स्वभाव के अनुसार भी प्रभास काफी सज्जन ,सहायक और
हमेशा पॉजिटिव ऊर्जा के साथ नजर आते हैं ,उनके साथ
काम करने का मेरा अनुभव और भी ज्यादा बढ़िया था|'
हालांकि जब हमने मुरली से उनके किरदार के बारे में जानना चाहा तो वह
खामोशी के साथ बस अपने पुलिस के किरदार के बारे में बता रहे थे ,मुरली ने
कहा-' मैं गलती से भी फिल्म की कहानी या किसी
किरदार के बारे में बातचीत नहीं करना चाहता क्योंकि इससे जाने अनजाने में ही कहीं
कोई बात बाहर निकल ना जाए, यह कहानी बड़े ही अच्छे तरीके से लिखी गई है
और मैं नहीं चाहता कि थिएटर में देखने से पहले इसकी कोई भी बात बाहर निकले. यह एक
ऐसी कहानी है जो आपको आखिरी तक बांध कर रखती है, जिसका पूरा
श्रेय मेरे डायरेक्टर सुजीत कुमार को जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने बड़े ही दिलचस्प
अंदाज में पूरी फिल्म को डायरेक्ट किया है'
फिल्म की अभिनेत्री श्रद्धा कपूर के बारे में बातचीत करते हुए मुरली ने
बताया- ' श्रद्धा बहुत ही अच्छी कलाकार है और उनके
साथ काम करने का अनुभव काफी खास रहा| सबसे अच्छी
बात उनकी यह है कि दूसरी भाषा को वह बड़े अच्छे तरीके से पकड़ पाई है. पहले ही दिन
मैं सेट पर उनकी काम के प्रति सजगता को
देखकर काफी प्रभावित हुआ.'
Monday 26 August 2019
मस्सकली का प्रयास भारतीय हॅन्डलूम को Shabana Azmi का साथ
मस्सकली का प्रयास भारतीय हॅन्डलूम बुनकर को सशक्त बनाना,
इसमे शबाना आज़मी, भाग्यश्री और शर्मिला ठाकरे ने दिया साथ
भारतीय हॅन्डलूम उद्योग को पुनर्जीवित करने और पैठणी बुनकर महिलाओं की
शिल्पकारी को पुरुजीवित रखने के लिए, श्रद्धा
सावंत और उनकी संस्था मस्सकली ने मुंबई में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया. जिसमें
५०० से अधिक हॅन्डलूम साड़ियों समावेश था। हॅन्डलूम प्रेमी और अभिनेत्री शबाना
आज़मी और भाग्यश्री इस खास कार्यक्रम में मौजूद थे। शर्मिला ठाकरे,
अभिनेत्री इंदिरा कृष्णन, और सोशल
मीडिया साड़ी इन्फ्लुएन्सर ममता शर्मा दास उर्फ बोहोबालिका सहित कई अन्य हस्तियाँ
भी उपस्थित थी। उन्हें बुनकरों और उनके
परिवारों के साथ घुलमिल कर देखने का एक अलग ही आनंद था।
श्रद्धा सावंत ने अपने दो पैठानी बुनकरों के साथ करघे में पूरे बुनाई की
प्रकिया का आयोजन कर यह प्रक्रिया कितनी जटील है इसका एहसास कराया। पैठानी साड़ियों व्यतरित अन्य कई हैंडलूम साड़ियों जैसे कि बनारसी,
चंदेरी, खादी-जामदानी, इकत,
जरी, कांजीवरम, और गढ़वाल
का भी इस प्रदर्शन में समावेश किया गया
था. ब्रांड के नाम की व्याख्या करते हुए श्रद्धा सावंत ने कहा,"मस्सकली का
अर्थ एक पक्षी है, जो स्वतंत्रता,
शांती और समृद्धि का प्रतीक हैं- इस त्यौहार के मौसम में हमारे बुनकर
समुदाय के लिए मेरी यही की इच्छा है, की वह भी
अपने जीवन में ऐसीही उडान भरें।"
बुनाई समुदाय के लिए स्थिति कितनी कठिन है, इस पर जोर
देते हुए, उन्होंने कहा, “यह बुनकर
कलाकार जबरदस्त प्रतिभाशाली हैं, लेकिन बहुत
निर्धन हैं, सभी खरीदारों के साथ संपर्क की कमी के वजह
से। वे शहरी दर्शकों द्वारा अच्छे खासे मूल्य के लायक हैं,
और उनके लिए उपयुक्त रूप से संरक्षण देना जरुरी है ताकि वे बुनाई की
सदियों पुरानी पारंपरिक प्रक्रिया को जीवित रखने में सक्षम हो सकें। इसीवजह से
मस्सकली ने इस मोहिंम में प्रवेश किया ताकि उनके जीवन में इस जरिये वो अपनी जिंदगी
खुशियाली से बिताये ।
परंपरा के विलुप्त होने से पहले बुनाई की कला में नए आर्थिक लहर निर्माण
करने की कामना करते हुए, श्रद्धा सावंत ने कहा,
“हमारी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए ग्रामीण रोजगार प्रदान करने के
लिए हैंडलूम उद्योग एक मुख्य वाहन है। मस्सकली के माध्यम से,
मैं उन परंपरावादियों को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही हूं,
साथ ही भारत की शानदार सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक बुनाई कला को वापस
अपने मुख्य स्थान पर मने का प्रयास हैं । "
श्रद्धा सावंत बुनकरों को
पारंपरिक बुनाई के अलावा अनन्य डिज़ाइनर साड़ी कैसे बनाई जाए इसका प्रशिक्षण
भी देती है। “कम से कम,
महीने में एक बार, हम व्यक्तिगत रूप से छोटे गांवों का दौरा
करते हैं और बुनकरों के साथ बातचीत करते हैं। हम उन्हें नए डिज़ाइन्स की भी कल्पना देते हैं। इस कृत्य से वे प्रोत्साहित और
प्रेरित महसूस करते हैं, “उन्होंने मुस्कुराकर साझा किया।
“जब हम भारतीय कलाकारों की गरिमा को बनाए
रखते हैं, तो हम वास्तव में खुद की मदद करते हैं।
हैंडलूम सिर्फ इको-फ्रेंडली नहीं है; यह कार्बन
अस्तित्व को भी कम करता है क्योंकि
पुनर्जीवन ग्रामीण प्रवासन को धीमा कर देता है, इसके अलावा
हमें सैकड़ों अद्भुत क्षेत्रीय भारतीय बुनाई और तकनीकों के पुनरुत्थान का भी
प्रतिनिधित्व करते है। "
प्रख्यात अभिनेत्री शबाना आज़मी हैंडलूम के प्रति प्यार साझा करते हुए कहा,
“हैंडलूम के लिए मेरा प्यार मेरे बचपन से उपजा है। मेरी माँ भी भारतीय
हैंडलूम साड़ियों की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब मैंने श्याम बेनेगल की फिल्म
"सुस्मान" में एक बुनकर की पत्नी की भूमिका निभाई थी,
तो मैंने महसूस किया कि महिलाओं को इस व्यापार में केवल परिधीय स्थिति है।
मैं महिला बुनकरों को शामिल करने और उन्हें इस प्रक्रिया में सशक्त बनाने के लिए
श्रद्धा सावंत की दिल से सराहना करती हूँ। ”
अगम सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध भाग्यश्री ने एक सारगर्भित रहस्य साझा करते
हुए कहा, "मेरे पास पैठनी साड़ीयो का भंडार है जो मेरी
माँ की है, जो मुझे आशा है कि मेरी बेटी पहनेंगी और
उनकी बेटी किसी दिन पहनेंगी,
एक बहुत ही सरल कारण के लिए - कि वे बहुत खूबसूरत हैं ! "
उन्होंने एक अहम् बात कही, "इस तरह की
साड़ियों के साथ जो हमेशा के लिए अपनी सुंदरता को बनाए रखती हैं,
यह न केवल लोगों के आभूषण हैं, जो हमारे
बच्चों को सौंपे सकते हैं, बल्कि ये भी अनमोल रत्न से कम नहीं
हैं।" दोनों कलाकारों ने सभी से अपील की वह भी बुनकरों के समर्थन में आगे
आएं।
Sunday 25 August 2019
लगातार रिलीज़ होंगी Shraddha Kapoor की दो फ़िल्में
प्रभास की फिल्म साहो के ३० अगस्त को
शिफ्ट हो जाने के बाद, एक समय ३० सितम्बर को छिछोरे और मेड इन चाइना के बीच त्रिकोणीय संघर्ष
की स्थिति लग रही थी। इसके बाद, जब
राजकुमार राव और मौनी रॉय की कॉमेडी फिल्म
मेड इन चाइना की रिलीज़ टाल दी गई, तब भी टकराव की स्थिति थी। यह टकराव इस लिहाज़ से दिलचस्प था कि यह एक ही
अभिनेत्री की दो फ़िल्में एक ही दिन रिलीज़ होने का था। कॉलेज के
छात्रों की कहानी पर फिल्म छिछोरे की नायिका श्रद्धा कपूर थी। श्रद्धा कपूर, प्रभास के साथ फिल्म साहो की भी नायिका हैं। ऐसा
बहुत कम होता है कि एक ही अभिनेत्री की दो फ़िल्में एक ही शुक्रवार रिलीज़ हों। अमूमन, इस प्रकार के टकराव को टाला जाता है।साहो और छिछोरे टकराव में भी ऐसा ही किया
गया। छिछोरे के निर्माताओं ने, अपनी फिल्म को एक हफ्ता पीछे खींच लिया । अब
छिछोरे ६ सितम्बर को रिलीज़ हो रही है। हालाँकि, ऐसा
नहीं लगता कि छिछोरे की रिलीज़ श्रद्धा कपूर की दो फिल्मों का टकराव न होने देने के
लिए टाली गई है। बड़ा कारण साहो का भारी
भरकम कद लगता है। फिल्म साहो ३०० करोड़ की
लागत में बनी है। फिल्म मे प्रभास के साथ
नील नितिन मुकेश,
जैकी श्रॉफ, चंकी पांडेय, महेश मांजरेकर, मंदिरा
बेदी, एवलीन शर्मा, आदि
बॉलीवुड के सितारों की भरमार भी है। साहो के तूफ़ान में छिछोरे की हँसी मंद पड़ सकती
थी। शायद, साहो
के निर्माता भी ऐसा ही कुछ चाहते होंगे। लेकिन, अब दूसरा मज़ेदार दृश्य बन गया है। श्रद्धा कपूर
की लगातार दो फ़िल्में रिलीज़ हो रही हैं। साहो और छिछोरे, दोनों
ही फिल्मों में श्रद्धा कपूर की भूमिका अहम् है। अगर साहो को बड़ी सफलता मिलती है
तो दर्शकों के सर पर साहो की श्रद्धा कपूर का हैंगओवर होगा। छिछोरे देखते समय वह श्रद्धा
कपूर की भूमिका में साहो का अक्स महसूस
करेंगे। ऐसे में छिछोरे की एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर की चमक फीकी पड़ सकती है। इसीलिए तो किसी अभिनेत्री की लगातार
दो फ़िल्में प्रदर्शित होना भी बढ़िया नहीं माना जाता।
अगर बनाया जाए कुछ कुछ होता है का रीमेक !
करण जौहर की, बतौर
निर्देशक पहली फिल्म कुछ कुछ होता है को २० साल हो गए। काजोल, शाहरुख़ खान और रानी मुख़र्जी के रोमांटिक
त्रिकोण वाली फिल्म कुछ कुछ होता है, १६ अगस्त १९९८ को रिलीज़ हुई थी। कॉलेज रोमांस से शुरू यह फिल्म तमाम
नाट्कीयताओं से गुजरती हुई दर्शकों को अपने आगोश मे ले लेती थी। बीस साल पहले, १४ करोड़ की लागत में बनी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ४७ करोड़ की विशुद्ध
कमाई की थी। कुछ कुछ होता है के बीस साल
होने के मौके पर, करण जौहर ने, मेलबॉर्न के भारतीय फिल्म फेस्टिवल मे विशेष शो किया था। इस शो के बाद, मौजूद पत्रकारों ने करण जौहर से
सवाल-जवाब किये थे। यह पूछे जाने पर
कि अगर वह कुछ कुछ होता है का रीमेक
करेंगे तो राहुल (शाहरुख़ खान), अंजलि (काजोल) और टीना (रानी मुखर्जी) की
भूमिका भूमिका के लिए वर्तमान पीढ़ी के किन कलाकारों को लेना चाहेंगे। सवाल के जवाब में करण जौहर ने रणवीर सिंह,
आलिया भट्ट और जाह्नवी कपूर का नाम
लिया था। करण जौहर, रीमेक
फिल्म के राहुल के लिए रणवीर सिंह को इसलिए लेना चाहते हैं कि शाहरुख़ खान जैसी
गहरी दीवानगी है। वह, आलिया भट्ट में अंजलि जैसा साहस और उत्साह पाते
हैं। उनका यह भी मानना था कि टीना का
जीवन के
प्रति संतुलित रवैया रखने वाला किरदार कोई
जाह्नवी कपूर ही कर सकती है। वैसे यह काल्पनिक स्टार कास्ट है। क्योंकि,
करण जौहर कुछ कुछ होता है को रीमेक
नहीं करना चाहते हैं। अगर वह बनाएंगे तो
कुछ कुछ होता है को रिबूट कर कुछ बनाएंगे।
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