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Monday, 3 November 2025

#BoxOffice पर विनाशक फिल्म #ArjunKapoor की #TheLadyKiller



अर्जुन कपूर, एक ऐसे अभिनेता हैं, जो चाँदी का नहीं, सोने का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए है। वह, मुम्बईया फिल्म उद्योग के सुरिंदर कपूर परिवार के बेटे बोनी कपूर के बेटे हैं। उन्होंने इक्का दुक्का फिल्मों के लिए कैमरा के पीछे काम करने के बाद, २०१२ में, यशराज फिल्म्स की रोमांटिक ड्रामा फिल्म इश्कजादे से अपने नायक के रूप में अभिनय जीवन का प्रारम्भ कर दिया। इश्कजादे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर में श्रेष्ठ अभिनेता की  श्रेणी में नामांकन मिला। 




इसके बाद, उनकी प्रदर्शित २०१४ की क्राइम एक्शन ड्रामा फिल्म गुंडे और रोमांटिक कॉमेडी २ स्टेट्स को सफलता मिली। इसके बाद उनकी तीन फिल्मों कॉमेडी ड्रामा की एंड का (२०१६) , हाफ गर्लफ्रेंड (२०१७) और कॉप एक्शन फिल्म सिंघम अगेन (२०२४) के अतिरिक्त शेष फिल्मे एक के बाद एक असफल होती चली गई । 




अर्जुन कपूर ने बॉक्स ऑफिस की डिजास्टर या विनाशक फिल्मों की लम्बी श्रृंखला दी है।  इनमे से एक फिल्म द लेडी  किलर भी थी। इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक अजय बहल थे।  अजय बहल ने, बीए पास, सेक्शन ३७५ और ब्लर्र जैसी सफल फिल्में दी थी। किन्तु, द लेडी किलर को लेकर वह भयानक रूप से असफल हुए।




अपराध, हत्या रहस्य ड्रामा फिल्म द लेडी किलर में,  अर्जुन  कपूर की दो नायिकाएं भूमि पेढनेकर और प्रियंका बोस थी। हत्या रहस्य वाली अपराध फिल्मे  दर्शकों द्वारा पसंद भी की जाती है। किन्तु, न जाने क्या बात थी कि द लेडी किलर को दर्शकों का भयंकर टोटा हो गया।



  

द लेडी किलर, ३ नवंबर २०२३ को प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म से पूर्व अर्जुन कपूर की  प्रदर्शित दो फ़िल्में एक विलैन रिटर्न्स औसत और कुत्ते फ्लॉप हुई थी। ऐसा प्रतीत होता है कि दर्शकों ने इस फिल्म की गुणवत्ता पहले ही सूंघ ली थी। तभी तो फिल्म को पहले दिन, पूरे भारत में मात्र २९३ टिकट बिके और ३८ हजार का ग्रॉस हुआ।  फिल्म को प्रदर्शकों ने केवल १२ शो ही दिए थे।  फिल्म की विनाशलीला चहुँ ओर बरसी।  फिल्म के निर्माण में ४५ करोड़ व्यय हुए थे। किन्तु, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक लाख का ग्रॉस ही कर पाई।




बताया जाता है कि फिल्म के बजट में निरंतर वृद्धि को देखते हुए निर्माताओं ने फिल्म को आधा अधूरा ही प्रदर्शित कर दिया था। बजट में वृद्धि का मुख्य कारण शूटिंग की उत्तराखंड में निरंतर बारिश होते रहने के कारण फिल्म की शूटिग निरस्त हो जाना था। इसी का परिणाम था कि फिल्म को बहुत काटा पीटा गया।  कलाकारों द्वारा डबिंग न करने के कारण वॉइसओवर कराया गया। इससे फिल्म की गुणवत्ता में पर्याप्त अंतर पड़ा।




द लेडी किलर को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होना था।  किन्तु, बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की इस बुरी असफलता को देखते हुए प्लेटफार्म द्वारा फिल्म को स्ट्रीम करने से इंकार कर दिया। इसके बाद, इस फिल्म को  यू ट्यूब चैनल से प्रदर्शित किया गया। यहाँ भी दर्शकों ने इसकी कड़ी आलोचना की।  इस फिल्म के कथानक की समीक्षकों द्वारा भी कटु आलोचना की गई। 




अर्जुन  कपूर की, द लेडी किलर के अतिरिक्त विनाशक फिल्मों में कुत्ते, संदीप और पिंकी फरार, पानीपत, इंडियाज मोस्ट वांटेड, नमस्ते इंग्लैंड, मुबारकां, तेवर, फाइंडिंग फेनी और औरंगजेब थी।  इस प्रकार से, अर्जुन कपूर सबसे बड़ी डिजास्टर फिल्म का नायक है, जिसने अपनी सफल फिल्मों से अधिक विनाशक फ़िल्में दी है। 

Sunday, 26 October 2025

परदे पर इंदिरा गाँधी न बन सकी विद्या बालन, मनीषा कोइराला, माधुरी दीक्षित !



कांग्रेस की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी, भारतीय राजनीति का सबसे विवादित और सम्मानित नाम रही है। वह भारत राष्ट्र पर, संविधान के विरुद्ध आपातकाल  लगा कर काफी कुख्यात हुई।  एक सिख गार्ड द्वारा उनकी हत्या भी, उनके द्वारा खालिस्तानियों का राजनीतिक प्रयोग करने के परिणामस्वरुप हुई।  






ऎसे विवादित व्यक्तित्व पर बॉलीवुड में फिल्म न बने, ऐसा हो ही नहीं सकता।  इंदिरा गाँधी के नाम पर भी फिल्मे बनाने की घोषणा हुई।  किन्तु, अधिकतर फ़िल्में घोषणा से आगे नहीं बढ़ पाई। किन्तु, इमरजेंसी जैसी फिल्म बनी भी, प्रदर्शित भी हुई और दर्शकों द्वारा बिलकुल नकार भी दी गई। 






भारतीय फिल्म उद्योग ने, इंदिरा गाँधी के जीवन पर चाहे फ़िल्में न के बराबर बनाई हो, किन्तु, अपनी फिल्मों में उनके  नाम का प्रयोग बहुत किया।  गुलजार की फिल्म आँधी, अमृतलाल नाहटा की फिल्म किस्सा कुर्सी का और आईएस जोहर की फिल्म नसबंदी तो इंदिरा गाँधी के जीवन काल में प्रदर्शित भी हुई।  यह सभी फिल्मे बायोपिक नहीं, उनका किसी न किसी सन्दर्भ में नाम प्रयोग करने वाली फ़िल्में थी। 







कंगना रनौत की निर्माता, निर्देशक और अभिनेत्री के रूप में बनाई गई फिल्म इमरजेंसी एक ऐसी फिल्म थी, जो प्रदर्शित भी हुई।  इस फिल्म में देश में लगाए गए आपातकाल में इंदिरा गाँधी की भूमिका का विस्तार से उल्लेख किया गया था। किन्तु, अचरज की बात है कि हिंदी फिल्म दर्शकों ने उनकी इस फिल्म को पूरी तरह से ठुकरा दिया। साठ करोड़ की लागत से बनी इमरजेंसी बॉक्स ऑफिस पर कठिनाई से २२ करोड़ का ग्रॉस कर पाई।





इसी कड़ी में, विद्या बालन और उनके पति सिद्धार्थ रॉय कपूर का नाम भी जुड़ जाता है, जो इंदिरा गाँधी के चरित्र को सेलुलॉइड पर उतारना चाहते थे, किन्तु, असफल रहे। इस प्रोजेक्ट के बारे में जानने से पूर्व बता दें कि यह कोई फिल्म नहीं, बल्कि एक वेब सीरीज थी।  







टीएमसी की वर्तमान राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने  इंदिरा गाँधी के जीवन पर एक पुस्तक लिखी थी। निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर ने इस पुस्तक पर फिल्म बनाने के अधिकार खरीद लिए थे।  इस पुस्तक पर सीरीज बनाने की घोषणा २०१९ में की गई। इस सीरीज में श्रीमती इंदिरा गाँधी की भूमिका सिद्धार्थ की पत्नी अभिनेत्री विद्या बालन करने वाली थी।  







विद्या बालन ने, रुपहले परदे पर विवादित तमिल फिल्म अभिनेत्री सिल्क स्मिता पर फिल्म द डर्टी पिक्चर करके राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता था। उन्होंने, ह्यूमन कंप्यूटर शकुंतला देवी पर इसी शीर्षक वाली फिल्म में, शकुंतला देवी को जीवंत कर दिया था। विद्या बालन को, तमिलनाडु की मुख्य मंत्री जे जयललिता पर फिल्म थलेवि का प्रस्ताव भी किया गया था। किन्तु, उन्होंने इसे ठुकरा दिया। बाद में इस भूमिका को, फिल्म इमरजेंसी में इंदिरा गाँधी की भूमिका करने वाली कंगना रनौत ने जीवंत किया। 







इंदिरा गाँधी की भूमिका में विद्या बालन के उत्साह का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जगन शक्ति की फिल्म मिशन मंगल के बाद, अपनी सभी फिल्मों को होल्ड पर डाल दिया था। ताकि वह स्वयं को इंदिरा गाँधी के चरित्र में ढाल सकें। अब यह बात दूसरी है कि सीरीज की घोषणा के तीन साल और इमरजेंसी के प्रदर्शित होने के बाद इंदिरा गाँधी बायोपिक को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया। 







निस्संदेह, इंदिरा गाँधी के आपातकाल के दौरान, देवानंद, आईएस जोहर, आदि फ़िल्मकारो के नेतृत्व में आपातकाल का विरोध करने वाला हिंदी फिल्म उद्योग, उनके कारनामों पर फिल्म बनाने से बचता रहा है। कदाचित यही कारण था कि इंदिरा गाँधी, आपातकाल और स्वर्णमंदिर काण्ड में इंदिरा गाँधी की भूमिका की पड़ताल करने वाले हिंदी फिल्मों का टोटा रहा। 








इसके बाद भी, कुछ प्रोजेक्ट प्रारम्भ किये गये। यह प्रोजेक्ट स्थापित करते है कि  विद्या बालन का प्रोजेक्ट पहली इंदिरा गांधी बायोपिक नहीं थी, जिसे बंद किया गया । नेपाल के प्रधानमंत्री रहे बीपी कोइराला की पोती मनीषा कोइराला भी इंदिरा गांधी का किरदार निभाने वाली थीं। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत इंदिरा गांधी की ८५वीं जयंती  पर हुई थी। इंदिरा गांधी: अ ट्रिस्ट विद डेस्टिनी शीर्षक से बनाई जाने वाली इस फिल्म का निर्माण नितिन केनी और निर्देशन एन चंद्रा करने वाले थे। आंधी के पटकथा लेखक कमलेश्वर, ने इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना की थी और हृदयनाथ मंगेशकर को संगीत देना था।  यह फिल्म न केवल इंदिरा के राजनीतिक करियर पर बल्कि उनके निजी जीवन पर भी केंद्रित होने वाली थी। मनीषा कोइराला प्रतिष्ठित श्रीमती जी का किरदार निभाने को लेकर इतनी उत्साहित थीं कि उन्होंने अपनी नाक का आकार भी बदलवाने का फैसला कर लिया था।






  

शालीमार और सिनेमा सिनेमा जैसे प्रोजेक्ट के प्रसिद्द फिल्म निर्माता कृष्णा शाह  ने भी श्रीमती गांधी फिल्म बनाने के लिए, इंदिरा गाँधी की भूमिका निभाने के लिए माधुरी दीक्षित से संपर्क किया था। उन्होंने २००९ में माधुरी दीक्षित को उनके कोलोराडो स्थित घर पर माधुरी से मुलाकात कर उन्हें अपने द्वारा किया गया व्यापक शोध दिखाया। किन्तु, उसके बाद फिल्म के बारे में कुछ जानकारी नहीं दी गई । कृष्णा शाह के निधन के बाद, यह प्रोजेक्ट ख़त्म हो गया।