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Wednesday, 13 August 2025

घिसे पिटे कथानक की असफलता पत्थर और पायल !



हिंदी फिल्म दर्शकों का, १९८६ में  फिल्म नगीना से इच्छाधारी नागिन का परिचय करवाने निर्देशक हरमेश मल्होत्रा ने १९६९ में प्रदर्शित फिल्म बेटी का निर्माण कर बॉलीवुड को अपनी शैली से परिचित कराया था।  नंदा और संजय खान अभिनीत फिल्म बेटी एक पारिवारिक ड्रामा फिल्म थी।  फिर विनोद खन्ना, योगिता बाली और प्राण के साथ अपराध फिल्म निर्देशित की। आज के दिन १३ अगस्त १९७४ को डाकू फिल्म पत्थर और पायल प्रदर्शित हुई थी।





इस फिल्म के कलाकारों में धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, विनोद खन्ना, अजित, राजेंद्रनाथ, जयश्री टी, इफ़्तेख़ार, शेट्टी और सप्रू थे। फिल्म के चार गीतों का संगीत कल्याणजी आनंदजी ने दिया था। गीत इंदीवर, गुलशन बावरा और वर्मा मलिक ने लिखे थे। इन गीतों को आशा भोसले और लता मंगेशकर ने गाया था। इनमे से लता मंगेशकर का गाया और हेमा मालिनी पर फिल्माया गया गीत काफी लोकप्रिय हुआ था।





स्वप्न सुंदरी हेमा मालिनी और हीमैन धर्मेंद्र ने भप्पी सोनी निर्देशित फिल्म तुम हसीं मैं जवान (१९७०) से पहली बार जोड़ी बनाई थी। अगली फिल्म शराफत ने इस जोड़ी कोई सुपरडुपर हिट बना दिया। इस जोड़ी की बाद में प्रदर्शित फिल्मे नया ज़माना, सीता और गीता, राजा जानी और जुगनू बड़ी हिट साबित हुई।





किन्तु, दोस्त के बाद, पत्थर और पायल ही ऎसी फ़िल्में थी, जो लगातार बढ़िया कारोबार नहीं कर सकी। पत्थर और पायल के निर्माण में एक करोड़ खर्च हुए थे। किन्तु, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस अपर मात्र तीन करोड़ ५० लाख का कारोबार ही जुटा सकी।





पत्थर और पायल, धर्मेंद्र और विनोद खन्ना की दूसरी फिल्म थी।  इस फिल्म में मेरा गांव मेरा देश के बाद, दूसरी बार विनोद खन्ना डाकू की भूमिका कर रहे थे। इस फिल्म के दौरान इन दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। किन्तु, जल्द ही इस दोस्ती में दरार आ गई, जब दोनों में अमृता सिंह को लेकर तकरार हो गई। 





पत्थर और पायल शीर्षक से तीन फिल्मे बन जाती।  यह तीनों फिल्मे देओल पिता पुत्र की होती।  १९७४ की हरमेश मल्होत्रा की फिल्म पत्थर और पायल के बाद, सन २००० में केबी तिलक के निर्देशन में दूसरी पत्थर और पायल प्रदर्शित हुई।  यह दोनों फिल्मे डाकू फिल्मे थी।  तीसरी पत्थर और पायल धर्मेंद्र के बेटे सनी देओल को लेकर बनाई जानी थी। किन्तु, धर्मेंद्र की दूसरी पत्थर और पायल प्रदर्शित हो जाने के बाद, सनी देओल की फिल्म को कसम शीर्षक से बनाया गया। शिबू मित्रा निर्देशित कसम के केंद्र में भी डाकू कथानक ही था।