अनुष्का शर्मा ने अगले साल १० मार्च के बॉक्स ऑफिस पर दिलचस्पी पैदा कर दी है। इस दिन दो फ़िल्में इमरान हाश्मी की इंटरनेशनल फिल्म टाइगर्स और यशराज प्रोडक्शंस की रितेश देशमुख और विवेक ओबेरॉय अभिनीत फिल्म बैंक चोर रिलीज़ हो रही है। टाइगर्स भारत-फ्रांस सहयोग से बनी फिल्म है। यह अयान नाम के युवक की कहानी है, जो पाकिस्तानी की दवाएं बेचा करता है। यह दवाएं काफी सस्ती होने के बावजूद कोई खरीदता नहीं, क्योंकि इनका कोई ब्रांड नाम नहीं। यह कहानी है व्यवस्था से टकरा जाने वाले व्यक्ति की। फिल्म का निर्देशन डेनिस टनोविच ने किया है। बैंक चोर तीन मूर्खों की कहानी है, जो एक बैंक लूटने की कोशिश करते हैं। बैंक चोर का निर्देशन बम्पी कर रहे हैं। रितेश देशमुख और विवेक ओबेरॉय के बैंक चोर के साथ इमरान हाशमी के मुकाबले को उत्सुकता से देखा जा रहा था। क्योंकि, जहाँ बॉलीवुड के सीरियल किसर इमरान हाशमी की फ़िल्में ख़ास वर्ग द्वारा पसंद की जाती हैं, वही यशराज बैनर की फिल्मों का भी ख़ास दर्शक वर्ग है। १० मार्च २०१५ को होने जा रहे इस दिलचस्प मुकाबले को अनुष्का शर्मा ने ज़्यादा दिलचस्प और सनसनीखेज बना दिया है। इस दिन अनुष्का शर्मा की बतौर निर्माता पहली फिल्म एनएच १० भी रिलीज़ होने जा रही है। यह एक रोड ट्रिप की थ्रिल से भरपूर कहानी है, जो यकायक गलत रास्ते पर चली जाती है। फिल्म की मुख्य भूमिका में अनुष्का शर्मा के साथ नील बूपलम हैं। फिल्म का निर्देशन नवदीप सिंह कर रहे है। नवदीप की इससे पहले रिलीज़ मनोरमा सिक्स फ़ीट अंडर बॉक्स ऑफिस पर कोई ख़ास बिज़नेस नहीं कर पाई थी। उनकी दूसरी फिल्म रॉक द शादी रिलीज़ तक नहीं हो सकी। एनएच १० के १० मार्च को रिलीज़ होने से, अब तक बैलेंस में नज़र आ रहा सीधा मुक़ाबला अनुष्का शर्मा की फिल्म की ओर झुका नज़र आ रहा है। ट्रेड सर्किल में कहा जा रहा है कि अनुष्का शर्मा की फिल्म एनएच १० को शुरूआती बढ़त हासिल समझो। क्योंकि, अनुष्का की फिल्म एनएच १० का ट्रेलर उनकी ही आमिर खान के साथ फिल्म पीके के साथ १९ दिसंबर को रिलीज़ हो जायेगा। इतने ज़बरदस्त प्रमोशन और अनुष्का शर्मा की फिल्म होने के नाते एनएच १० को अपेक्षाकृत काफी ज़्यादा बढ़त मिलेगी। इसके बाद वीकेंड बिज़नेस ही बताएगा कि अनुष्का शर्मा की फिल्म पर रितेश-विवेक जोड़ी भारी पड़ती है या इमरान हाशमी अकेले ही उन के लिए काफी साबित होते हैं या फिर अनुष्का शर्मा इन तीन चेहरों का चेहरा धुँआ धुँआ कर देती है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday 29 November 2014
डायनासोर का 'जुरैसिक वर्ल्ड'
हॉलीवुड फिल्मों के प्रति भारतीय दर्शकों में पागलपन को हॉलीवुड के स्टूडियो अच्छी तरह समझने लगे हैं। इसीलिए वह भारतीय दर्शकों को अपनी फिल्मों की ओर आकर्षित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। स्टार मूवीज और यूनिवर्सल पिक्चर्स इंटरनेशनल-इंडिया का एक ऐसा ही प्रयास है इन दोनों के द्वारा डायनासोर साइ-फाइ सीरीज की नवीनतम फिल्म जुरैसिक वर्ल्ड की ख़ास झलक स्टार मूवीज के फेसबुक पेज और ट्विटर पर जारी किया जाना । जुरैसिक वर्ल्ड १२ जून २०१५ को रिलीज़ होनी है । डायनासोर सीरीज की पहली फिल्म 'जुरैसिक पार्क' ११ जून १९९३ को रिलीज़ हुई थी। तब से अब तक २२ साल बीत चुके हैं। जुरैसिक पार्क की निर्माण लागत ६३ मिलियन डॉलर थी। यह फिल्म अब तक १०२९ मिलियन डॉलर का बिज़नेस कर चुकी है। इसके बाद इसकी दो सीक्वल फ़िल्में 'द लॉस्ट वर्ल्ड: जुरैसिक पार्क और जुरैसिक पार्क ३ रिलीज़ हो चुकी हैं। जुरैसिक वर्ल्ड इस सीरीज का तीसरा सीक्वल है । यानि जुरैसिक पार्क सीरीज की चौथी फिल्म है जुरैसिक वर्ल्ड । १९९७ में रिलीज़ द लॉस्ट वर्ल्ड की निर्माण लागत ७३ मिलियन डॉलर थी । द लॉस्ट वर्ल्ड ने ६१८ मिलियन डॉलर कमाए । इसके बाद, २००१ में जुरैसिक पार्क ३ रिलीज़ हुई। ९३ मिलियन डॉलर से बनी जुरैसिक पार्क ने ३६८ मिलियन डॉलर कमाए। पहली दो जुरैसिक पार्क फिल्मों के निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग थे । तीसरी जुरैसिक पार्क फिल्म का निर्देशन जोए जोहन्सटन ने किया था । जुरैसिक वर्ल्ड का निर्देशन कॉलिन ट्रेवोर्रो ने किया है। जुरैसिक पार्क को फिल्म समीक्षक और जानकार एक्शन और थ्रिलर शैली की महानतम फिल्मों में शुमार करते हैं। जुरैसिक पार्क हॉलीवुड की पहली फिल्म थी, जिसे अंग्रेजी के अलावा हिंदी, तमिल और तेलुगु में भी डब कर रिलीज़ किया गया था। इस फिल्म के बाद हॉलीवुड फिल्मों को डब कर रिलीज़ करने का सिलसिला चल निकला। तो इंतज़ार कीजिये की जुरैसिक वर्ल्ड में दर्शकों को क्या आश्चर्यजनक देखने को मिलता है।
अल्पना कांडपाल
अल्पना कांडपाल
खराब लेखन से 'उंगली ' करने की 'ज़िद'
इस शुक्रवार रिलीज़ दो फ़िल्में अच्छे सब्जेक्ट के 'उंगली' करने की बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं की 'ज़िद' के लिए जानी जाएंगी। करण जौहर के बैनर की फिल्म 'उंगली ' एक ऐसे उंगली गिरोह की कहानी है, जो यह सोचता है कि जब सीधी उंगली से या टेढ़ी उंगली से घी न निकले तो बीच का रास्ता निकालना पड़ता है। चार युवाओ- एक लड़की और तीन लड़कों का यह गिरोह भ्रष्टाचार और शोषण के खिलाफ जंग छेड़े हुए है। अब होता यह है कि यह नेताओं और पुलिस वालों पर ही हाथ डाल देते हैं। तब इस गैंग को पकड़ने के लिए दो पुलिस अधिकारीयों को लगाया जाता है, जो उन्ही की तरह से काम करते हैं। निर्माता अनुभव सिन्हा की फिल्म 'ज़िद' सस्पेंस थ्रिलर है। एक पत्रकार गोवा में एक वीरान में स्थित मकान मे रहने आता है। इस मकान में एक लड़की और उसका बीमार पिता रहता है। लडके का अपनी प्रेमिका से सम्बन्ध टूट गया है। मकान की लड़की लडके को प्रेम करने लगती है। लड़का उसे सिर्फ दोस्त मानता है। इसके बाद क़त्ल की वारदातें शुरू हो जाती हैं। 'उंगली ' और 'ज़िद' का विषय खास अच्छा और दर्शकों को अपील करने वाला था। परन्तु, यह दोनों फ़िल्में ख़राब लेखन और अभिनय का शिकार हो गयीं। दोनों फिल्मों की ख़ास बात यह है कि इन्हे लिखने में इनके निर्देशकों ने सहयोग दिया है। फिल्म ज़िद का लेखन रोहित मल्होत्रा के
साथ विवेक अग्निहोत्री ने किया है। ऊँगली का लेखन मिलाप जावेरी के साथ रेंसिल डिसूज़ा ने किया है। यह दोनों फ़िल्में घिसे पिटे घटनाक्रम के साथ आगे घिसटती चलती हैं। उंगली की लीक तो इतनी पिटी हुई है कि दर्शक झल्ला कर अपने ही उंगली करने लगता है कि आखिर वह इस फिल्म को देखने ही क्यों आया ? उंगली में इमरान हाश्मी आकर्षण थे। पर फिल्म में उनके करने लिए लिए कुछ नहीं था। फिल्म में उन्होंने जो किया, उसके लिए उनका प्रशंसक दर्शक उन्हें नहीं पहचानता। कंगना रनौत इस फिल्म में क्या कर रही थीं ? वह स्क्रिप्ट लेखन की ट्रेनिंग ले चुकी हैं। उनकी फिल्म चुनने की क्षमता पर तरस आता है। फिल्म में रणदीप हुडा, संजय दत्त, नील भूपलम, अंगद बेदी और नेहा धूपिया भी दर्शकों के उंगली करते नज़र आ रहे थे। ज़िद भी एक्टर्स की उंगली करने की ज़िद का शिकार हुई। इस फिल्म के लिए ज़ोर शोर से प्रचार किया गया था कि ज़िद प्रियंका चोपड़ा की एक और बहन बार्बी हांडा उर्फ़ मन्नारा हांडा डेब्यू कर रही हैं। इसमे कोई शक नहीं कि खराब एक्टिंग के मामले में वह अपनी दीदी का नाम डुबो कर ही मानेंगी। उन्हें अभिनय का मतलब अपनी बड़ी छातियाँ दिखाना ही लगता है। करणवीर शर्मा के चेहरे के हाव भावों से एक्टिंग न कर पाने का दर्द झलकता रहता है। दक्षिण की अभिनेत्री श्रद्धा दास ने कामुक अंग प्रदर्शन में मन्नारा को ज़बरदस्त टक्कर दी है। मगर, उन्हें इसका कोई फायदा नहीं होने जा रहा। फिल्म ऊँगली में संगीत के क्षेत्र में चार संगीतकारों सलीम-सुलैमान, सचिन-जिगर, गुलराज सिंह और असलम केई ने ऊँगली की है। मगर , वह दर्शकों का दर्द बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं कर पाये। ज़िद में शारिब-तोषी की संगीतकार जोड़ी का ठीक ठाक काम भी बर्बाद हो गया है।
करण जौहर और अनुभव सिन्हा सफल फिल्म निर्माता और निर्देशक हैं। इनकी फ़िल्में अच्छी स्क्रिप्ट की गवाह हैं। समझ में नहीं आता कि यह दोनों चूक कैसे गए। वैसे करण जौहर ने ऊँगली के प्रचार से किनारा कर अपनी नाराज़गी दर्ज करा दी थी।
ज़िद में मन्नारा और उंगली मे कंगना रनौत के किरदार का नाम माया है। लेकिन, लगता नहीं कि नाम के अनुरूप फिल्मों को माया नसीब होगी।
साथ विवेक अग्निहोत्री ने किया है। ऊँगली का लेखन मिलाप जावेरी के साथ रेंसिल डिसूज़ा ने किया है। यह दोनों फ़िल्में घिसे पिटे घटनाक्रम के साथ आगे घिसटती चलती हैं। उंगली की लीक तो इतनी पिटी हुई है कि दर्शक झल्ला कर अपने ही उंगली करने लगता है कि आखिर वह इस फिल्म को देखने ही क्यों आया ? उंगली में इमरान हाश्मी आकर्षण थे। पर फिल्म में उनके करने लिए लिए कुछ नहीं था। फिल्म में उन्होंने जो किया, उसके लिए उनका प्रशंसक दर्शक उन्हें नहीं पहचानता। कंगना रनौत इस फिल्म में क्या कर रही थीं ? वह स्क्रिप्ट लेखन की ट्रेनिंग ले चुकी हैं। उनकी फिल्म चुनने की क्षमता पर तरस आता है। फिल्म में रणदीप हुडा, संजय दत्त, नील भूपलम, अंगद बेदी और नेहा धूपिया भी दर्शकों के उंगली करते नज़र आ रहे थे। ज़िद भी एक्टर्स की उंगली करने की ज़िद का शिकार हुई। इस फिल्म के लिए ज़ोर शोर से प्रचार किया गया था कि ज़िद प्रियंका चोपड़ा की एक और बहन बार्बी हांडा उर्फ़ मन्नारा हांडा डेब्यू कर रही हैं। इसमे कोई शक नहीं कि खराब एक्टिंग के मामले में वह अपनी दीदी का नाम डुबो कर ही मानेंगी। उन्हें अभिनय का मतलब अपनी बड़ी छातियाँ दिखाना ही लगता है। करणवीर शर्मा के चेहरे के हाव भावों से एक्टिंग न कर पाने का दर्द झलकता रहता है। दक्षिण की अभिनेत्री श्रद्धा दास ने कामुक अंग प्रदर्शन में मन्नारा को ज़बरदस्त टक्कर दी है। मगर, उन्हें इसका कोई फायदा नहीं होने जा रहा। फिल्म ऊँगली में संगीत के क्षेत्र में चार संगीतकारों सलीम-सुलैमान, सचिन-जिगर, गुलराज सिंह और असलम केई ने ऊँगली की है। मगर , वह दर्शकों का दर्द बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं कर पाये। ज़िद में शारिब-तोषी की संगीतकार जोड़ी का ठीक ठाक काम भी बर्बाद हो गया है।
करण जौहर और अनुभव सिन्हा सफल फिल्म निर्माता और निर्देशक हैं। इनकी फ़िल्में अच्छी स्क्रिप्ट की गवाह हैं। समझ में नहीं आता कि यह दोनों चूक कैसे गए। वैसे करण जौहर ने ऊँगली के प्रचार से किनारा कर अपनी नाराज़गी दर्ज करा दी थी।
ज़िद में मन्नारा और उंगली मे कंगना रनौत के किरदार का नाम माया है। लेकिन, लगता नहीं कि नाम के अनुरूप फिल्मों को माया नसीब होगी।
Just one film old Kriti Sanon, has won the race to star opposite Akshay Kumar in Prabhu Deva’s ‘Singh is Bling’.
Actresses like Katrina Kaif and Kareena Kapoor
Khan were considered for the role. But, finally the makers have zeroed
in Kriti Sanon for the role.
Kriti made her debut this year with the film ‘Heropanti’ and it is a big deal that the actress has left behind senior actresses like Katrina and Kareena.
Well, it will be interesting to watch Akshay Kumar romancing the much younger actress Kriti Sanon.
- See more at: http://www.calgaryindians.com/news/23230-heropanti-girl-kriti-beats-katrina-kareena.aspx#sthash.Gmb0odrs.dpufKriti made her debut this year with the film ‘Heropanti’ and it is a big deal that the actress has left behind senior actresses like Katrina and Kareena.
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Kriti made her debut this year with the film ‘Heropanti’ and it is a big deal that the actress has left behind senior actresses like Katrina and Kareena.
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Friday 28 November 2014
परम गिल को सिद्धि विनायक की फिल्म
डायरेक्टर परम गिल की आजकल निकल पड़ी है। उनकी हिंदी फिल्म डेथ ऑफ़ अमर और इंग्लिश फिल्म द लास्ट सपर को ढेर सारे अवार्ड मिल चुके हैं । लॉस एंजेल्स अंडरग्राउंड फिल्म फेस्टिवल में पाँच अवार्ड मिले । फिल्म को ओरेगॉन फिल्म फेस्टिवल में प्लैटिनम अवार्ड मिला। परम गिल को बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड सैनफ्रांसिस्को फिल्म फेस्टिवल में मिला था । क्रिस्टल स्काई ने अमेरिकन फिल्म मार्किट के लिए इंग्लिश फिल्म द लास्ट सपर का पूरा राइट्स खरीद लिया है । राजीव खण्डेलवाल और ज़रीन खान की फिल्म डेथ ऑफ़ अमर के निर्माता रेमो डिसूज़ा है । परम गिल अपनी फिल्म एक फिल्म की शूटिंग जनवरी से शुरू करेंगे। उन्होंने सिद्धि विनायक फिल्म के नरेंद्र बजाज की फिल्म भी बतौर निर्देशक साईन की है ।
बदलापुर का पोस्टर
वरूण धवन, नवाजुद्दीन सिद्दकी, यमी गौतम और हुमा कुरैशी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'बदलापुर' का टीज़र पोस्टर. यह पोस्टर श्वेत श्याम पृष्ठभूमि पर बनाया गया है, जिसमे दो रेलवे ट्रैक के बीच फिल्म का टाइटल बदलापुर हिंदी और अंग्रेजी मिक्स कर बनाया गया है. लेकिन, यह पोस्टर काफी कुछ लिओनार्डो डिकेप्रिओ की फिल्म इन्सेप्शन से मिलता-जुलता सा है . इन्सेप्शन के पोस्टर में दो इमारतों के बीच इन्सेप्शन लिखा नज़र आता था. श्रीराम राघवन के निर्देशन में बनाई जा रही फिल्म बदलापुर अगले साल २० फरवरी को रिलीज़ होगी.
पूरा हुआ ए बी सी डी २ इंडिया शिड्यूल
रेमो डिसूज़ा की फिल्म ए बी सी डी २ का इंडिया शिड्यूल पूरा हो गया है। अब वरुण धवन, श्रद्धा कपूर और प्रभुदेवा के साथ पूरी टीम, लास वेगास अमेरिका के लिए रवाना होगी। रियल लाइफ करैक्टर पर आधारित यह फिल्म मुंबई के नालासोपारा इलाके के आवारा बच्चों की कहानी है, जो अपनी लगन और मेहनत के बल पर अंतर्राष्ट्रीय डांस कम्पटीशन में हिस्सा लेने जाते है। वरुण धवन अपने साथी बच्चों के टीम लीडर सुरेश की भूमिका में हैं, जो अपना डांस ट्रुप ले कर इंटरनेशनल डांस कम्पटीशन में हिस्सा लेते हैं । श्रद्धा कपूर वरुण धवन की प्रेमिका का किरदार कर रही है। प्रभुदेवा वरुण धवन के गॉड फादर बने हैं । बताते चलें कि ए बी सी डी २ रेमो डिसूज़ा की २०१३ में बतौर निर्देशक पहली फिल्म ए बी सी डी - एनी बडी कैन डांस का सीक्वल है । 'मगर इस सीक्वल फिल्म की कहानी बिलकुल अलग है', बताते हैं रेमो डिसूुज़ा। रेमो डिसूज़ा ज़मीन से उठे आदमी हैं। उनकी फिल्मों में अभाव, सपने, प्रेरणा, संघर्ष और प्रेम प्रमुख तत्व होते हैं। ए बी सी डी २ भी उसी शैली की फिल्म है। यह फिल्म अगले साल के मध्य में रिलीज़ होगी।
Thursday 27 November 2014
जेड प्लस जैसी फ़िल्में संतुष्टि देती हैं - मोना सिंह
जस्सी जैसी कोई नहीं और क्या हुआ तेरा वादा से छोटे परदे पर छा जाने वाली मोना सिंह की ऊट पटांग और ३ इडियट्स जैसी फिल्मों से बड़े परदे पर एंट्री ख़ास नहीं रही। ३ इडियट्स के बाद मोना सिंह , ज़्यादातर रियलिटी शोज में नज़र आयीं। अब वह कोई तीन चार साल बाद डॉक्टर चंद्रप्रकाश की फिल्म जेड प्लस से दर्शकों के सामने होंगी । जेड प्लस एक सामाजिक राजनीतिक ड्रामा फिल्म है । समकालीन राजनीति पर कटाक्ष करती इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक राज्य के भ्रष्ट राजनेता अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक पंक्चर वाले को जेड प्लस सुरक्षा दे देते हैं। इस फिल्म में असलम पंक्चर वाले की भूमिका आदिल हुसैन ने की है। मोना सिंह ने इसी पंक्चर वाले की बीवी की भूमिका की है। मोना सिंह छोटे परदे पर अपना जादू बिखेरने के बावजूद ज़्यादा फिल्मों में इसलिए नज़र नहीं आयीं कि क्योंकि उन्हें अच्छी स्क्रिप्ट का इंतज़ार था ।
मोना सिंह ने जेड प्लस का चुनाव स्क्रिप्ट की वजह से किया या अपनी भूमिका पढ़ किया ! कहती हैं मोना सिंह, "डॉक्टर साहब की स्क्रिप्ट राजनीती का शानदार बयान है।
मोना सिंह ने जेड प्लस का चुनाव स्क्रिप्ट की वजह से किया या अपनी भूमिका पढ़ किया ! कहती हैं मोना सिंह, "डॉक्टर साहब की स्क्रिप्ट राजनीती का शानदार बयान है।
मोना इतने लम्बे समय तक फिल्मों में नज़र नहीं आयी, क्योंकि, उन्हें अच्छी स्क्रिप्ट का इंतज़ार था। वह कहती हैं, " आजकल ज़्यादातर रोमांटिक फ़िल्में बनायी जा रही हैं। मैं रोमांस फिल्मों की विरोधी नहीं। परन्तु, फिल्मों में कुछ समझदारी भी तो होनी चाहिए। मैं कुछ फ़िल्में गिना सकती हूँ, जो देखने योग्य है। क्वीन ऎसी ही फिल्म थी। मैंने इसे कई बार देखा। आँखों देखी भी शानदार फिल्म थी। यह फ़िल्में अलग प्रकार का सिनेमा थी। "
हमारे यहाँ अच्छी स्क्रिप्ट की इतनी कमी क्यों हैं ? बताती हैं मोना सिंह, "दरअसल, अच्छी स्क्रिप्ट तैयार करने में काफी मेहनत और समय लगता है। हमारे फिल्म उद्योग में अच्छी स्क्रिप्ट की बड़ी कमी है। इसीलिए अच्छा सिनेमा देखने को बहुत कम मिल रहा। "
जेड प्लस की स्क्रिप्ट अच्छी थी या मोना सिंह को अपना रोल अच्छा लगा ? जेड प्लस साइन करने का क्या कारण था ? मोना बताती हैं, "डॉक्टर साहब ने ब्रिलियंट स्क्रिप्ट लिखी है। वह बड़े रोचक अंदाज़ में स्क्रिप्ट सुनाते हैं। उन्होंने स्क्रिप्ट का अंत मुझे नहीं सुनाया और कहा कि मैं अंत नहीं बताना चाहता। लेकिन, बाद में जब मैंने अंत बताने की ज़िद पकड़ी तो उन्होंने अंत बता दिया। मुझे यह बहुत अच्छा लगा और मैंने तुरंत फिल्म को हाँ कर दी।"
क्या आप जेड प्लस से खुश हैं ? मोना सिंह कहती हैं, "एक एक्टर के लिए जेड प्लस जैसी फिल्म से जुड़ना बड़े संतोष की बात होती। आप फिल्म देखते समय इमोशन के विस्तृत आयाम देखेंगे।"
राजेंद्र कांडपाल
क्या आप जेड प्लस से खुश हैं ? मोना सिंह कहती हैं, "एक एक्टर के लिए जेड प्लस जैसी फिल्म से जुड़ना बड़े संतोष की बात होती। आप फिल्म देखते समय इमोशन के विस्तृत आयाम देखेंगे।"
राजेंद्र कांडपाल
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