आज अभिनेत्री माधुरी दीक्षित का ४८ वां जन्मदिन है. तीस साल पहले माधुरी ने राजश्री प्रोडक्शंस की सुपर फ्लॉप फ़िल्म अबोध से अपने करियर की शुरुआत की थी. उस समय किसको मालूम था कि इस फ्लॉप मटेरियल को कभी ऎसी तेज़ाबी सफलता मिलेगी कि वह अगले तीन दशकों तक हिन्दी फ़िल्म दर्शकों के दिलों की धकधक बन जाएँगी। चंद्रा नार्वेकर उर्फ़ एन चन्द्रां की फ़िल्म तेज़ाब ने दुबली पतली काया वाली माधुरी दीक्षित को सुपर हिट कर दिया. इस फिल्म के बाद माधुरी दीक्षित के बही खाते में राम-लखन, त्रिदेव, परिंदा,.दिल, १०० डेज , साजन,बेटा, आदि सुपर हिट फ़िल्में दर्ज़ हो गयीं।
माधुरी दीक्षित एक ऐसा उदाहरण हैं कि समय बडा जालिम होता है। बीता हुआ कल वापस नहीं आ सकता. २००२ में, देवदास की सफलता के दौर में फ़िल्म की चंद्रमुखी माधुरी दीक्षित अमेरिकन ड़ॉक्टर श्रीराम नेने का घर बसाने के लिये बॉलीवुड छोङ कर चली गयी थीं. कुछ समय ऐसा लगा कि माधुरी के प्रशंसकों के दिलों ने धडकना बन्द कर दिया है। दर्शक माधुरी दीक्षित की दिल चीर देने वाली मुस्कान को भूलें नही थे। इसीलिए पांच साल बाद जब उन्होने यशराज बैनर की फिल्म के साथ दर्शकोँ से आजा नच ले कहा तो दर्शक सहज तैयार हो गये. मगर फ़िल्म आजा नच ले दर्शकोँ की अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी। फिल्म फ्लॉप हो गयी। इसे लोगों ने माधुरी दीक्षित के बजाय फ़िल्म की असफ़लता समझा। इसीलिये, जब छह साल बाद, माधूरी दीक्षित ने फिर बॉलीवुड का रुख किया तो फ़िल्म निर्माताओं ने खूली बाहों से उनका स्वागत किया. अयान मुखर्जी की फ़िल्म 'यह जवानी दीवानी' में उनका 'लहंगा' दर्शकों को पसन्द भी आया। इसके बाद माधुरी दीक्षित की बतौर नायिका डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का इंतज़ार किया जाने लगा. डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का रिलीज़ होना बन्द मुट्ठी खुल जाने के समान था. यह दोनों फिल्में दो महीने के अंतराल में रिलीज़ हुई और बुरी तरह से फ्लॉप हुई। माधुरी दीक्षित की कटीली मुस्कान दर्शकोँ के दिलों की धक धक नहीं बन सकी। इसके साथ ही साबित हो गया कि माधुरी अब बीता समय बन चुकी हैं।
माधुरी दीक्षित एक ऐसा उदाहरण हैं कि समय बडा जालिम होता है। बीता हुआ कल वापस नहीं आ सकता. २००२ में, देवदास की सफलता के दौर में फ़िल्म की चंद्रमुखी माधुरी दीक्षित अमेरिकन ड़ॉक्टर श्रीराम नेने का घर बसाने के लिये बॉलीवुड छोङ कर चली गयी थीं. कुछ समय ऐसा लगा कि माधुरी के प्रशंसकों के दिलों ने धडकना बन्द कर दिया है। दर्शक माधुरी दीक्षित की दिल चीर देने वाली मुस्कान को भूलें नही थे। इसीलिए पांच साल बाद जब उन्होने यशराज बैनर की फिल्म के साथ दर्शकोँ से आजा नच ले कहा तो दर्शक सहज तैयार हो गये. मगर फ़िल्म आजा नच ले दर्शकोँ की अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी। फिल्म फ्लॉप हो गयी। इसे लोगों ने माधुरी दीक्षित के बजाय फ़िल्म की असफ़लता समझा। इसीलिये, जब छह साल बाद, माधूरी दीक्षित ने फिर बॉलीवुड का रुख किया तो फ़िल्म निर्माताओं ने खूली बाहों से उनका स्वागत किया. अयान मुखर्जी की फ़िल्म 'यह जवानी दीवानी' में उनका 'लहंगा' दर्शकों को पसन्द भी आया। इसके बाद माधुरी दीक्षित की बतौर नायिका डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का इंतज़ार किया जाने लगा. डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का रिलीज़ होना बन्द मुट्ठी खुल जाने के समान था. यह दोनों फिल्में दो महीने के अंतराल में रिलीज़ हुई और बुरी तरह से फ्लॉप हुई। माधुरी दीक्षित की कटीली मुस्कान दर्शकोँ के दिलों की धक धक नहीं बन सकी। इसके साथ ही साबित हो गया कि माधुरी अब बीता समय बन चुकी हैं।
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