Sunday, 23 October 2016

फ़िल्में ध्वस्त कर देने वाले हैं अजय देवगन !

अगर चार राज्यों में ऐ दिल है मुश्किल की रिलीज़ पर लगा बैन उठा तो यह फिल्म फवाद खान के बावजूद दिवाली पर रिलीज़ होगी। ऐसे में ऐ दिल है मुश्किल का बॉक्स ऑफिस पर बुल्डोज होना तय माना जा रहा है।  क्योंकि इस दिवाली पर ऐ दिल है मुश्किल टकराएगी अजय देवगन की फिल्म शिवाय से । वह बुलडोज़र एक्टर है।  अजय देवगन ऐसे अभिनेता माने जाते हैं, जिनकी फिल्म के सामने जो भी फिल्म रिलीज़ होती है, बड़ी इमारत की तरह ध्वस्त हो जाती है ।  जी हाँ, अजय देवगन को ऐसा अभिनेता कहा जा सकता है, जिसकी फ़िल्में सामने वाली फिल्म को बुलडोज़ कर देती हैं। 
जब यश चोपड़ा को मिले कांटे
क्या आपको विश्वास नहीं ! अजय देवगन का बॉलीवुड फिल्म डेब्यू १९९१ में हुआ था।  उनकी पहली फिल्म एक्शन फिल्म थी।  मधु के साथ अजय देवगन की पहली फिल्म म्यूजिकल एक्शन फूल और कांटे २२ नवम्बर १९९१ को रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म के सामने थी निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म लम्हे।  इस फिल्म में श्रीदेवी, अनिल कपूर, अनुपम खेर और वहीदा रहमान जैसे सितारे थे। फिल्म के निर्देशक
एक चतुर और रोमांस फिल्मों का चितेरा फिल्मकार था।  वहीँ फूल और कांटे इसके नायक अजय देवगन और नायिका मधु की पहली फिल्म ही नहीं थी बल्कि, फिल्म के निर्देशक कुकू कोहली की भी यह पहली फिल्म थी।  लेकिन, दो बाइको पर सवार हो कर एंट्री मारने वाले काली शक्ल सूरत वाले अजय देवगन का जादू चल गया।  अजय देवगन के धुंआधार एक्शन ने अनिल कपूर और श्रीदेवी के रोमांस की हवा निकाल दी। उस समय के अनुसार फूल और कांटे का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन लम्हे के मुक़ाबले डबल था। 
किसको बुल्डोज नहीं किया अजय देवगन ने !
अपनी रोमांटिक फिल्म क़यामत से क़यामत तक (१९८८) से आमिर खान लवर बॉय एक्टर के बतौर स्थापित हो गए।  इसके बाद उन्होंने दिल, दिल है कि मानता नहीं जो जीत वही सिकंदर और हम रही प्यार के से अपनी पोजीशन पुख्ता कर ली थी।  सलमान खान भी उनके समकालीन थे।  मैंने प्यार किया (१९८९) के बाद सलमान खान ने सनम बेवफा, पत्थर  के फूल, कुर्बान और साजन जैसी हिट फिल्मों से खुद के पैर
जमा लिए थे।  तब आई इन दोनों को जोड़ी वाली राजकुमार संतोषी निर्देशित फिल्म कॉमेडी फिल्म अंदाज़ अपना अपना।  उस समय तक राजकुमार संतोषी ने घायल और दामिनी जैसी फिल्मों से अपना नाम बना लिया था।  ऎसी बड़ी फिल्म के सामने अजय देवगन और अक्षय कुमार की जोड़ी की फिल्म सुहाग रिलीज़ हुई।  यह कुकू कोहली की थ्रिलर ड्रामा फिल्म थी।  इन दोनों फिल्मों की एक नायिका करिश्मा कपूर भी थी।  फिल्म पंडित अंदाज़ अपना अपना की सफलता को लेकर आश्वस्त थे।  लेकिन हुआ इसके उलट।  अंदाज़ अपना अपना बमुश्किल अपनी लागत निकाल पाई।  जबकि सुहाग उस साल की बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। 
यह भी हुए बुल्डोज
अजय देवगन ने ४ नवम्बर १९९४ को अक्षय कुमार के साथ सलमान खान और आमिर खान की जोड़ी को बुल्डोज कर दिया था।  यही अजय देवगन कालांतर में अपने इस जोड़ीदार की फिल्मों के लिए भी बुलडोज़र साबित हुए।  गवाह हैं २००९ और २०१० की दिवाली, जिनमे अजय देवगन ने अक्षय कुमार के अलावा सलमान खान की फिल्म का भी दिवाला निकाल दिया।  १६ अक्टूबर २००९
को रोहित शेट्टी निर्देशित अजय देवगन की एक्शन कॉमेडी फिल्म आल द बेस्ट रिलीज़ हुई थी। 
  सामने दो फ़िल्में अक्षय कुमार, संजय दत्त, लारा दत्ता और कैटरिना कैफ की फिल्म ब्लू तथा सलमान खान और करीना कपूर की रोमांस फिल्म मैं और मिसेज खन्ना रिलीज़ हुई।  ब्लू भारत की पहली अंडरवाटर फिल्म बताई जा रही थी।  इस सब हाइप के बावजूद ब्लू डूबी ही, मैं और मिसेज खन्ना भी डूब गई।  अगली दिवाली फिर शेट्टी-देवगन जोड़ी की फिल्म की थी। २०१० की दिवाली में ५ नवम्बर २०१० को गोलमाल सीरीज की तीसरी फिल्म गोलमाल ३ रिलीज़ हुई।  एक बार फिर अक्षय कुमार की साइंस फिक्शन रोमांस कॉमेडी फिल्म एक्शन रीप्ले सामने थी। विपुल शाह की यह फिल्म ६० करोड़ में बनी महँगी फिल्म थी।  मगर अजय देवगन इसे की एक्शन कॉमेडी फिल्म गोलमाल ३ के सामने रिलीज़ होना महंगा पड़ा।  फिल्म केवल ४० करोड़ ही कमा सकी। वही केवल ४० करोड़ में बनी गोलमाल ३ ने पहले सप्ताह में ही ६२ करोड़ से ज़्यादा का बिज़नस कर लिया। 
बड़ा टकराव भला टकराव
ऐ दिल है मुश्किल और शिवाय जैसे टकराव बॉलीवुड ने बहुत देखे है।  आम तौर पर शंकाओं के बावजूद ज़्यादातर फिल्मों को टकराव से नुक्सान नहीं हुआ। बेशक मोटा फायदा नहीं हुआ।  २००८ में रोहित शेट्टी और अजय देवगन की निर्देशक अभिनेता जोड़ी की फिल्म गोलमाल रिटर्न्स रिलीज़ हुई।  फिल्म के सामने थी मधुर भंडारकर की प्रियंका चोपड़ा और कंगना रनौत की फिल्म फैशन।  फैशन को नुकसान पहुँचाने की आशंका थी।  लेकिन, गोलमाल रिटर्न्स की बड़ी सफलता के सामने भी फैशन सफल हुई।  ख़ास बात यह है कि अजय देवगन की फ़िल्में जब भी टकराई, ज़्यादातर फ़िल्में खुद का नुक्सान चाहे बचा ले गई हो, लेकिन अजय देवगन की फिल्म को भी नुकसान नहीं पहुंचा पाई। 
१३ नवम्बर २०१२ को शाहरुख़ खान, अनुष्का शर्मा और कैटरिना कैफ  की फिल्म जब तक है जान, अजय देवगन और सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म सन ऑफ़ सरदार।  हालाँकि सन ऑफ़ सरदार को जब तक हैं जान के मुक़ाबले ५०० स्क्रीन काम मिले थे।  इसके बावजूद सन ऑफ़ सरदार को कोई नुकसान नहीं हुआ।  अलबत्ता, जब तक है जान बड़ा फायदा नहीं कमा सकी।  इसी प्रकार १५ जून २००१ को निर्देशक अनिल शर्मा की सनी देओल और अमीषा पटेल अभिनीत फिल्म ग़दर एक प्रेम कथा और निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की आमिर खान और ग्रेसी सिंह अभिनीत फिल्म लगान का मुकाबला भी सुखद रहा।  इन दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की।  लेकिन, ग़दर एक प्रेम कथा की सफलता बहुत बड़ी और ऐतिहासिक साबित हुई। आमिर खान और सनी देओल की दिल और घायल तथा राजा हिंदुस्तानी और घातक का रोमांस और एक्शन का टकराव सुखद रहा।  आमिर खान २००७ में भी अक्षय कुमार की फिल्म वेलकम से आ टकराए थे।  आमिर खान की फिल्म तारे ज़मीन पर के निर्देशक  आमिर खान थे।  अनीस बज़्मी की फिल्म वेलकम ने बॉक्स ऑफिस पर खरगोश की रफ़्तार पकड़ी।  लेकिन कछुआ रफ़्तार से आमिर खान की फिल्म तारे ज़मीन पर ने भी बढ़िया कमाई करने में सफलता हासिल की।  अब यह बात दीगर है कि अक्षय कुमार की एक्शन कॉमेडी फिल्म वेलकम की सफलता ज़्यादा बड़ी थी। कुछ दूसरे एक्शन बनाम रोमांस मुकाबलों में रिजल्ट दिलचस्प रहा।  दोनों ही फिल्मों को सफलता मिली। 
नुकसान....पर टकराव से नहीं
बॉक्स ऑफिस पर जब दो बड़ी फिल्मों का  टकराव होता है तो जहाँ फायदा होता है तो नुक्सान भी होता है।  लेकिन इस नुकसान को टकराव का नुकसान कहना  ठीक नहीं।  इन असफल फिल्मों में कमिया थी।  जिसके कारण से इन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ा।  २००० में एक ही शुक्रवार रिलीज़ आदित्य चोपड़ा निर्देशित अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ खान और ऐश्वर्या राय की फिल्म मोहब्बते के मुकाबले में हृथिक रोशन, संजय दत्त और प्रीटी जिंटा की फिल्म मिशन कश्मीर अपनी कमज़ोर पटकथा के कारण असफल हुई।  क्लाइमेक्स में हृथिक रोशन की मौत फिल्म पर भारी पड़ी।  इसी प्रकार से २००६ में फरहान अख्तर की शाहरुख़ खान और प्रियंका चोपड़ा की फिल्म डॉन को अक्षय कुमार की फिल्म जान ए मन के मुक़ाबले में सफलता मिली।  लेकिन, जान ए मन पर शिरीष कुंदर की कमज़ोर पटकथा और कल्पनाविहीन निर्देशन के कारण मात खानी पड़ी।  वहीँ २००७ में सावरियां दिवाली जैसे धूमधड़ाके वाले त्यौहार में एक डल माहौल वाली फिल्म होने के कारण निर्देशक फराह खान की धमाकेदार गीत संगीत वाली फिल्म से मात खा गई। पिछले साल भी बाजीराव मस्तानी के मुक़ाबले दिलवाले को इसीलिए असफल का मुंह देखना नसीब हुआ कि फिल्म काफी कमज़ोर पटकथा और लाउड अभिनय वाली फिल्म थी। 
सितारों का मेला, सभी हुए सफल
बॉलीवुड के लिए १९७४ की ईद -उल - फ़ित्र गज़ब की साबित हुई।  इस साल, १८ अक्टूबर १९७४ को चार बड़ी फ़िल्में रिलीज़ हुई।  यह सभी बड़े सितारों वाली फ़िल्में थी।  इनकी बड़ी स्टार कास्ट के कारण १८ अक्टूबर को देश के सिनेमाघरों में जैसे सितारों का जमावड़ा लग गया था।  निर्देशक मनोज कुमार की खुद और ज़ीनत अमान, अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, मौशमी चटर्जी, प्रेमनाथ, कामिनी कौशल, धीरज कुमार, मदन पुरी और अरुणा ईरानी अभिनीत महंगाई ड्रामा फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के अलावा निर्देशक मनमोहन देसाई की राजेश खन्ना और मुमताज़ की हिट जोड़ी वाली फिल्म रोटी, मोहन सैगल निर्देशित नवीन निश्चल और रेखा की जोड़ी वाली थ्रिलर फिल्म मैं वह नहीं और निर्देशक नरेंद्र बेदी की अमिताभ बच्चन, मौशमी चटर्जी और मदन पुरी के अभिनय से सजी मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म बेनाम।  आज के दिन बॉलीवुड थर्रा रहा होता कि चार बड़ी फिल्मों का यह कैसा टकराव।  इन फिल्मों में काफी स्टार कास्ट समान थी। रोटी कपड़ा और मकान की मौशमी चटर्जी और अमिताभ बच्चन बेनाम के नायक नायिका थे।   जॉनर सामान था। फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में लता मंगेशकर और मुकेश के साथ नरेंद्र चंचल की आवाज़ को सूट करने वाली शैली में कवाली थी तो बेनाम में भी मैं बेनाम हो गया जैसा गीत था।  सोचा जा सकता था कि बॉलीवुड को बड़ा नुकसान होगा।  लेकिन गज़ब बीती ईद भी।  चारों ही फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई।  अलबत्ता बड़े सितारों से सजी मनोज कुमार की फिल्म रोटी कपड़ा और मकान ने बाज़ी मारी।  यह फ़िल्म सबसे ज़्यादा हिट फिल्म साबित हुई।   

साफ़ तौर पर इस दिवाली ऐ दिल है मुश्किल और शिवाय का टकराव है।  इसे अजय देवगन के बुलडोज़र के सामने रणबीर कपूर ऐस्वर्या राय बच्चन और अनुष्का शर्मा की बुलंद इमारत कहा जा सकता है।  ज़ाहिर है कि हिंदी फिल्मों के १९९१ के इतिहास के मद्देनज़र ऐ दिल है मुश्किल का हिट होना मुश्किल लगता है।  

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