क्या आप जानते हैं कि आज से ४२ साल पहले
बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड सितारों का मेला जुटा था ? बॉलीवुड के लिए १९७४ की ईद-उल-फ़ित्र
गज़ब की ईदी देने वाली साबित हुई थी । ठीक
४२ साल पहले १८ अक्टूबर १९७४ को चार बड़ी हिंदी फ़िल्में रिलीज़ हुई थी । ख़ास बात यह
थी कि यह सभी बड़े सितारों वाली फ़िल्में थी।
इनकी बड़ी स्टार कास्ट के कारण १८ अक्टूबर को देश के सिनेमाघरों में जैसे
सितारों का जमावड़ा लग गया था। स्टार कास्ट
के लिहाज़ से, निर्देशक मनोज कुमार की खुद और ज़ीनत अमान, अमिताभ
बच्चन, शशि कपूर, मौशमी
चटर्जी, प्रेमनाथ, कामिनी
कौशल, धीरज कुमार, मदन
पुरी और अरुणा ईरानी अभिनीत महंगाई ड्रामा फिल्म रोटी कपड़ा और मकान सबसे बड़ी स्टार
कास्ट वाली फिल्म थी । रोटी कपड़ा और मकान के अलावा एक दूसरी रोटी फिल्म, निर्देशक
मनमोहन देसाई की राजेश खन्ना और मुमताज़ की हिट जोड़ी वाली फिल्म रोटी इसके सामने थी
। इस रोमांस फिल्म के सामने थी, मोहन सैगल
निर्देशित नवीन निश्चल और रेखा की जोड़ी वाली थ्रिलर फिल्म मैं वह नहीं और निर्देशक
नरेंद्र बेदी की अमिताभ बच्चन, मौशमी चटर्जी और मदन
पुरी के अभिनय से सजी मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म बेनाम। एक ही शुक्रवार चार बड़ी
फ़िल्में ! सोचना भी अविश्वसनीय सा लगता है । आज का समय होता तो बॉलीवुड थर्रा रहा
होता । एक ही दिन, चार बड़ी फिल्में ! क्या गुल खिलेगा बॉक्स ऑफिस पर इस टकराव से ।
ख़ास बात यह थी कि इन फिल्मों में कुछ स्टार कास्ट भी समान थी। रोटी कपड़ा और मकान
की मौशमी चटर्जी और अमिताभ बच्चन बेनाम के नायक नायिका थे। जॉनर सामान था । फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में
लता मंगेशकर और मुकेश के साथ नरेंद्र चंचल की आवाज़ को सूट करने वाली शैली में
कवाली थी तो बेनाम में भी मैं बेनाम हो गया जैसा गीत था। उस दौर में मनोज कुमार
बॉलीवुड के भारत कुमार बने हुए थे । रोटी कपड़ा और मकान का विषय ज्वलंत था, स्टार
कास्ट हिट थी । उस दौर में अमिताभ बच्चन जंजीर से एंग्रीयंग मैन बन चुके थे ।
शशिकपूर भी खूब चल रहे थे । नवीन निश्चल और रेखा का भी जलवा था । राजेश खन्ना सुपर
स्टार की पोजीशन में विराजे हुए थे । ऐसे में यह सोचा जाना स्वाभाविक था कि
बॉलीवुड को बड़ा नुकसान होगा। लेकिन गज़ब
बीती ईद भी । चारों ही फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई। अलबत्ता बड़े सितारों से सजी मनोज कुमार की
फिल्म रोटी कपड़ा और मकान ने बाज़ी मारी। यह फ़िल्म सबसे ज़्यादा हिट फिल्म साबित हुई।
उसके पीछे थी राजेश खन्ना की फिल्म रोटी और पीछा कर रहे थे अमिताभ बच्चन फिल्म
बेनाम से ।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 18 October 2016
४२ साल पहले बॉक्स ऑफिस पर लगा था सितारों का मेला
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यादें
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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