यह टाइटल पढ़ कर काफी हिंदी फिल्म प्रशंसक चौंक सकते हैं। कौन नैना साहू ! ज़्यादातर फिल्म प्रेमी, ख़ास तौर पर आज की पीढ़ी के दर्शक नैना साहू के नाम से तक परिचित न होंगे। नैना ने १९६७ में किशोर साहू जैसे फिल्मकार की फिल्म हरे कांच की चूड़ियां से बतौर नायिका डेब्यू किया था। फिल्म में उनके नायक विश्वजीत थे। किशोर साहू अपने समय के बड़े निर्माता-निर्देशक थे। किशोर साहू को दर्शक गाइड फिल्म में वहीदा रहमान के पति मारको के बतौर यह कर सकते हैं। नैना साहू इन्ही किशोर साहू की बेटी थी। शक्ल सूरत से नैना में स्टार मटेरियल नहीं था। बेशक एक्टिंग ठीक ठाक थी। किशोर साहू ने अपनी बेटी की फिल्म को हिट बनाने के हरचंद कोशिश की। फिल्म वाले सिनेमाघरों में हरे कांच की चूड़ियां मुफ्त बांटी गई। इसके बावजूद फिल्म औसत रही। नैना भी कुछ ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ पाई थी। तीन साल बाद किशोर साहू ने एक और कोशिश की। नैना के साथ संजय खान को लेकर फिल्म पुष्पांजलि बनाई । परंतु यह कोशिश भी नाकाम रही। इस फिल्म के फ्लॉप होते ही, नैना साहू नाम की एक्ट्रेस भी गायब हो गई। आज यही नैना साहू नहीं रही। उन्हें श्रद्धांजलि।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 17 January 2017
नहीं रही नैना साहू !
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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