Monday, 29 September 2014

संजय दत्त के घर बैठी माता की चौकी

अभिनेता संजय दत्त जेल में हैं. लेकिन, उनकी पत्नी मान्यता ने हमेशा की तरह इस साल भी माता की चौकी बैठाई. इस मौके पर माता के दर्शन को पहुंचे संजय दत्त के बंटी वालिया, कृष्णा लुल्ला, सोफी चौधरी, शीबा और विद्या बालन जैसे मित्र और शुभ चिंतक. बहन नम्रता दत्त भी पहुंची.








Friday, 26 September 2014

अब कहाँ चलते हैं 'देसी कट्टे' !

आनंद कुमार २००७ में बतौर लेखक-निर्देशक पहली बार फिल्म डेल्ही हाइट्स में नज़र आये थे।  फिल्म को चर्चा और प्रशंसा दोनों मिली।  फिर छह साल बाद वह जिला  ग़ाज़ियाबाद में पश्चिम उत्तर प्रदेश की रियल लाइफ गैंग वॉर को लेकर आये. अब वह देसी कट्टे के ज़रिये दर्शकों के सामने हैं. यकीन मानिये, अपनी पहली फिल्म से तीसरी फिल्म तक आते आते वह तीन कदम नीचे उतरते चले गए।  देसी कट्टे भटकती फिल्म है. दो बच्चे ज्ञानी और पाली देसी कट्टों को इधर उधर पहुंचाने का काम करते हैं. परिस्थितियां उन्हें कानपूर का शार्प शूटर बना देती हैं. सुनील शेट्टी इन दोनों की निशानेबाज़ी से प्रभावित होते हैं. वह उन दोनों को कट्टे  से दुश्मनों को मारने के बजाय पिस्तौल से निशाना लगाने के लिए कहता है।  ज्ञानी सुनील शेट्टी के साथ चला जाता है।  जबकि, पाली नेता का शूटर बन जाता है. फिल्म बेहद उलझी हुई है।  यह साफ़ नहीं होता है कि आनंद कुमार क्या दिखाना चाहते हैं ? वह उत्तर प्रदेश के शार्प शूटरों की कहानी दिखाना चाहते हैं या एक शूटर को ओलंपिक्स चैंपियन बनाना चाहते हैं।  पूरी फिल्म बेदिल से चलती हुई बेसिर पैर की कहानी भेजती रहती है।  आशुतोष राणा और अखिलेन्द्र मिश्रा जैसे अभिनेता तक निर्जीव लगते हैं।  जय भानुशाली कुछ हद तक ही जमते हैं. साशा आगा और अखिल कपूर को एक्टिंग का 'क ख  ग नहीं आता।  टिया बाजपाई न सुन्दर लगती हैं, न सेक्सी। आर्यन सक्सेना ने फिल्म लिखी है, जो बेहद कमज़ोर है ।  कैलाश खेर का संगीत न तो फिल्म के माहौल के अनुरूप है, न मधुर है।  बाकी, दूसरे पक्ष भी कमज़ोर हैं. फिल्म में ज्ञानी और पाली को कट्टों से  लगातार फायर करते दिखाया गया है।  ऐसे कट्टे  कहाँ मिलते हैं आजकल। अब कट्टों से गैंग वॉर भी नहीं लड़ी जाती। 

3 AM तक जागना मना है !

विशाल महाडकर भट्ट कैंप से हैं।  वह मोहित सूरी के असिस्टेंट रहे।  ब्लड मनी उनकी बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी. कुणाल खेमू और अमृता पूरी अभिनीत यह फिल्म चली नहीं. क्राइम थ्रिलर फिल्म ब्लड मनी २०१२ में रिलीज़ हुई थी।  दो साल बाद, विशाल की दूसरी फिल्म 3 AM इस शुक्रवार रिलीज़ हुई है. यह हॉरर जेनर की फिल्म है।  भट्ट कैंप की हॉरर फिल्मों का अपना फॉर्मेट होता है. विशाल की फिल्म 3 AM  भी उसी फॉर्मेट में बनी बेहद कमज़ोर फिल्म है।  फिल्म में कहानी है ही नहीं. अब कहानी नहीं है तो स्क्रिप्ट कैसे अच्छी हो सकती है। विशाल महाडकर 3 AM  के लेखक, निर्देशक और निर्माता हैं।  इसके बावजूद वह एक अच्छी कहानी और  स्क्रिप्ट पर फिल्म नहीं बना सके।  फिल्म की पृष्ठभूमि मुंबई की है, पर फिल्म की शूटिंग राजस्थान के  भानगढ़ किले में हुई है। यह किला विश्व का सबसे भयावना किला माना जाता है. कहानी इतनी है कि तीन लोग पैरानॉर्मल एक्टिविटीज पर सीरियल बनाने के लिए एक ऐसी मिल में जाते हैं, जो जल गयी थी और इसमे कई मिल मज़दूर जल मरे थे।  इनमे उस मिल का मालिक भी है, जो बड़ा अत्याचारी है।  कहानी सुन कर ही लगता है कि  वास्तविकता के बजाय कल्पना पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है। वरना, मुंबई की किसी मिल में साथ के दशक की फिल्मों के जमींदार जैसा, मिल मालिक हो। बहरहाल, यह टीम शूटिंग करने के लिए एक पूरी रात मिल में शूट करती है। पर इस दौरान तीनों मालिक की रूह द्वारा मार दिए जाते हैं। फिल्म में डराने की कोशिश की गयी है, पर फिल्म प्रभावहीन साबित होती है।  फिल्म के तमाम एक्टर रणविजय सिंह, अनिंदिता नायर, कविन दवे और सलिल आचार्य अभिनय के लिहाज़ से बेहद कमज़ोर है. अनिंदिता को तो ठीक से हिंदी बोलना तक नहीं आता।  अनिंदिता को अभी अमित साहनी की लिस्ट में भी देखा गया था।  हिंदी फिल्मों में उनका भविष्य नज़र नहीं आता। फिल्म का संगीत बेकार है।  तमाम गीत ठूंसे गए हैं।  फिल्म की गति का सत्यानाश कर देते हैं।  विजय मिश्रा का कैमरा दर्शकों को डरावने माहौल में ले जाने में कामयाब होता है. फिल्म का संपादन थोड़ा ज़्यादा तेज़ तर्रार होना चाहिए था ।


भिन्न भूमिकाओं की स्मृति कालरा

टीवी एक्ट्रेस स्मृति कालरा बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. उन्हें किसी भी प्रकार के रोले करने में महारत हासिल हैं. सीरियल करोल बाघ में उन्होंने अपनी वास्तविक उम्र से काफी बड़ी लड़की का किरदार किया था. सुरवीन गुग्गल में वह किशोरी स्कूल छात्रा की भूमिका में थीं. अब वह एक बार फिर सोनी एंटरटेनमेंट के सीरियल इत्ती सी खुशी में दर्शकों को मोहने आ रही हैं. इस सीरियल में वह २६ साल की लड़की का किरदार कर रही हैं, जो १४ साल की लड़की की तरह मासूम हैं. इत्ती सी ख़ुशी में उनका किरदार एक दुर्घटना में कोमा में चली जाने के १२ साल बाद होश में आता है. यह दिलचस्प रोल है. स्मृति कहती हैं, "मैं खुद पर एक्सपेरिमेंट करना चाहती हूँ. मैं एक दूसरे से बिलकुल अलग रोल करना चाहती हूँ. जब मैंने नेहा के करैक्टर के बारे में सुना तो महसूस किया कि नेहा के रूप में मैं काफी कुछ कर सकती हूँ."

एक और पोर्न स्टार शांति डायनामाइट

इंडो- ब्रिटिश एक्टर शांति डायनामाइट पिछले दिनों मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दिखायी दी. सनी लियॉन के बाद वह दूसरी पोर्न स्टार हैं जो किसी हिंदी फिल्म में अभिनय करने जा रही हैं. वह एक हिंदी आई  लव दुबई में मुख्य भूमिका में हैं. 
Displaying Adult star Shanti Dynamite spotted at the Mumbai International Airport_001.jpgDisplaying Adult star Shanti Dynamite spotted at the Mumbai International Airport_002.jpgDisplaying Adult star Shanti Dynamite spotted at the Mumbai International Airport_003.jpgDisplaying Adult star Shanti Dynamite spotted at the Mumbai International Airport_004.jpgDisplaying Adult star Shanti Dynamite spotted at the Mumbai International Airport_005.jpg

Thursday, 25 September 2014

कुछ ऐसा नज़र आएगा बैंक चोर का सीबीआई अफसर !

सभी जानते है कि  अभिनेता विवेक ओबेरॉय यशराज फिल्म्स की फिल्म बैंक चोर में सीबीआई अफसर की भूमिका कर रहे हैं।  इस किरदार के लिए विवेक ओबेरॉय ने अपने लुक के साथ प्रयोग करने की कोशिश की है।  रियल लाइफ सीबीआई अफसर नज़र आने के लिए विवेक ने अपने बाल छोटे कर लिए हैं।  चहरे पर छोटी पतली मूछें हैं।  लेकिन, अनुबंध की शर्तों के  मुताबिक विवेक अपने इस लुक का सार्वजानिक प्रदर्शन नहीं कर सकते।   क्योंकि,इस प्रकार से एक किरदार का सस्पेंस और उसके प्रति दर्शकों में उत्सुकता भी ख़त्म हो जाती है।  इस लिए विवेक जब किसी इवेंट में जाते है तो उनके सर पर या तो हैट होती है या स्कार्फ़ बंधा हुआ होता है।  इसलिए ज़ाहिर है कि  देखने वालों में उनके सीबीआई लुक के प्रति उत्सुकता और उत्तेजना पैदा हो रही है।  

शारजाह इन्टर नेशनल चिल्ड्रन्स फिल्म फेस्टिवल में अंडर द स्काई



खबर है कि एहसान बख्श प्रोडक्शंस की फिल्म अंडर स्काई शारजाह इन्टरनेशनल चिल्ड्रन्स फिल्म फेस्टिवल में दिखायी जायगी । लेखक और निर्देशक एहसान बख़्श की यह फिल्म भारत और  नेपाल की सीमा के पास बसे एक गाँव में रहने वाले १२ वर्ष के एक लड़के की कहानी हैअंडर स्काई अंधविश्वास और तर्क से परे वैज्ञानिक दृष्टि कोण की लड़ाई है कि कैसे एक १२ साल का लड़का अपने पिता और दादा के अनुभवों के जरिये समाज में बदलाव लाता है  फिल्म में स्वप्निल विजय , प्रतिभा पंत , अनुराग आनंद , प्रियांशु पलरिया , वैदेहि पलरिया, सुरेश शर्मा , कैलाश कांडपाल , सुनील पंत , देवकी नंदन भट्ट , केदार पलरिया, राजू पाण्डेय , जुगल पंत और अंकुर जैसवार आदि मुख्य भूमिका में हैं । इस फिल्म से पहले भी एहसान बक्श एक लघु फिल्म आखिरी मुनादी का निर्देशन कर चुके हैं। उनकी यह फिल्म कई राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सराही जा चुकी हैं  एन एस डी से अभिनय की बारीकियां सीखने वाले एहसान ने मंगल पाण्डेय,बिल्लू बारबर,पाप, जय संतोषी माँ और कज़रारे जैसी कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया है। 

अंडर द  स्काई का एक दृश्य