Tuesday, 15 April 2014

सोनी पर सास बहु के रिश्तों को 'एक नयी पहचान'

सोनी एंटरटेनमेंट के पारिवारिक शो एक नयी पहचान में सास और बहु के बीच आदर्श रिश्तों का चित्रण हुआ है।  पिछले कुछ दिनों से साक्षी अपने पुराने रिश्तों के कारण परेशान है।  वह अपनी सास शारदा को भी अपने इस रिश्ते के बारे में चाह कर भी नहीं बता पाती।  स्वाभाविक है की इससे दोनों के बीच तनाव और चिंता का पैदा हो. कुछ घटनाक्रमों के बाद साक्षी अपने अतीत से छुटकारा पाती है।  तब दोनों सास बहु तनाव मुक्त  वातावरण में खुद को यो व्यक्त करते हैं - 



Saturday, 12 April 2014

लंदन में हुआ द अमेजिंग स्पाइडर-मैन २ का वर्ल्ड प्रीमियर

कल रात  लंदन में द अमेजिंग स्पाइडर-मैन २ का वर्ल्ड प्रीमियर हुआ।  इस मौके पर लंदन में जश्न जैसा माहौल था. फिल्म की पूरी स्टार कास्ट के साथ फिल्म के निर्माता और निर्देशक मौजूद थे. इस प्रीमियर की कुछ तस्वीरें।  द अमेजिंग स्पाइडर-मैन २ पूरे विश्व में २ मई को रिलीज़ हो रही है।   लेकिन,भारत में यह फिल्म एक दिन पहले रिलीज़ होगी.
 Embedded image permalink



 Embedded image permalink






Embedded image permalink


 Embedded image permalink




Embedded image permalink

Friday, 11 April 2014

म्यूजिक में ‘ओल्ड इज गोल्ड’: सुखविंदर सिंह



आज बालीवुड म्यूजिक में अपना अहम स्थान रखने वाले गायक सुखविंदर सिंह ने मणिरत्नम् की फिल्मदिल सेका सुपर-डुपरहिट गीतछैयां-छैयांगाकर अलग पहचान बनाई। इस गीत के लिए सुखविंदर को सर्वश्रेष्ठ गायक के फिल्मफेयर अवार्डभी मिला था। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक सफलतम गीतों को गाकर उन्होंने श्रोताओं के दिल पर अपनी आवाज़ का नशा चढ़ाया। श्रोताओं ने उनके अलबमों को भी हाथोंहाथ लिया है। म्यूजिक का सरताज बनने के बाद उन्होंने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया और वाहवाही पाई। हालांकि वे आज भी म्यूजिक से ही जुड़े हुए हैं। फिलहाल सुखविंदर की चर्चा सुभाष घई की मोस्ट अवेटेड फिल्मकांचीके गीतों के कारण हो रही है, जो म्यूजिक चार्ट पर आजकल टाप पर चल रहा है। पेश है, सुखविंदर सिंह से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
सबसे पहलेकांचीके गीत-संगीत के बारे में बताएं।
-इस फिल्म का म्यूजिक हाल ही में रिलीज किया गया है, जिसे लोगों ने हाथोंहाथ लिया है। दरअसल, इसकी वजह है कि सभी गाने बेहतरीन हैं, इसलिए संगीत सिनेप्रेमियों को पसंद रहे हैं। मैंनेकांचीमें दो गाने गाए हैं, जिनमें से एक फिल्म की शुरुआत में, तो दूसरा सबसे अंत में है। यानी, आप कह सकते हैं कि फिल्म में मेरी आवाज शुरू से अंत तक है। इसका टाइटल सान्गकांची रे कांची...’ को मैंने गाया है। इस गीत को ग्रामीण इलाकों में फिल्माया गया है, जिसमें फिल्म की नायिका को निडर और खुशहाल बताने की कोशिश की गई है। इरशाद कामिल ने बेहतरीन बोल लिखे हैं, तो गीतकार इस्माइल दरबार का संगीत का लाजवाब है। यह ऐसा गाना है, जो वह सारी कमियां पूरी करता है, जो आजकल के गीतों में होती हैं। यह बेहद जोशीला एवं संदेश देने वाला गाना है। मैं वादा कर सकता हूं कि यह गीत अलौकिक है।
कांचीफिल्म के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
-‘कांचीएक ऐसी लड़की की प्रेरणादायक कहानी है, जो कि करप्शन के खिलाफ सत्ता से टकराती है। दूसरे शब्दों में कहें, तोकांचीकी कहानी भारत की एक आम लड़की की कहानी है, जो महिला की आंतरिक शक्ति को बयां करती है। एक लड़की, जो बिना बाहरी समर्थन के महिला की आंतरिक शक्ति को दर्शाती है। यह इतनी खूबसूरत फिल्म है और इसका गीत-संगीत इतना मोहक है कि फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होते ही यू-ट्यूब पर धूम मच गई है। केवल पांच दिनों में ही इसे 12 लाख से ज्यादा बार देखा गया। वैसे भी सुभाष घई की फिल्म का म्यूजिक तो सुपरहिट होता ही है। मेरा तो यहां तक मानना है कि बतौर डायरेक्टरयुवराजके पांच साल बाद इस फिल्म से डायरेक्शन की कमान संभालने वाले सुभाष घई की यह फिल्म भी बालीवुड को एक बेहद शानदार तोहफा साबित होगी। फिल्म में ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, कार्तिक आर्यन, चंदन रॉय और ऋषभ सिन्हा दिखाई देंगे, जबकि बॉलीवुड में कई स्टार्स को ब्रेक देने वाले सुभाष की इस फिल्म में भी मिष्ठी नामक नया चेहरा लीड रोल में हैं।कांची’25 अप्रैल को रिलीज होगी।
अब आप एक्टर भी बन गए हैं। सिंगिंग में ज्यादा मजा आता है या एक्टिंग में ज्यादा मजा आया?
-मुझे अभिनय में भी उतना ही मजा आया, जितना गायन में आता है। अभिनय के क्षेत्र में कदम रखना मेरा सोचा-समझा फैसला नहीं था। मैं कहना चाहूंगा कि गायन मेरी मां है, तो अभिनय मेरा पिता और हमें तो मां-बाप दोनों की ही जरूरत होती है। वैसे भी अभिनय और संगीत एक दूसरे से बहुत अलग नहीं हैं।
क्या आपने सोचा था कि एक दिन फिल्मों में अभिनय भी करेंगे?
-मैंने कभी नहीं सोचा था। लोग तो बचपन में स्कूल और कॉलेज में कभी-कभार अभिनय किए होते हैं, मैंने वह भी नहीं किया था। मैं हमेशा से सिंगर बनना चाहता था। वैसे, मेरा मानना है कि हर इंसान के अंदर एक्टर छुपा होता है। हम घर में कभी-कभी ऐसे मेहमान की सेवा कर रहे होते हैं, जो हमें पसंद नहीं होते। नाखुश होते हुए भी हम उसके सामने खुश होने का दिखावा करते हैं। वह एक्टिंग ही है।
आज चल रहे म्यूजिक रियलिटी शोज के बारे में क्या कहेंगे?
-यह महज एक मृगतृष्णा है। इसमें भागीदारी करके बॉलीवुड में पैर जमाने का सपना देखने वालों को आमतौर पर निराशा ही हाथ लगती है, क्योंकि रियलिटी शोज के अधिकांश विजेताओं के पास कोई काम नहीं है। हालांकि टीवी रियलिटी शोज में भाग लेने वालों को नाम और धन मिलने की बात की जाती है, लेकिन हमेशा उनके सपने सच नहीं होते।
लेकिन ऐसे शोज ने म्यूजिक इंडस्ट्री को कई टैलेंटेड सिंगर दिए हैं?
-मैं इस बात से इनकार नहीं करता कि आजकल टैलेंट हंट के माध्यम से बहुत सारी प्रतिभाएं संगीत क्षेत्र में रही हैं, लेकिन हमें यह देखना होगा कि उनमें से कितने आज सफल हैं। दरअसल, ऐसे शोज का कान्सेप्ट बहुत ही अच्छा है, लेकिन हर चीज की एक सीमा होती है। जब उसकी अति होने लगे, तो उसमें थोड़ी समस्याएं सामने आती हैं। हमारे देश में चाहे खेल हों, वाद-विवाद प्रतियोगिता, अभिनय, गीत-संगीत या अन्य, यहां प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं हैं। जरूरत है, तो बस सही प्लेटफार्म अनुकूल माहौल प्रदान करने की, जिसमें विभिन्न टैलेंट हंट शानदार भूमिका निभा रहे हैं। प्रतिभागियों के केवल भी यह प्रतियोगिता जीतने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि संगीत इंडस्ट्री में आने के बाद श्रोताओं की उनसे आशा कहीं अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति मेहनत, लगन दृढ़ता के साथ अपने काम को अंजाम देता है, उसके लिए काम की कमी नहीं। अब यह उन्हीं पर निर्भर है कि जितना रियाज़ मेहनत करेंगे, उतनी सफलता प्राप्त करेंगे।
बॉलीवुड और हॉलीवुड में मिली सफलताओं का श्रेय किसे देना चाहेंगे?
-बेशक, संगीतकार .आर. रहमान को, क्योंकि रहमान का मेरी सफलता में बड़ा योगदान है। इसकी वजह यह है कि जब मैंनेथैयां थैयांगाया, तो सब ने मेरा मजाक उड़ाया, लेकिन वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया। बाद में इस गीत में कुछ बदलाव कर पुनःछैयां छैयांके रूप में तैयार किया गया और यह मेरे जीवन का पहला सफल गीत रहा। हालांकि मैंने वर्ष 1996 में प्रदर्शित फिल्मकर्मासे ही प्लेबैक में कदम रख दिया था, लेकिन बड़ी सफलता वर्ष 1998 में आई फिल्म दिल से के गीतछैयां छैयांसे ही मिली थी। उसके बाद तो रहमान के साथ मेरीरमता जोगी’(ताल), ‘कम बख्त इश्क’(प्यार तूने क्या किया), ‘चक दे’(चक दे! इंडिया), ‘हौले हौले’(रब ने बना दी जोड़ी) जैसे गीत काफी लोकप्रिय हुए।स्लमडॉग करोड़पतिमेंजय होने तो इंटरनेशनल पापुलरिटी दे दी। यहां तक कि मैंने स्टीवेन स्पीलबर्ग की फिल्मडेंजेल वाशिंगटनमें भी रहमान के म्यूजिक डायरेक्शन में एक लोकगीत गया है। हाल ही में रहमान के साथ वल्र्ड म्यूजिक टूर से लौटा हूं।
आज का संगीत पसंद है या पुराना म्यूजिक?
-मैंओल्ड इज़ गोल्डकी कहावत को अमर मानता हूं। जिस तरह शराब जितनी पुरानी होती है, उसका नशा उतना ही अधिक मदमस्त कर देने वाला होता है, ठीक उसी तरह पुराने संगीत का नशा है, जो पुराना होने के साथ-साथ और नशीला, मधुर मंत्र-मुग्ध कर देने वाला हो जाता है। समय के साथ श्रोताओं की पसंद में जबरदस्त बदलाव आया है, तभी आज के श्रोताओं पर पश्चिमी सभ्यता का अधिक प्रभाव देखने को मिलता है। इसी के चलते उनकी मांग रिमिक्स, हिप-हाप, राक, जैज तेज तर्रार संगीत की हो गई है और हमारा उद्देश्य उनकी पसंद को ध्यान में रखकर मनोरंजन प्रदान करने का है, इसलिए ऐसा संगीत तैयार करना लाजमी है। हमारा संगीत कानफोड़ू कभी था और कभी होगा, चाहे फिल्में हों, पाप एलबम हो या अन्य श्रेणी का गीत-संगीत आज भी सभी वर्ग के श्रोताओं के लिए हर तरह का गीत-संगीत बाजार में उपलब्ध है। बस, जरूरत है, तो थोड़ी मेहनत करके अच्छा गीत-संगीत तलाशने की।
और किन फिल्मों में आपको सुनने का मौका मिलेगा?
-डायरेक्टर चंद्रप्रकाश की फिल्मजेड प्लसके सभी गाने केवल मैंने गाए हैं, बल्कि सारे गाने मुझ पर ही शूट भी किए गए हैं। दूसरी फिल्म है गुलजार साहब कीक्या दिल्ली, क्या लाहौर विशाल भारद्वाज कीशाहिदके लिए भी गाया है। एक अलबम पर भी काम चल रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो दो माह के बाद ही वह आप लोगों के सामने होगा। इस अलबम में कुल चार गाने हैं और चारों गानों का वीडियो भी बनाया गया है।
 Displaying 20120912_155103.jpg