सरदार गब्बर सिंह का शोले के डाकू गब्बर सिंह से कोई लेना देना नहीं. यह किरदार एक काल्पनिक रियासत रतनपुर में तैनात पुलिस अधिकारी गब्बर सिंह की कहानी है. यह एक आम मसाला फिल्म है, जिसमे गाँव हैं, गाँव की ज़मीन हड़पने वाला विलेन है, एक राजकुमारी है और गाँव वालों और राजकुमारी की रक्षा करने आया पुलिस ऑफिसर है. इस आम मसाला फिल्म 'सरदार गब्बर सिंह' में जो कुछ है एक्शन है. फिल्म के नायक पवन कल्याण है. उनकी यह पहली फिल्म होगी जो हिंदी में डब कर रिलीज़ की जायेगी . फिल्म की नायिका हिंदी बेल्ट का जाना पहचाना चेहरा काजल अग्रवाल हैं. फिल्म में विलेन की भूमिका सीरियल सात फेरे और उतरन के शरद केलकर ने की है . वह आजकल टीवी सीरियल एजेंट राघव क्राइम ब्रांच में डिटेक्टिव राघव का किरदार कर रहे हैं. शरद को दर्शकों ने संजय लीला भंसाली की दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह अभिनीत फिल्म गोलियों की रासलीला : राम लीला में दीपिका पादुकोण के भाई कांजी की भूमिका में देखा था . इस फिल्म के निर्देशक के एस रविन्द्र हैं . देखिये फिल्म का हिंदी ट्रेलर.
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday 22 March 2016
दक्षिण का सरदार गब्बर सिंह हिंदी में !
ईरोस इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड के सूत्रों से बड़ी खबर है। ईरोस, पवन कल्याण क्रिएटिव वर्क्स और नॉर्थस्टार एंटरटेनमेंट के सौजन्य से एक तेलुगु एक्शन फिल्म 'सरदार गब्बर सिंह' हिंदी में डब कर के हिंदी बेल्ट में बड़े पैमाने पर रिलीज़ की जाने वाली है। इस फिल्म के हीरो तेलुगु सुपर स्टार पवन कल्याण हैं। पवन कल्याण की सुपर कॉप की भूमिकाएं तेलुगु दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। सरदार गब्बर सिंह भी किसी डाकू की कहानी नहीं, बल्कि एक ईमानदार और कड़क पुलिस अधिकारी गब्बर सिंह की कहानी है। गब्बर सिंह तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित रतनपुर कसबे में तैनात है। वह किस प्रकार से बुरे किरदारों से निबटता है, यही डायरेक्टर के एस रविंद्रनाथ की कहानी का ख़ास मोड़ है। इस फिल्म में पहली बार पवन कल्याण काजल अग्रवाल के साथ जोड़ी बना रहे हैं। काजल अग्रवाल का चेहरा हिंदी दर्शकों का जाना पहचान है। वह अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय और विवेक ओबेरॉय की फिल्म क्यों हो गया न (२००४) में ऐश्वर्या की बहन के किरदार में थी। क्यों हो गया न के फ्लॉप हो जाने के बाद काजल साउथ चली गई। वहां उन्हें अच्छी सफलता मिली। आठ साल बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों में वापसी की अजय देवगन के साथ कॉप फिल्म 'सिंघम' से। इस फिल्म के बाद वह स्पेशल २६ में अक्षय कुमार की नायिका थी। सरदार गब्बर सिंह में शरद केलकर, मुकेश ऋषि, टिस्का चोपड़ा के जाने पहचाने चेहरे भी हैं। सरदार गब्बर सिंह के हीरो पवन कल्याण कहते हैं, "इस फिल्म की यूनिवर्सल अपील है। फिल्म मेकिंग को किसी क्षेत्र विशेष में नहीं बाँधा जा सकता। हिंदी बेल्ट के लिए सरदार गब्बर सिंह एक यूनिक कांसेप्ट है, जो दर्शकों को पसंद आएगा।" सरदार गब्बर सिंह ८ अप्रैल को रिलीज़ होगी।
चड्डी पहन के २३ साल बाद जंगल में फिर खिलेगा फूल !
तेईस साल पहले, जब बच्चे-बूढ़े और जवानों की नींद खुलती थी तो उन्हें इंतज़ार रहता था एनीमेशन टीवी सीरियल जंगल बुक का। इसके साथ ही खास तौर पर उस गीत का इंतज़ार रहता था, जो मोगली के जंगल में होने का ऐलान करता था। 'जंगल जंगल बात चली है पाता चला है' जी हाँ, इस गीत के साथ ही जंगल बुक के मोगली का जंगल एडवेंचर शुरू हो जाता था। अब जबकि, भेड़िया बालक मोगली का फिर से लाइव एनीमेशन फिल्म 'द जंगल बुक' से ८ अप्रैल को पुनर्जन्म होने जा रहा है, जंगल जंगल बात चली है कि इस बार फिर बड़ी स्क्रीन पर मोगली का जादू छिड़ने जा रहा है। डिज्नी इंडिया २३ साल पहले के इस हिट गीत के संगीतकार विशाल भरद्वाज और गीतकार गुलजार को एक सूत्र में बाँध कर 'जंगल जंगल बात चली है पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है' को नया रूप देकर पेश कर रहे हैं। यहाँ बताते चले कि यह गीत संगीतकार विशाल भारद्वाज का पहला सफल गीत था। इस गीत में पहली बार गुलजार और विशाल भारद्वाज का साथ हुआ था। यह गीत साबित करता था कि बच्चों के लिए बोल लिखने में गुलजार का कोई सानी नहीं। याद दिलाते चलें कि द जंगल बुक के एनीमेशन किरदारों को प्रियंका चोपड़ा, नाना पाटेकर, इरफ़ान खान, शेफाली शाह और ओमपुरी जैसी बॉलीवुड हस्तियां आवाज़ दे रही हैं। 'द जंगल बुक' अमेरिका में इसकी रिलीज़ १५ अप्रैल से एक हफ्ता पहले यानि ८ अप्रैल को भारत में इंग्लिश, हिंदी, तमिल और तेलुगु संस्करणों में रिलीज़ हो रही है। देखिये, 'जंगल जंगल बात चली है पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है' को इस वीडियो में -
Sunday 20 March 2016
हॉलीवुड की फिल्मों में बॉलीवुड की आवाज़ !
डिज्नी की ८ अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित फिल्म 'द जंगल बुक' में बॉलीवुड के कई एक्टरों की भरमार है। दर्शकों को फिल्म में उनकी मौजूदगी उनकी आवाज़ों के ज़रिये महसूस होगी। यह बॉलीवुड हस्तियां फिल्म 'द जंगल बुक' के एनीमेशन करैक्टरों को अपनी आवाज़ देंगे। नाना पाटेकर ने फिल्म के मुख्य विलेन करैक्टर शेर खान को अपनी आवाज़ दी है। बाजीराव मस्तानी की काशीबाई प्रियंका चोपड़ा द जंगल बुक में अजगर की फुफकार मारती सुनाई देंगी। वह फिल्म में का अजगर को आवाज़ दे रही हैं। ओमपुरी ने काले तेंदुए बघीरा का वॉयस ओवर किया है। इरफ़ान खान ने बालू भालू के संवाद बोले हैं। शेफाली शाह की आवाज़ मादा भेड़िया रक्षा की होगी। इसे डिज्नी स्टूडियो का एक प्रकार का कास्टिंग कू कहा जा सकता है कि एक फिल्म में बॉलीवुड के इतने ज़्यादा एक्टर अपनी आवाज़ दे रहे हैं। क्योंकि, हॉलीवुड की फिल्मों में करैक्टरों को अपनी आवाज़ देने के इक्का दुक्का प्रयास पहले से होते रहे हैं। शाहरुख़ खान से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक हॉलीवुड फिल्मों के लिए वॉइस ओवर आर्टिस्ट का काम कर चुके हैं।
डबिंग क्यों !
कभी हिंदी फिल्मो में साउथ की नायिका के संवाद कोई डबिंग आर्टिस्ट डब किया करता था। रेखा और श्रीदेवी तक यह सिलसिला चलता रहा। यहाँ तक कि फिल्म गुलाम में रानी मुख़र्जी के संवाद भी डब कराये गए थे। बाद में फिल्म अभिनेत्रियों ने खुद की आवाज़ का महत्व समझा। हिंदी सीखी और अपने संवाद खुद बोले। अब तो इंग्लिस्तान से आई कटरीना कैफ तक अपने हिंदी संवाद बोलने की कोशिश करती है। कुछ इसी तर्ज़ पर हॉलीवुड की फिल्मों के एनीमेशन या सजीव चरित्रों को आवाज़ देने यानि वॉयस ओवर करने का सिलसिला शुरू हो चला है। हॉलीवुड की तमाम फ़िल्में इंग्लिश वर्शन के साथ साथ हिंदी, तमिल और तेलुगु में भी रिलीज़ होने लगी है। इसलिए, इन फिल्मों के चरित्रों के हिंदी संवाद किसी डबिंग आर्टिस्ट से डब कराये जाने स्वाभाविक है। आम तौर पर हॉलीवुड फिल्मों के हिंदी संवाद पेशेवर वॉयस ओवर आर्टिस्ट्स से डब कराये जाते हैं। लेकिन, कभी बड़ी हॉलीवुड फिल्मो के हिंदी संवाद बॉलीवुड के जाने पहचाने चहरे बोलते सुनाई पड़ते हैं। ख़ास तौर पर, हॉलीवुड के बड़े एक्टर्स का हॉलीवुड की एनीमेशन फिल्मों के संवाद बोलने के बढ़ाते चलन को देखते हुए बॉलीवुड एक्टर्स भी हॉलीवुड एनीमेशन फिल्मों के एनीमेशन करैक्टरों के हिंदी संवाद बोलने के प्रति उत्साहित हुए हैं।
बॉलीवुड की एनीमेशन फिल्मों के लिए वॉइस ओवर
डबिंग क्यों !
कभी हिंदी फिल्मो में साउथ की नायिका के संवाद कोई डबिंग आर्टिस्ट डब किया करता था। रेखा और श्रीदेवी तक यह सिलसिला चलता रहा। यहाँ तक कि फिल्म गुलाम में रानी मुख़र्जी के संवाद भी डब कराये गए थे। बाद में फिल्म अभिनेत्रियों ने खुद की आवाज़ का महत्व समझा। हिंदी सीखी और अपने संवाद खुद बोले। अब तो इंग्लिस्तान से आई कटरीना कैफ तक अपने हिंदी संवाद बोलने की कोशिश करती है। कुछ इसी तर्ज़ पर हॉलीवुड की फिल्मों के एनीमेशन या सजीव चरित्रों को आवाज़ देने यानि वॉयस ओवर करने का सिलसिला शुरू हो चला है। हॉलीवुड की तमाम फ़िल्में इंग्लिश वर्शन के साथ साथ हिंदी, तमिल और तेलुगु में भी रिलीज़ होने लगी है। इसलिए, इन फिल्मों के चरित्रों के हिंदी संवाद किसी डबिंग आर्टिस्ट से डब कराये जाने स्वाभाविक है। आम तौर पर हॉलीवुड फिल्मों के हिंदी संवाद पेशेवर वॉयस ओवर आर्टिस्ट्स से डब कराये जाते हैं। लेकिन, कभी बड़ी हॉलीवुड फिल्मो के हिंदी संवाद बॉलीवुड के जाने पहचाने चहरे बोलते सुनाई पड़ते हैं। ख़ास तौर पर, हॉलीवुड के बड़े एक्टर्स का हॉलीवुड की एनीमेशन फिल्मों के संवाद बोलने के बढ़ाते चलन को देखते हुए बॉलीवुड एक्टर्स भी हॉलीवुड एनीमेशन फिल्मों के एनीमेशन करैक्टरों के हिंदी संवाद बोलने के प्रति उत्साहित हुए हैं।
बॉलीवुड की एनीमेशन फिल्मों के लिए वॉइस ओवर
हिंदी फिल्म निर्माताओं ने एनीमेशन फिल्मों के निर्माण में भी रूचि दिखाई है। लेकिन, यह बात दीगर है कि यह फ़िल्में हॉलीवुड फिल्मों की तुलना में पासंग तक नहीं थी। बॉलीवुड का एनीमेशन फिल्म बनाने का बड़ा प्रयास २००८ में रिलीज़ यशराज फिल्म्स की एनीमेशन फिल्म रोडसाइड रोमियो के रूप में। इस फिल्म के रोमियो, लैला, चार्ली अन्ना और गुरु जैसे एनिमेटेड किरदारों को क्रमशः सैफअली खान, करीना कपूर, जावेद जाफरी और वृजेश हीरजी ने दी थी। इसके बावजूद रोडसाइड रोमियो असफल हुई। करण जौहर ने अपने धर्मा प्रोडक्शंस के अंतर्गत अपनी १९९८ की हिट फिल्म कुछ कुछ होता है का एनीमेशन संस्करण कूची कूची होता है बनाई थी। इस फिल्म में रॉकी, ऐन्जि, और टीना के किरदारों को शाहरुख़ खान, काजोल और रानी मुख़र्जी ने वॉयस ओवर किया था। इसी फिल्म में संजय दत्त ने सलमान खान के किरदार को आवाज़ दी थी। अमन खान का महाभारत का एनीमेशन संस्करण २०१३ में रिलीज़ हुआ था। इस एनिमेटेड महाभारत में अमिताभ बच्चन ने भीष्म पितामह, विद्या बालन ने द्रौपदी, शत्रुघ्न सिन्हा ने कृष्णा, सनी देओल ने भीम, अजय देवगन ने अर्जुन, मनोज बाजपेई ने युधिष्ठिर, अनिल कपूर ने कर्ण, अनुपम खेर ने शकुनि, दीप्ति नवल ने कुंती, जैकी श्रॉफ ने दुर्योधन हीरजी ने दुःशासन के किरदारों को अपनी आवाज़ दी थी। डायरेक्टर सौमित्र रानाडे की एनीमेशन फिल्म अलीबाबा और ४१ चोर में जॉन अब्राहम अलीबाबा, प्रियंका चोपड़ा मरजीना, आशुतोष राणा अबु हसन, राजा मुराद बौने और अतुल कुलकर्णी बोलते ऊँट के एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ दे रहे थे। एनीमेशन फिल्म भागमती में मुख्य किरदार को महिमा चौधरी ने वॉयस ओवर किया था। अक्षय कुमार, लारा दत्ता और डिंपल कपाडिया ने फिल्म जंबो के एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ दी थी। इसके अलावा गोविंदा, अक्षय खन्ना, उर्मिला मातोंडकर, बोमन ईरानी और सुनील शेट्टी डेल्ही सफारी, अमरीश पूरी, शत्रुघ्न सिन्हा, अरुण गोविल और रामेश्वरी ने एनीमेशन रामायण, के एनिमेटेड करैक्टरों का वॉयस ओवर किया।
एनीमेशन किरदारों को बॉलीवुड स्टार्स की आवाज़
बॉलीवुड के बड़े सितारों का एनीमेशन फिल्मों में एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ देने का सिलसिला अब बढ़ चला है। हालाँकि, हॉलीवुड की कई एनीमेशन या लाइव फ़िल्में डब हो कर रिलीज़ हुई हैं। लेकिन, २००४ में उस समय सुर्खियां बनी, जब खबर आई कि बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ खान ने पिक्सर की कंप्यूटर एनिमेटेड फिल्म 'द इन्क्रेडिबल्स' के हिंदी संवाद बोले हैं। द इन्क्रेडिबल्स को हिंदी में हम हैं लाजवाब टाइटल के साथ रिलीज़ किया गया था। इस फिल्म के मिस्टर इनक्रेडिबल को लाजवाब नाम दिया गया था। खान ने इसी लाजवाब करैक्टर को वॉयस ओवर किया था। इस फिल्म के बाद, खान की देखा देखी बॉलीवुड के अन्य सितारे भी हॉलीवुड की एनीमेशन फिल्मो को आवाज़ देने के लिए आगे आये। फिर २०१३ में प्रियंका चोपड़ा के डिज्नी की फिल्म 'प्लेन्स' में इशानी नाम के प्लेन को आवाज़ देने की खबर आई। प्रियंका को यह फिल्म उनके सिंगल एक्सोटिक के रिलीज़ होने के बाद मिली। अगले ही साल, ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स की एनीमेशन फिल्म रिओ २ में उस समय फिल्म वन्स अपॉन टाइम इन मुंबई दोबारा से चर्चित हो रही सोनाक्षी सिन्हा और इमरान खान की जोड़ी ने वॉयस ओवर किया था। सोनाक्षी सिन्हा और इमरान खान ने मादा और नर तोता ज्वेल और ब्लू को अपनी आवाज़ दी थी।
हॉलीवुड स्टार को बॉलीवुड स्टार की आवाज़
सनी देओल की आवाज़ के वजन का हॉलीवुड ने भी लोहा माना है। विन डीजल की रिडिक सीरीज की तीसरी फिल्म रिडिक (२०१३) में विन डीजल के टाइटल करैक्टर के हिंदी संवाद डब किये थे। इसी साल हॉलीवुड के मिलेनियम फिल्म्स ने फिल्म 'द लीजेंड ऑफ़ हरक्यूलिस' में केलन लुट्ज़ के किरदार हरक्यूलिस की हिंदी आवाज़ देने के लिए सोनू सूद को लिया गया था। उनसे पहले निर्माता ने अक्षय कुमार से संपर्क किया था। विवेक ओबेरॉय की कृष की सफलता को भुनाने के लिए २०१४ में मार्वल ने अपनी फिल्म द अमेजिंग स्पाइडर-मैन २ के विलेन किरदार इलेक्ट्रो को आवाज़ दी थी।
हॉलीवुड के अभिनेताओं को परदे पर दी आवाज़ !एनीमेशन किरदारों को बॉलीवुड स्टार्स की आवाज़
बॉलीवुड के बड़े सितारों का एनीमेशन फिल्मों में एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ देने का सिलसिला अब बढ़ चला है। हालाँकि, हॉलीवुड की कई एनीमेशन या लाइव फ़िल्में डब हो कर रिलीज़ हुई हैं। लेकिन, २००४ में उस समय सुर्खियां बनी, जब खबर आई कि बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ खान ने पिक्सर की कंप्यूटर एनिमेटेड फिल्म 'द इन्क्रेडिबल्स' के हिंदी संवाद बोले हैं। द इन्क्रेडिबल्स को हिंदी में हम हैं लाजवाब टाइटल के साथ रिलीज़ किया गया था। इस फिल्म के मिस्टर इनक्रेडिबल को लाजवाब नाम दिया गया था। खान ने इसी लाजवाब करैक्टर को वॉयस ओवर किया था। इस फिल्म के बाद, खान की देखा देखी बॉलीवुड के अन्य सितारे भी हॉलीवुड की एनीमेशन फिल्मो को आवाज़ देने के लिए आगे आये। फिर २०१३ में प्रियंका चोपड़ा के डिज्नी की फिल्म 'प्लेन्स' में इशानी नाम के प्लेन को आवाज़ देने की खबर आई। प्रियंका को यह फिल्म उनके सिंगल एक्सोटिक के रिलीज़ होने के बाद मिली। अगले ही साल, ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स की एनीमेशन फिल्म रिओ २ में उस समय फिल्म वन्स अपॉन टाइम इन मुंबई दोबारा से चर्चित हो रही सोनाक्षी सिन्हा और इमरान खान की जोड़ी ने वॉयस ओवर किया था। सोनाक्षी सिन्हा और इमरान खान ने मादा और नर तोता ज्वेल और ब्लू को अपनी आवाज़ दी थी।
हॉलीवुड स्टार को बॉलीवुड स्टार की आवाज़
सनी देओल की आवाज़ के वजन का हॉलीवुड ने भी लोहा माना है। विन डीजल की रिडिक सीरीज की तीसरी फिल्म रिडिक (२०१३) में विन डीजल के टाइटल करैक्टर के हिंदी संवाद डब किये थे। इसी साल हॉलीवुड के मिलेनियम फिल्म्स ने फिल्म 'द लीजेंड ऑफ़ हरक्यूलिस' में केलन लुट्ज़ के किरदार हरक्यूलिस की हिंदी आवाज़ देने के लिए सोनू सूद को लिया गया था। उनसे पहले निर्माता ने अक्षय कुमार से संपर्क किया था। विवेक ओबेरॉय की कृष की सफलता को भुनाने के लिए २०१४ में मार्वल ने अपनी फिल्म द अमेजिंग स्पाइडर-मैन २ के विलेन किरदार इलेक्ट्रो को आवाज़ दी थी।
आजकल हॉलीवुड की इंग्लिश फ़िल्में हिंदी, तमिल और तेलगु में डब कर अंग्रेजी संस्करण के साथ रिलीज़ की जा रही हैं। ऐसे में हिंदी न जानने वाले हॉलीवुड एक्टर्स को आवाज़ देने का जिम्मा बॉलीवुड के कलाकारों या वॉयस ओवर आर्टिस्ट का होता है। अभिनेता शाहिद कपूर के सौतेले पिता और अभिनेता राजेश खट्टर ने आयरन मैन सीरीज की फिल्मों के टोनी स्टार्क यानि रोबर्ट डाउनी जूनियर और पाइरेट्स ऑफ़ द कॅरीबीयन सीरीज की फिल्मों के जैक स्पैरो यानि जोहनी डेप को आवाज़ दी है। उन्होंने टॉम हैंक्स, ह्यू जैकमैन, द रॉक और निकोलस केज के अलावा कई बड़े हॉलीवुड एक्टर्स की फिल्मों में हिंदी संवाद बोले हैं। एक अन्य चरित्र अभिनेता मोहन कपूर ने डाई हार्ड के जॉन मैकलेन यानि अभिनेता ब्रूस विलिस और बैटमैन सीरीज की फिल्म द डार्क नाइट राइजेज में टॉम हार्डी के करैक्टर बेन को अपनी आवाज़ दी है। फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की फिल्मों में द रॉक के करैक्टर ल्यूक हॉब्स को हिंदी जुबान मोहन कपूर ने ही दी है। वह हॉलीवुड एक्टर केविन बेकन के ऑफिसियल डबिंग आर्टिस्ट हैं। समय राज ठक्कर ने बैटमैन सीरीज की फिल्मों में ब्रूस वेन और स्पाइडर मैन सीरीज की फिल्मों में पीटर पार्कर को और इटैलियन जॉब में चार्ली को अपनी आवाज़ दी है। इस प्रकार से दूसरे डबिंग आर्टिस्ट संकेत म्हात्रे ने डेडपूल के रयान रेनॉल्ड्स, इनग्लोरियस बास्टर्ड्स के ब्रैड पिट के करैक्टर, ग्रीन लैंटर्न में रयान रेनॉल्ड्स के करैक्टर तथा कैप्टेन अमेरिका सीरीज की फिल्मों में क्रिस इवांस के करैक्टर को अपनी आवाज़ दी है। विराज अधव ऐसे वॉयस ओवर आर्टिस्ट हैं, इनकी सेवाओं को टॉम क्रूज की हर फिल्म में लिया जाता है। वह टॉम की मिशन इम्पॉसिबल सीरीज की फिल्मों को आवाज़ देते ही हैं, मैट्रिक्स के निओ को भी उन्होंने आवाज़ दी है।
अल्पना कांडपाल
चलता रहेगा कॉमेडी फिल्मों के नायक बनने का सिलसिला
होली आते ही कॉमेडी की याद आती है। होली और हास्य का साथ ही ऐसा है। ख़ास कर याद आती हैं कॉमेडी फ़िल्में और कॉमेडियन। साठ के दशक तक की पारिवारिक हिंदी फिल्मों में होली भी होती थी, होली गीत भी, हास्य भी और हास्य अभिनेता भी। कॉमिक रिलीफ के लिए यह ज़रूरी था। इसलिए, हास्य अभिनेताओं के लिए ख़ास तौर पर गुंजाईश निकाली जाती थी। हास्य प्रसंग लिखे जाते थे। जॉय मुख़र्जी, शम्मी कपूर, विश्वजीत और राजेश खन्ना के रोमांस के युग में भी हास्य हिंदी फिल्मों ज़रूरी तत्व हुआ करता था। हास्य अभिनेताओ को बराबर के अवसर हुआ करते थे। फिर एक्शन फिल्मो का युग आया। हीरो अब रोमांस नहीं हिंसा करता था। उसका परिवार विलेन द्वारा ख़त्म कर दिया गया था या वह बिछुड़ गया था। यह समाज का ठुकराया हमेशा समाज से नाराज़ रहा करता था। ऎसी फिल्मों में परिवार को करीब करीब नदारद रहना ही था, कॉमेडी या कॉमेडियन तो पूरी तरह से नदारद हो गए।
कभी हिंदी फिल्मों में हास्य और हास्य अभिनेता फूला फला करते थे। एक से बढ़ कर कॉमेडी फ़िल्में हास्य अभिनेताओं को केंद्र में रख कर ढेरों फ़िल्में बनाई जाती थी। चलती का नाम गाडी, छू मंतर, भगवान दादा की बाद की अलबेला, दामाद, अच्छाजी, बख्शीश और भोले भाले, किशोर कुमार की सभी फ़िल्में, आई एस जौहर की बेवक़ूफ़, हम सब चोर जैसी तमाम फिल्मों का निर्माण हुआ। इस दौर की तमाम फिल्मों के केंद्र में कॉमेडियन एक्टर थे। इन इन कॉमेडियन एक्टरों के साथ उस समय की बड़ी अभिनेत्रियां भी काम करने में नहीं हिचकती थी। चलती का नाम गाडी में अशोक कुमार, किशोर कुमार अनूप कुमार पर केंद्रित कॉमेडी थी। लेकिन, इनकी जोड़ीदार किशोर कुमार की मधुबाला और अशोक कुमार की वीणा सीरियस अभिनेत्रियों में शुमार की जाती थी। छू मंतर में जॉनी वॉकर की नायिका श्यामा थी। मिस मैरी (१९५७) में ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी ने किशोर कुमार के साथ बेहतरीन कॉमेडी जोड़ी बनाई थी। इसी दौर में हाफ टिकट, हाय मेरा दिल, आशा, मनमौजी, दिल्ली का ठग, बाप रे बाप, न्यू डेल्ही, झुमरू, पैसा या पैसा, प्यार किये जा, नॉटी बॉय, चाचा ज़िंदाबाद, साधू और शैतान, भूत बंगला, श्रीमान फंटूश, अपना हाथ जगन्नाथ, पड़ोसन, आदि बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों का निर्माण हुआ। इन फिल्मों में किशोर कुमार, आई एस जौहर, महमूद, ओमप्रकाश, धूमल, आगा, आदि हास्य अभिनेताओं की भूमिकाएं केंद्रीय थी या खास थी। जॉनी वॉकर, महमूद, आई एस जौहर, राजेंद्रनाथ, आदि कॉमेडियन हिंदी फिल्मों की ज़रुरत बन गए थे।
राजेश खन्ना के रोमांटिक नायक की विदाई और अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन के आने के साथ ही बॉलीवुड फिल्मों से कॉमेडी लगभग विदा हो गई। एक्शन के सहारे कॉमेडी और नायिका को गर्त में डालने वाली फिल्म शोले में असरानी का अंग्रेज़ो के ज़माने का जेलर और जगदीप का सूरमा भोपाली था। लेकिन, धर्मेन्द्र के वीरू ने इन सभी कॉमेडी किरदारों को पस्त कर दिया। जहाँ शोले में धर्मेन्द्र कॉमेडी कर रहे थे और अमिताभ बच्चन नाराज़ बने हुए थे, वहीँ बाद की फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने भी कॉमेडी का दामन थाम लिया। इसके साथ ही हर अभिनेता कॉमेडी करने लगा। सुर असुर में रोहन कपूर जैसा नॉन एक्टर भी कॉमेडी कर रहा था। अमोल पालेकर आम आदमी के रूप में अपनी फिल्मों से दर्शकों को गुदगुदा रहे थे। गोलमाल फिल्म में उनकी और उत्पल दत्त की जोड़ी यादगार है। बासु चटर्जी की छोटी सी बात में अशोक कुमार के साथ अमोल पालेकर, हमारी बहु अलका में उत्पल दत्त के साथ राकेश रोशन, दिल्लगी में धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी और मिथुन चक्रवर्ती और किरायेदार में उत्पल दत्त के साथ राज बब्बर कॉमेडी कर रहे थे। इस दौर में बनी कॉमेडी फिल्मों में तक हास्य का बोझ भी नायक के कन्धों पर था। इस दौर में फिल्म अभिनेत्री रेखा, जुहू चावला और श्रीदेवी ने खूबसूरत, हम हैं रही प्यार के, बोल राधा बोल, मिस्टर इंडिया जैसी फिल्मों में कॉमेडी के जलवे बिखेरे।
१९७०- १९८० के दशक के बाद से बनी फिल्मों दो और दो पांच, गोलमाल (नई और पुरानी), चुपके चुपके, चमेली की शादी, अंदाज़ अपना अपना, ढोल, धमाल, १२३, हेरा फेरी, फिर हेरा फेरी, मुन्ना भाई सीरीज और बड़े मिया छोटे मिया पर एक नज़र डालें तो साफ़ होता है कि इन हास्य फिल्मों के मुख्य किरदार में सही मायनों में कोई कॉमेडियन नहीं था। दो और दो पांच में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर, चुपके चुपके में अमिताभ बच्चन के साथ धर्मेन्द्र, अंदाज़ अपना अपना में सलमान खान और आमिर खान, बड़े मिया छोटे मिया में अमिताभ बच्चन और गोविंदा कॉमेडी तथा हेरा फेरी और फिर हेरा फेरी में अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी हास्य जोड़ी बना रहे थे। चमेली की शादी में अनिल कपूर, चश्मे बद्दूर और जाने भी दो यारो में रवि बासवानी, सतीश शाह और सतीश कौशिक जैसे हास्य अभिनेताओं की कमान नसीरुद्दीन शाह, ओम पूरी और पंकज कपूर के हाथों में थी, जो मुख्य रूप से कला या समानांतर फिल्मों के अभिनेता थे। बासु चटर्जी की तमाम हास्य फिल्मों छोटी सी बात, हमारी बहु अलका, दिल्लगी और किरायेदार में सीरियस अभिनेता ही कॉमेडी कर रहे थे। हृषिकेश मुख़र्जी भी अपनी कॉमेडी फिल्मों के कारण जाने जाते हैं।
कभी हिंदी फिल्मों का स्थाई मसाला होने वाला कॉमेडियन हिंदी फिल्मों में उपेक्षित हो गया। हिंदी फिल्मों के परंपरागत नायकों का दबदबा कितना रहा होगा कि उत्पल दत्त, देवेन वर्मा, रवि वासवानी, जगदीप, असरानी, आदि जैसे सशक्त अभिनेताओं को भी पापड बेलने पड़े। इस दौर में कॉमेडी को कुछ चरित्र अभिनेताओं का साथ मिला। कादर खान फिल्म लेखक भी भी थे। उन्होंने फिल्मों की स्क्रिप्ट में कॉमेडियन के लिए गुंजायश निकाली। उन्होंने खुद भी कॉमेडियन का चोला पहना। उनकी लिखी फिल्म हिम्मतवाला में कॉमेडियन जोड़ी के अलावा अमजद खान के रूप में कॉमेडियन विलेन देखने को मिला। हिम्मतवाला के हिट होने के बाद कॉमेडी करने वाला विलेन चल निकला। कादर खान ने इस किरदार को बखूबी निभाया। इस काम में उनका साथ हिंदी फिल्मों का नायक बनने आये शक्ति कपूर ने बखूबी दिया। अनुपम खेर चरित्र अभिनेता थे। उन्होंने कर्मा और दिल जैसी फिल्मों में निर्मम विलेन पेश किया। वह अच्छे कॉमेडियन तो थे ही। सतीश शाह ने भी अपने सशक्त अभिनय के बूते पर रूपहले परदे पर कॉमेडियन को ज़िंदा रखा।
आजकल हिंदी फिल्मों में कॉमेडी को अपने सशक्त कन्धों में सम्हालने का ज़िम्मा बोमन ईरानी, राजपाल यादव, जॉनी लीवर, संजय मिश्रा, विजय राज, आदि पर है। बोमन ईरानी तो बड़ी फिल्मों की ज़रूरी शर्त बन गए हैं। राजपाल यादव की कद काठी को ध्यान में रख कर मैं मेरी पत्नी और वह का छोटे बाबू का किरदार लिखा गया। संजय मिश्रा अलग तरह के कॉमेडियन हैं। वह कभी लाउड नहीं होते। उनके संवाद बोलने का ढंग और हावभाव दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। अभी वह शाहरुख़ खान की फिल्म दिलवाले और सलमान खान की फिल्म प्रेम रतन धन पायो में हंसा हंसा के लोटपोट कर रहे थे। विजय राज का भी बॉलीवुड में दबदबा है। उनका फिल्म रन (२००४) में कौवा बिरयानी का प्रसंग आज भी चहरे पर मुस्कान ला देता है। अब तो स्टैंडअप कॉमेडियन कपिल शर्मा भी बड़े परदे पर आ पहुंचे हैं। उम्मीद की जा सकती है कि कॉमेडी फिल्म किस किस को प्यार करूँ से शुरू हुआ कॉमेडी फिल्मों का नायक बनाने का उनका सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा।
कभी हिंदी फिल्मों में हास्य और हास्य अभिनेता फूला फला करते थे। एक से बढ़ कर कॉमेडी फ़िल्में हास्य अभिनेताओं को केंद्र में रख कर ढेरों फ़िल्में बनाई जाती थी। चलती का नाम गाडी, छू मंतर, भगवान दादा की बाद की अलबेला, दामाद, अच्छाजी, बख्शीश और भोले भाले, किशोर कुमार की सभी फ़िल्में, आई एस जौहर की बेवक़ूफ़, हम सब चोर जैसी तमाम फिल्मों का निर्माण हुआ। इस दौर की तमाम फिल्मों के केंद्र में कॉमेडियन एक्टर थे। इन इन कॉमेडियन एक्टरों के साथ उस समय की बड़ी अभिनेत्रियां भी काम करने में नहीं हिचकती थी। चलती का नाम गाडी में अशोक कुमार, किशोर कुमार अनूप कुमार पर केंद्रित कॉमेडी थी। लेकिन, इनकी जोड़ीदार किशोर कुमार की मधुबाला और अशोक कुमार की वीणा सीरियस अभिनेत्रियों में शुमार की जाती थी। छू मंतर में जॉनी वॉकर की नायिका श्यामा थी। मिस मैरी (१९५७) में ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी ने किशोर कुमार के साथ बेहतरीन कॉमेडी जोड़ी बनाई थी। इसी दौर में हाफ टिकट, हाय मेरा दिल, आशा, मनमौजी, दिल्ली का ठग, बाप रे बाप, न्यू डेल्ही, झुमरू, पैसा या पैसा, प्यार किये जा, नॉटी बॉय, चाचा ज़िंदाबाद, साधू और शैतान, भूत बंगला, श्रीमान फंटूश, अपना हाथ जगन्नाथ, पड़ोसन, आदि बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों का निर्माण हुआ। इन फिल्मों में किशोर कुमार, आई एस जौहर, महमूद, ओमप्रकाश, धूमल, आगा, आदि हास्य अभिनेताओं की भूमिकाएं केंद्रीय थी या खास थी। जॉनी वॉकर, महमूद, आई एस जौहर, राजेंद्रनाथ, आदि कॉमेडियन हिंदी फिल्मों की ज़रुरत बन गए थे।
राजेश खन्ना के रोमांटिक नायक की विदाई और अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन के आने के साथ ही बॉलीवुड फिल्मों से कॉमेडी लगभग विदा हो गई। एक्शन के सहारे कॉमेडी और नायिका को गर्त में डालने वाली फिल्म शोले में असरानी का अंग्रेज़ो के ज़माने का जेलर और जगदीप का सूरमा भोपाली था। लेकिन, धर्मेन्द्र के वीरू ने इन सभी कॉमेडी किरदारों को पस्त कर दिया। जहाँ शोले में धर्मेन्द्र कॉमेडी कर रहे थे और अमिताभ बच्चन नाराज़ बने हुए थे, वहीँ बाद की फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने भी कॉमेडी का दामन थाम लिया। इसके साथ ही हर अभिनेता कॉमेडी करने लगा। सुर असुर में रोहन कपूर जैसा नॉन एक्टर भी कॉमेडी कर रहा था। अमोल पालेकर आम आदमी के रूप में अपनी फिल्मों से दर्शकों को गुदगुदा रहे थे। गोलमाल फिल्म में उनकी और उत्पल दत्त की जोड़ी यादगार है। बासु चटर्जी की छोटी सी बात में अशोक कुमार के साथ अमोल पालेकर, हमारी बहु अलका में उत्पल दत्त के साथ राकेश रोशन, दिल्लगी में धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी और मिथुन चक्रवर्ती और किरायेदार में उत्पल दत्त के साथ राज बब्बर कॉमेडी कर रहे थे। इस दौर में बनी कॉमेडी फिल्मों में तक हास्य का बोझ भी नायक के कन्धों पर था। इस दौर में फिल्म अभिनेत्री रेखा, जुहू चावला और श्रीदेवी ने खूबसूरत, हम हैं रही प्यार के, बोल राधा बोल, मिस्टर इंडिया जैसी फिल्मों में कॉमेडी के जलवे बिखेरे।
१९७०- १९८० के दशक के बाद से बनी फिल्मों दो और दो पांच, गोलमाल (नई और पुरानी), चुपके चुपके, चमेली की शादी, अंदाज़ अपना अपना, ढोल, धमाल, १२३, हेरा फेरी, फिर हेरा फेरी, मुन्ना भाई सीरीज और बड़े मिया छोटे मिया पर एक नज़र डालें तो साफ़ होता है कि इन हास्य फिल्मों के मुख्य किरदार में सही मायनों में कोई कॉमेडियन नहीं था। दो और दो पांच में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर, चुपके चुपके में अमिताभ बच्चन के साथ धर्मेन्द्र, अंदाज़ अपना अपना में सलमान खान और आमिर खान, बड़े मिया छोटे मिया में अमिताभ बच्चन और गोविंदा कॉमेडी तथा हेरा फेरी और फिर हेरा फेरी में अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी हास्य जोड़ी बना रहे थे। चमेली की शादी में अनिल कपूर, चश्मे बद्दूर और जाने भी दो यारो में रवि बासवानी, सतीश शाह और सतीश कौशिक जैसे हास्य अभिनेताओं की कमान नसीरुद्दीन शाह, ओम पूरी और पंकज कपूर के हाथों में थी, जो मुख्य रूप से कला या समानांतर फिल्मों के अभिनेता थे। बासु चटर्जी की तमाम हास्य फिल्मों छोटी सी बात, हमारी बहु अलका, दिल्लगी और किरायेदार में सीरियस अभिनेता ही कॉमेडी कर रहे थे। हृषिकेश मुख़र्जी भी अपनी कॉमेडी फिल्मों के कारण जाने जाते हैं।
कभी हिंदी फिल्मों का स्थाई मसाला होने वाला कॉमेडियन हिंदी फिल्मों में उपेक्षित हो गया। हिंदी फिल्मों के परंपरागत नायकों का दबदबा कितना रहा होगा कि उत्पल दत्त, देवेन वर्मा, रवि वासवानी, जगदीप, असरानी, आदि जैसे सशक्त अभिनेताओं को भी पापड बेलने पड़े। इस दौर में कॉमेडी को कुछ चरित्र अभिनेताओं का साथ मिला। कादर खान फिल्म लेखक भी भी थे। उन्होंने फिल्मों की स्क्रिप्ट में कॉमेडियन के लिए गुंजायश निकाली। उन्होंने खुद भी कॉमेडियन का चोला पहना। उनकी लिखी फिल्म हिम्मतवाला में कॉमेडियन जोड़ी के अलावा अमजद खान के रूप में कॉमेडियन विलेन देखने को मिला। हिम्मतवाला के हिट होने के बाद कॉमेडी करने वाला विलेन चल निकला। कादर खान ने इस किरदार को बखूबी निभाया। इस काम में उनका साथ हिंदी फिल्मों का नायक बनने आये शक्ति कपूर ने बखूबी दिया। अनुपम खेर चरित्र अभिनेता थे। उन्होंने कर्मा और दिल जैसी फिल्मों में निर्मम विलेन पेश किया। वह अच्छे कॉमेडियन तो थे ही। सतीश शाह ने भी अपने सशक्त अभिनय के बूते पर रूपहले परदे पर कॉमेडियन को ज़िंदा रखा।
आजकल हिंदी फिल्मों में कॉमेडी को अपने सशक्त कन्धों में सम्हालने का ज़िम्मा बोमन ईरानी, राजपाल यादव, जॉनी लीवर, संजय मिश्रा, विजय राज, आदि पर है। बोमन ईरानी तो बड़ी फिल्मों की ज़रूरी शर्त बन गए हैं। राजपाल यादव की कद काठी को ध्यान में रख कर मैं मेरी पत्नी और वह का छोटे बाबू का किरदार लिखा गया। संजय मिश्रा अलग तरह के कॉमेडियन हैं। वह कभी लाउड नहीं होते। उनके संवाद बोलने का ढंग और हावभाव दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। अभी वह शाहरुख़ खान की फिल्म दिलवाले और सलमान खान की फिल्म प्रेम रतन धन पायो में हंसा हंसा के लोटपोट कर रहे थे। विजय राज का भी बॉलीवुड में दबदबा है। उनका फिल्म रन (२००४) में कौवा बिरयानी का प्रसंग आज भी चहरे पर मुस्कान ला देता है। अब तो स्टैंडअप कॉमेडियन कपिल शर्मा भी बड़े परदे पर आ पहुंचे हैं। उम्मीद की जा सकती है कि कॉमेडी फिल्म किस किस को प्यार करूँ से शुरू हुआ कॉमेडी फिल्मों का नायक बनाने का उनका सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा।
पिच्चा रेड्डी बन तेलगु में छाये हरफनमौला राजन मोदी
बॉलीवुड में कई फिल्मो में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके राजन मोदी अपनी पहली तेलगु फिल्म से ही दर्शको के दिलो दिमाग पर छा गए हैं। पिछले माह ही रिलीज़ हुई उनकी पहली फिल्म कृष्णाष्टमी ना सिर्फ सुपर हिट हुई है बल्कि फिल्म ने पचास करोड़ से भी अधिक का व्यवसाय किया है। तेलगु फिल्म जगत की बड़ी फिल्म निर्माण कंपनी वेंकेटश्वरा फिल्म्स के बैनर तले बनी कृष्णाष्टमी के निर्माता दिल राजू हैं जबकि फिल्म के निर्देशक हैं वासु वर्मा। कृष्णाष्टमी में उनके किरदार का नाम है पिच्चा रेड्डी। फिल्म की सफलता के साथ ही अचानक पिच्चा रेड्डी की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ गया और दर्शको की नज़र में वो पिच्चा रेड्डी ही बन गए हैं। फिल्म में राजन मोदी खलनायक की भूमिका में हैं जबकि जाने माने खलनायक आशुतोष राणा और मुकेश ऋषि साकारात्मक भूमिका में। बॉलीवुड के दो बड़े दिग्गजों के बीच राजन मोदी ने खलनायकी का नया रंग बिखेरा है। राजन मोदी ने बताया की फिल्म की सफलता के साथ साथ उनके किरदार की भी सफलता का श्रेय निर्माता दिल राजू और निर्देशक वासु वर्मा को जाता है क्योंकि फिल्म के हर किरदार को उन्होंने अच्छी तरह से पिरोया था। उल्लेखनीय है की राजन मोदी बॉलीवुड से ना सिर्फ अभिनय बल्कि कई और भूमिका में हैं। उन्होंने बतौर कास्टिंग डायरेक्टर कई बड़ी फिल्मो की कास्टिंग की है , इसके अलावा कई क्षेत्रीय फिल्मो के निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका रही है।
सोनू सूद ने फिल्म कुंग फु योगा में एक सॉन्ग रखने पर दिया जोर।
अभिनेता सोनू सूद एक्शन फिल्मो के सुपरस्टार जैकी चैन के साथ आगमी फिल्म कुंग फु योगा में एक साथ काम कर रहे है। सूत्रों की माने तो सोनू ने फिल्म के निर्माता समेत निर्देशक स्टेनली टोंग तथा को स्टार जैकी चैन के इस इंडो चाइनिस प्रोडक्शन में एक बॉलीवुड स्टाइल सॉन्ग रखने पर जोर दे रहे है , सोनू मानते है की अगर फिल्म में बॉलीवुड स्टाइल सॉन्ग हो तो इस फिल्म से भारतीय दर्शक खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। जब सोनू ने जैकी और स्टेनली के साथ सॉन्ग के विचार पर चर्चा की तो उन्हें यह पसंद आया और इस बात से सहमत हुए। " सोनू ने जो सॉन्ग सुझाया है , उस सॉन्ग मे सोनू , जैकी समेत उनके महिला कोस्टार अमायरा दस्तूर तथा दिशा पाटनी नजर आएंगे। यह सॉन्ग भारतीय और चाइनिस सभ्यता को दर्शायेगा।
सूत्रों की माने तो सॉन्ग की शूटिंग बड़े स्तर पर जोधपुर और चीन में की जाएगी।
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