Friday, 22 August 2014

बॉक्स ऑफिस की 'मर्दानी' रानी मुख़र्जी

सक्षम अभिनेत्री कैसी भी भूमिका को बड़ी सहजता  से निभा सकती है. मुंबई क्राइम ब्रांच की सीनियर इंस्पेक्टर शिवानी शिवाजी रॉय की भूमिका में रानी मुख़र्जी ने इसे साबित कर दिखाया है. रानी मुख़र्जी कई फिल्मों में इमोशनल भूमिकाओं को कई बार कर चुकी हैं. इस बार मर्दानी में उन्होंने एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के रफ़ टफ किरदार को किया है. इस भूमिका में रानी मुख़र्जी बिना लाउड हुए रफ़ टफ लगती हैं. अपनी छोटी कद काठी के बावजूद वह शिवानी के किरदार को स्वाभाविक बना ले जाती हैं. फिल्म में कई इमोशनल सीक्वेंस हैं. रानी हर सीन में मर्दानी लगती हैं. फिल्म की कहानी दिल्ली और मुंबई में मानव तस्करी और देह व्यापार पर केंद्रित है. शिवानी क्राइम ब्रांच की इंस्पेक्टर होने के नाते इस व्यापार पर निगाह रख रही है. जब उसे पता चलता है कि एक गिरोह जवान लड़कियों को अगवा कर देह व्यापर में धकेल रहा है और नकली पासपोर्ट के जरिये विदेशों में बेच रहा है, तब वह इसका पर्दाफाश करने का निर्णय लेती है. उसे रोकने के लिए गिरोह उसके डॉक्टर पति पर हमला करता है. पर वह डिगती नहीं. अंततः वह इस गिरोह को उखाड़ फेंकती है. मर्दानी को गोपी पुथरन ने लिखा है. उन्होंने घटनाओ को सहज और स्वाभाविक बनाने की सफल कोशिश की है. ख़ास तौर पर फिल्म का क्लाइमेक्स. गोपी ने फिल्म को छोटे छोटे दृश्यों में बाँधा है. इससे फिल्म में गति आयी है तथा वह पूरी गति से बिना किसी बाधा के चलती रहती है. उन्होंने अनावशयक नृत्य गीत न डाल कर (हालाँकि, इसकी काफी गुंजाईश थी), फिल्म को लम्बा नहीं होने दे कर ११३ में मिनट में समेट  दिया है. मर्दानी को आर्थर जुरव्स्की के कैमरा ने काफी सपोर्ट किया है. संपादक संजीब दत्ता ने अनावश्यक दृश्यों को छोटा कर दिया है. मर्दानी यशराज फिल्म्स की एडल्ट सर्टिफिकेट पाने वाली पहली फिल्म है. परन्तु, इसमे अश्लीलता नहीं है. पूरी फिल्म रानी मुख़र्जी के कन्धों पर रफ़्तार भरती है. उनके सामने, उनके पति डॉ रॉय की भूमिका में जिस्शु सेनगुप्ता और खलनायक कत्याल की भूमिका में अनंत शर्मा उभरने नहीं पाते. कार्तिक राजा का पार्श्व संगीत फिल्म की जान है. बताया जाता है कि अपने किरदार को स्वाभाविक बनाने के लिए रानी मुख़र्जी ने जिम में घंटों पसीना बहाया था. फिल्म में उनकी यह मेहनत रंग लाती नज़र आती है. निर्देशक प्रदीप सरकार ने मानव तस्करी जैसे विषय पर अपना पूरा नियंत्रण बनाये रखा है. हर चरित्र उनके नियंत्रण में रहता है. वह छोटे से छोटे चरित्र को शिवानी के चरित्र को पूरा सहयोग देने वाला  बना देते हैं. इस फिल्म को अच्छी फिल्मों के शौकीनों द्वारा देखा जाना चाहिए.

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