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Saturday, 8 December 2018

अनुपमा से अधूरी देवदास तक धर्मेंद्र और शर्मीला टैगोर !


आज बॉलीवुड की दो बड़ी फिल्म हस्तियों धर्मेंद्र और शर्मीला टैगोर का जन्मदिन है। आज ही के दिन, १९३५ में जन्मे थे धर्मेंद्र और १९४४ में जन्मी थी शर्मीला टैगोर। इस लिहाज़ से, धर्मेंद्र आज ८३ साल के हो गए। शर्मीला टैगोर ने ७५वां जन्मदिन मनाया। दिलचस्प तथ्य यह हैं कि ८ दिसंबर को जन्मी इन दोनों हस्तियों ने, अपने स्टारडम के दौर में ८ हिंदी फिल्मों में काम किया। इनकी दो फ़िल्में पूरी नहीं हो सकी।


धर्मेंद्र को हिंदी फिल्मों का ओरिजिनल ही-मैन कहा जाता है।  उन्हें यह खिताब मिला, १९६५ में रिलीज़, ओपी रल्हन निर्देशित फिल्म फूल और पत्थर में शाका की भूमिका से। इस फिल्म में, पहली बार बॉलीवुड के किसी नायक ने अपनी शर्ट उतार कर, अपने गठीले सौंदर्य का प्रदर्शन किया था।  हालाँकि, उन्होंने ऐसा अपने शरीर को दिखाने के लिए नहीं, बल्कि फिल्म के एक सीन में ठण्ड में ठिठुर रही एक भिखारिन को ठण्ड से बचाने के लिए किया था।  बाद में, सलमान खान जैसे सितारे महिला दर्शकों को आकर्षित करने के लिए अपने कपडे उतारने लगे।  धर्मेंद्र की बॉलीवुड में एंटी, उनके रिश्तेदार अर्जुन हिंगोरानी निर्देशित फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे (१९५८) से हुई थी।  धर्मेंद्र की पहली हिट फिल्म माला सिन्हा के साथ अनपढ़ (१९६२) थी।


धर्मेंद्र के बॉलीवुड डेब्यू के छह साल बाद, बांगला फिल्मों की अभिनेत्री शर्मीला टैगोर का, शक्ति सामंत की फिल्म कश्मीर की कली से डेब्यू हुआ।  पहली ही फिल्म ने, शर्मीला टैगोर को टॉप पर पहुंचा दिया। एन इवनिंग इन पेरिस में टू-पीस बिकिनी पहन कर, उन्होंने खुद के बोल्ड अभिनेत्री होने ऐलान कर दिया। शर्मीला टैगोर के करियर की खासियत यह रही कि उन्हें अपने समय के सबसे सफल डायरेक्टर शक्ति सामंत का वरदहस्त प्राप्त रहा। शर्मीला टैगोर के हिंदी फिल्म डेब्यू के बाद, शक्ति सामंत ने लगभग दो दर्जन हिंदी फ़िल्में बनाई।  इनमे से १० शर्मीला टैगोर के साथ थी। 


धर्मेंद्र और शर्मीला टैगोर की एक साथ पहली फिल्म अनुपमा (१९६६) की थी।  इसी साल, इस जोड़ी की फिल्म देवर भी रिलीज़ हुई। इस जोड़ी ने बाद में, सत्यकाम, यकीन, मेरे हमदम मेरे दोस्त, चपके चुपके, एक महल हो सपनों का और सनी जैसी फ़िल्में दी।  इस जोड़ी की दो फ़िल्में चैताली और देवदास भी शुरू हुई।  चैताली को का निर्देशन बिमल रॉय कर रहे थे।  बिमल रॉय के अकस्मात देहांत के बाद, चैताली की कमान उनके चेले हृषिकेश मुख़र्जी के हाथों में आ गई। फिल्म की लॉन्चिंग इसी जोड़ी के साथ हुई।


लेकिन, जब तक चैताली पूरी हुई, फिल्म में शर्मीला टैगोर की जगह सायरा बानू आ गई।  इसी प्रकार से, गुलज़ार का इरादा, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के देवदास को परदे पर उतारने का था।  वह धर्मेंद्र को देवदास, शर्मीला टैगोर को पारो और हेमा मालिनी को चंद्रमुखी बना कर पेश करना चाहते थे। फिल्म का महूरत भी हुआ।  कुछ का कहना है कि फिल्म की १० दिनों की शूटिंग हुई भी।  लेकिन, फिर यकायक फिल्म के निर्माताओं ने फिल्म बंद कर दी। इस प्रकार से, धर्मेंद्र और शर्मीला टैगोर की, ८ दिसंबर को जन्मी जोड़ी, ८ फिल्मों में काम करने तक सीमित रह गई।   

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