Saturday, 26 October 2013

'मिक्की' एक 'वायरस' जिससे हर कोई इन्फेक्ट होना चाहेगा!

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फिल्म के बारे में भ्रम पैदा करने वाला प्रचार और पोस्टर
                    आज जब युवा कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, आदि से खेलने लगा है तो वह वायरस और एंटी वायरस से भी ख़ास परिचित हो गया है. कभी अमेरिका और यूरोप में नामचीन होने वाले हैकर हिंदुस्तान में भी मशहूर होने लगे हैं. ऐसे में वायरस और हैकर पर फिल्म बनाना दिलचस्प हो सकता है. ख़ास तौर पर, इस विषय पर एक अच्छी थ्रिलर फिल्म बनाना. राइटर डायरेक्टर सौरभ वर्मा अपने साथियों एल्विन  राजा और कुलदीप रूहिल के साथ ऐसा प्रयास करते हैं. वह इस प्रयास में ज़बरदस्त तरीके से सफल भी होते हैं. मिक्की अरोरा उर्फ़ मिक्की वायरस, जो की छोटा मोटा हैकर है और हैकिंग को अपना पेशा नहीं, छोटी मोटी रकम उड़ाने में ही इस्तेमाल करता है. एक दिन उसके पास ACP सिद्धार्थ चौहान और इंस्पेक्टर भल्ला  आते हैं और साईट हैक करने के लिए कहते हैं. वह आसानी से इस साईट को खोल देता है. अब होता यह है कि मिक्की घटनाओं के जाल में कुछ इस प्रकार से फंसता है कि उस पर एक हत्या का आरोप लगाने वाला है, इससे बचने के लिए उसे कुछ भी करना है. वह किस प्रकार से इन परिस्थितियों से उबरता है, यह फिल्म के दिलचस्प घटनाक्रमों से साफ़ होता जाता है.

कामायनी से इन्फेक्ट हो गया वायरस 
                 मिक्की वायरस रफ़्तार, पेंचदार और रहस्य के गहरे आवरण में लिपटी फिल्म है, जो रील दर रील दिलचस्पी कम नहीं होने देती. लेकिन, इसे बैकफायर करता है, इसका उल्टा प्रचार. डार मोशन पिक्चरस. ट्रिलोजिक डिजिटल मीडिया और Awesome Films ने मिक्की वायरस का प्रचार एक कॉमेडी फिल्म के बतौर किया है, जबकि यह एक थ्रिलर फिल्म है. उन्होंने ऐसा शायद अपनी फिल्म के हीरो की इमेज को ध्यान में रखते हुए, दर्शकों को आकर्षित करने के लिए किया है. मिक्की वायरस बने मनीष पॉल मशहूर एंकर हैं. आम तौर पर, वही अपनी एंकरिंग से दर्शकों को हंसाते हैं. शायद इसीलिए मिक्की वायरस को मनीष पॉल की कॉमेडी फिल्म बताया गया, क्योंकि अगर सीरियस फिल्म बताया जाता तो शायद उतने दर्शक भी नहीं मिलते. बहरहाल, मिक्की वायरस को बढ़िया थ्रिलर फिल्म तो कहा ही जा सकता है. युवाओं से जुदा सब्जेक्ट होने के कारण युवा दर्शकों में इसमें ख़ास मसाला है. मनीष पॉल अपने काम को बहुत अच्छा अंजाम देते हैं. वह जितना अच्छा कॉमिक सेंस रखते हैं, उतना ही सीरियस काम भी कर ले जाते हैं. फिल्म की खासियत है कि इसमे पुलिस वालों के नाम छोड़ दिए जाएँ, तो अन्य के नाम चालू मार्का हैं. मसलन, चटनी, फ्लॉपी, पैन्चो. संकटमोचन, आदि आदि. इन चालू नामो वाली अपनी भूमिकाओं को पूजा गुप्ता, राघव कक्कड़, विकेश कुमार और आशीष वर्मा ने क्या खूब किया है. हर चेहरा अपने चरित्र पर फिट है और इन्हें स्वाभाविक तरीके से पेश करता है.फिल्म में मिक्की की नायिका कामायनी की भूमिका विदेशी मूल की इल्ली एवरम ने की है. वह अपनी सेक्स अपील में मिक्की के साथ साथ दर्शकों भी उलझाये रखती हैं. ACP चौहान के रोल में मनीष चौधरी खूब जमे हैं, लेकिन उनसे बाजी मार ले जाते हैं उनके जूनियर बने वरुण बडोला. वह सभी पर भारी पड़ते नज़र आते हैं.
मनीष चौधरी और वरुण वडोला 

                   फिल्म को सौरभ वर्मा ने अपने दो साथियों के सहयोग से लिखा है, लेकिन संवाद उन्होंने खुद लिखे हैं. बहुत आम प्रकार से लिखे गए संवाद दर्शकों की समझ से तालमेल बैठा लेते हैं. सौरभ ने आज के युवाओं की ज़ल्द ही ढेर सा कमा लेने की ललक को खूब लताड़ा है. वह अपने संवाद से कि हम लोगों को नौकरी नहीं मिलती, पर नेता हैं कि हज़ारों करोड़ का काला धन बैंक में रखते हैं. इसके साथ ही सौरभ यह जताना नहीं भूलते कि इसका मतलब यह नहीं कि युवा धन हड़पने के लिए अपराध करें. सौरभ वर्मा को बधाई. उनका निर्देशन कौशलपूर्ण है. वह दर्शकों को दिल्ली की गलियों और  ओवरब्रिज पर उलझाए रखने में कामयाब रहते हैं. फैजान, अग्नेल रोमन और हनीफ शैख़ का संगीत फिल्म में हलके फुलके क्षण लाने के लिए है. संपादक अर्चित डी रस्तोगी ने अपनी कैंची का बखूबी इस्तेमाल करते हुए फिल्म को लम्बा नहीं होने दिया है और दर्शकों की रूचि बनाए रखी है. अंशुमन महाले अपने कैमरा से मिक्की की उलझनों को दिखाते हुए, फिल्म को रहस्य के परदे में डालने में सफल हुए हैं. तारीफ करनी होगी अभिषेक बनर्जी की कि उन्होंने हर चरित्र के लिए एकदम फिट कास्ट का चुनाव किया है. लगता नहीं कि हम करैक्टर को नहीं किसी अभिनेता को एक्टिंग करते देख रहे है. प्रद्युम्न ने अपने स्टंट से दिलचस्पी बनाए रखी है, हालाँकि, यह हैरतंगेज़ नहीं हैं. सुभाष साहू का ध्वनि आलेखन माहौल को उभारने वाला है.
               बेहतरीन थ्रिल्लिंग सीक्वेंस और अभिनय से सजे इस मिक्की वायरस से कौन नहीं इन्फेक्टेड होना चाहेगा. दर्शकों को सलाह है कि वह सिनेमाहाल जाएँ और मिक्की के वायरस से इन्फेक्ट हो के आयें .  मनीष पॉल की यह फिल्म केवल ११ करोड़ के बजट से बनी. मिक्की वायरस को १२ सौ प्रिंट्स में रिलीज़ किया गया है. इसलिए यह फिल्म घाटे का सौदा तो नहीं साबित होगी, लेकिन एक हफ्ते बाद दिवाली होने और कृष ३ के रिलीज़ होने के कारण मिक्की वायरस को दर्शकों का टोटा हो सकता है. इस फिल्म को तमिल और तेलुगु में भी बनाए जाने की खबर है.

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