निर्देशक सौमिक सेन की फ़िल्म,गुलाब गैंग का ट्रेलर वीरवार की आधी रात के बाद सोशल साइट्स पर जारी हो गया । अब इस ट्रेलर को माधुरी दीक्षित की फ़िल्म डेढ़ इश्क़िया के दर्शक बड़े परदे पर भी देख रहे हैं पाए। निर्माता अनुभव सिन्हा की यह फ़िल्म बुंदेलखंड क्षेत्र की गुलाबी धोती ब्लाउज में सामाजिक बुराइयों का मुक़ाबला करने वाली औरतों के मशहूर गुलाबी गैंग पर है. इस फ़िल्म में गैंग की मुखिया रज्जो की भूमिका माधुरी दीक्षित ने की है. गुलाबी गैंग की अन्य सदस्य तनिष्ठा चटर्जी, दिव्या जगदाले और प्रियंका बोस हैं। इस फ़िल्म में जूही चावला ने सुमित्रा देवी का किरदार किया है. इस किरदार में नेगेटिव शादी हैं. उल्लेखनीय है कि जूही चावला और माधुरी दीक्षित का बॉलीवुड में कैरियर साथ साथ चढ़ा. माधुरी दीक्षित ने १९८४ में फ्लॉप अबोध फ़िल्म से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। जूही चावला की भी पहली फ़िल्म १९८६ में रिलीज़ सल्तनत फ्लॉप हो गयी थी. माधुरी दीक्षित को चार साल बाद १९८८ में रिलीज़ एन चन्द्र की फ़िल्म तेज़ाब से तेज़ाबी सफलता मिली। तेज़ाब ११ नवंबर १९८८ को रिलीज़ हुई थी. लेकिन, इससे पहले २९ अप्रैल १९८८ को जूही चावला की आमिर खान के साथ रोमांस फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक रिलीज़ हुई. इस फ़िल्म की सफलता ने जूही चावला को स्टार बना दिया। तेज़ाब की सफलता के बाद माधुरी दीक्षित भी जूही चावला के मुक़ाबिल खडी हो गयी. उस साल के फिल्मफेयर पुरस्कारों में माधुरी दीक्षित और जूही चावला नामित हुईं। लेकिन, बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार जीती खून भरी मांग की रेखा। लेकिन, इसके साथ ही ग्लैमर वर्ल्ड में यह दोनों अभिनेत्रियां एक दूसरी की प्रतिद्वंदी बन गयी. इन दोनों की प्रतिस्पर्द्धा ने अख़बारों और पत्रिकाओं में सुर्खियां पायीं। दोनों ही ने अपने समय के तमाम बड़े अभिनेताओं के साथ सफल जोड़ी बनायी। दोनों अभिनेत्रियों के बीच नंबर वन बनने की होड़ तो लगी रहती थी , लेकिन दोनों ने कभी एक साथ फ़िल्म नहीं की। अब जबकि कैरियर के इस नए मोड़ पर माधुरी दीक्षित और जूही चावला एक फ़िल्म में साथ हैं तो भी एक दूसरे के आमने सामने खडी हुई है. यही गुलाब गैंग को देखने का ख़ास कारण भी है.
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 11 January 2014
माधुरी दीक्षित और जूही चावला का गुलाब गैंग
निर्देशक सौमिक सेन की फ़िल्म,गुलाब गैंग का ट्रेलर वीरवार की आधी रात के बाद सोशल साइट्स पर जारी हो गया । अब इस ट्रेलर को माधुरी दीक्षित की फ़िल्म डेढ़ इश्क़िया के दर्शक बड़े परदे पर भी देख रहे हैं पाए। निर्माता अनुभव सिन्हा की यह फ़िल्म बुंदेलखंड क्षेत्र की गुलाबी धोती ब्लाउज में सामाजिक बुराइयों का मुक़ाबला करने वाली औरतों के मशहूर गुलाबी गैंग पर है. इस फ़िल्म में गैंग की मुखिया रज्जो की भूमिका माधुरी दीक्षित ने की है. गुलाबी गैंग की अन्य सदस्य तनिष्ठा चटर्जी, दिव्या जगदाले और प्रियंका बोस हैं। इस फ़िल्म में जूही चावला ने सुमित्रा देवी का किरदार किया है. इस किरदार में नेगेटिव शादी हैं. उल्लेखनीय है कि जूही चावला और माधुरी दीक्षित का बॉलीवुड में कैरियर साथ साथ चढ़ा. माधुरी दीक्षित ने १९८४ में फ्लॉप अबोध फ़िल्म से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। जूही चावला की भी पहली फ़िल्म १९८६ में रिलीज़ सल्तनत फ्लॉप हो गयी थी. माधुरी दीक्षित को चार साल बाद १९८८ में रिलीज़ एन चन्द्र की फ़िल्म तेज़ाब से तेज़ाबी सफलता मिली। तेज़ाब ११ नवंबर १९८८ को रिलीज़ हुई थी. लेकिन, इससे पहले २९ अप्रैल १९८८ को जूही चावला की आमिर खान के साथ रोमांस फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक रिलीज़ हुई. इस फ़िल्म की सफलता ने जूही चावला को स्टार बना दिया। तेज़ाब की सफलता के बाद माधुरी दीक्षित भी जूही चावला के मुक़ाबिल खडी हो गयी. उस साल के फिल्मफेयर पुरस्कारों में माधुरी दीक्षित और जूही चावला नामित हुईं। लेकिन, बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार जीती खून भरी मांग की रेखा। लेकिन, इसके साथ ही ग्लैमर वर्ल्ड में यह दोनों अभिनेत्रियां एक दूसरी की प्रतिद्वंदी बन गयी. इन दोनों की प्रतिस्पर्द्धा ने अख़बारों और पत्रिकाओं में सुर्खियां पायीं। दोनों ही ने अपने समय के तमाम बड़े अभिनेताओं के साथ सफल जोड़ी बनायी। दोनों अभिनेत्रियों के बीच नंबर वन बनने की होड़ तो लगी रहती थी , लेकिन दोनों ने कभी एक साथ फ़िल्म नहीं की। अब जबकि कैरियर के इस नए मोड़ पर माधुरी दीक्षित और जूही चावला एक फ़िल्म में साथ हैं तो भी एक दूसरे के आमने सामने खडी हुई है. यही गुलाब गैंग को देखने का ख़ास कारण भी है.
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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