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Wednesday 13 December 2017

माधुरी दीक्षित और रेणुका शहाणे फिर एक साथ

दर्शकों को याद होगी, निर्देशक सूरज बड़जात्या की १९९४ में रिलीज़ फिल्म हम आपके हैं कौन की।   इस फिल्म में रेणुका शहाणे ने माधुरी दीक्षित की बड़ी बहन का किरदार किया था , जो अपनी छोटी बहन को अपनी देवरानी  बनाना चाहती थी।   लेकिन, एक दुर्घटना में मृत्य हो जाने के कारण अपने ख्वाब पूरे नहीं कर पाती।  इस फिल्म को २३ साल बीत चुके हैं।  इस सुपर हिट फिल्म के बावजूद यह दोनों हिट ऑन स्क्रीन बहने दुबारा एक साथ नज़र नहीं आई।  लेकिन, अब यह दोनों एक मराठी फिल्म में काम करने जा रही हैं। दर्शकों के  जेहन में यह सवाल पैदा हो  सकता है कि क्या निर्देशक तेजस विजय देऊस्कर की इस अनाम मराठी फिल्म में दोनों एक बार फिर बहनों की भूमिका में होंगी या देवरानी-जेठानी बनेंगी ? वास्तविकता यह है कि एक फिल्म में साथ होने के बावजूद दोनों एक साथ नज़र नहीं आएंगी।  इन दोनों के किरदार कथा-वृतांत से  ही एक दूसरे से जुड़ेंगी। फिल्म की नायिका  माधुरी दीक्षित हैं।  

Sunday 11 June 2017

ऐश्वर्या राय ने लांच किया हृदयान्तर का संगीत

फैशन डिज़ाइनर विक्रम फडनिस ने बॉलीवुड के तमाम बड़े सितारों के लिए उनकी फिल्मों में पोशाकें डिजाईन की हैं । विक्रम ने फिल्म हम किसी से कम नहीं की डिजाइनिंग ऐश्वर्या राय के लिए ख़ास तौर पर की थी । कुछ न कहो के कॉस्टयूम भी विक्रम फडनिस ने डिजाईन किये थे । विक्रम फडनिस की इसी प्रतिष्ठा का नतीजा है कि उनकी बतौर डायरेक्टर पहली मराठी फिल्म हृदयान्तर का ट्रेलर जारी करने के लिए हृथिक रोशन मौजूद थे, तो वहीँ फिल्म का संगीत ऐश्वर्या राय ने जारी किया ।  हृदयान्तर एक भावुक किस्म की पारिवारिक फिल्म है । फिल्म का संगीत भी इसी थीम पर है ।  फिल्म का संगीत जारी करने के बाद ऐश्वर्य राय ने कहा, “हृदयान्तर जिंदगी को जीने की कहानी है ।  मगर यह खूबसूरत, सेंसिटिव और इमोशनल है ।  यही जिन्दगी का सफ़र है ।  मैं फिल्म के संगीत की लौन्चिंग के मौके पर मौजूद हो कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ ।“ फिल्म के संगीत की रिलीज़ के समय ऐश्वर्या राय की मौजूदगी से गदगद विक्रम फडनिस कहते हैं, “कुछ सम्बन्ध कपड़ों (कॉस्ट्यूम) से इतर होते हैं । मैं ऐश्वर्या को प्यार करता हूँ और उनकी इज्ज़त करता हूँ । मेरी फिल्म के संगीत की रिलीज़ के मौके पर उनकी मौजूदगी ने मेरा यह दिन यादगार बना दिया है । मैं बेहद खुश हूँ ।“

Friday 24 February 2017

संपादक की पिटाई करने वाली शांता आप्टे

शांता आप्टे १९१६ में जन्मी थी।  वह २४ फरवरी १९६४ को दिल के दौरे का शिकार हो गई।  मतलब वह कुल ४८ साल जीवित रही।  शांता आप्टे का फिल्म करियर १९३२ में, भालजी पेंढारकर की मराठी फिल्म श्याम सूंदर में राधा की भूमिका से शुरू हुआ था।  उनकी पहली हिंदी फिल्म अमृत मंथन (१९३४) थी।  उन्होंने १९५८ तक कोई ढाई दर्जन हिंदी मराठी फ़िल्में की।  उनकी यादगार फिल्मों में अमृत मंथन, अमर ज्योति, दुनिया न माने, आदि फ़िल्में थी।  उनकी यादगार अभिनय वाली फिल्म दुनिया न माने थी, जो एक बूढ़े से साथ कम उम्र की लड़की की शादी पर थी।  शांता आप्टे भी बांग्ला फिल्मों की कानन  बाला की तरह मराठी फिल्मों की गायिका अभिनेत्री थी।  उन्होंने  अपनी स्वाभाविक भावभंगिमाओं और नेत्र संचालन से फिल्मों में अभिनय की परिभाषा में भारी बदलाव किया।  कुख्यात पर ईमानदार पत्रकार बाबूराव पटेल ने, उन पर इंडिया हैज नो स्टार टाइटल से एक लेख फिल्म इंडिया में छापा थी।  शांता आप्टे का फिल्म करियर वी शांताराम की फिल्म कंपनी प्रभात स्टूडियोज से शुरू भी हुआ और फला फूला भी।  लेकिन यही शांता इस कंपनी के खिलाफ प्रभात स्टूडियोज के गेट पर भूख हड़ताल पर भी बैठी।  तत्कालीन फिल्म इंडिया के संपादक बाबूराव पटेल से पूरी फिल्म इंडस्ट्री घबड़ाया करती थी।  वह निर्मम आलोचक थे।  बाबूराव के ऐसे ही एक लेख से नाराज़ हो कर शांता आप्टे उनकी पिटाई करने के लिए उनके चैम्बर में जा घुसी।  फिल्म दुनिया न माने, प्रभात फिल्म कंपनी के बाहर की फ़िल्में न करने के कॉन्ट्रैक्ट खिलाफ भूख हड़ताल करने और पत्रकार बाबूराव पटेल की पिटान ने शांता आप्टे को  स्त्री अधिकारों की समर्थक और बोल्ड अभिनेत्री बना दिया था।  शांता आप्टे ने कभी विवाह नहीं किया।  लेकिन शांता आप्टे की मौत के दस साल बाद मराठी फिल्मों और रंगमंच की अभिनेत्री नयना आप्टे ने खुद को शांता आप्टे की गुप्त विवाह की देन बताया था ।  नयना आप्टे ने हृषिकेश मुखेर्जी की दो फिल्मों मिली और चुपके चुपके में छोटी भूमिकाएं की थी।  

Monday 12 October 2015

रुपहले पर्दे पर ‘आत्मा मालिक’

फ़िल्में समाज का आइना होती है, इसीलिए इर्द गिर्द घटी सत्य घटनाओं को फिल्मों में दर्शाया जाता रहा है।  हिंदी फिल्मों में अभी तक कई देवी- देवताओं और संतों के जीवन पर कई धार्मिक और चरित्रात्मक फिल्मों को भिन्न फिल्मकारों ने रुपहले पर्दे पर बडी सुंदरता से पेश किया है । अब मराठी फिल्मों की फिल्म निर्माण कंपनी शिवलीला फिल्म्स के बैनर तले निर्माता शिवंम लोणारी, जो फिल्म बनाने जा रहे हैं, वह सभी देवी- देवताओं और संतों का निर्माण करने वाली आत्मा पर हिंदी फ़िल्म 'आत्मा मालिक' का निर्माण कर रहे है। हांल ही में इस फ़िल्म की घोषणा शिर्डी के पास कोपरगांव मंश बसे प्रख्यात जंगलीदास महाराजजी के आश्रम में बडी उत्साह के साथ की गई। नीलिमा लोणारी इस फिल्म का निर्देशन कर रही हैं। फ़िल्म के बारें में बताते हुए परमानंद महाराजजी कहते हैं, " देवी- देवताओं पर कई फ़िल्में आ चुकी है, पर विश्वात्मक और व्यापक शक्ति आत्मा पर कोई फिल्म नहीं बनी है। इस फ़िल्म का उद्देश्य यह बताना है कि उस आत्मा की पहचान हर इंसान को होनी चाहिए । हर एक इंसान, चाहे वह कोई भी जाति- धर्म - प्रांत का हो, जब उसे अपने अंदर बसी उस आत्मा की पहचान होगी तभी इस धरती पर शान्ति और अमन की लहर आएगी।" अपनी फ़िल्म के बारें में निर्देशिका नीलिमा लोणारी कहती है, "यह कोई पौराणिक फ़िल्म नही हैं।" इस फिल्म का निर्माण आठ महीनों में पूरा किया जाएगा।  फ़िल्म में बॉलीवुड के कई बड़े कलाकार भी काम कर सकते हैं ।

Friday 18 September 2015

भगवान के स्ट्रगल में विद्या बालन का 'शोला जो भड़के'

जब फिल्मों ने बोलना शुरू किया था, उस दौर में बजरिये मूक फिल्म 'बेवफा अश्क' से दीक्षित, मुबारक, ईश्वरलाल और कौशल्या की हिंदी फिल्म 'ज़बान' से भगवान दादा का प्रवेश हुआ था।  उन्होंने कई छोटे बजट की मराठी फ़िल्में भी बनाई थी।  राजकपूर के कहने पर वह स्टंट फिल्मों के बजाय कॉमेडी फैमिली फिल्मों की और मुड़े।  फिल्म थी १९५१ में रिलीज़ 'अलबेला' । भगवान दादा खुद इस फिल्म के हीरो थे तथा नायिका गीता बाली थीं, जो उस समय की बड़ी नायिका थीं और बाद में राजकपूर के भाई शम्मी कपूर की बीवी बनी। इस फिल्म को बनाने में और बाद के भगवान दादा के संघर्ष की मार्मिक गाथा पर  मराठी फिल्म डायरेक्टर शेखर सरतनदेल मराठी फिल्म 'एक अलबेला' बना रहे हैं।  शेखर ने अपनी फिल्म का नाम एक अलबेला इसलिए रखा कि एक तो यह भगवान दादा की आज भी लोकप्रिय फिल्म है तथा दूसरे भगवान दादा अपने आप में अलबेले थे।  एक अलबेला में भगवान दादा के अलबेला बनाते समय आई कठिनाइयों, इसके गीतों के फिल्मांकन की तकलीफों, आदि का चित्रण हुआ है। इस फिल्म के 'शोला जो भड़के' गीत के लिए बैकग्राउंड डांसर जुटाने में भगवान दादा को आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ा। फिल्म 'एक अलबेला' में विद्या बालन भगवान दादा की नायिका नहीं, बल्कि अलबेला फिल्म की नायिका गीता बाली को परदे पर पेश करने का ज़िम्मा ही उन्हें मिला है।  इस फिल्म में उन पर अलबेला के दो गीत 'शोला जो भड़के' और 'भोली सूरत दिल के खोटे' का फिल्मांकन किया गया है।  यह दोनों गीत ख़ास कर शोला जो भड़के भगवान दादा की ख़ास डांसिंग स्टाइल के लिए मशहूर है।  इस गीत में गीता बाली के चेहरे के हाव भाव मुग्ध करने वाले हैं।  गीता बाली ऎसी अभिनेत्री थी, जिनकी आँखे और चेहरा अभिनय करता था।  इस लिहाज़ से, गीता बाली को परदे पर उतारने के लिहाज़ से विद्या बालन बेजोड़ हैं। बहरहाल, विद्या बालन 'एक अलबेला' में केवल मेहमान भूमिका में हैं।  एक अलबेला में भगवान दादा के उस जीवन को दिखाया गया है, जब क़र्ज़ चुकाने के लिए उन्हें जुहू स्थित अपना २५ कमरों का मकान बेचना पड़ा, हर दिन उपयोग की जाने वाली सात बड़ी कारों को एक एक कर बेचना पड़ा।  जब वह मरे तब तक उनके सभी साथी उनका साथ छोड़ चुके थे, सिवाय संगीतकार सी रामचन्द्र,  हास्य अभिनेता ओम प्रकाश और गीतकार राजिंदर कृष्ण के ।  उनकी ज़बरदस्त दिल का दौरान पड़ने से मौत एक चॉल में हुई।



राजेंद्र कांडपाल 

Friday 14 August 2015

जैकी श्रॉफ की मराठी फिल्म

इस शुक्रवार जैकी श्रॉफ करण मल्होत्रा की हिंदी फिल्म ‘ब्रदर्स’ से धूम मचा रहे हैं।  अगले सप्ताह जैकी दादा की एक मराठी फिल्म ‘३.५६ किल्लारी’ रिलीज़ होगी।  इस फिल्म में जैकी श्रॉफ मराठी फिल्मों की बोल्ड एंड ब्यूटीफुल अभिनेत्री सई ताम्हणकर के साथ पहली बार स्क्रीन शेयर करेंगे।  निर्माता गिरीश साठे की इस फिल्म का निर्देशन दीपक भागवत और विजय मिश्रा ने किया है।  यह फिल्म लातूर के किल्लारी गाँव में आये भूकम्प की पृष्ठभूमि पर है।  इस भूकम्प में कई लोगों की जाने गई थी।  यह कहानी ऎसी लड़की की है, जो भूकम्प में मारी गई थी।  उसका नज़दीक के ही एक गाँव में पुनर्जन्म होता है।  चौदह साल की यह लड़की साइ और जैकी के साथ अपनी पूर्व जन्म की पहचान पता लगाने निकल पड़ती है।  इस भूमिका को गौरी इंगवले ने किया है।  यह फिल्म २१  अगस्त को रिलीज़ होनी है।

Thursday 4 June 2015

कड़े पहरे में हो रही है बाजीराव मस्तानी की शूटिंग

​निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की आगामी फिल्म ​बाजीराव मस्तानी के सेट पर की गई सुरक्षा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था चर्चा में है।  शूटिंग स्थल पर अतिरिक्त सिक्योरिटी रखी गयी है। लेकिन, यह सिक्योरिटी दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा या रणवीर सिंह के लिए नहीं है।  सभी को पता है कि संजय लीला भंसाली की फिल्मों में बड़े और आलीशान सेट्स तैयार किये जाते हैं।  सितारों के  लुक को भी काफी महत्व दिया जाता है। बाजीराव मस्तानी तो एक ऐतिहासिक फिल्म है। फिल्म में हर किरदार का लुक असल लगे, इसका ख़ास ध्यान रखा जा रहा है।  खास तौर पर हर किरदार को असल जेवरात पहनाये गए हैं। इसलिए सेट पर तक़रीबन ३ करोड़ के जेवर हमेशा रखे रहते है । इन गहनो की हिफाजत के लिए ही संजय लीला भंसाली सेट पर कड़े पहरे के साथ ज्यादा सिक्योरिटी भी रखी है । 




Sunday 3 May 2015

नागरिक फिल्म ने जीते पांच राज्य पुरस्कार

निदेशक जयप्राद  देसाई की फिल्म नागरिक को 52 वें महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार में पांच श्रेणियों में सम्मानित  किया गया  हैं। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ सामाजिक फिल्म,  सर्वश्रेष्ठ सामाजिक फिल्म निर्देशक: जयप्राद देसाई,  सर्वश्रेष्ठ संवाद: महेश केलूसकर,  सर्वश्रेष्ठ गीत: संभाजी भगत और सर्वश्रेष्ठ छायांकन: देवेंद्र गोटलकर की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया । फिल्म  नागरिक का निर्माण आरती सचिन चव्हाण द्वारा किया गया है। वरिष्ठ फिल्म एवं रंगमंच अभिनेता डॉ श्रीराम लागू के अलावा सचिन खेडेकर, दिलीप प्रभावलकर और मिलिंद सोमन इस फिल्म में अहम भूमिकाओं में नज़र आएंगे ।  फिल्म एक सामाजिक-राजनीतिक घटना पर बनाई गई हैँ । जयप्राद कहते हैं, "मैं इस फिल्म को पांच श्रेणियों में मिली जीत के लिए बेहद खुश हूँ।"  फिल्म को मुंबई फिल्म समारोह (ममी) में अद्भुत प्रतिक्रिया मिली है। फिल्म 12 जून को सिनेमा घरों में प्रदर्शित होगी।
निदेशक जयप्राद को अपने कैरियर की शुरुआत में ही डॉ श्रीराम लागु, सचिन खेडेकर, दिलीप प्रभावलकर, रेसुल पुकुट्टी और भानु अथैया  जैसी प्रतिभाओं का सहयोग मिलना बेहद सुखद है। 



Thursday 9 April 2015

दिखाई जानी चाहिए प्राइम टाइम में मराठी फ़िल्में

महाराष्ट्र सरकार के मराठी फिल्मों को मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थिएटर में ६ से ९ के बीच दिखाने के निर्णय का बॉलीवुड द्वारा विरोध वाजिब नहीं लगता।  मराठी महाराष्ट्र राज्य की राजभाषा और उसकी बहुसंख्यक जनता की मातृ भाषा है।  मराठी फिल्मों को भी प्राइम टाइम में दिखाया जाएगा तो इससे उसके दर्शक बढ़ेंगे और मराठी फिल्म इंडस्ट्री विकसित होगी।  इस पर बॉलीवुड को अपने हितों का नुक्सान कैसे दिखाई पड़ रहा है।  अगर यह मान भी लिया जाए तो बॉलीवुड को सबसे पहले एकजुट हो कर हॉलीवुड फिल्मों का विरोध करना चाहिए, जो मल्टीप्लेक्स थेअटरों में १२ -१४ शोज में, प्राइम  टाइम में भी दिखाई जाती हैं।  अगर बॉलीवुड सच बोले तो बॉलीवड को हॉलीवुड से ही खतरा है।  हाल ही में 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७' ने दिबाकर बनर्जी की फिल्म 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' की वाट लगा दी।  दरअसल, बॉलीवुड के तमाम सुपर स्टार  वीकेंड्स के बनाये शेर हैं।  यह लोग दर्शकों में हाइप पैदा कर, अपनी इमेज के सहारे वीकेंड का ज़बरदस्त कलेक्शन करवा कर खुद को सुपर स्टार कहते हैं। अगर बॉलीवुड के कथित सुपर स्टार सचमुच इतने ही ताकतवर हैं  तो क्यों नहीं  तीनों खान अपनी फिल्मों को वर्ल्ड क्रिकेट कप और आईपीएल के दौरान रिलीज़ करते ? क्यों सुरक्षित दिवाली, ईद और क्रिसमस वीकेंड ढूंढते हैं ?
महाराष्ट्र सरकार को अपने निर्णय में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए।  हाँ, सिनेमा प्रबंधकों से छह महीने का तुलनात्मक आंकड़ा मंगवा कर देखा जा सकता है कि  उन्हें मराठी फिल्मों की रिलीज़ के कारण कितना नुक्सान हुआ ? वैसे मुम्बईकर निशाचर हैं. नाईट शो देखने के आदी है।  मल्टीप्लेक्स इस शोज को महँगा भी रखते हैं।  नुक्सान की भरपाई हो जाएगी। 

Tuesday 20 January 2015

सदाशिव अमरापुरकर की 'डब्बा आइस पाइस'

महान चरित्र अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर ने ख़राब स्वास्थ्य के कारण मुंबई और मायानगरी बॉलीवुड को काफी पहले छोड़ दिया था।  लेकिन, रंगमंच और सामाजिक कार्य में वह सक्रीय थे।  इस दौरान, उन्होंने मराठी फिल्मों में काम करना भी जारी रखा।  हालाँकि, चुनिंदा फिल्मे ही की। अमरापुरकर की ऐसी ही एक आखिरी फिल्म 'डब्बा आइस पाइस' भी है।  मराठी फिल्म "डब्बा आइस पाईस" की कहानी महाराष्ट्र के गाँवो में मौजूद मराठी भाषा के स्कूलों की संघर्ष गाथा है, जिन्हे आज के आधुनिक युग में मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानाध्यापक नाना चौधरी अपनी  मराठी पाठशाला को बंद होने से बचाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देतें हैं, क्यों कि इसी पाठशाला में गाँव के गरीब बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।  यह स्कूल सीमित आर्थिक  संसाधनो के कारण बंदी के कगार पर है।  पाठशाला के ट्रस्टी स्वयं उसे बंद कर एक आधुनिक साधनो के साथ एक इंग्लिश स्कूल खोलना चाहते हैं ताकि मुनाफा कमाया जा सके। नाना की बेटी शहर से अपनी पढाई पूरी करने के बाद गाँव आकर अपने पिता का साथ देती है। मानवता और शिक्षा के लिए इस अनूठी जंग को चित्रित  और शिक्षा के महत्व को दर्शाती है यह अनूठी फिल्म । सदाशिव अमरापुरकर के अलावा फिल्म के अन्य कलाकारों में  यतिन कर्येकर, गणेश यादव, कश्मीरा कुलकर्णी, अभय खडपकर, अंशुमाला पाटिल, राजेंद्र शीसत्कार, नंदिता धुरी और फाल्गुनी रजनी के नाम उल्लेखनीय हैं । फिल्म में निर्देशन मनीष जोशी का है। 






Wednesday 26 November 2014

कच्छ के रण में इंडियन प्रेमाचा लफड़ा

मराठी फिल्म इंडस्ट्री आजकल नए नए कमाल कर रही  है । सलमान खान, रितेश देशमुख और अजय देवगन जैसे हिंदी फिल्म जगत के जानेमाने कलाकार मराठी फ़िल्में बना रहे हैं और उनमे अभिनय भी कर रहे हैं । ऐसे में मोहनलाल पुरोहित और मुश्ताक अली ने एम आर पी के बैनर तले पहली फिल्म मराठी में  इंडियन प्रेमाचा लफड़ा रखा बनायी है । ख़ास बात यह है मोहनलाल और मुश्ताक दोनों ही मराठी नहीं हैं ।  पर उन्हें सब कुछ महाराष्ट्र से ही मिला है ।  इसलिए उन्होंने बतौर फिल्म निर्माता पहली फिल्म मराठी भाषा में बनायी है।  इंडियन प्रेमाचा लफड़ा ऎसी पहली मराठी फिल्म है, जिसकी शूटिंग गुजरात के रण में हुई है, जहाँ अब तक सिर्फ बड़ी हिंदी फिल्मों की ही शूटिंग हुई है । इस फिल्म के मुख्य कलाकारों में मिस हेरिटेज शीतल उपारे और स्वप्निल जोशी के नाम उल्लेखनीय है । फिल्म के निर्देशक दीपक कदम कहते हैं, "इंडियन प्रेमाचा लफड़ा एक ऐसे रिश्तों की कहानी है, जिसका कोई नाम नहीं है । फिल्म में इमोशन, प्यार, अफ़ेक्शन, ड्रामा और कॉमेडी  है ।

Saturday 15 November 2014

मिस हेरिटेज इंटरनेशनल मराठी फिल्म में

आम तौर पर मिस इंडिया, मिस  वर्ल्ड, मिस अर्थ, आदि आदि अपने फिल्म करियर की शुरुआत हिंदी फिल्म से करते हैं।  पर शीतल  उपारे इस मायने में अलग लगती हैं। वह अपने फिल्म करियर की शुरुआत एक मराठी फिल्म 'इंडियन प्रेमाचा लफड़ा' से कर रही हैं।  विदर्भ की शीतल उपारे २०१४ की मिस हेरिटेज इंटरनेशनल हैं। कुछ समय नागपुर में रहने के बाद शीतल  सिंगापुर चली गयीं और सिंगापुर एयर लाइन्स में काम करने लगी।  भारत वापस आने के बाद उन्होंने मिस हेरिटेज इंडिया में हिस्सा लिया और इस प्रतियोगिता को जीत लिया।  अब वह इसी साल होने वाले इंटरनेशनल फिनाले के लिए नेपाल जाएँगी। आईपीएल यानि इंडियन प्रेमाचा लफड़ा में प्यार ,इमोशन ,अफेक्शन, ड्रामा और कॉमेडी सब कुछ है। फिल्म का निर्माण  किया है मोहनलाल पुरोहित ने और एसोसिएट निर्माता  मुश्ताक अली हैं।  फिल्म के निर्देशक हैं दीपक कदम तथा संगीत दिया है आशीष डोनाल्ड ने । फिल्म १२ दिसंबर को महाराष्ट्र में रिलीज़ होगी।

Tuesday 15 April 2014

ज़ी सिम्स का झकास रियलिटी शो


जी सिम्स- ग्लोबल स्पोर्ट्स एंटरटेनमेंट एंड मीडिया सोलूशन्स प्राइवेट लिमिटेड ने मराठी भाषा के झकास चैनल के साथ मिलकर लक्स झकास हीरोइन का रियलिटी शो लांच किया।  इस शो में जीतनेवाली लड़की को मराठी फिल्म मितवा में मराठी फिल्मों के मशहूर अभिनेता स्वप्निल जोशी और सोनाली कुलकर्णी के साथ काम करने का  मौका मिलेगा। इस शो  लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की इतने कम समय में ही शोलापुर ,कोल्हापुर ,नाशिक ,पुणे और मुंबई से लगभग तीन हज़ार से ज़्यादा लड़कियों ने इस रियलिटी शो में अपना फॉर्म भरा। झकास ने इसमें से ३० लड़कियों को चुना. अब चुनी तीस लड़कियों में से मितवा के लिए हीरोइन चुनी जाएगी। जी सिम्स के अर्जुन बरन सिंह और कार्तिक निशानदार इस शो से काफी खुश हैं। दोनों ने झकास के अमर तिड़के और रोहन राणे का धन्यवाद दिया क्यूंकि उनके बिना ये संभव नहीं हो सकता था। उन्होंने कहा, ''इस रियलिटी शो के ज़रिये हम मराठी फिल्म इंडस्ट्री को एक नया कलाकार भी दे देंगे।" 
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