Thursday, 9 April 2015

दिखाई जानी चाहिए प्राइम टाइम में मराठी फ़िल्में

महाराष्ट्र सरकार के मराठी फिल्मों को मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन थिएटर में ६ से ९ के बीच दिखाने के निर्णय का बॉलीवुड द्वारा विरोध वाजिब नहीं लगता।  मराठी महाराष्ट्र राज्य की राजभाषा और उसकी बहुसंख्यक जनता की मातृ भाषा है।  मराठी फिल्मों को भी प्राइम टाइम में दिखाया जाएगा तो इससे उसके दर्शक बढ़ेंगे और मराठी फिल्म इंडस्ट्री विकसित होगी।  इस पर बॉलीवुड को अपने हितों का नुक्सान कैसे दिखाई पड़ रहा है।  अगर यह मान भी लिया जाए तो बॉलीवुड को सबसे पहले एकजुट हो कर हॉलीवुड फिल्मों का विरोध करना चाहिए, जो मल्टीप्लेक्स थेअटरों में १२ -१४ शोज में, प्राइम  टाइम में भी दिखाई जाती हैं।  अगर बॉलीवुड सच बोले तो बॉलीवड को हॉलीवुड से ही खतरा है।  हाल ही में 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७' ने दिबाकर बनर्जी की फिल्म 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' की वाट लगा दी।  दरअसल, बॉलीवुड के तमाम सुपर स्टार  वीकेंड्स के बनाये शेर हैं।  यह लोग दर्शकों में हाइप पैदा कर, अपनी इमेज के सहारे वीकेंड का ज़बरदस्त कलेक्शन करवा कर खुद को सुपर स्टार कहते हैं। अगर बॉलीवुड के कथित सुपर स्टार सचमुच इतने ही ताकतवर हैं  तो क्यों नहीं  तीनों खान अपनी फिल्मों को वर्ल्ड क्रिकेट कप और आईपीएल के दौरान रिलीज़ करते ? क्यों सुरक्षित दिवाली, ईद और क्रिसमस वीकेंड ढूंढते हैं ?
महाराष्ट्र सरकार को अपने निर्णय में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए।  हाँ, सिनेमा प्रबंधकों से छह महीने का तुलनात्मक आंकड़ा मंगवा कर देखा जा सकता है कि  उन्हें मराठी फिल्मों की रिलीज़ के कारण कितना नुक्सान हुआ ? वैसे मुम्बईकर निशाचर हैं. नाईट शो देखने के आदी है।  मल्टीप्लेक्स इस शोज को महँगा भी रखते हैं।  नुक्सान की भरपाई हो जाएगी। 

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