कभी पूनम दासगुप्ता का जलवा हुआ करता था। १९८७ में रिलीज़ बी-ग्रेड फिल्म 'हिरासत' की नायिका के बतौर उनका बॉलीवुड डेब्यू हुआ था। उन्होंने महा-ग्लैमरस या यो कहा जाए सेक्सी भूमिकाओं में अपना परचम लहराया। इन्ही फिल्मों से उन्हें फिल्म 'मिस्टर बांड' में अक्षय कुमार के बांड की बांड गर्ल बनने का मौका मिला। फिर वह भयावनी फिल्मों का एक आइटम बन गई। उन्हें ख़ास प्रकार के भूमिकाओं में बदन उघड़ने, डरने का चेहरा बनाने और डराने का काम मिलने लगा। इन प्रकार से उन्होंने १५० के लगभग फ़िल्में की। उन्होंने बेताल पचीसी, ब्लैक कैट, बस स्टॉप की रात, कमांडर, कभी हाँ कभी ना, किस्मत और क्या बात है, आदि टीवी सीरियलों में भी अभिनय किया। अभी उन्होंने अपने बेटे नवम की पहली वर्षगांठ मनाई। इस मौके पर टीवी और फिल्मों की तमाम हस्तियां महेश ठाकुर, दीपक पराशर, सारा खान, सुरेन्द्र पाल, तनुज गर्ग, वंदना सजनानी, आदि अलावा एमएलए असलम शेख मौजूद थे। जब पूनम दासगुप्ता से उनकी फ्यूचर प्रोजेक्ट में बारे में पूछा तो उन्होंने ग्लैमर वर्ल्ड की बातें करने से साफ इंकार कर दिया।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Monday, 20 April 2015
अब माँ के रोल में पूनम दासगुप्ता
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हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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