@Netflix पर
फिल्म #Maharaj थोड़ी देर
पहले देखी . इस फिल्म से #AmirKhan के
बेटे @junaidkhan का डेब्यू हुआ
है.
इस फिल्म के बारे में यह कहा जा सकता
है कि यह फिल्म हिन्दू धर्म पर सीधा हमला नहीं करती, एक व्यक्ति की
आड़ लेती है. किन्तु, कहीं न कहीं इशारा अवश्य करती है. जो
प्रथा ३50 साल पहले ख़त्म
हो गई हो, उसे
आज दिखाने का क्या उद्देश्य हो सकता है ?
दूसरी बात, जुनैद खान में
हीरो मटेरियल नहीं है. वह झुके कंधे वाले व्यक्तित्व है. अभिनय ठीकठाक करते है. पर
फिल्मों के लायक नहीं.
अब एक बात इस फिल्म के बारे में. @NetflixIndia #AdityaChopra, @yrf को यह फिल्म बनाने की क्या आवश्यकता थी. इसका विषय न समाज सुधारक है, न समकालीन है. एक ख़त्म हो गई प्रथा को दिखाने की क्या आवश्यकता थी ? यदि आप दिखाना चाहते हैं तो लिंचिंग दिखाइए, सर तन से जुदा दिखाइए. मंदिर मठ का दिखाना है तो मस्जिदों का दिखाइए. मस्जिद मदरसों में होने वाले यौन शोषण पर प्रकाश डालिए.
आदित्य चोपड़ा के ताऊ बलदेव राज चोपड़ा
ने ४२ साल पहले फिल्म निकाह बना कर उस समय तहलका मचा दिया था. तीन बार तलाक बोल कर
बीवी को छोड़ देने की पूरी प्रथा आज भी कायम है. आदित्य चोपड़ा अपनी लेखक #KausarMunir को इस काम पर क्यों नहीं लगाते ? उनसे हलाला और
मुताअ पर लिखवाइए. वह इसे बहुत अच्छी तरह से जानती है. उनके दिल में आक्रोश भी
होगा.
चलिए मान लेते है कि यशराज फिल्म्स
और आदित्य चोपड़ा की मुसलमानों से फूक सरकती है, तो क्यों नहीं वह १७७० के सन्यासी विद्रोह पर फिल्म बनाते, जो हिन्दू धर्म
के सन्यासियों के देश के प्रति समर्पण को दर्शाने वाला है.
लेकिन, शायद यशराज
फिल्मस ऐसा नहीं कर पायेगा. क्योंकि, उसकी नीयत में खोट है. वह तो तिलक
वाले को ही कतलिया दिखा सकता है, स्कल कैप वाला
तो माई बाप है.
#JunaidKhan की मेहनत इस फिल्म में बर्बाद गई है. @joydeepg9 को कितने पैसे चाहिए कि वह एक रद्दी सा चरित्र भी करने को तैयार हो जाते है. क्या निर्देशक #SiddharthPMalhotra किसी समकालीन समस्या पर हिन्दू धर्म की अच्छाइयों को दिखाने वाली कोई फिल्म दिखा पाएंगे ? शायद नहीं. उनकी सोच वहां तक जा नहीं पाती, बहुत पहले ही दम तोड़ देती है.