Tuesday 20 January 2015

सेंसर बोर्ड चीफ पहलाज निहलानी की कैसी होगी पहल !


लीला सेमसन की राजनीतिक  पैंतरेबाज़ी के कारण, उनका कुशासन थोड़ा पहले ख़त्म हो गया है।  अब केंद्र सरकार ने उनकी जगह फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी को नया बोर्ड चीफ बनाया है।  बॉलीवुड को पहलाज को चीफ बनाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करना चाहिए।  ख़ास बात यह है कि पहलाज खुद भी फिल्म  उद्योग से हैं। उन्हें फिल्म बनाने और फिल्म वालों की संस्थाएं चलाने का अनुभव है। वह पिछले ३२ सालों से फिल्म उद्योग में हैं।  इस दौरान उन्होंने कोई  डेढ़ दर्जन फ़िल्में बनाई हैं।  उन्हें माध्यम की समझ है।  उद्योग की समस्या भी समझते हैं।  उनकी बतौर निर्माता फ़िल्में एक्शन और कॉमेडी वाली मनोरंजक फ़िल्में हुआ करती थीं।  उन्होंने हथकड़ी, आंधी तूफ़ान,  इलज़ाम, आग ही आग, पाप की दुनिया मिटटी और सोना, शोला और शबनम, आग का गोला, आँखे, अंदाज़, आदि सुपर डुपेर हिट फ़िल्में बनाई हैं।  उन्होंने अपनी फिल्म हिट कराने के लिए कभी सस्ते प्रचार या नायिका के अंग प्रदर्शन का सहारा नहीं लिया।  गोविंदा और चंकी पाण्डेय जैसे एक्टरों का करियर उन्ही की फिल्मों से परवान चढ़ा। पहलाज फिल्म निर्माताओं की समस्या के प्रति हमेशा सजग रहे हैं।  लीला सेमसन के भ्रष्ट सेंसर बोर्ड की कटु आलोचना करने वाले और फिल्म पारित कराने का रेट कार्ड बताने वाले पहलाज निहलानी अब सेंसर बोर्ड की सर्वोच्च कुर्सी पर हैं।  हालाँकि, कहा जा सकता है कि उन्हें यह कुर्सी बीजेपी संसद शत्रुघ्न सिन्हा का साला होने के करने मिली।  लेकिन, अगर उन्होंने सेंसर बोर्ड को भ्रष्टाचार से पर सजग संस्था साबित कर दिया तो उन पर 'चीफ साला' का दाग नहीं लग पायेगा।




बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस पर सोनम की 'डॉली की डोली' और अक्षय की 'बेबी'

इस साल का रिपब्लिक डे वीकेंड दिलचस्प होगा। पिछले कुछ सालों से बॉलीवुड की रिपब्लिक डे वीकेंड में खासी रूचि  रही है।  बड़े बजट और बड़े सितारों वाली फ़िल्में  इस वीकेंड में रिलीज़ होती रही हैं। काफी फिल्मों ने सौ करोडिया बिज़नेस भी किया है। यही कारण है कि इस साल रिपब्लिक डे वीकेंड पर दो फ़िल्में रिलीज़ हो रही हैं।  अक्षय कुमार की फिल्म 'बेबी' नाम से अलग एक देश भक्ति के जज़्बे वाली फिल्म है।  नीरज गुप्ता की इस फिल्म में अक्षय कुमार ने इंटेलिजेंस एजेंट अजय सिंह राजपूत की भूमिका की है। अजय और उसके साथ आतंकवादी ताकतों का खत्म करने के लिए उनका  काठमांडू,इस्ताम्बुल, अबु धाबी, आदि की विदेशी ज़मीन पर भी सामना करते हैं। इंडिपेंडेंस वीकेंड के दौरान दर्शकों में देश भक्ति के ज्वार को देखते हुए बेबी दर्शकों की प्रिय 'बेबी' फिल्म साबित हो सकती है। 'अ वेडनेसडे' और 'स्पेशल २६' जैसी फिल्मों से नीरज पाण्डेय ने साबित कर दिया है कि  थ्रिलर थीम पर पकड़ के लिहाज़ से उनका कोई मुक़ाबला नहीं। उनका और अक्षय कुमार का फिल्म 'स्पेशल २६' में साथ रंग लाया था।  अनुपम खेर इस रंग को चोखा करते हैं।  इस बार तो 'बेबी' में इन दोनों के अलावा दक्षिण से राणा डग्गुबाती, केके और सुशांत सिंह जैसे सशक्त अभिनेताओं का भी साथ मिला है। तापसी पन्नू और मधुरिमा तुली ग्लैमर के रंग बिखेरेंगी।  पाकिस्तान के दर्शकों के लिए उनके फिल्म और टीवी के दो अभिनेता रशीद नाज़ और मिकाल ज़ुल्फ़िकार को लिया गया है।  भारतीय दर्शक भी रशीद नाज़ को फिल्म ' खुदा के लिए' से पहचानते हैं। ज़ी ज़िन्दगी से प्रसारित सीरियल 'धूप छाँव' और 'आइना दुल्हन का' के ज़रिये भारतीय दर्शक मिकाल ज़ुल्फ़िकार को भी पहचानते हैं। कुल मिला कर ऐसा लगता है जैसे रिपब्लिक डे वीकेंड 'बेबी' का होने जा रहा है। परन्तु कहानी में  पेंच है।  'डॉली की डोली' भी आ रही है।  एक चोरनी लड़की की शादी कर ठगी करने की 'डॉली की डोली' में सोनम कपूर डॉली की भूमिका में है। इस रोमकॉम फिल्म का निर्देशन अभिेषक डोगरा कर रहे है।  फिल्म के निर्माता अरबाज़ खान हैं। उन्होंने दबंग और दबंग २ का निर्माण किया था।  उनका बैनर अरबाज़ खान फिल्म्स बड़ा बैनर माना जाता है।  इस लिहाज़ से वह 'डॉली की डोली' के प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।  'डॉली की डोली' में सोनम कपूर को भी राजकुमार राव, पुलकित सम्राट और वरुण शर्मा जैसे प्रतिभाशाली और युवा एक्टरों का साथ मिला है।  सोनम ज़रूर चाहेंगी कि  उनकी रोमांटिक कॉमेडी का रंग थ्रिलर पर चढ़ जाए।  इसलिए सोनम कपूर और अक्षय कुमार की फिल्मों का मुक़ाबला दिलचस्प मोड़ पर है।  अमूमन, नायक प्रधान फ़िल्में नायिका प्रधान फिल्मों पर बढ़त हासिल करती हैं। फिर 'बेबी' तो अक्षय कुमार जैसे अभिनेता की फिल्म है। इसलिए, हाल फिलहाल, डॉली से बेबी काफी आगे नज़र आ रही है।  लेकिन, डॉली की डोली का कॉमेडी रोमांस दर्शकों को अपनी और खींचेगा।  रिपब्लिक डे वीकेंड में संभावनाएं काफी है।  दो फ़िल्में तो बॉक्स ऑफिस पर ज़लवा जमा सकती हैं। बस जलवा होना चाहिए! डॉली के पास तो मलाइका अरोरा  खान का आइटम सांग जलवा है न !!!
रिपब्लिक डे वीकेंड में कितना दम  है, इसे परखना हो तो पिछले पांच सालों के रिपब्लिक डे वीकेंड में रिलीज़ फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर नज़र डालनी होगी।  पेश है ऎसी पांच साल की फ़िल्में-
जय हो- २०१४ में रिलीज़ सलमान खान की इस फिल्म से बॉलीवुड को काफी उम्मीदें थी।  यह फिल्म आम आदमी से जुडी फिल्म भी बताई जा रही थी।  यह प्रचारित किया जा रहा था कि सोये हुए शेर के उंगली मत करना, जाग गया तो फाड़ के रख देगा।  लेकिन, बॉक्स ऑफिस पर सलमान खान की जय न हो सकी।   हालाँकि, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सौ करोड़ का बिज़नेस किया।  लेकिन, अपनी बड़ी लागत के कारण  'जय हो' हिट फिल्म का तमगा नहीं पा सकी। 
रेस २ और आकाशवाणी- रिपब्लिक डे वीकेंड २०१३ में तीन फ़िल्में रेस २ और आकाशवाणी के अलावा एनीमेशन मैं कृष्णा हूँ रिलीज़ हुई।  रेस २ ने पहले वीकेंड में ६० करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस किया। आकाशवाणी को उत्तर भारत में ठीक ठाक बिज़नेस कर पाने में कामयाबी मिली।  रेस २ और आकाशवाणी, दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्मों में शुमार हुई। 
अग्निपथ- ह्रितिक रोशन पहली बार रिपब्लिक डे वीकेंड में अपना भाग्य आजमा रहे थे।  उनकी करण मेहरोत्रा निर्देशित फिल्म 'अग्निपथ' बॉक्स ऑफिस पर एकछात्र राज कर रही थी। यह फिल्म इसी नाम की १९९० में रिलीज़ अमिताभ बच्चन की फिल्म का रीमेक थी। अग्निपथ के कारण १३ जनवरी को चालीस चौरासी, घोस्ट और साड्डा हक़ के बाद अगली फिल्म ३ फरवरी को ही रिलीज़ हुई।  कटरीना कैफ के 'चिकनी चमेली' आइटम ने फिल्म को दर्शकों के बीच चर्चित बना रखा था।  इसलिए फिल्म ने पहले ही २१.७६ करोड़ का रिकॉर्ड तोड़ बिज़नेस किया।
धोबी घाट- दिल तो बच्चा है जी- अजय देवगन चाहते थे कि  वह अपनी फिल्म 'दिल तो बच्चा है जी' को एक्सटेंडेड रिपब्लिक डे वीकेंड २०११ का फायदा उठाने के लिए २८ जनवरी के बजाय २६ जनवरी को रिलीज़ करें।  लेकिन, आमिर खान ने अपनी मज़बूत स्थिति का फायदा उठाते हुए, अजय को ऐसा नहीं करने दिया।  क्योंकि, आमिर खान की बीवी किरण राव की फिल्म 'धोबी घाट'  २१ जनवरी को रिलीज़ हुई थी।  वह नहीं चाहते थे कि  धोबी घाट को एक पूरा वीक न मिले। इसलिए उन्होंने वितरको के हाथ उमेठ कर अजय देवगन की फिल्म को २६ जनवरी को रिलीज़ होने से रोक दिया। 
वीर-इश्क़िया- रण - २०१० की २६ जनवरी मंगलवार को पड़ी थी। इसे एक्सटेंडेड वीकेंड बनाने की कोशिशें सलमान खान ने वीर (२२ जनवरी) और अमिताभ बच्चन ने रण (२९ जनवरी) के ज़रिये की।  लेकिन, यह दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हुई।  बाज़ी मारी अभिषेक चौबे की विद्या बालन, नसीरुद्दीन शाह और अरशद वारसी अभिनीत फिल्म 'इश्क़िया' ने।  एक बुरी औरत कृष्णा की भूमिका में विद्या बालन ने खुद के साथ फिल्म के लिए भी मैदान मार लिया। 
 

अपने प्रशंसकों को कभी हँसाऊं और कभी डराऊँ ---- हेमंत पाण्डेय

लोकप्रिय टी वी धारावाहिक "ऑफिस ऑफिस" के पाण्डेय जी यानि हेमंत पाण्डेय इन दिनों बहुत चर्चा में हैं।  ३० जनवरी को उनकी फिल्म "चल गुरु हो जा शुरू " रिलीज़ हो  रही है ।  हेमंत की यह फिल्म आज के धर्म गुरुओं पर कटाक्ष करती है । किस तरह से धर्म गुरु और बाबा अपनी कुत्सित इच्छाओं को पूरा करने के लिए आम जनता को मूर्ख बनाते हैं । हिमालयन ड्रीम्स के बैनर तले   बनी इस  फिल्म के  निर्देशक हैं मनोज शर्मा।  पिछले दिनों हेमंत पाण्डेय से हुई बातचीत के मुख्य अंश - 
फिल्म का नाम कुछ अलग सा है "चल गुरु हो जा शुरू ।  फिल्म की कहानी क्या है ?                                    
चल गुरु हो जा शुरू”  की  कहानी उन धर्म गुरुओं और  बाबाओं की है, जो जनता अंधभक्ति का फायदा उठाते हैं और उन्हें मूर्ख बनाते है। हमने अपनी  फिल्म के जरिये लोगों को यह सन्देश देने  कोशिश की है कि इन धर्म गुरुओं और बाबाओं पर अंध विश्वास मत करिये।  
आपकी क्या भूमिका है ?                                                                                                                            
मैंने  एक धर्म गुरु  का किरदार किया है।   
इस किरदार के लिए क्या - क्या तैयारियाँ  की  ?                                                               
मैं उत्तराखंड का रहने वाला हूँ। उत्तराखंड को  देव भूमि  भी कहा जाता है। वहां तो कदम - कदम पर  मंदिर हैं।  बचपन से ही मैं देखता आया हूँ मंदिर के पुजारी  - बाबाओं को।  इसके अलावा पिछले कुछ दिनों बड़े - बड़े बाबा और बापू हमारे यहाँ  काफी चर्चित रहे तो टी वी चैनल पर उनको देखा और बाकी सब हमारी फिल्म के निर्देशक मनोज जी ने जैसा कहा मैंने किया बस ।  
 "पीके" में भी यही सब दिखाया गया था ।  अगर 'पीके'  की तरह आपकी फिल्म का भी विरोध हुआ तब ?   
जैसे कुछ लोग अच्छे और कुछ लोग बुरे होते हैं वैसे ही कुछ गुरु अच्छे और कुछ बुरे होते हैं। हमने भी वही सब दिखाने की कोशिश की है।  जो बुरे हैं उनसे बचें।  किसी की भी अंध भक्ति न करें।  अपने दिमाग का इस्तेमाल ज़रूर करें।  
आपकी आने वाली फ़िल्में कौन कौन सी हैं ?                                                                                                   
इस फिल्म के बाद  निर्देशक मनोज शर्मा की एक और फिल्म कर रहा हूँ "प्रकाश इलेक्ट्रॉनिक्स" में मैं ऋषिता भट्ट के साथ  हूँ। फिर "वाह ताज " है, जिसमें मैं भ्रष्ठ राजनीतिज्ञ बना हूँ।  श्रेयस तलपडे और मंजरी फडणीस मुख्य भूमिकाओं  में हैं। राजीव रुइयाँ की "लखनवी इश्क़में मैं मुख्य खलनायक हूँ ।  फिर चोर बाज़ारी और लॉलीपॉप हैं।  एक फिल्म और है जो कि मेरे लिए बहुत ही अहम है "डाटर्स ड्रीम्स".  इस फिल्म में मैंने भूमिकायें अभिनीत की हैं।  डेल्ही फिल्म फेस्टिवल और जयपुर में हुए वूमेन इंटरनेशनल फेस्टिवल मे इस फिल्म को  काफी सराहना और अवार्ड मिल चुके हैं। 
यानि इस साल में दर्शक आपको सिर्फ हास्य भूमिकाओं में नही बल्कि अलग - अलग किरदारों में देख सकेगें ?                
बिलकुल मेरी यही कोशिश है कि अपने प्रशंसकों का मैं मनोरंजन करूँ। कभी उन्हें हँसाऊं और कभी डराऊँ। 


सदाशिव अमरापुरकर की 'डब्बा आइस पाइस'

महान चरित्र अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर ने ख़राब स्वास्थ्य के कारण मुंबई और मायानगरी बॉलीवुड को काफी पहले छोड़ दिया था।  लेकिन, रंगमंच और सामाजिक कार्य में वह सक्रीय थे।  इस दौरान, उन्होंने मराठी फिल्मों में काम करना भी जारी रखा।  हालाँकि, चुनिंदा फिल्मे ही की। अमरापुरकर की ऐसी ही एक आखिरी फिल्म 'डब्बा आइस पाइस' भी है।  मराठी फिल्म "डब्बा आइस पाईस" की कहानी महाराष्ट्र के गाँवो में मौजूद मराठी भाषा के स्कूलों की संघर्ष गाथा है, जिन्हे आज के आधुनिक युग में मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानाध्यापक नाना चौधरी अपनी  मराठी पाठशाला को बंद होने से बचाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देतें हैं, क्यों कि इसी पाठशाला में गाँव के गरीब बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।  यह स्कूल सीमित आर्थिक  संसाधनो के कारण बंदी के कगार पर है।  पाठशाला के ट्रस्टी स्वयं उसे बंद कर एक आधुनिक साधनो के साथ एक इंग्लिश स्कूल खोलना चाहते हैं ताकि मुनाफा कमाया जा सके। नाना की बेटी शहर से अपनी पढाई पूरी करने के बाद गाँव आकर अपने पिता का साथ देती है। मानवता और शिक्षा के लिए इस अनूठी जंग को चित्रित  और शिक्षा के महत्व को दर्शाती है यह अनूठी फिल्म । सदाशिव अमरापुरकर के अलावा फिल्म के अन्य कलाकारों में  यतिन कर्येकर, गणेश यादव, कश्मीरा कुलकर्णी, अभय खडपकर, अंशुमाला पाटिल, राजेंद्र शीसत्कार, नंदिता धुरी और फाल्गुनी रजनी के नाम उल्लेखनीय हैं । फिल्म में निर्देशन मनीष जोशी का है। 






Monday 19 January 2015

सीरियल 'हमसफर्स' में भारत चावड़ा का दबंग अवतार

रोमांटिक सी शुरुआत करने वाला सीरियल 'हमसफर्स' अब थ्रिलर  मूड में आ गया है। नियामत हाउस में कई रहस्यपूर्ण घटनाएँ होने लगी हैं। साहिर और आरज़ू इन घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति की तलाश में हैं। कुर्ती अप्पा इन बुरी घटनाओं के लिए आरज़ू को दोषी मानती हैं। लेकिन, साहिर आरज़ू का समर्थन करता है। ऐसे समय में एक नया करैक्टर सीरियल को मोड़ देने आ रहा है।  यह करैक्टर है विक्रम सिंह राठोर का। विक्रम एक हरियाणवी पुलिसकर्मी है, जो नौकरानी के क़ातिल को पकड़ना चाहता है। अभिनेता भारत चावड़ा इस हरियाणवी किरदार को कर रहे हैं। विक्रम का करैक्टर सलमान खान की फिल्म दबंग के चुलबुल पाण्डेय से प्रेरित है। विक्रम ईमानदार, सख्त और बात बात पर ताने मारने वाला आदमी है।  विक्रम के किरदार के आने से हमसफर्स का माहौल बदलेगा। वह अपनी घुमावदार पूछताछ से साहिर को भी परेशान कर देगा। ज़ाहिर है कि टीवी दर्शकों के लिए विक्रम के किरदार के साथ हमसफर्स देखना ज़्यादा आनंददायक होगा।



Sunday 18 January 2015

फोटो फीचर 'लव चक्र'

Displaying Love Chakra 2.JPGDisplaying Love Chakra1.JPGDisplaying Love Chakra4.JPGDisplaying Love Chakra7.JPGDisplaying Love chakra8.JPGDisplaying Love chakra9.JPGDisplaying Love chakra10.JPGDisplaying Love chakra11.JPGDisplaying Love chakra12.JPGDisplaying Love Charkra 3.JPGDisplaying Love Chakra5.JPGDisplaying Love Chakra6.JPG

आरुषि हत्याकांड पर 'रहस्य'

मनीष गुप्ता निर्देशित फिल्म 'रहस्य' कहानी है उत्तर प्रदेश के मशहूर आरुषि मर्डर केस की।  इस रियल लाइफ स्टोरी पर फिल्म अपने निर्माण से ही विवादों में घिरी रही।  अब देखने वाली बात होगी कि 'रहस्य' रिलीज़ हो पायेगी ? रिलीज़ होने के बावजूद फिल्म को कितने दर्शक मिल पाएंगे, इस पर भी दर्शकों की निगाहें होंगी।  पेश है फिल्म रहस्य के कुछ गहरे क्षण-