Tuesday, 20 January 2015

अपने प्रशंसकों को कभी हँसाऊं और कभी डराऊँ ---- हेमंत पाण्डेय

लोकप्रिय टी वी धारावाहिक "ऑफिस ऑफिस" के पाण्डेय जी यानि हेमंत पाण्डेय इन दिनों बहुत चर्चा में हैं।  ३० जनवरी को उनकी फिल्म "चल गुरु हो जा शुरू " रिलीज़ हो  रही है ।  हेमंत की यह फिल्म आज के धर्म गुरुओं पर कटाक्ष करती है । किस तरह से धर्म गुरु और बाबा अपनी कुत्सित इच्छाओं को पूरा करने के लिए आम जनता को मूर्ख बनाते हैं । हिमालयन ड्रीम्स के बैनर तले   बनी इस  फिल्म के  निर्देशक हैं मनोज शर्मा।  पिछले दिनों हेमंत पाण्डेय से हुई बातचीत के मुख्य अंश - 
फिल्म का नाम कुछ अलग सा है "चल गुरु हो जा शुरू ।  फिल्म की कहानी क्या है ?                                    
चल गुरु हो जा शुरू”  की  कहानी उन धर्म गुरुओं और  बाबाओं की है, जो जनता अंधभक्ति का फायदा उठाते हैं और उन्हें मूर्ख बनाते है। हमने अपनी  फिल्म के जरिये लोगों को यह सन्देश देने  कोशिश की है कि इन धर्म गुरुओं और बाबाओं पर अंध विश्वास मत करिये।  
आपकी क्या भूमिका है ?                                                                                                                            
मैंने  एक धर्म गुरु  का किरदार किया है।   
इस किरदार के लिए क्या - क्या तैयारियाँ  की  ?                                                               
मैं उत्तराखंड का रहने वाला हूँ। उत्तराखंड को  देव भूमि  भी कहा जाता है। वहां तो कदम - कदम पर  मंदिर हैं।  बचपन से ही मैं देखता आया हूँ मंदिर के पुजारी  - बाबाओं को।  इसके अलावा पिछले कुछ दिनों बड़े - बड़े बाबा और बापू हमारे यहाँ  काफी चर्चित रहे तो टी वी चैनल पर उनको देखा और बाकी सब हमारी फिल्म के निर्देशक मनोज जी ने जैसा कहा मैंने किया बस ।  
 "पीके" में भी यही सब दिखाया गया था ।  अगर 'पीके'  की तरह आपकी फिल्म का भी विरोध हुआ तब ?   
जैसे कुछ लोग अच्छे और कुछ लोग बुरे होते हैं वैसे ही कुछ गुरु अच्छे और कुछ बुरे होते हैं। हमने भी वही सब दिखाने की कोशिश की है।  जो बुरे हैं उनसे बचें।  किसी की भी अंध भक्ति न करें।  अपने दिमाग का इस्तेमाल ज़रूर करें।  
आपकी आने वाली फ़िल्में कौन कौन सी हैं ?                                                                                                   
इस फिल्म के बाद  निर्देशक मनोज शर्मा की एक और फिल्म कर रहा हूँ "प्रकाश इलेक्ट्रॉनिक्स" में मैं ऋषिता भट्ट के साथ  हूँ। फिर "वाह ताज " है, जिसमें मैं भ्रष्ठ राजनीतिज्ञ बना हूँ।  श्रेयस तलपडे और मंजरी फडणीस मुख्य भूमिकाओं  में हैं। राजीव रुइयाँ की "लखनवी इश्क़में मैं मुख्य खलनायक हूँ ।  फिर चोर बाज़ारी और लॉलीपॉप हैं।  एक फिल्म और है जो कि मेरे लिए बहुत ही अहम है "डाटर्स ड्रीम्स".  इस फिल्म में मैंने भूमिकायें अभिनीत की हैं।  डेल्ही फिल्म फेस्टिवल और जयपुर में हुए वूमेन इंटरनेशनल फेस्टिवल मे इस फिल्म को  काफी सराहना और अवार्ड मिल चुके हैं। 
यानि इस साल में दर्शक आपको सिर्फ हास्य भूमिकाओं में नही बल्कि अलग - अलग किरदारों में देख सकेगें ?                
बिलकुल मेरी यही कोशिश है कि अपने प्रशंसकों का मैं मनोरंजन करूँ। कभी उन्हें हँसाऊं और कभी डराऊँ। 


No comments: