लीला सेमसन की राजनीतिक पैंतरेबाज़ी के कारण, उनका कुशासन थोड़ा पहले ख़त्म हो गया है। अब केंद्र सरकार ने उनकी जगह फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी को नया बोर्ड चीफ बनाया है। बॉलीवुड को पहलाज को चीफ बनाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करना चाहिए। ख़ास बात यह है कि पहलाज खुद भी फिल्म उद्योग से हैं। उन्हें फिल्म बनाने और फिल्म वालों की संस्थाएं चलाने का अनुभव है। वह पिछले ३२ सालों से फिल्म उद्योग में हैं। इस दौरान उन्होंने कोई डेढ़ दर्जन फ़िल्में बनाई हैं। उन्हें माध्यम की समझ है। उद्योग की समस्या भी समझते हैं। उनकी बतौर निर्माता फ़िल्में एक्शन और कॉमेडी वाली मनोरंजक फ़िल्में हुआ करती थीं। उन्होंने हथकड़ी, आंधी तूफ़ान, इलज़ाम, आग ही आग, पाप की दुनिया मिटटी और सोना, शोला और शबनम, आग का गोला, आँखे, अंदाज़, आदि सुपर डुपेर हिट फ़िल्में बनाई हैं। उन्होंने अपनी फिल्म हिट कराने के लिए कभी सस्ते प्रचार या नायिका के अंग प्रदर्शन का सहारा नहीं लिया। गोविंदा और चंकी पाण्डेय जैसे एक्टरों का करियर उन्ही की फिल्मों से परवान चढ़ा। पहलाज फिल्म निर्माताओं की समस्या के प्रति हमेशा सजग रहे हैं। लीला सेमसन के भ्रष्ट सेंसर बोर्ड की कटु आलोचना करने वाले और फिल्म पारित कराने का रेट कार्ड बताने वाले पहलाज निहलानी अब सेंसर बोर्ड की सर्वोच्च कुर्सी पर हैं। हालाँकि, कहा जा सकता है कि उन्हें यह कुर्सी बीजेपी संसद शत्रुघ्न सिन्हा का साला होने के करने मिली। लेकिन, अगर उन्होंने सेंसर बोर्ड को भ्रष्टाचार से पर सजग संस्था साबित कर दिया तो उन पर 'चीफ साला' का दाग नहीं लग पायेगा।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 20 January 2015
सेंसर बोर्ड चीफ पहलाज निहलानी की कैसी होगी पहल !
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हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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