आज मशहूर फिल्म संगीतकार राहुल देव ,बर्मन उर्फ़ पंचम की पुण्य तिथि है। २१ साल पहले, केवल ५५ साल की छोटी उम्र में पंचम का देहांत हो गया था। राहुल देव बर्मन, हालाँकि एक बड़े संगीतकार सचिन देव बर्मन के घर में पैदा हुए थे, इसलिए उनका संगीत पर अच्छी पकड़ होना स्वाभाविक था। लेकिन, साथ ही संगीत के वट वृक्ष सचिन दा की छाया में पलने की त्रासदी भी थी। राहुल जो भी धुन तैयार करते उसमे उनके पिता के संगीत की छाप देखी जाती। वास्तविकता तो यह है कि राहुल देव बर्मन को पंचम नाम ही पंचम सुर पर मिला था। क्योंकि, जब वह रोते थे तो उनके पास पडोसी कहते थे कि वह पंचम सुर में रो रहे हैं। सचिन देव बर्मन को शास्त्रीय और लोक संगीत का ज़बरदस्त ज्ञान था। वह बॉलीवुड फिल्मों के लिए १९४६ से संगीत दे रहे थे। ऐसे में जबकि पिता बॉलीवुड म्यूजिक के टॉप पर हो, बेटे आरडी बर्मन को कौन पूछता। हालाँकि, पंचम को प्रारंभिक फ़िल्में भी अपने पिता के कारण ही मिली थी। बताते हैं कि 'ऐ मेरी टोपी पलट के आ' गीत की रचना पंचम ने ही की थी, जिसे सचिन दा ने फिल्म फंटूश में उपयोग किया था। इसके अलावा, फिल्म प्यासा' के 'सर जो तेरा चकराए' की संरचना भी नन्हे राहुल देव बर्मन की उँगलियों ने ही पैदा की थी। बतौर असिस्टेंट संगीत निर्देशक आरडी बर्मन ने अपने पिता को फिल्म 'चलती का नाम गाडी', 'कागज़ के फूल', 'तेरे घर के सामने', 'बंदिनी', 'ज़िद्दी', आदि में सहयोग किया। पंचम को पहली फिल्म दी बचपन के दोस्त महमूद ने। लेकिन, पंचम को यह फिल्म अपने पिता के कारण ही मिली थी। महमूद ने जब बतौर निर्माता फिल्म बनाने का निर्णय लिया, तब फिल्म 'छोटे नवाब' का संगीत देने के लिए सचिन दा के पास गए। सचिन दा के पास तारीखे नहीं थी। महमूद ने पंचम से संगीत देने के लिए कहा। झिझकते हुए पंचम ने फिल्म का संगीत दिया। १९६१ में रिलीज़ फिल्म 'छोटे नवाब' फ्लॉप हुई। पंचम के संगीत की प्रशंसा की गयी। लेकिन, उनके सबसे लोकप्रिय गीत 'घर आजा घिर आये बदरा' में पिता के संगीत की छाप देखी गयी। राहुल देव बर्मन को बॉलीवुड का पंचम बनाया नासिर हुसैन की फिल्म 'तीसरी मंज़िल' ने। इस फिल्म के जैज़ म्यूजिक ने फिल्म को सुपर हिट बनाया ही, आरडी बर्मन को भी हिट कर दिया। हालाँकि, छोटे नवाब से तीसरी मंज़िल के बीच राहुल ने 'पड़ोसन', 'कटी पतंग', 'द ट्रैन', 'हलचल', 'कारवां', 'बुड्ढा मिल गया', 'सीता और गीता', 'हरे रामा हरे कृष्णा', आदि कोई २९२ हिंदी फिल्मों में सुपर हिट धुनें दी। उन्होंने ३१ बांगला, ३ तेलुगु, और दो-दो तमिल ओड़िया फिल्मों का संगीत भी दिया। एक मराठी फिल्म के संगीतकार के बतौर भी पंचम का नाम दर्ज़ है। उनके तैयार तमाम गीतों के रीमिक्स कर हज़ारो बेसुरे संगीतकार और गायक लाखों कमा रहे हैं।
राजेंद्र कांडपाल
No comments:
Post a Comment