Friday, 23 January 2015

कर्णप्रिय संगीत के चार शानदार दशक

शेमारू एंटरटेनमेंट के बॉक्स सेट 'द ग्लोरियस डिकेडस' अपने टाइटल की तरह शानदार है।  बारह डीवीडी के इस सेट में पचास के दशक से अस्सी के दशक तक के संगीत के मौलिक गीतों के वीडियो को शामिल किया गया है।  प्रत्येक दशक के १०१ गीत ३-३ डीवीडी के सेट में शामिल है।  इस प्रकार से दर्शकों को १९५०, १९६०, १९७० और १९८० के दशक के लोकप्रिय और कर्णप्रिय १०१ गीतों के वीडियो के ज़रिये देखने-सुनने का मौका मिलेगा। इस प्रकार संगीत प्रेमी १२ डीवीडी में ४०४ मधुर गीतों का आनंद ले सकेंगे। 
हिंदी फिल्मों के संगीत में १९५० का दशक स्वर्ण काल माना जाता है। इस दशक में विभिन्न संगीतकारों ने फिल्म संगीत में नए नए प्रयोग किये।  नौशाद और शंकर-जयकिशन ने 'ऑर्केस्ट्रा' का इस्तेमाल करना शुरू किया।  एस डी बर्मन और सलिल चौधरी लोक धुनों का थोड़े पाश्चात्य लय में मिश्रण कर संगीत बना रहे थे। मदन मोहन और ओ पी नय्यर ने इन सबसे हट कर अपनी पहचान बनाई। इस दौर में लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी और मुकेश शीर्ष पर थे।
साठ का दशक रोमांस का दशक था।  मीठा रोमांस भरा संगीत दर्शकों को लुभा रहा था। इस दशक में आशा भोंसले को ओ पी नय्यर का संरक्षण मिला।  वह बहन लता मंगेशकर के साथ बॉलीवुड फिल्मों के गीतों की मुख्य पार्श्व गायिका बन गयी। किशोर कुमार भी अभिनय को किनारे कर, गायिकी में रम रहे थे। 
सचिन दा के बेटे राहुल देव बर्मन ने सत्तर के दशक के हिंदी फिल्म संगीत की दिशा ही बदल दी। सस्पेंस और रोमांस से भरपूर हिंदी फिल्मों के निर्माताओं के वह पसंदीदा संगीतकार थे।  नय्यर के बाद आरडी बर्मन उर्फ़ पंचम ने आशा भोंसले की आवाज़ का बढ़िया उपयोग किया। कहा जा सकता है कि  पंचम ने भारतीय संगीत  को देखने वाली दृष्टि ही बदल दी।  इसी दौर में, लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल की जोड़ी भारत की मिटटी में रची बसी धुनों को लोकप्रिय बना रहे थे।
अस्सी के दशक को बिजली सी चमक और धमक वाले संगीत का दशक कहा जाता है। यह वह समय था जब सनी देओल, कुमार गौरव,  संजय दत्त, आदि सितारा पुत्रों ने बॉलीवुड फिल्मों के सिंहासन पर कब्ज़ा ज़माने की कोशिश की। मिथुन चक्रवर्ती के आने पर बप्पी लाहिरी का डिस्को युवाओं में क्रेज बन गया।  बप्पी लाहिरी ने  लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए कीर्तिमान संख्या में फिल्मों में संगीत दिया।  इस दौर में उन्हें आरडी बर्मन और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के समकक्ष रखा गया।
इस सेट के तमाम गीत देखते सुनते समय श्रोता संगीत का फर्क समझ सकेंगे।  इसमे कोई शक नहीं कि इन चारों दशकों का संगीत लुभाने, झुमाने और चकाचौंध करने वाला था।  इस डीवीडी सेट के हर दशक के सेट को अलग अलग भी खरीदा जा सकता है। 



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