लोकप्रिय टीवी सीरियल 'हिना ' के समीर यानि राहुल भट को सीरियल के दौरान ही उमेश मिश्रा की फिल्म 'यह मोहब्बत है' मिल गयी थी। फिल्म फ्लॉप रही। दूसरी कॉमेडी फिल्म 'नयी पड़ोसन' के चलने का फायदा राहुल को नहीं मिल सका। नई पड़ोसन २००३ में रिलीज़ हुई थी। इसके बाद राहुल भट एकदम बेकार हो गए। वह दस साल बेकार बैठे रहे। फिर अनुराग कश्यप ने उन्हें लेकर थ्रिलर 'अग्ली' बनाई। २०१३ में पूरी हो जाने के बावजूद यह फिल्म लम्बे समय तक रिलीज़ ही नहीं हो सकी। 'अग्ली' २०१४ के अंत में रिलीज़ हुई। राहुल के काम की प्रशंसा भी हुई। तब तक, राहुल भट की निकल पड़ी थी । उन्हें सुधीर मिश्रा की 'और देवदास' मिल गयी। यह फिल्म शरतचन्द्र चटर्जी के उपन्यास 'देवदास' का आधुनिक राजनीतिक संस्करण है। राहुल भट नेता देवदास की भूमिका कर रहे हैं। उनके पास अभिषेक कपूर उर्फ़ 'काई पो चे' गट्टू की फिल्म 'फितूर' भी है। यह फिल्म भी राजनीतिक पृष्ठभूमि पर है। कश्मीर की पृष्ठभूमि पर 'फितूर' में राहुल भट पाकिस्तान की महरूम प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बेटे बिलवाल भुट्टो का किरदार कर रहे हैं। इस फिल्म में वह कटरीना कैफ के अपोजिट हैं। इससे साफ़ है कि उनके दिन बहुर रहे हैं। उन्हें सशक्त भूमिकाएं मिलने लगी हैं। ऐसे में उनका शानदार जश्न मनाना स्वाभाविक था। उन्होंने सुधीर मिश्रा को शानदार पार्टी देकर यह जश्न मनाया। आखिर वह राहुल को नेता देवदास बनाने वाले फिल्मकार जो हैं !
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 24 January 2015
'और देवदास' सुधीर मिश्रा के लिए पार्टी का राहुल भट्ट का 'फितूर'
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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