Thursday 29 October 2015

औंधे मुंह गिरी विन डीजल की फिल्म

हॉलीवुड का घरेलु बॉक्स ऑफिस सन्नाटे में हैं ।  इतिहास ने एक बार फिर खुद को दोहराया ।  २०१५ के ४३ वे वीकेंड में रिलीज़ अभिनेता विन डीजल की फिल्म ‘द लास्ट विच हंटर’ बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की उपेक्षा का शिकार हो गई। इस फिल्म ने पहले वीकेंड में १०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया । विन डीजल की फिल्म का इतना ख़राब प्रदर्शन विन डीजल के समर्थकों के लिए बड़ा झटका था ।  इसी साल फ्युरियस ७ की बड़ी सफलता वाले विन डीजल की फिल्म का ऐसा प्रदर्शन यह साबित करने के लिए काफी है कि विन डीजल को फ़ास्ट एंड फ्युरियास सीरीज का परिवार काफी सपोर्ट करता है ।  ‘द लास्ट विच हंटर’ का बजट ७५ से ८० मिलियन डॉलर के बीच था । इस लिहाज़ से फिल्म के डोमेस्टिक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बल पर अपनी लागत निकाल पाने की उम्मीद नहीं की जाती ।  ट्रेड पंडितों का अनुमान है कि दूसरे वीकेंड में इसका बिज़नस ५३ प्रतिशत के आसपास तक गिर आयेगा । विन डीजल की फिल्म की असफलता का नतीजा यह हुआ कि रिडले स्कॉट की स्पेस फिल्म ‘द मर्शियन’ फिर टॉप पर आ गई। इस फिल्म ने पिछले हफ्ते टॉप पर रही फिल्म ‘गूसबम्प्स’ को पीछे धकेल दिया . द मार्शियान’ ने अपने चौथे वीकेंड में १५.९ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया । सोनी की फिल्म ‘गूसबम्प्स’ का कलेक्शन ‘द मर्शियान’ के मुकाबले थोडा कम १५.५ मिलियन का रहा। यहाँ, उल्लेखनीय बात यह है कि जैसे ही ‘द मर्शियान’ ११.४ मिलियन डॉलर का कलेक्शन कर लेगी, रिडले स्कॉट की घरेलु बाज़ार में सबसे ज़्यादा ग्रॉस कलेक्शन करने वाली फिल्म बन जायेगी। इस वीकेंड में तीसरे स्थान पर स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘ब्रिज ऑफ़ स्पाईज’ रही, जिसने ११.३ मिलियन का कलेक्शन किया। लेकिन, स्पीलबर्ग और हंक्स जोड़ी की अब तक की फिल्मों के लिहाज़ से यह कलेक्शन उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता । 

Wednesday 28 October 2015

असफल अभिनेताओं की सेक्स कॉमेडी

गोलमाल ३ के बाद से ही एक्टर कुणाल खेमू असफलता से जूझ रहे हैं।  उनकी एक के बाद एक फ़िल्में फ्लॉप हो रही हैं। गोलमाल ३ के बाद उन्होंने हर साल एक फ्लॉप फिल्म देने का रिकॉर्ड कायम किया है।  उनकी ब्लड मनी, गो गोवा गॉन और जोए बी कार्वाल्हो फ्लॉप हो चुकी है।  पिछले दिनों रिलीज़ उनकी फिल्म 'भाग जॉनी' को बॉक्स ऑफिस ने भागने पर मज़बूर कर दिया।  डायरेक्टर जोड़ी श्रीशांक आनंद और शशांक रे छिब्बर की फिल्म 'गुड्डू की गन' में कुणाल गुड्डू का किरदार कर रहे हैं, जिसकी 'गन' सोने की हो गई है। इस सेक्स कॉमेडी फिल्म के ट्रेलर में ही अश्लील और द्विअर्थी संवादों की भरमार है।  'गुड्डू की गन' के अलावा कुणाल के पास दूसरी कोई फिल्म नहीं।  ज़ाहिर है कि वह गुड्डू की गन की सेक्स कॉमेडी के ही भरोसे हैं।
फ्लॉप अभिनेता + बी ग्रेड एक्ट्रेस = सेक्स कॉमेडी

फ्लॉप अभिनेताओं और दोयम दर्जे की फिल्मों की एक्ट्रेस की मज़बूरी है सेक्स कॉमेडी फ़िल्में करना।  ऎसी फ़िल्में करके वह एक सफल फिल्म अपने खाते में जोड़ सकते हैं।  चूंकि, ऎसी फिल्मों को हर अभिनेता या अभिनेत्री करना नहीं चाहेगी, इसलिए ऐसे फ्लॉप कलाकार ख़ास तरह की फिल्मों के सदस्य बन जाते हैं।  पुष्टि करेंगे विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी और रितेश देशमुख ! उन्हें फ्लॉप फिल्मों का सामना करना पड़ा। उनकी शुरूआती ए ग्रेड फ़िल्में चली नहीं।  बी ग्रेड फ़िल्में भी कुछ ख़ास कारनामा नहीं कर पाई।  ऐसे में सेक्स कॉमेडी इनके लिए एक ही रास्ता थी।  यह फ्लॉप एक्टरों की तिकड़ी इंद्रकुमार की फिल्म 'मस्ती' में नज़र आई।  द्विअर्थी संवादों वाली इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली।  'मस्ती' ने फिल्म निर्माताओं के सामने सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने का रास्ता खोल दिया और इन एक्टरों को फिल्म 'ग्रैंड मस्ती' दिलवा दी।  मस्ती से पहले आफताब शिवदासानी मुस्कान, सुनो ससुरजी,  फूटपाथ, डरना मना है, प्यासा, जानी दुश्मन : एक अनोखी कहानी, कर ले प्यार कर ले, आदि जैसी फ्लॉप फिल्मो की लम्बी लाइन लगा चुके थे। रितेश देशमुख की मस्ती से पहले केवल दो फ़िल्में ही रिलीज़ हुई थी।  लेकिन, मस्ती के बाद भी वह एक भी सोलो हिट फिल्म नहीं दे सके।  उनकी मालामाल वीकली जैसी फ़िल्में खालिस उनकी नहीं थी।  लेकिन, विवेक ओबेरॉय का कंपनी, साथिया, युवा और क्यों हो गया न जैसी बड़ी और सफल फिल्मों के बावजूद सेक्स कॉमेडी करना समझ से बाहर है।  जबकि, मस्ती रितेश देशमुख के करियर की तीसरी फिल्म थी। बॉलीवुड के असफल अभिनेताओं का सेक्स कॉमेडी करने का सबसे बड़ा उदाहरण इमरान खान हैं।  जिन्होंने लगातार असफल फिल्मो से घबरा कर 'डेल्ही बेली' जैसी अश्लील फिल्म सेक्स कॉमेडी के नाम पर की।  यह फिल्म हिट भी हुई।
यह क्या हो रहा है !
बॉलीवुड ने सेक्स कॉमेडी फिल्मों की शुरुआत चोरी करके की।  निर्माता थे आज के क्रांतिकारी निर्देशक हंसल मेहता।  फिल्म थी हॉलीवुड फिल्म 'अमेरिकन पाई' की कटपेस्ट फिल्म 'यह क्या हो रहा है'। यह फिल्म २००२ में रिलीज़ हुई थी।  यह फिल्म उस समय सेक्स बम जैसी नज़र आ रही पायल रोहतगी और  सहेलियों की सेक्स अपील को  भुनाने के ख्याल से बनाई गई थी।  वैसे फिल्म में प्रशांत चिअनानी, आमिर अली माली, वैभव जालानी और यश पंडित जैसे दर्शकों के लिए कम जाने पहचाने चहरे। लेकिन, दर्शकों का ख्याल  रखने के लिए पायल  रोहतगी के साथ उनकी दीप्ति दरयानानी, समिता बंगार्गी और पुनर्नवा मेहता की सेक्सी ब्रिगेड थी।  यह वही पुनर्नवा हैं, जो बाद में पाखी टायरवाला बनी। वह अब्बास टायरवाला की बीवी हैं।  गुमनाम एक्टरों की गुमनाम रही ब्रिगेड के साथ बनी 'यह क्या हो रहा है' से हिंदी फिल्म दर्शकों का पहला परिचय सेक्स कॉमेडी से हुआ।  यह एक अनोखा विषय था।  इसलिए फिल्म चल निकली।
फ्लॉप डायरेक्टर भी
सेक्स कॉमेडी फ्लॉप फिल्म डायरेक्टर की पनाहगाह हो सकती है।  यह क्या हो रहा है से पहले तक १३ फ्लॉप फ़िल्में दे चुके हंसल मेहता के बाद दीपक तिजोरी ने भी इसे पुख्ता किया। दीपक तिजोरी अच्छे अभिनेता हैं, इसे उन्होंने साबित किया।  उन्हें महेश भट्ट की फिल्मों का सहारा मिला।  आशिक़ी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, खिलाडी, बेटा, आदि फिल्मों में वह नायक के सहायक थे।  बतौर नायक वह बिलकुल फ्लॉप साबित हुए।  इसलिए जब उन्होंने बतौर डायरेक्टर हाथ आजमाने की सोची तो फिल्म सेक्स कॉमेडी बनाई ।  लेकिन, फिल्म असफल हुई।  इसके बाद दीपक ने थ्रिलर, मर्डर मिस्ट्री फ़िल्में बनाई। ज़ोर, संध्या और चुरा लिया है तुमने जैसी फ्लॉप फिल्म देने के बाद मलयालम फिल्मों के संगीत सिवन ने एकता कपूर के लिए फिल्म 'क्या कूल हैं हम' बनाई।  फिल्म सुपर डुपर हिट हुई।  इस फिल्म में फ्लॉप तुषार कपूर और रितेश देशमुख की जोड़ी थी।  लेकिन, इस सुपर हिट फिल्म का सीक्वल क्या सुपर कूल हैं हम चल नहीं सका।   रजत कपूर फिल्म एक्टर  डायरेक्टर हैं।  वह  हर प्रकार की हिंदी अंग्रेजी मिक्स फ़िल्में बना लेते हैं।  उन्होंने सेक्स कॉमेडी मिक्स्ड डबल्स का निर्देशन किया।  फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रणवीर शोरे, कोयल पूरी और रजत कपूर थे।  फिल्म में एक व्यक्ति पत्नी को खुश करने के लिए पावर बढ़ाने वाली दवाएं लेता है। सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने में स्थापित निर्देशकों ने भी रूचि ली।  अनंत बलानी एक ऐसे ही निर्देशक थे। उन्होंने सलमान खान और रवीना टंडन को लेकर 'पत्थर के फूल' का निर्देशन किया था।  अलबत्ता, उन्होंने भिन्न शैली की फ़िल्में बनाई।  जॉगर्स पार्क और एक दिन २४ घंटे के साथ उनकी सेक्स कॉमेडी फिल्म मुंबई मैटिनी भी रिलीज़ हुई।  फिल्म में राहुल बोस और परीजाद जोरेबियन मुख्य भूमिका में थे, जिनका हिंदी फिल्मों में कोई नामलेवा नहीं।
सनी लियॉन है तो सेक्स कॉमेडी
सनी लियॉन बिग बॉस में इसीलिए लाई गई कि वह पोर्न फिल्म स्टार थी।  उनसे बिग बॉस को सेक्स का छौंका मिलता। महेश भट्ट सनी लियॉन को बिग बॉस से अपनी बेटी की फिल्म जिस्म २ में ले आये।  फिल्म फ्लॉप हुई।  इंटरनेट पर सनी लियॉन को सेक्स करता देख चुका दर्शक उनके ऑन स्क्रीन आधे अधूरे सेक्स को ख़ाक देखता। सेक्स के बूते पर सनी लियॉन की फिल्म 'रागिनीं एमएमएस २' हिट हो गई। फिल्म निर्माताओं को भी सनी लियॉन जैसी अभिनेत्री मिल गई थी, जिसके नाम से अपनी सेक्स कॉमेडी फिल्मो को भुनाया जा सकता था।  सनी लियॉन की फिल्म कुछ कुछ लोचा है पहली सेक्स कॉमेडी फिल्म थी।  लेकिन, उनकी दूसरी सेक्स कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे'  सेंसर के पचड़े में फंस गई।  एक दूसरी अभिनेत्री हैं राधिका आप्टे।  वह बॉलीवुड की सेक्स सिंबल बन कर उभर रही हैं।  उनकी एक्स सेक्स कॉमेडी फिल्म 'हंटर' रिलीज़ हो चुकी है।  यह सभी अभिनेत्रियां पायल रोहतगी, नेहा धूपिया, आदि सेक्सी अभिनेत्रियों की परंपरा में हैं, जिन्होंने सेक्स कॉमेडी फिल्मे की।   
वैसे सेंसर बोर्ड की कड़ाई के बावजूद बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं का सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने का इरादा कमज़ोर नहीं हुआ है।  गुड्डू की गन के अलावा एकता कपूर की केन घोष निर्देशित फिल्म ३ एक्स भी सेक्स कॉमेडी फिल्म है।  क्या सुपर कूल हैं हम का तीसरा भाग बनाया जा रहा है।  इंद्रकुमार ग्रैंड मस्ती की वापसी करवा रहे हैं। निर्माता करण जौहर एक सेक्स कॉमेडी फिल्म बनाने जा रहे थे।  लेकिन, एआईबी रोस्ट के विवाद में घिरने के बाद उन्होंने इस इरादे को ड्राप कर दिया।  इसकी को-प्रोडूसर एकता कपूर थी।  

Tuesday 27 October 2015

'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' ने फिर जीता पीपल चॉइस अवार्ड

टोरंटो और ज़ुरीक जैसे अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों की तारीफें बटोरने बटोरने के बाद फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' एक  फिर दर्शकों का दिल जीत पाने में कामयाब रही है । हाल ही रोम फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' ने पीपल चॉइस अवार्ड विजेता का खिताब अपने नाम किया। बता दें की यह फिल्म इससे पहले भी टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पीपल चॉइस अवार्ड में दूसरा स्थान हासिल कर चुकी है। पिछले हफ्ते रोम फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई इस फिल्म को दर्शकों  और फिल्म समीक्षकों ने खूब  सराहा है और साथ ही 8 मिनट स्टैंडिंग ओवेशन देकर फिल्म को  सलामी दी। फिल्म को फिल्म फेस्टिवल सबसे उच्चतम सम्मान बी एन्न एल पीपल चॉइस अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस फिल्म के स्टार कास्ट में सारा जेन, तनिष्ठा चैटर्जी, अनुष्का मनचन्दा, संध्या मृदुल, अमृत मघेरा, पवलीन गुजराल और राजश्री देशपंडे जैसे बहुमुखी कलकार शामिल हैं। फिल्म 'एंग्री इंडियन गौडेसेस' का निर्देशन अंतराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर निर्देशक पैन नलीन ने किया है।इस फिल्म के निर्माता जंगल बुक एंटरटेनमेंट हैं। इस बारे हुए निर्देशक पैन नलिन ने कहा है 'इस बात से सभी सहमत होंगे की अगर विश्व भर में कोई सबसे अच्छा अवार्ड है तो वो सिर्फ पीपल चॉइस अवार्ड है। रोम और इटली के लोगों ने हमे पीपल चॉइस अवार्ड  हकदार समझा और उसी से हमें सम्मानित किया। मुझे बेहद खुसी है की गोआ के छोटे गाव से यह फिल्म पूरे दुनिया भर में प्रसिद्धि बटोर रही है।' 
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सुपर हीरो है टाइगर श्रॉफ का 'फ्लाइंग जट्ट'

अपनी पहली ही फिल्म 'हीरोपंती' में हीरोगिरी दिखाने के बाद टाइगर श्रॉफ अब 'फ्लाइंग जट्ट' बनने को तैयार हैं।  रेमो डिसूज़ा निर्देशित इस फिल्म का हीरो यानि फ्लाइंग जट्ट कोई आम पंजाबी लड़का नहीं, बल्कि पंजाबी सुपर हीरो है।  यह भारत ही नहीं दुनिया का सबसे नौजवान सुपर हीरो है।  इस भूमिका को लेकर टाइगर श्रॉफ बेहद उत्साहित है।  टाइगर ने फिल्म के लिए ज़बरदस्त ट्रेनिंग शुरू कर दी है।  क्योंकि, यह रोल टाइगर के लिए लाइफ टाइम रोल साबित हो सकता है । टाइगर श्रॉफ  फ्लाइंग जट्ट में अब तक के सबसे कठिन एक्शन सीन करते हुए नजर आयेंगे। इन दृश्यों के लिए जूनियर श्रॉफ ने बारह बारह घंटो तक लगातार शूटिंग की है।  इस शूट  से पहले भी वह पांच पांच घंटा प्रैक्टिस किया करते थे। फिल्म का प्रोडक्शन हाउस भी अपने सुपर मैन का ख़ास ध्यान रख रहा है।  बैटमैन, स्पाइडरमैन और सुपरमैन फ़िल्में गवाह हैं कि  इन फिल्मों के सुपर हीरो किरदारों की पोशाक ही उनकी पहचान बनी। इन सभी हॉलीवुड सुपर हीरो की ख़ास पोशाकें हैं। इसी लिए फिल्म 'फ्लाइंग जट्ट' के प्रोडूसर और डायरेक्टर रेमो डिसूजा ने सुपर हीरो की पोशाक पर काफी ध्यान दिया। उनका इरादा फ्लाइंग जट को ऎसी पोशाक पहनाना था, जो हॉलीवुड के किसी सुपर हीरो ने न पहनी हो। पहले इस पोशाक के लिए हिन्दुस्तानी ड्रेस डिज़ाइनर को आजमाया गया। बात न बन पाने पर हॉलीवुड स्टूडियो से देसी सुपर हीरो के लिए पोशाक बनवाने के लिए संपर्क किया। कोई ११ पोशाकों को देखने के बाद एक पोशाक, जो सबसे भिन्न और देसी पंजाबी सुपर हीरो को अलग लुक देने वाली थी, पसंद की गई। इस पोशाक की कीमत १० लाख रुपये है। आजकल इस पोशाक को सबकी नज़रों से दूर एक गार्ड की तैनाती कर रखवाली करवाई जा रही। निर्माताओं को यह भय उतना नहीं है कि इस पोशाक को कोई चुरा न ले, बल्कि चिंता इस बात की है कि कोई इस पोशाक की नक़ल न कर ले। बॉलीवुड भी तो जग्गा जासूस जैसी दूसरी सुपर हीरो फ़िल्में बनाने में जुटा हुआ है। 
 

Sunday 25 October 2015

चार्ल्स शोभराज सेलेब्रिटी क्राइम वाला अपराधी था- रणदीप हूडा

रफ्ता रफ्ता ही सही एक्टर रणदीप हूडा का करियर चलता चला जा रहा है।  कॉकटेल, जिस्म २, किक, हाईवे और रंग रसिया जैसी फिल्में इसे रफ़्तार देती हैं। अब वह लम्बे समय बाद कॉनमैन के रूप में मुख्य भूमिका कर रहे हैं।  वह सोच समझ कर चुनिंदा फ़िल्में करने के शौक़ीन हैं। 'मैं और चार्ल्स' में वह चार्ल्स शोभराज का कॉन किरदार कर रहे हैं। व्यस्ततता के कारण शादी नहीं की, लेकिन घोड़े पालने का शौक है।  पेश है इसी शुक्रवार रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'मैं और चार्ल्स' को लेकर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश - 
क्या 'मैं और चार्ल्स' चार्ल्स शोभराज की बायोपिक है ?
- यह बायोपिक नहीं है। १९८६ में दिल्ली में तिहाड़ जेल से एक आदमी १७५ लोगों को धराशायी कर उनके ऊपर से चाबी लेकर फरार हो गया था। वह कैसे भागा, क्यों भागा, हमने इसी को दिखाया है। इसमें उसका पूरा जीवन नहीं दिखेगा। इसमें केवल उसके २०-२५ साल के जीवन को दिखाया गया है। उसके जेल से भागने, पकड़े जाने और कोर्ट में पेशी के दौरान की कहानी है। काफी अध्ययन करके वास्तविकता निकालने की कोशिश की गई है।
ऐसा व्यक्ति जो पर्यटकों की हत्या करता है। क्या वह नफ़रत के लायक नहीं है ?
-अगर इस तरह से सोचें तो वो नफरत के लायक हैं। फिल्म में भी हम उसके जुर्म को कोई अच्छा नहीं बताने जा रहे हैं। लेकिन गौर करने की बात है कि उस पर जो भी हत्या और फ्राड के आरोप लगे, वो पूरी तरह से साबित नहीं हो पाये। उसके पास किसी भी देश का पासपोर्ट नहीं था। हिंदुस्तान के सामने उसको लेकर एक समस्या यह भी थी कि उसे जेल से निकालने के बाद किस देश को सौंपा जाएगा। इस लिए उसे जेल में ही रखा गया हो सकता है। नेपाल में भी एक पुराने प्लास्टिक के पैकेट और एक बुढ़े पुलिस अधिकारी के साक्ष्य पर ज्यादा छानबीन किये बिना उसे दोषी ठहरा दिया गया।
आपने शोभराज के किरदार को जी लिया है। आपके ख्याल से क्या उपेक्षा की कसक और महत्वपूर्ण होने के लोभ का परिणाम है शोभराज ?
- हां हम कह सकते हैं। उसके दिल में इन दोनों बातों को लेकर कसक थी। वो गरीबी में बहुत रहा। उसे यूरोपियनों से चिढ़ थी। शोभराज बहुत ही मार्केटिंग वाला आदमी है। वो जो भी काम करता था, उसे ग्लोरीफाई करके करता था। वह न्यूज में बने रहने का आदी रहा। उसे हम सेलीब्रिटी क्राइम वाला व्यक्ति कह सकते हैं। वो अपने बारे में छपी खबरों को पढ़कर सुकून महसूस करता था।
क्या आपको उससे  हमदर्दी ?
-जी मैंने ये किरदार किया है और अगर मुझमें उसके प्रति हमदर्दी नहीं होगी, तो मैं करुंगा कैसे। फिर मैं उससे जुड़ूंगा नहीं तो अपने रोल के प्रति न्याय कैसे कर पाउंगा।
तो क्या आप चाहते हैं कि उसे माफ कर दिया जाए ?
-देखिये अभी वो ७०-७५ साल का है। उस उम्र में बाहर ही जीने के लिए कितनी देखभाल की जरूरत होती है, तो जेल में वो उम्र काटना तो बेहद ही कष्टदायी है। ३०-३५ साल से वो जेल में है। १४ साल की उम्र कैद होती है। ऐसे में मैं सोचता हूं कि उसकी सजा अब माफ कर देनी चाहिए।
अब आपके कंधे पर फिल्म की जिम्मेदारी की अपेक्षा की जा रही है ?
-कंधे की जिम्मेदारी निर्माता-निर्देशक की होती है।  एक कलाकार के तौर पर मैं हमेशा शिद्दत से काम करता रहा हूं। अगर मुझको लेकर जिम्मेदारी महसूस की जा रही है, तो मैं इससे बहुत खुश हूं। इससे मैं भागने वाला भी नहीं हूँ। अब मुझे ऐसी फिल्में भी मिल रही हैं । आप बड़े नाम के साथ काम करते हैं तो एक स्टार के तौर पर जीत होती है।
पीछे मुड़कर देखते हैं तो ऐसा कुछ दिखता है , जिसे करने से आपकी जर्नी कुछ शॉर्टकट होती ?
-मुझे शुरू से ही अपने कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की ज्यादा जरूरत नहीं थी। अगर मैं दूसरों की पीठ पर बैठकर उनके कंधे से बंदूक चलाया होता, तो थोड़ा जल्दी आगे आ जाता । पर ये जो संघर्ष है। मानसून वेडिंग जो बाहर की फिल्म थी, के बाद ४-५ साल कोई काम नहीं मिला। २००५ में सफर शुरू हुआ और अब तक १०सालों में बहुत मेहनत, लगन, भड़ास और निराशा को अपने अंदर दबाकर हर रोज जूझता रहा हूं। अगर ये सब नहीं हुआ होता, तो शायद आज मैं ऐसा नहीं बन पाता । अब कुछ बदलाव आया है। पहले ज्यादा मुंहफट, गुस्सैल और बेवकूफ भी था। लेकिन अब थोड़ा संजीदा हो गया हूं।
कोई फिल्म साइन करने से पहले क्या देखते हैं ?
-सबसे पहले ये देखता हूं कि क्या ये लोग इस काम के स्टार्ट होने के बाद अगले ६ महीने तक झेल पाएंगे। इनके साथ काम करके मेरी कला, मेरी पहचान किस तरफ जाएगी। फिर अपने सहायक से सलाह करके निर्णय लेता हूं। मैं ये नहीं कहूंगा कि मैं ज्यादा चूजी हूं। क्योंकि जैसा काम करता हूं, वैसी फिल्में कम बनती हैं। इसलिए जो  काम मेरे पास आते हैं, उसी में से अपनी पसंद के आस-पास वाला काम कर लेता हूं।
आपके प्रशंसक आपको गंभीर कलाकार मानते हैं। क्या आप इस दबाव में ऐसा ही करते रहने वाले हैं या रिस्क भी उठानां है ?
-अब तक निभाये मेरे किरदार को अगर आप देखें तो वे कहीं ना कहीं रिस्क लेने वाले ही हैं। और मुझे लगता है, जो मेरे प्रशंसक हैं, उन्हें वही रिस्क अच्छा लगता है। मैं अपना काम अपने प्रशंसकों की सोच को आगे रखकर नहीं करने वाला हूं। कहीं मेरी अपनी सोच है, जिंदगी है, जिसे मैं हर हाल में बरकरार रखने वाला हूं। क्योंकि अगर यही टूट गया, तो मुझमे बचेगा क्या। आप मेरी फिल्मों को देख लीजिए, आप मुझे किसी एक जोनर में नहीं रख पाएंगे।
सफलता के बावजूद कुवाँरेपन का कारण क्या है ?
-मेरी शादी मेरे काम से हो गयी है। मैं अपने काम में इतना बिजी रहता हूं कि दूसरी तरफ ध्यान ही नहीं जाता कि निजी जिंदगी में क्या है, किसकी कमी है। यह बात दूसरे लोगों के लिए भले ही फ्रस्टेशन की हो, लेकिन मैं नहीं चाहता कि कोई आए और मैं अपना पागलपन उस पर थोप कर उसकी जिंदगी को मायूस कर दूं। इससे ये मत सोचिये की मेरी लाइफ नीरस है। मैं बहुतों से मिलता हूं, घुड़सवारी करता हूं। मेरी पोलो की टीम है, जिसे चलाता हूं। कभी छुट्टी पर नहीं गया हूं । हमेशा काम में ही उलझा रहता हूं। मेरी यही रुचि है, मुझे इसी में मजा आता है।
कमर्शियल और आर्ट की दीवार टूट रही है।  क्या सहयोगी बन रहा है ?

-दुनिया बदल रही है। आज इंटरनेट घर-घर पहुंच रहा है। दूसरे देशों और भाषाओं की फिल्में डब होके घर-घर में देखी जा रही हैं। इससे  लोगों का नये विषयों से जुड़ाव हो रहा है। एक ही ढर्रे की फिल्मों से नया कुछ टेस्ट मिल रहा है। मेरे जैसे कलाकार कमर्शियल और आर्ट के बीच की खाई को पाटने में ब्रिज बन रहे हैं। मैं चाहता हूं कि इस दीवार को तोडऩे में मेरा काम सहयोगी बने।  

Saturday 24 October 2015

मुझे 'बांड गर्ल' मत कहिये - मोनिका बेल्लुच्चि

सैम मेंडिस की बांड फिल्म 'स्पेक्ट्र' में डेनियल क्रैग के साथ लुसिआ स्शर्रा का किरदार कर रही मोनिका बेल्लुच्चि  को खुद को बांड गर्ल कहलाना पसंद नहीं। मैट्रिक्स सीरीज की फिल्मों 'रीलोडेड' और 'रेवोलुशन्स' की इतालवी नायिका मोनिका ५१ साल की हैं। उन्हें उस समय आश्चर्य हुआ था, जब उन्हें स्पेक्ट्र के लिए संपर्क किया गया। क्योंकि, बांड फिल्मों में जवान अभिनेत्रियों की दरकार होती है, जो अपनी सेक्स अपील से दर्शकों को लुभाएं। इसमे कोई शक नहीं कि वह जेम्स बांड सीरीज की लम्बी श्रंखला की फिल्मों की सबसे उम्रदराज एक्ट्रेस हैं। वह कहती है, "मैं 'जेम्स बांड वुमन' हूँ।  मैं सही मायनों में महिला हूँ, न कि बांड गर्ल । इसीलिए, मैं जब भी स्पेक्ट्र के लिए अपना परिचय देती हूँ तो 'जेम्स बांड लेडी' या 'जेम्स बांड वुमन' ही कहती हूँ।" मोनिका ऐसे समय में बांड सीरीज की फिल्म में काम कर रही हैं तो यह पुरानी अभिनेत्रियों की समस्या के लिहाज़ से बढ़िया होगा। वह  कहती हैं, "मैं फ्रांस में रहती हूँ।  देखती रहती हूँ पुराने ज़माने की नताली बाये, कैथरीन डेनेउव, इसाबेल्ले हूप्पेर्ट, क्रिस्टीन स्कोत्त थॉमस, शेर्लोट राम्पलिंग को। इनका शानदार करियर रहा है।  लेकिन, आज क्या है ?" अगले महीने २० नवंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'स्पेक्ट्र' में मोनिका राजनेताओं के उस हत्यारे की पत्नी का किरदार निभा रही हैं, जिसे बांड ने मार डाला है। 

कैट हडसन को लगे बिल मूरे बहुत सेक्सी

'द ऑलमोस्ट फेमस' और 'हाउ टू लूज़ अ गाए इन टैन डेज़' जैसी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री कैट हडसन एक बार फिर अभिनेता बिल मूरे के साथ अपनी आने वाली फ़िल्म 'रॉक द कासबह' से दर्शकों के दिलों को जीतने के लिए तैयार हैं।फ़िल्म में मूरे एक जुनूनी म्यूजिक मैनेजर की भूमिका में है, जो अनजान सीमा क्षेत्रों में घूमता हुआ जादुई आवाज़ वाली एक टैलेंन्टेड लड़की को खोज निकालता है। इस फ़िल्म का निर्देशन ऑस्कर विजेता निर्देशक बैरी लेविंसन (फ़िल्म रेन मैन) ने किया है। वह बेहद दमदार कास्ट (केट हडसन और बिल मुरे) के साथ इस दिलचस्प कहानी को दर्शकों के सामने परोसने जा रहे है । हाल ही के एक इंटरव्यू में कैट ने बिल मूरे के साथ काम करते हुए, अपने अनुभवों और फ़िल्म में आपसी ट्यूनिंग पर बातचीत की । कैट हडसन ने बताया, " मुझे बिल मूरे को किस करना बहुत पसंद था । वह अभी भी बहुत सेक्सी है और हमारे सम्बन्ध काफी अच्छे हैं ।फ़िल्म की पृष्ठभूमि युद्ध में लिप्त अफगानिस्तान की है। पर इसे मोरैको में फिल्माया गया है । यह मेरे जीवन का एक बेहद मज़ेदार अनुभव रहा।  मोरैको अपने आप में एक बेहद मस्त जगह है ।वहां कुछ ऐसे स्थान है जो मुझे हमेशा ही अपनी तरफ खींचते हैं ।" फ़िल्म 'रॉक द कासबह' पीवीआर पिक्चर्स द्वारा 22 अक्टूबर को भारत में रिलीज़ की जा रही है।