Friday, 7 June 2013

देओल्स के लिए देख सकते हैं यमला पगला दीवाना 2


संतोष सिवन निर्देशित फिल्म यमला पगला दीवाना 2 को पूरी तरह से नकारना, देओल्स और संतोष सिवन के साथ बेईमानी होगी। हिन्दी फिल्मों में, खास तौर पर बड़े बजट और बड़े सितारों वाली फिल्मों में कहानी होती ही कहाँ है, जो यमला पगला दीवानी 2 में ढूँढी जाए। यह फिल्म 2011 में रिलीज यमला पगला दीवाना का सेकुएल है। कहानी वहीं से शुरू होती है यानि बनारस के बाप बेटा ठगों से उठ कर London आती है। पिछली यमला पगला दीवाना जहां ज़्यादा बनारस में शूट हुई थी, वही यह सेकुएल लंदन में ज़्यादा शूट हुआ है। इसलिए प्राकृतिक दृश्य देखने लायक है। धर्मेंद्र और बॉबी, अनु कपूर को ठगने लंदन आते हैं। सनी देओल अनु कपूर के लिए काम करते हैं। धर्मेंद्र और बॉबी, सनी को देख कर चौंक जाते हैं। सनी अपने तौर पर अपने पिता और भाई को सुधारने की कोशिश करते हैं। सुधार पाते हैं या नहीं, यह फिल्म देखने के बाद ही साफ होगा।
इस नदारद या कहिए की कूड़ा कहानी वाली फिल्म का खास आकर्षण देओल्स है। पिता धर्मेंद्र के साथ बेटों सनी और बॉबी की कैमिस्ट्रि खूब जमी है। वास्तविकता तो यह है कि जहां अपने और यमला पगला दीवाना में दोनों बेटे पिता से झिझकते हुए तथा बॉबी सनी से डरते हुए अभिनय करते नज़र आए थे। यमला पगला दीवाना 2 में  इन तीनों के बीच कोई झिझक नहीं है। तीनों एक दूसरे के सामने बेधड़क अभिनय करते हैं। इसी कारण से तीनों के अभिनय में काफी स्वाभाविकता है। धर्मेंद्र ने साबित किया है कि वह पुराना चावल क्यों हैं। फिल्म धर्मेंद्र के बाद पूरी तरह से सनी देओल पर टिकी है। वह अपने पुराने अवतार में है या यों कहिए सुपर अवतार में हैं। उनके ढाई किलों के घूंसों से ही उनके दुश्मन हवा में नहीं उड़ते, बल्कि, उनकी फूँक से भी दूर जा गिरते हैं। पीटर  हेन्स के एक्शन सनी को नए एक्शन करने के मौके देते हैं। सनी ने अपने एक्शन से तालियाँ भी खूब बटोरी हैं। खास तौर पर क्लाइमैक्स के एक्शन सींस बहुत बढ़िया है। बॉबी को बस ठीक ठाक कहा जा सकता है। सिंगल स्क्रीन के दर्शक नेहा शर्मा की एंट्री पर सीटियाँ मारते हैं, इसका मतलब यह है कि दर्शकों को उनमे ऊंफ नज़र आयी। अनुपम खेर बोर करते हैं। उनके साथ, उनके चमचे बने जॉनी लीवर और सुचेता खन्ना को देख कर खीज पैदा होती है। क्रिस्टीना अखीवा हिन्दी ठीक कर लें तो हिन्दी फिल्मों में उनकी दुकान चल सकती है।
जसविंदर बाथ ने पटकथा में नयापन लाने की भरसक कोशिश की है। अलबत्ता उनके लिखे संवाद साधारण हैं। फॉटोग्राफर नेहा परती ने सनी के एक्शन को खूब उभारा है। राजू सिंह का पार्श्व संगीत फिल्म के साथ न्याय करता है। चिराग जैन अगर अपनी कैंची थोड़ी बेरहम बना पाते तो फिल्म की रफ्तार थोड़ा तेज़ हो जाती। फिल्म की लंबाई कुछ ज़्यादा है। अब इसे देओल्स का जलवा ही कहा जाएगा कि दर्शक 155 मिनट की फिल्म देखते समय भी ऊबता नहीं।   
अगर दर्शक यमला पगला दीवाना 2 को नहीं देखेंगे तो कुछ खोएँगे नहीं। लेकिन अगर देओल्स के फैन हैं तो यमला पगला दीवाना 2 देखी जा सकती है। मलाल नहीं होगा। वैसे देओल्स की इस फिल्म को रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की पिछले शुक्रवार रिलीज फिल्म यह जवानी है दीवानी से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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