भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 16 June 2013
वर्ल्ड वार ज़ेड- चलते फिरते मुरदों से युद्ध
आज रिलीज हो रही हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ब्रैड पिट की फिल्म वर्ल्ड वर ज़ेड की कहानी यूनाइटेड नेशन्स के लिए काम करने वाले Gerry लेन की कहानी है, जो विश्व की सरकारों, मानवता और सेना को खत्म करती जा रही जोम्बी के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए विश्व की यात्रा कर रहा है। वह अपने इस प्रयास में कैसे सफल होता है, यह वर्ल्ड वार ज़ेड की रोचक कहानी है। यह हॉलीवुड की जोम्बी फिल्मों की श्रखला में एक फिल्म है।
फिल्म का निर्देशन क्वांटम ऑफ सोलके, मोंस्टर्स बॉल, फिंडिंग नेवेर्लंद और द काइट रनर जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके मार्क फॉस्टर ने किया है। फिल्म को Mathew Michael carnahan ने ड्रेव गोड्डार्ड और डमों लिंदेलोफ के साथ मिल कर लिखा है। फिल्म मैक्स ब्रुक्स की पुस्तक वर्ल्ड वार ज़ेड पर आधारित है। एक घंटा 56 मिनट लंबी इस फिल्म की निर्माण लागत 200 मिल्यन डॉलर की है। फिल्म 2डी, रियलडी 3डी और आइमैक्स 3डी जैसी उत्क्रष्ट तकनीक का इस्तेमाल कर बनाई गयी है।
ब्रैड पिट की इस फिल्म को पहली बार, वर्ल्डवाइड रिलीज से पहले इंटरनेट पर देखा जा सकेगा। विडियो ऑन डिमांड कंपनी Netflix के इंटरनेट के जरिये फिल्म रिलीज के क्षेत्र में उतर आने के कारण यह संभव हो रहा है। नेट्फ़्लिक्स ने उत्कृष्ट तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इस कंपनी ने मेगा टिकिट प्रणाली लागू की है। इस योजना को पैरामाउंट पिक्चर्स ने शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत इच्छुक दर्शकों को 50 डॉलर का टिकिट खरीदना होगा। उन्हे फिल्म देखने के लिए 3डी ग्लाससेस और पॉपकॉर्न का पाकेट तथा पोस्टर दिया जाएगा। जब इस फिल्म को ब्लू रे में जारी किया जाएगा, तब फिल्म की एक डिजिटल कॉपी भी दी जाएगी। हॉलीवुड की फिल्मों के दर्शकों को नयी फिल्म देखने के लिए 15 डॉलर का टिकिट खरीदना पड़ता है। घर से सिनेमाघर और सिनेमाघर से घर तक जाने और थिएटर में स्नैक्स आदि लेने का खर्च अलग होता है।
हालांकि, नेट्फ़्लिक्स की यह योजना काफी महंगी प्रतीत होती है। फिर भी इस योजना से दर्शकों को सिनेमाघर तक जाने और महंगे टिकिट खरीद कर फिल्म देखने की ज़हमत नहीं उठानी पड़ेगी। अगर यह योजना सफल हुई तो संभव है कि अन्य फिल्म निर्माण कंपनियां इस योजना के साथ आयें। भारत में तो कमल हासन द्वारा विश्वरूपम को फिल्म की थिएटर रिलीज से दो दिन पहले रिलीज करने की योजना बनाई तो वितरकों के विरोध के कारण अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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