बॉबी जासूस क्या जासूसी फिल्म है? क्योंकि, इसके शीर्षक में जासूस शब्द लगा है. क्या यह हैदराबाद के मुस्लिम समुदाय पर फिल्म है? क्योंकि, फिल्म की नायिका बिलकीस सहित, सभी पत्र मुस्लिम है. फिल्म देखें तो पाएंगे कि इसे पूरी तरह से जासूसी या किसी ख़ास समुदाय की फिल्म नहीं कहा जायेगा. बिलकीस उर्फ़ बॉबी का अरमान जासूस बनना है. वह एक बड़ी जासूसी कंपनी में काम करना चाहती है. पर काम नहीं मिलता. इसलिए वह छोटे मोटे जासूसी के काम कर कुछ कम लेती है. तभी उसके पास ५० हजार कमाने के लिए एक लड़की की खोज करने का प्रस्ताव आता है. इसके साथ ही बिलकीस की ज़िंदगी में भूचाल आ जाता है. बॉबी जासूस क्लाइमेक्स में थोड़ा पकड़ छोड़ देती है. इसके बावजूद अपनी बढ़िया कथा पटकथा के जरिये दर्शकों को बाँध ले जाती है. इसके लिए फिल्म के निर्देशक समर शेख की पत्नी संयुक्त चावला शेख बधाई की हक़दार है. उनकी कसी स्क्रिप्ट से बंधा दर्शक विद्या बालन के शानदार अभिनय का कायल हो जाता है. वह पूरी फिल्म को अपने कंधे पर ले कर दौड़ा देती हैं. विद्या बालन यह साबित कर जाती हैं कि वह आज की सबसे प्रतिभाशाली अभिनेत्री हैं. वह ऎसी अभिनेत्री हैं, जिसमे स्टार पावर भी है. पाकिस्तान से आये अभिनेता अली फज़ल विद्या बालन का साथ बखूबी निभाते हैं. अर्जन बाजवा को ज़्यादा मौके नहीं मिले. किरण कुमार, राजेंद्र गुप्ता, तन्वी आज़मी, सुप्रिया पाठक और ज़रीना वहाब सामान्य है. रमजान के दौरान रिलीज़ विद्या बालन की फिल्म बॉबी जासूस हिट होगी या फ्लॉप, यह मायने नहीं रखता. क्योंकि, स्टार पावर और हीरोडम से प्रभावित दर्शक माउथ पब्लिसिटी के बाद ही ऎसी फ़िल्में देखने सिनेमाघर तक जाता है. वैसे जो फिल्म देखने जायेंगे, उन्हें निराशा नहीं होगी.
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday, 4 July 2014
बॉबी की जासूस विद्या बालन
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फिल्म समीक्षा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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