अपने बड़े बेटे सनी देओल का, १९८३ में फिल्म बेताब से सफल डेब्यू कराने के बाद निर्माता धर्मेन्द्र ने, जब अपने दुसरे बेटे बॉबी देओल का भी हिंदी फिल्म डेब्यू कराने का फैसला किया तो इस फिल्म को निर्देशित करने के लिए राहुल रवैल के बजाय शेखर कपूर को लिया था। फिल्म की नायिका करिश्मा कपूर बनाई गई थी।
लेकिन, फिल्म शुरू होते होते फिल्म में दो बड़े बदलाव हो गए। कपूर खानदान के नखरों से भरी हुई करिश्मा कपूर को तंग आकर धर्मेंद्र ने फिल्म से बाहर कर दिया। उनकी जगह ट्विंकल कपाडिया आ गई। ट्विंकल बॉबी गर्ल डिंपल कपाडिया की बड़ी बेटी थी। डिंपल उस समय तक सनी देओल के साथ फिल्म मंजिल मंजिल और अर्जुन कर चुकी थी। दोनों के रोमांस की खबरें आम हो रही थी। इसलिए, सनी की रोमांस डिंपल की बेटी ट्विंकल को छोटे भाई बॉबी के साथ रोमांस के लिए ले लिया गया।हालाँकि, शेखर कपूर ने फिल्म मासूम, मिस्टर इंडिया और बैंडिट क्वीन से अपनी ख़ास अंतर्राष्ट्रीय छवि बना रही थी। लेकिन, इस समय तक वह ऐसे निर्देशक के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बना चुके थे, जो अपने हाथ की फिल्मों को यकायक छोड़ देता है। सनी देओल के साथ फिल्म जोशीले एक ऎसी ही फिल्म थी। शेखर कपूर ने बॉबी देओल की फिल्म को प्रारंभिक शूटिंग के बाद छोड़ दिया. उनकी जगह निर्देशक की कुर्सी पर राजकुमार संतोषी को बैठा दिया गया। राजकुमार संतोषी इस समय तक सनी देओल को लेकर घायल और दामिनी बना कर, उनके लिए दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जुटा दिए थे।
बरसात का संगीत काफी मधुर था। नदीम श्रवण की तमाम धुनें आज भी यादगार हैं। बॉबी देओल और ट्विंकल कपाडिया की जोड़ी खूब जमी थी। नतीजे के तौर पर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल फिल्मों में शुमार की गई। अब यह बात दीगर है कि बॉबी देओल और ट्विंकल कपाडिया का फिल्म करियर लम्बा नहीं चल सका।