Friday 22 November 2013

तीन हिंदी फ़िल्में तीन विलेन: पंकज 'शुद्धि' कपूर, नाज़ुद्दीन 'किक' सिद्दीकी और कमाल 'द विलेन' खान !


बॉलीवुड में  विलेन की नयी खेप आने जा रही है. शुद्धि निर्माता करण  जौहर की अग्निपथ जैसी २०१२ की पहली सौ करोडिया फ़िल्म के निर्देशक करण  मल्होत्रा की फ़िल्म है. इस फ़िल्म में ऋतिक रोशन और करीना कपूर की जोड़ी मैं प्रेम की दीवानी हूँ के दस साल बाद एक साथ नज़र आयेगी। इस फ़िल्म में पंकज कपूर नेगेटिव शेड वाली भूमिका में हैं. शुद्धि में पंकज कपूर का रोल वास्तव में क्या होगा, इसका अभी खुलासा नहीं हुआ. पंकज कपूर इस फ़िल्म से पहले २००५ में रिलीज़ निर्देशक अनुभव सिन्हा की फ़िल्म दस में जम्वाल की खाल भूमिका में नज़र आये थे. इस फ़िल्म में संजय दत्त, अभिषेक बच्चन, शिल्पा शेट्टी, आदि की मौज़ूदगी में भी इस छोटे कद कके अभिनेता ने अपने अभिनय का सिक्का जमाया था।  सलमान खान की निर्माता निर्देशक साजिद नाडियाडवाला की फ़िल्म  किक में नवजुद्दीन सिद्दीकी खल भूमिका में होंगे। इस फ़िल्म में सलमान खान की नायिका श्रीलंका सुंदरी जैकुईलीन फर्नांडीस हैं।  फ़िल्म में रणदीप हुडा भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. नाज़ुद्दीन अपने स्वाभाविक अभिनय के लिए पहचाने जाते हैं. इसलिए उनसे कुछ हट कर देखने की उम्मीद उनके प्रशंसक दर्शक तो रख ही सकते हैं. मोहित सूरी एक फ़िल्म बना रहे हैं द  विलेन।  इस एक्शन  फ़िल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा, श्रद्धा कपूर, रितेश देशमुख और अमृता पुरी मुख्य जोड़ियां हैं. इस फ़िल्म में बड़बोले और एक फ़िल्म से विवादस्पद रूप से मशहूर कमाल आर खान विलेन की भूमिका में हैं. हमेशा गलत सलत लिखने वाले कमाल आर खान इस फ़िल्म को लेकर काफी अच्छा लिख रहे थे. आम तौर पर वह कभी सनी लीओन से बलात्कार करने की इच्छा प्रकट कर, कभी किसी निर्माता निर्देशक या अभिनेत्री से पंगा लेकर मशहूर होते रहे हैं. द विलेन के विलेन बन कर कमाल आर खान क्या झंडे गाड़ते हैं, इस पर कुछ सोचने से पहले यह जान लेना ज़रूरी है कि कमाल खान का  द विलन में बस कैमिया है .



















सलमान खान की  aur kamal r khan the vilain

Friday 15 November 2013

लम्पट रोमांस और हिंसा के चटख रंगों वाली दीपिका-रणवीर की लीला

 


निर्देशक संजयलीला भंसाली दिल से फ़िल्में बनाते रहे हैं. उनकी रोमांस फ़िल्में दर्शकों को अन्दर तक छू जाती हैं. हम दिल दे चुके सनम के समीर और नंदिनी का रोमांस दर्शकों पर खुमार की तरह कुछ इस तरह चढ़ा है कि सलमान खान और ऐश्वर्या राय की जोड़ी, केवल एक फिल्म के बावजूद, सबसे अधिक रोमांटिक जोड़ी समझी जाती है. शाहरुख़ खान के देवदास से छलका दर्द आज की खिलंदड युवा पीढ़ी को भी प्रभावित कर गया. लेकिन, राम-लीला में वह दिल खो चुके सनम लग रहे हैं. उन्होंने यह फिल्म दिल से नहीं दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल कर बनायी हैं. मोटे तौर पर राम-लीला शेक्सपियर के नाटक रोमियो एंड जूलिएट पर आधारित है. ऐसे कथानक पर बनी फ़िल्में दर्शकों के दिमाग पर कब्ज़ा कर लेती हैं. पिछले साल रिलीज़ अर्जुन कपूर और परिणीती चोपड़ा अभिनीत फिल्म इशक़जादे वायलेंट
रोमांस फिल्म का बढ़िया उदाहरण है. इस लिहाज़ से राम-लीला मे भी रोमांस तगड़ा होना चाहिए था. मगर, संजयलीला भंसाली  ने रोमियो जूलिएट को अपने तौर पर परिभाषित कर रोमांस को सेक्स की तगड़ी डोज़ में बदल दिया है तथा इमोशन  पर एक्शन और वायलेंस को तरजीह दी है. गुजरात के दो गैंगस्टर गुटों के खून खराब से शुरू हो कर यह कहानी रणवीर सिंह के छैला डांस और फिर होली के दिन दीपिका पादुकोण आक्रामक रोमांस में आकर यह फिल्म गर्मागर्म उत्तेजक
 
चुम्बनों की बौछार के साथ साथ गोलियों की बौछार की रासलीला से भी दर्शकों का मनोरंजन करती है. फिल्म की शुरुआत में, होली के दिन रणवीर के होंठों पर अपने होंठ रख कर तथा जाते जाते दाहिनी आँख हलके से दबा कर दीपिका पादुकोण जिस गर्मागर्म रोमांस का वायदा करती हैं, उसे वह फिल्म की आखिरी से पहले तक पूरा करती हैं. दीपिका ने अपनी सेक्स अपील का रोमांस प्रदर्शन के लिए भरपूर इस्तेमाल किया है. वह गुजराती बाला के रूप में खूबसूरत लगी हैं. उन्होंने अंग प्रदर्शन करने में कोताही नहीं बरती है. बेहिचक बोल्ड संवाद बोले हैं. रणवीर सिंह रसिया राम को साकार करते हैं. लेकिन, सब कुछ मशीनी तरीके से होता है. फिल्म का अंत होते होते रणवीर और दीपिका डॉन का चोला ओढ़ लेते हैं. उस समय ऐसा लगता है कि ज़बरदस्त अभिनय, भावनाओं का टकराव और तालियाँ बटोरी संवाद  सुनने को मिलेंगे. लेकिन, यहीं आकर संजयलीला भंसाली बिखर जाते है. फिल्म के आखिरी में इशक़जादे के अर्जुन कपूर और परिणीती चोपड़ा की तरह रणवीर और दीपिका का एक दूसरे को गोली मारना दर्शकों को निराश कर देता है.
 
संजयलीला भंसाली ने गरिमा और सिद्धार्थ के साथ मिल कर फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है. उन्होंने उत्तेजक रोमांस के मौके तैयार किये है. बोल्ड सिचुएशन और उन्माद की परिस्थितियां हैं. बीच बीच में खून खराबा भी है. बेतहाशा तनाव भी. दर्शकों को देखते रहने के अलावा कुछ सोचने का मौका नहीं मिलता. अलबत्ता, अपने इस प्रयास में यह टीम इन दो  गेंगस्टर के बीच टकराव के खतरनाक होने को उभार नहीं पाए हैं. सब बच्चों का खेल जैसा सोचा समझा लगता है. कुछ दृश्य बहुत शानदार बने हैं. मसलन, रणवीर के भाई और दीपिका के भाई के बीच गोली चला कर शराब की बोतल तोड़ने, रणवीर की विधवा भाभी का दूसरे गैंग के लोगों से बचने के लिए भागने, रणवीर सिंह का दीपिका के पास जाने के लिए नदी में छलांग लगाने के दृश्य कल्पनाशील हैं.
 
संजयलीला भसाली ने दीपिका पादुकोण के ग्लैमर और उनकी उत्तेजना को खूब अच्छी तरह से भुनाया है. वह उन्हें गुजराती जूलिएट तो नहीं बना पाए, लेकिन  उत्तेजक अभिसारिका ज़रूर बना पाए हैं. राम और लीला का समर्पण नहीं उतर पाया है. संजय ने  फिल्मसिटी में महंगे सेट खड़े कर भव्यता बनायी है. पूरा गुजराती माहौल बखूबी उतरा है.इसके लिए प्रोडक्शन डिज़ाइनर वसीक खान और  costume डिज़ाइनर जोड़ी  मक्सिमा बासु और अंजू मोदी बधाई के पत्र हैं, जिन्होंन   भंसाली को डिज़ाइनर सब्यसाची मुखर्जी की याद तक नहीं आने दी. शाम कौशल के स्टंट ज़बरदस्त हैं. संजयलीला भंसाली ने बतौर संगीतकार फिल्म का माहौल बना दिया है. उनकी धुनें चरित्रों को उभारती है. राम-लीला में उत्तेजक रोमांस और वायलेंस हैं. इस माहौल में लाल और चटख रंग ख़ास होते हैं. एस रवि वर्मन का कैमरा इन चटख रंगों को बखूबी उभरता है. उन्होंने किसी दृश्य को दिखाते समय आसपास के माहौल को भी पकड़ा है. रणवीर की भाभी बरखा बिष्ट को दीपिका के गैंग के लोग पकड़ने के लिए दौडाते हैं. उसके सर पर पानी का कलसा है. वह जब भागती है तो वह सर से गिर कर ढलान पर भागती बरखा के तेज़ रफ़्तार कदमों के साथ कलसा भी लुढ़कता जाता है. यह दृश्य वर्मन की प्रतिभा का परिचायक है.
 
राम-लीला कहानी दो चरित्रों की है. पर गंग्स्टरों के टकराव पर इस फिल्म में चरित्रों की भरमार है. दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह के अलावा फिल्म में सुप्रिया पाठक, अभिमन्यु सिंह, ऋचा चड्ढा, बरखा बिष्ट, गुलशन देवैया, शरद केलकर, अंशुल त्रिवेदी, आदि जैसे सशक्त कलाकार हैं. यह सभी फिल्म को ज़बरदस्त सपोर्ट करते हैं. पर दीपिका पादुकोण एक बार फिर अपनी सेक्सी इमेज को पुख्ता करते हुए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करती है. ख़ास तौर पर उनके डॉन के रूप में परिवर्तित होने के सीक्वेंस प्रभावशाली है. वह अपनी आँखों और चहरे के हाव भाव से दर्शकों के नाता जोड़ लेती हैं. रणवीर सिंह ने अपना दर्शक वर्ग तैयार कर लिया है. वह राम को अपने तरीके से बखूबी कर ले जाते हैं. हालाँकि,  लेखकों ने दीपिका का चरित्र को उभरने पर ज्यादा ध्यान दिया है. गुलशन देवैया भवानी के रूप में
 
प्रभावित करते हैं. लेकिन, उनका चरित्र काफी कमज़ोर लिखा गया है. वह पूरी तरह से खल चरित्र में नहीं उभरा है. बरखा बिष्ट और ऋचा चड्ढा अपने अपने रोल सहज तरीके से कर ले जाती हैं. अभिमन्यु सिंह और शरद केलकर स्वाभाविक हैं. सुप्रिया पाठक को लेडी डॉन के रूप में देखना सुखद लगता हैं. भाव सम्प्रेषण की तो वह उस्ताद हैं ही. प्रियंका चोपड़ा एक आइटम में नज़र आती हैं. वह मनोरंजक लगती हैं. अगर मनोरंजन नहीं भी करती तो चलता .
संजयलीला भंसाली ने बतौर निर्माता एक भव्य फिल्म बनायी हैं. फिल्म के चटख रंग आँखों को सुखद लगते हैं. लेकिन, जहाँ तक रोमांस की बात है, वह उभरने नहीं पाता. गोलियों की रास लीला के साथ दीपिका की रोमांस लीला साधारण काम-लीला बन जाती हैं.




















































Thursday 14 November 2013

दीपिका की राम लीला या प्रियंका की काम लीला !

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कल से संजयलीला भंसाली की राम-लीला देश के सभी सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी. मंगलवार १२  नवम्बर को जब दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने जब आधा दर्जन धार्मिक संगठनों की अपील पर राम-लीला की रिलीज़ पर रोक लगायी थी तथा भंसाली को रामलीला टाइटल का इस्तेमाल करने से रोका था, उस समय भी ऎसी उम्मीद नहीं थी कि फिल्म १५ नवम्बर को रिलीज़ नहीं हो पायेगी. क्योंकि, आजकल कभी अपनी फिल्म को प्रचार देने के लिए इस प्रकार की रिट फिल्म निर्माताओं द्वारा दायर की जाती हैं या फिर धर्म के नाम पर कुछ संगठनों  द्वारा दायर की जाती है. लेकिन, अंततः किसी न किसी न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद यह फ़िल्में रिलीज़ भी होती रहती है. बशर्ते,  ऎसी फिल्म राजनीतिक स्वरों वाली न रही हों.
सवाल यह नहीं कि संजयलीला भंसाली की फिल्म का नाम धार्मिक स्वर और रंगत वाला है या नहीं. इसमे कोई शक नहीं कि रामलीला का प्रयोग हिन्दुओ के अराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लीलाओं के मंचन के लिए उपयोग होता रहा है. देश का बच्चा बच्चा रामलीला और इसके प्रमुख चरित्रों के बारे में जानता है. इसलिए संजयलीला भासली भी जानते थे कि उनकी फिल्म का नाम हिन्दुओं की भावनाओं को छुएगा. इसीलिए उन्होंने फिल्म शुरू करते समय अपनी फिल्म के टाइटल को लेकर कहा भी था कि मेरी फिल्म के राम और लीला गुजराती हैं. उनका ऐसा बयान देने का मतलब उस भावना को शांत करना था, जो धार्मिक ज्वार लिए हो सकती थी. इसके बावजूद भंसाली ने कभी अपनी फिल्म का शीर्षक 'रामलीला' रखने से गुरेज नहीं किया. फिल्मों के तमाम पोस्टरों में (देखें ऊपर का पोस्टर) इसे  'रामलीला' बताया गया, जो कि कहीं न कहीं धार्मिक राम लीला का आभास देता था. लोअर कोर्ट ने कल १३ नवम्बर को अपने पूर्व के आदेश को इस






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आधार पर वापस लिया कि उन्हें नहीं मालूम था कि दिल्ली उच्च न्यायालय फिल्म पर रोक लगाने से पहले ही इनकार कर चूका है. कोर्ट को यह तथ्य भी तब संज्ञान में आये जब इरोस इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड के वकील ने उनके सामने रखे. यहाँ सोचने पर विवश होना पड़ता है कि कई देशों में धंधा चलाने वाली इरोस के विधिवेत्ताओं को यह तथ्य संज्ञान में नहीं था कि उन्होंने मंगलवार को रोक लगाने वाली याचिका की सुनवाई के समय इसे कोर्ट के  संज्ञान में नहीं रखा. इससे कहीं न कहीं इस शंका का उठाना स्वाभाविक है कि यह पूरा ड्रामा इरोस इंटरनेशनल मीडिया का तो खेला हुआ नहीं था. इरोस ने कोर्ट को बरगलाया भी कि उनकी फिल्म के पोस्टरों में 'राम-लीला : गालियों की रासलीला' लिखा है न कि 'रामलीला'. जबकि, फिल्म के तमाम पोस्टर हो हल्ला और वाद दायर होने के बाद ही बदले गए.
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कहा जा सकता है कि राम-लीला की कोर्ट लीला संजयलीला भंसाली द्वारा फिल्म को प्रचार देने के लिए रची गयी लीला थी. भंसाली ने अपनी फिल्म को धार्मिक रंग देने के बाद सेक्स के रंग भरने की पूरी कोशिश की गयी. राम बने रणवीर सिंह और लीला बनीं दीपिका पादुकोण के गर्मागर्म रोमांस दृश्यों को रंगीन लाल चित्रों द्वारा सुर्ख करने की भरपूर कोशिश की गयी. दीपिका और रणवीर के कामुक दृश्यों वाले फोटो से काम नहीं चला तो प्रियंका चोपड़ा की काम लीला का इस्तेमाल किया गया. उनका फिल्म में एक आधुनिक मुजरा सामने लाया गया. इसमे प्रियंका पूरे कामुक हाव भाव के साथ नाच गा रही थीं. हालाँकि, गा रही थी 'राम चाहे लीला, लीला चाहे राम', मगर दर्शकों का पूरा ध्यान प्रियंका चोपड़ा की उन्मुक्त देह की ओर ही था.
 
संजयलीला भंसाली के लिए खुद को संजीदा निर्देशक साबित करने के लिए राम-लीला का महत्व है. सांवरिया और गुज़ारिश की बड़ी असफलता के बाद राम-लीला उनके करियर का बड़ा दांव है. उन्होंने इस साल की सबसे सफल दो अभिनेत्रियों- दीपिका पादुकोण को बतौर नायिका तथा प्रियंका चोपड़ा को बतौर आइटम गर्ल ले रखा है. यह दोनों बॉक्स ऑफिस को काफी कुछ सम्हाल सकती हैं. लेकिन, भंसाली को ड्रामा खेलने में महारत हासिल है. हम दिल दे चुके सनम और देवदास इसका प्रमाण हैं. राम-लीला में भी गंग्स्टरों के टकराव और प्रेम का ड्रामा की परखा हुआ ड्रामा है. गुलशन देवैया और ऋचा चड्ढा जैसे सशक्त कलाकार भी हैं. अब कल ही मालूम पड़ेगा कि राम और उसकी लीला दर्शकों को कितना भाती है. वैसे यह अच्छा ही हुआ कि कोर्ट के आदेश की आड़ में बुद्धवार को  फिल्म का प्रीव्यू कैंसिल कर दिया गया. हो सकता है कि यह फिल्म पर भारी पड़ता.

Wednesday 13 November 2013

'लीला' को चुनौती 'रज्जो' की 'काया' से !

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Tuesday 12 November 2013

अब शुरू होगी दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा की सफ़ेद जंग !

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Friday 8 November 2013

प्रभुदेवा की कदम ताल पर नाचते ...राजकुमार !

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प्रभुदेवा दक्षिण के मजे हुए और प्रतिष्ठित कोरियोग्राफर और डायरेक्टर्स में हैं. लेकिन, मान सम्मान की बात करें तो उन्हें अक्खा इंडिया पहचानता है. प्रभुदेवा जब परदे पर आते हैं तो दर्शक तालियाँ और सीटियाँ ही नहीं बजाते, उनके कदमों के साथ कदम ताल मिलाने लगते हैं. प्रभुदेवा को यह अखिल भारतीय प्रतिष्ठा सलमान खान की फिल्म वांटेड से नहीं मिली. यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि प्रभुदेवा के तेजरफ्तार और दिलचस्प निर्देशन ने सलमान खान को पहली १०० करोडिया फिल्म दिला दी.हालाँकि, इससे पहले भी दर्शक उन्हें बतौर अभिनेता दक्षिण की फिल्मों के डब संस्करण में देख चुके थे. इन्ही फिल्मों से प्रभुदेवा बतौर डांसर लोकप्रिय हुए. हालाँकि, इस बीच उन्होंने दक्षिण में पांच हिट फ़िल्में निर्देशित कीं. परन्तु जैसे ही उन्होंने अपनी तमिल हिट फिल्म पोक्किरी का रीमेक वांटेड बनाया दर्शक उनकी निर्देशन शैली के दीवाने भी हो गए. राऊडी राठौर और रमैया वस्तावैया को सफल फिल्म बना कर प्रभुदेवा ने साबित कर दिया कि वह किसी सलमान खान के Embedded image permalink
मोहताज़ नहीं. शेष भारत के दर्शकों पर प्रभुदेवा की पकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अक्षय कुमार की फिल्म बॉस में भी प्रभुदेवा को अपने कदम थिरकाने पड़े. इस साल की उनकी निर्देशित दूसरी फिल्म रे..राजकुमार रिलीज़ होगी. इस फिल्म के प्रमोशन से प्रभुदेवा के स्टार स्टेटस का पता चलता है. रे..राजकुमार में शाहिद कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, प्रकाश राज और सोनू सूद जैसे जाने पहचाने चहरे हैं. इसके बावजूद शाहिद कपूर और सोनाक्षी सिन्हा के साथ, हर प्रमोशनल इवेंट्स में झूमते, नाचते और अपनी फिल्म और कलाकारों की खासियत बताते प्रभुदेवा भी नज़र आते हैं.यह है प्रभुदेवा की ताकत कि वह दक्षिण ही नहीं शेष भारत के भी स्टार डायरेक्टर और कोरियोग्राफर हैं.
                      

Thursday 7 November 2013

कृष ३ के चंगुल में सत्या २

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                  रामगोपाल वर्मा के साथ सत्या २ बनाने वाली कंपनी एल आर मीडिया की अर्जी कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गयी है. एल आर मीडिया ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सत्या २ को रिलीज़ होने से रोके जाने की मांग की थी. पर कोर्ट को कोई ऐसा बिंदु नहीं नज़र आया, जिसे देखते हुए सत्या २ की रिलीज़ पर रोक लगायी जा सकती. इस प्रकार से कल से  सत्या २ का तमाम थिएटर में रिलीज़ होना निश्चित हो गया है.
                   रामगोपाल वर्मा ने सत्या २ को कृष ३ का शिकार होने से बचाने के लिए सत्या २ की रिलीज़ ८ नवम्बर तक के लिए टाल दी थी. पहले २५ अक्टूबर को सत्या २ को रिलीज़ होना था. उस सप्ताह छः दूसरी फ़िल्में भी रिलीज़ हो रही थीं. ऐसे में सत्या २ को बहुत ज्यादा थिएटर मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी. नवम्बर के पहले हफ्ते में कृष ३ को रिलीज़ होना था. कृष ३ की रिलीज़ ४२०० प्रिंट्स में की जा रही थी.  कृष ३ की मौजूदगी में सत्या २ को न तो थिएटर मिलते, न ही दर्शक. पुनीत सिंह, अनैका सोती और अराधना गुप्ता जैसे नए चेहरों वाली फिल्म सत्या २ इतनी चर्चित भी नहीं हुई थी कि दर्शक फिल्म को देखने के लाइन बांधे रहता . ऐसे में सत्या २ की रिलीज़ १ नवम्बर को रखना आत्मघाती कदम होता. वर्मा ने समझदारी बरतते हुए सत्या २ की  रिलीज़ २ हफ्ता बढाते हुए ८ नवम्बर कर दिया. ऐसा करते समय रामू ने ऐसा जताया जैसे वह शहीद हो रहे थे. उन्होंने अंडरवर्ल्ड से धमकी का भी गोलमोल जिक्र किया.
                      लेकिन, अब जबकि सत्या २ रिलीज़ होने जा रही है, सत्या २ की मुसीबतें कम नहीं हो जातीं. एल आर ग्रुप की शिकायतों पर कोर्ट ने कान नहीं दिया. मगर, सत्या २ के लिए अब ज़रूरी यह है कि सत्या २ के वचन सुनने और गंग्स वॉर को देखने के लिए दर्शक सजग हों. अंडरवर्ल्ड की कहानियों में नवीनता नहीं रह गयी है. खुद रामगोपाल वर्मा भी अंडरवर्ल्ड में रूचि खो बैठे हैं. रामगोपाल वर्मा भी अब एक रोमांटिक फिल्म बनाना चाहते हैं. अंडरवर्ल्ड में दर्शकों के कम होते क्रेज के अलावा दूसरी बात यह है कि कृष ३ सुपर हिट हो चुकी है. समीक्षकों और दर्शकों द्वारा इसके सराहना की गयी है और पसंद किया जा रहा है. दीवाली ख़त्म होने के बाद दर्शक इस फिल्म को देखना चाहते हैं. वह कृष ३ की मौजूदगी में रामगोपाल वर्मा के सत्या २को देखना क्यों चाहेंगे. ऐसे में सत्या २ का कोर्ट के चंगुल से बचने के बावजूद कृष २ के चंगुल से बचाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.