Sunday 31 August 2014

शाहरुख़ खान और फरहान अख्तर होंगे राहुल ढोलकिया के रईस !

बैनर एक्सेल एंटरटेनमेंट ने अपनी अगली फिल्म रईस की घोषणा कर दी है।  इस फिल्म की मुख्य भूमिका में शाहरुख़ खान और फरहान अख्तर होंगे।  परन्तु, इस  फिल्म का निर्देशन फरहान अख्तर नहीं राहुल ढोलकिया करेंगे. परजानिया और लम्हा जैसी काम बजट की फिल्मों के मशहूर निर्देशक राहुल की फिल्म पहली बड़े बजट और स्टारकास्ट वाली फिल्म है. रईस के नायक  शाहरुख़ खान फिलवक्त अपनी फराह खान निर्देशित कॉमेडी फिल्म हैप्पी न्यू  ईयर के प्रमोशन में व्यस्त हैं।  इसके बाद खान यशराज बैनर की फिल्म फैन की शूटिंग पूरी करेंगे।  फैन  के बाद ही रईस शुरू होगी।  बहरहाल, राहुल ढोलकिया ने रईस की स्क्रिप्ट पूरी कर ली है।  लोकेशन को तय किया जाना है।  राहुल ढोलकिया का इरादा फिल्म को एक लम्बे शिड्यूल में एक साल के अंदर पूरा करने का है।  तब तक फिल्म के शेष कास्ट एंड क्रू फाइनल कर लिए जायेंगे।

Saturday 30 August 2014

इमेज का मारा 'राजा नटवरलाल' बेचारा

किसी अभिनेता की इमेज किसी फिल्म को कैसे कचरा कर सकती है, इसका उदाहरण निर्देशक कुणाल देशमुख की थ्रिलर सोशल फिल्म 'राजा नटवरलाल' है. राजा नटवरलाल इमरान हाशमी की फिल्म है. इस फिल्म में वह अपने मित्र दीपक तिजोरी के साथ मिलकर छोटी मोटी ठगी किया करते हैं. वह होटल में डांस करने वाली जिया से मोहब्बत करते हैं. फिल्म में जिया की भूमिका पाकिस्तानी अभिनेत्री  हुमैमा मलिक ने की है।  एक बड़ा हाथ मारने की फिराक में दोनों इंटरनेशनल डॉन वर्धा यादव के ८० लाख पर हाथ साफ़ कर देते हैं. वर्धा यानि केके मेनन राजा के दोस्त को मार डालता है. अब वह राजा के पीछे लगा है. राजा भाग कर धर्मशाला आ जाता है एक पूर्व ठग योगी से मदद माँगने के लिए।  दोनों मिल कर क्रिकेट के प्रेमी वर्धा यादव को किस प्रकार बर्बाद कर डालते हैं, यही फिल्म का थ्रिल है.
सब कुछ बेहद कमज़ोर है. परवेज़ शेख ने बेहद कमज़ोर कहानी पर लचर पटकथा लिखी है. फिल्म में सब कुछ वैसा ही चलता रहता है, जैसा निर्देशक कुणाल परवेज़ चाहते हैं. इस प्रयास में खलनायक वर्धा यादव का चरित्र के जोकर जैसा बन जाता है। जो डॉन राजा के दोस्त को ढूंढ कर मार डालता है, वह राजा की एक फोटो तक नहीं देख पाता।  केप टाउन जाकर कहानी बिलकुल भटक जाती है।  बचकाने ढंग से इमरान हाशमी, परेश रावल और  उनके साथी तथा हुमैमा अपना काम अंजाम देते हैं. इस कहानी का पूरा मक़सद मशहूर ठग नटवरलाल की स्क्रीन कॉपी योगी की मौजूदगी के बावजूद राजा को राजा नटवरलाल साबित करना था। पूरे बचकाने ढंग से इसे साबित करने में कुणाल, संजय और शेख कामयाब भी होते हैं. संजय मासूम के संवाद अब असरकारी नहीं रहे. वह चालू टाइप का लिख मारते हैं.  हालाँकि,इस कहानी में कुछ अच्छे संवाद लिखे जाने की गुंजाइश थी।
इमरान हाशमी की इमेज सीरियल किसर की है। वह अपनी हीरोइन को पहली सिटींग में ही बिस्तर तक लेजाकर गर्मागर्म रोमांस करने के लिए विख्यात या कुख्यात हैं।   इस इमेज के अनुरूप फिल्म में उनके तीन किस भी हैं. पाकिस्तानी 'बोल' अभिनेत्री हुमैमा खान लपक कर इमरान का पहला किस लेती है।  हुमैमा के इस बोल्ड एक्ट पर सिनेमाहॉल में बैठे दर्शकों की उम्मीदें जवान  होने लगती हैं।  लगता है अब काफी बोल्ड होगा।  पर कुछ होता नहीं. हुमैमा के साथ बिस्तर पर पहुँच कर भी इमरान हाशमी कुछ गर्मागर्म नहीं कर पाते।  दर्शक इमरान और हुमैमा की माँ बहन का ऐलान करना शुरू कर देते हैं।  इमरान हाशमी की इमेज उनके किरदार पर भारी पड़ती है।पाकिस्तानी मॉडल, टीवी  और फिल्म एक्ट्रेस हुमैमा 'बोल' मलिक ने बोल्ड लगने की भरसक कोशिश की है। साड़ी को अंग प्रदर्शक तरीके से बाँधा है. राज चक्रवर्ती का घूरता हुआ कैमरा बार बार हुमैमा की नाभि से शुरू हो कर उनके शरीर के पूरे भूगोल से दर्शकों का परिचय कराता है. पर दर्शक मांगे मोर।  हुमैमा चेहरे से बदसूरत नहीं तो खूबसूरत बिलकुल नहीं लगती।  वह इमरान का चुम्बन लेने में पहल करती हैं, स्मूचिंग करती  हैं, पानी में भीग कर अपने शरीर के विटामिन का प्रदर्शन करती हैं, इमरान की हमबिस्तर तक होती हैं, इसके बावजूद फिल्म को गर्म नहीं कर पाती।  फिल्म में इमरान और हुमैमा के बेड सीन से दर्शकों की उम्मीदें परवान चढ़ कर खत्म हो जाती हैं. न जाने क्यों फिल्म के इस  बिस्तर सीन को पहले ही कम कर दिया गया. शायद पाकिस्तान में हुमैमा के प्रति भावनाओं का ख्याल रखते हुए इस सीन को काटा गया। अभिनय के मामले में हुमैमा सामान्य ही लगीं। शायद फिल्म में उनके किरदार में कोई दम ही नहीं था, इसलिए। केके मेनन वर्धा यादव के किरदार में मौका खोते लगते हैं. पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में सुमीत निझावन और शूटर के रोल में मोहम्मद ज़ीशान अयूब दर्शकों का ध्यान आकृष्ट करते हैं।
राजा नटवरलाल की सबसे बड़ी कमज़ोरी, कहानी और पटकथा के अलावा, संगीत है. इस प्रकार की फिल्मों, ख़ास तौर पर इमरान हाशमी की फिल्मों में मधुर संगीत खासियत हुआ करता है।  राजा नटवरलाल में यह नदारद है।  युवान शंकर राजा एक भी मधुर धुन नहीं दर्ज़ कर पाये।  संदीप शिरोढकर का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म को सपोर्ट करता है।  रेमो डि सूजा ने हुमैमा को मामूली स्टेप्स ही दिए हैं. वैसे उनसे काफी कल्पनाशीलता की उम्मीद की जाती है.
इमरान हाशमी और हुमैमा खान के प्रशंसक चाहें तो फिल्म देख सकते हैं।  पर इस समीक्षा को दोष न दें


Saturday 23 August 2014

अब मणि रत्नम की अलिया

शशांक खेतान  की फिल्म हम्प्टी शर्मा  की  दुल्हनियां में काव्य प्रताप सिंह की भूमिका से अभिनेत्री अलिया भट्ट ने दक्षिण के प्रतिष्ठित निर्देशक मणि रत्नम को भी प्रभावित कर लिया है।  अपनी आगामी फिल्म के लिए मणि ने अलिया भट को साइन कर लिया है. अलिया भट्ट अपनी एक के बाद एक तीन फिल्मों स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर, हाईवे और २ स्टेट्स में अपनी प्रतिभा और स्टारडम का परिचय दिया था।  हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया के बाद अलिया भट्ट को फिल्म सर्किल में गंभीरता से लिया जाने लगा है. वह इस समय विकास 'क्वीन' बहल की फिल्म शानदार में शाहिद कपूर के अपोजिट साइन की गयी हैं. इसके अलावा, वह अयान मुख़र्जी की अगली फिल्म में रणबीर कपूर के साथ मुख्य भूमिका में ली गयी हैं. वह अपने कजिन मोहित सूरी की अगली फिल्म में भी काम करेंगी. कहा जाता है कि  मोहित की फिल्म में महेश भट्ट और सोनी राजदान की यह बेटी पहली बार गंभीर भूमिका करेगी. इसका साफ़ मतलब यह है कि अलिया भट्ट को अब सीरियसली लिया  जाने लगा है। 
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'मुंबई के डीसीपी' ने बचाया 'क्राइम ब्रांच की सीनियर इंस्पेक्टर' को !

मुंबई पुलिस के डीसीपी ने अपने सीनियर इंस्पेक्टर की लाज बचा ली. अगर, अजय देवगन की फिल्म सिंघम रिटर्न्स ने लखनऊ में एक सिनेमाघर न छोड़ा होता तो शायद मर्दानी को सिंगल स्क्रीन के दर्शक नहीं देख पाते. हुआ यह था कि १५ अगस्त को जब अजय देवगन और रोहित शेट्टी की हिट जोड़ी की फिल्म सिंघम रिटर्न्स की लखनऊ में रिलीज़ तय हुई तो इस फिल्म के लिए मल्टीप्लेक्स थिएटर के अलावा सभी मुख्य सिंगल स्क्रीन थिएटर- नावेल्टी लालबाग और अलीगंज, शुभम, आनंद सिनेप्लेक्स, साहू और उमराव को बुक कर लिया गया था. केवल प्रतिभा थिएटर में ही अक्षय कुमार की फिल्म एंटरटेनमेंट दिखायी जा रही थी. सिंघम रिटर्न्स की जैसी हाइप बनी थी, उसे देखते हुए सभी सिंगल स्क्रीन थिएटर २ हफ्ते के लिए बुक थे. ऐसे में रानी मुख़र्जी की फिल्म मर्दानी के लिए केवल प्रतिभा थिएटर ही उपलब्ध था. लेकिन, बात एमजी पर टिकी हुई थी. यशराज फिल्म्स ने बड़ा सा मुंह फाड़ा. प्रतिभा थिएटर का प्रबंधन पीछे हट गया. उसे रानी मुख़र्जी की बॉलीवुड फिल्म के बजाय हॉलीवुड के एक्शन स्टार्स सीलवेस्टर स्टैलोन, अर्नाल्ड श्वार्जनेगर, आदि जैसे दस सितारों की फिल्म द एक्सपेंडब्ल्स ३ को रिलीज़ करना ज़्यादा फायदेमंद लगा. यह मर्दानी का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या था कि सिंघम रिटर्न्स से टकराव टालने वाली फिल्म द एक्सपेंडब्ल्स ३ मर्दानी से आ भिड़ी थी. पुलिस वालों से भागे हुए भाड़े के हत्यारे, पुलिस वालों को ही चुनौती दे रहे थे. ऐसे में लग रहा था कि लखनऊ की फिल्मों के इतिहास में पहली बार यशराज बैनर की कोई बड़ी फिल्म सिंगल स्क्रीन थिएटर में रिलीज़ नहीं हो पाएगी. लेकिन, तभी चमत्कार सा हुआ. सिंघम रिटर्न्स का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन गिरना शुरू हुआ. इस फिल्म की संडे की कमाई फ्राइडे की कमाई से भी कम रही. सोमवार को जन्माष्टमी का अवकाश होने के बावजूद सिंघम रिटर्न्स का कलेक्शन काफी गिरा. मंगलवार को यह इतना गिरा कि शुभम के प्रबंधन को लगा कि यह फिल्म दूसरे सप्ताह में एक लाख का कलेक्शन कर ले गयी तो बहुत होगा. इस पर डिस्ट्रीब्यूटर से बात की गयी. उन्हें बताया गया कि सिंघम रिटर्न्स को दूसरे हफ्ते में प्रदर्शित करना घाटे का सौदा होगा. शायद यशराज फिल्म्स का दबाव भी कारगर साबित हुआ होगा. मुंबई पुलिस के डीसीपी सिंघम रिटर्न्स ने शुभम को छोड़ा. मुंबई क्राइम ब्रांच की सीनियर इंस्पेक्टर मर्दानी ने इस मौके को लपका. शुभम थिएटर में मर्दानी बुक हो गयी. कल्पना कीजिये कि सिंघम रिटर्न्स बहुत अच्छा बिज़नेस कर रही होती! तब तो मर्दानी को सिंगल स्क्रीन मिल ही नहीं पाती. क्योंकि, रिलीज़ के मामले में हॉलीवुड ने बॉलीवुड को पहले ही मात दे दी थी. दिलचस्प बात यह थी कि जिस द एक्सपेंडब्ल्स ३ की रिलीज़ सिंघम रिटर्न्स से टकराव टालने के लिए एक हफ्ता पीछे कर दी गयी थी, उसी की टक्कर से मर्दानी को बचाने के लिए सिंघम आगे आया था.

Friday 22 August 2014

भाड़े के हत्यारों का एक और मिशन

सिल्वेस्टर स्टैलोन, जेसन स्टेथम, हैरिसन फोर्ड, अर्नाल्ड श्वार्जनेगर, जेट ली, मेल गिब्सन, वेस्ली स्नाइप्स, डोल्फ लुंडग्रेन, रैंडी कूचर, टेरी क्रुज, केलसये ग्रम्मेर, ग्लेन पॉवेल, अन्तोनिओ बंदरस, विक्टर ओर्तीज़, रोंडा रॉसी और केलन लुट्ज़ . यह सब हॉलीवुड फिल्मों के बड़े नाम है. कुछ तो काफी वरिष्ठ अभिनेता हैं. इनमे से ज़्यादातर की एक्शन हीरो की इमेज है. निर्माता सीलवेस्टर स्टैलोन ने इन सभी को अपनी फिल्म द एक्सपेंडब्ल्स ३ के लिए इकठ्ठा किया है. ज़ाहिर है कि इतनी ज़्यादा एक्शन स्टार कास्ट के साथ साथ बनाने वाली फिल्म हैरतअंगेज एक्शन दृश्यों से भरपूर होगी ही. द एक्सपेंडब्ल्स ३ बिलकुल वैसी ही फिल्म हैं. पूरी फिल्म में रफ़्तार भरती गाड़ियां, उड़ाते हवाई जहाज और हेलीकाप्टर, मशीन गन्स, टैंक, आदि सब कुछ है. निर्देशक पैट्रिक हूजेस ने विशुद्ध एक्शन फिल्म बनाने में कोई कसार नहीं छोड़ी है. इसके लिए चुस्त दुरुस्त स्क्रीनप्ले ज़रूरी होता है. सीलवेस्टर स्टैलोन के साथ क्रेटों रोथेनबेर्गेर और कटरीन बेनेडिक्ट ने इस ज़रुरत को बखूबी पूरा किया है. सिल्वेस्टर स्टैलोन, हैरिसन फोर्ड, अर्नाल्ड श्वार्जनेगर और मेल गिब्सन के चेहरों से उम्र झांकती है. लेकिन, एक्शन फिल्मों को युवा चेहरों की ज़रुरत ख़ास नहीं होती. इसके बावजूद स्टैलोन ने अपनी फिल्म में केलन लुट्ज़, ग्लेन पॉवेल, विक्टर ओर्तीज़ और रोंडा  रॉसी जैसे युवा चेहरों को अपनी भाड़े के हत्यारों की टीम का सदस्य बनाया है. शायद स्टैलोन का इरादा एक्सपेंडब्ल्स को आगे कुछ अन्य कड़ियों में खींचना है. इस फिल्म को इसकी स्टार कास्ट के कारण हिंदुस्तान में दर्शक मिलेंगे.  

बॉक्स ऑफिस की 'मर्दानी' रानी मुख़र्जी

सक्षम अभिनेत्री कैसी भी भूमिका को बड़ी सहजता  से निभा सकती है. मुंबई क्राइम ब्रांच की सीनियर इंस्पेक्टर शिवानी शिवाजी रॉय की भूमिका में रानी मुख़र्जी ने इसे साबित कर दिखाया है. रानी मुख़र्जी कई फिल्मों में इमोशनल भूमिकाओं को कई बार कर चुकी हैं. इस बार मर्दानी में उन्होंने एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के रफ़ टफ किरदार को किया है. इस भूमिका में रानी मुख़र्जी बिना लाउड हुए रफ़ टफ लगती हैं. अपनी छोटी कद काठी के बावजूद वह शिवानी के किरदार को स्वाभाविक बना ले जाती हैं. फिल्म में कई इमोशनल सीक्वेंस हैं. रानी हर सीन में मर्दानी लगती हैं. फिल्म की कहानी दिल्ली और मुंबई में मानव तस्करी और देह व्यापार पर केंद्रित है. शिवानी क्राइम ब्रांच की इंस्पेक्टर होने के नाते इस व्यापार पर निगाह रख रही है. जब उसे पता चलता है कि एक गिरोह जवान लड़कियों को अगवा कर देह व्यापर में धकेल रहा है और नकली पासपोर्ट के जरिये विदेशों में बेच रहा है, तब वह इसका पर्दाफाश करने का निर्णय लेती है. उसे रोकने के लिए गिरोह उसके डॉक्टर पति पर हमला करता है. पर वह डिगती नहीं. अंततः वह इस गिरोह को उखाड़ फेंकती है. मर्दानी को गोपी पुथरन ने लिखा है. उन्होंने घटनाओ को सहज और स्वाभाविक बनाने की सफल कोशिश की है. ख़ास तौर पर फिल्म का क्लाइमेक्स. गोपी ने फिल्म को छोटे छोटे दृश्यों में बाँधा है. इससे फिल्म में गति आयी है तथा वह पूरी गति से बिना किसी बाधा के चलती रहती है. उन्होंने अनावशयक नृत्य गीत न डाल कर (हालाँकि, इसकी काफी गुंजाईश थी), फिल्म को लम्बा नहीं होने दे कर ११३ में मिनट में समेट  दिया है. मर्दानी को आर्थर जुरव्स्की के कैमरा ने काफी सपोर्ट किया है. संपादक संजीब दत्ता ने अनावश्यक दृश्यों को छोटा कर दिया है. मर्दानी यशराज फिल्म्स की एडल्ट सर्टिफिकेट पाने वाली पहली फिल्म है. परन्तु, इसमे अश्लीलता नहीं है. पूरी फिल्म रानी मुख़र्जी के कन्धों पर रफ़्तार भरती है. उनके सामने, उनके पति डॉ रॉय की भूमिका में जिस्शु सेनगुप्ता और खलनायक कत्याल की भूमिका में अनंत शर्मा उभरने नहीं पाते. कार्तिक राजा का पार्श्व संगीत फिल्म की जान है. बताया जाता है कि अपने किरदार को स्वाभाविक बनाने के लिए रानी मुख़र्जी ने जिम में घंटों पसीना बहाया था. फिल्म में उनकी यह मेहनत रंग लाती नज़र आती है. निर्देशक प्रदीप सरकार ने मानव तस्करी जैसे विषय पर अपना पूरा नियंत्रण बनाये रखा है. हर चरित्र उनके नियंत्रण में रहता है. वह छोटे से छोटे चरित्र को शिवानी के चरित्र को पूरा सहयोग देने वाला  बना देते हैं. इस फिल्म को अच्छी फिल्मों के शौकीनों द्वारा देखा जाना चाहिए.