भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday 30 April 2015
कितना 'सेंसर' कर पाएंगे बॉलीवुड को निहलानी ?
कोई १५ साल पहले निर्माता, निर्देशक और अभिनेता देव आनंद की एक फिल्म रिलीज़ हुई थी 'सेंसर' । इस फिल्म में दिखाया गया था कि मंत्री के निर्देश पर सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं के लिए कुछ कड़े निर्देश जारी करता है। जिसके फलस्वरूप देव आनंद की फिल्म लफड़े में फंस जाती है। बोर्ड इस फिल्म को यू सर्टिफिकेट नहीं देना चाहता। तब देव आनंद सेंसर बोर्ड और मंत्रालय की पोल खोलने में जुट जाते हैं। इस फिल्म में हिंदी फिल्मों के निर्माता और अभिनेता अनिल नागरथ ने सेंसर बोर्ड के चीफ का किरदार किया था।
देव आनंद की फिल्म 'सेंसर' की कहानी की रील जैसे घूम रही है। रियल सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन, जिसे हम सेंसर बोर्ड के नाम से भी जानते हैं, में बदलाव के साथ ही बॉलीवुड में जैसे तूफ़ान आ गया है। ठीक 'सेंसर' की कहानी की तरह रियल सेंसर बोर्ड के चीफ पहलाज निहलानी ने फिल्म निर्माताओं और बोर्ड के सदस्यों को धूल झाड़ कर वह सूची सौंप दी है, जो निहलानी से पहले की चीफ लीला सेमसन के राज में मेज की दराज में रख दी गई थी। इसके साथ ही पहलाज निहलानी देव आनंद की फिल्म 'सेंसर' के मंत्री और चीफ की तरह बॉलीवुड के रियल निर्माताओं के निशाने में आ गए हैं। अगर बॉलीवुड का कोई अनुराग कश्यप, विशाल भरद्वाज या करण जौहर सेंसर बोर्ड पर फिल्म बनाना चाहे तो वह अपने मुख्य विलेन का नाम पहलाज निहलानी ही रखना चाहेगा ।
जी हाँ ! पहलाज निहलानी निशाने पर हैं। बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं के भी और बोर्ड के सदस्यों के भी। बोर्ड के एक सदस्य और फिल्म निर्माता अशोक पंडित उन्हें 'अनार्किस्ट' कहते हैं। क्योंकि, अब सभी को, यहाँ तक कि सेंसर बोर्ड के सदस्यों को भी, पहले के निर्देश कुछ ज़्यादा स्पष्ट कर दिए गए हैं। 'कस वर्ल्डस' यानि बुरी-गन्दी भाषा, गाली गलौच, आदि फिल्मों में नहीं चलेगी। उन्होंने हिंदी के १५ और अंग्रेजी के १३ गंदे शब्दों की लिस्ट जारी की है, जिन्हे फिल्मों के संवादों में नहीं रखा जा सकता। अश्लीलता या कामुकता भी किस हद तक दिखाई जा सकेगी, वह काफी कुछ निहलानी और उनके सदस्यों पर निर्भर कर रहा है। आजकल के फिल्म निर्माता जैसी सस्ती भाषा वाली फ़िल्में बना रहे हैं, जिस प्रकार से फिल्मों मे कामुकता हावी है, नारी चरित्र को अपमानित किया जा रहा है, धर्म ख़ास को निशाना बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए पहलाज निहलानी को बॉलीवुड के फिल्मकारों के निशाने पर आना ही है।
लेकिन, यहाँ बॉलीवुड भूल जाता है कि पहलाज निहलानी खुद फिल्म निर्माता हैं। उन्हें फिल्म बनाने और फिल्म वालों की संस्थाएं चलाने का अनुभव है। वह पिछले ३२ सालों से फिल्म उद्योग में हैं। वह २००९ तक लगातार लगातार २९ साल तक एसोसिएशन ऑफ़ मोशन पिक्चर्स एंड टीवी प्रोग्राम्स प्रोडूसर्स के प्रेजिडेंट रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कोई डेढ़ दर्जन फ़िल्में बनाई हैं। उन्हें माध्यम की समझ है। उद्योग की समस्या भी समझते हैं। उनकी बतौर निर्माता फ़िल्में एक्शन और कॉमेडी वाली मनोरंजक फ़िल्में हुआ करती थीं। उन्होंने हथकड़ी, आंधी तूफ़ान, इलज़ाम, आग ही आग, पाप की दुनिया मिटटी और सोना, शोला और शबनम, आग का गोला, आँखे, अंदाज़, आदि सुपर डुपर हिट फ़िल्में बनाई हैं। उन्होंने अपनी फिल्म हिट कराने के लिए कभी सस्ते प्रचार या नायिका के अंग प्रदर्शन का सहारा नहीं लिया। गोविंदा और चंकी पाण्डेय जैसे एक्टरों का करियर उन्ही की फिल्मों से परवान चढ़ा।
देखा जाए तो पहलाज निहलानी के सेंसर बोर्ड चीफ बनाने के बाद माहौल सकारात्मक रूप से बदला है। उन्होंने अनुष्का शर्मा की फिल्म 'एनएच १०' में चरित्रों द्वारा इस्तेमाल की गई गालियों को हटाने के निर्देश दिए। यहाँ तक की हॉलीवुड फिल्म 'फ्यूरियस ७' जैसी बड़ी फिल्मों के भी गंदे शब्द म्यूट कर दिए गए। कामुकता से भरपुर हॉलीवुड फिल्म '५० शेड्स ग्रे' को जितने कट्स बताये गए हैं, उन्हें काटने के बाद फिल्म की वितरण संस्था को फिल्म को भारत में रिलीज़ बेकार लगता है । अनुराग कश्यप की सेक्स कॉमेडी फिल्म 'हंटर' का ट्रेलर लीला सेमसन के बोर्ड द्वारा पारित किया गया था । इस ट्रेलर से फिल्म गन्दी भाषा वाली, कामुक और महिलाओं को बेइज्जत करने वाली लगती थी । पहलाज निहलानी के बोर्ड ने अनुराग कश्यप से फिल्म को क्लीन कर लाने को कहा । अनुराग कश्यप को लगभग पूरी फिल्म फिर डब करानी पड़ी। नतीजे के तौर पर सिनेमाहाल में प्रदर्शित 'हंटर' कामुक बिलकुल नहीं थी, लेकिन विषय के लिहाज़ से प्रभावशाली थी। ऐसा भी नहीं कि पहलाज निहलानी की अध्यक्षता में सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं को परेशान कर रहा है। हॉलीवुड की फिल्म 'फ्यूरियस ७' को जहाँ वयस्कों का प्रमाण पत्र मिला था, वही हॉलीवुड फिल्म 'अवेंजर्स एज ऑफ़ उल्ट्रॉन' को दो हफ्ता पहले ही बिना किसी ख़ास कट के सार्वजनिक प्रदर्शन का प्रमाण पत्र दे दिया गया। सीरियल किसर के टाइटल से मशहूर इमरान हाशमी की विज्ञानं फंतासी फिल्म 'मिस्टर एक्स' को निर्माता महेश भट्ट और मुकेश भट्ट की मंशा के अनुरूप यू/ए सर्टिफिकेट फिल्म गया। सेंसर सर्टिफिकेशन का सिस्टम छह महीना पहले ऑन लाइन कर दिया गया था। पहलाज निहलानी ने इस बैकलॉग को तीन महीने में ख़त्म करने का फैसला किया है। उन्होंने बोर्ड में दलालों के दखल को बिलकुल ख़त्म कर दिया है।
पहलाज फिल्म निर्माताओं की समस्या के प्रति हमेशा सजग रहे हैं। लीला सेमसन के भ्रष्ट सेंसर बोर्ड की कटु आलोचना करने वाले और फिल्म पारित कराने का रेट कार्ड बताने वाले पहलाज निहलानी अब सेंसर बोर्ड की सर्वोच्च कुर्सी पर हैं। हालाँकि, कहा जा सकता है कि उन्हें यह कुर्सी बीजेपी संसद शत्रुघ्न सिन्हा का साला होने के करने मिली। लेकिन, अगर उन्होंने सेंसर बोर्ड को भ्रष्टाचार से पर सजग संस्था साबित कर दिया तो उन पर 'चीफ साला' का दाग नहीं लग पायेगा।
राजेंद्र प्रसाद कांडपाल
देव आनंद की फिल्म 'सेंसर' की कहानी की रील जैसे घूम रही है। रियल सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन, जिसे हम सेंसर बोर्ड के नाम से भी जानते हैं, में बदलाव के साथ ही बॉलीवुड में जैसे तूफ़ान आ गया है। ठीक 'सेंसर' की कहानी की तरह रियल सेंसर बोर्ड के चीफ पहलाज निहलानी ने फिल्म निर्माताओं और बोर्ड के सदस्यों को धूल झाड़ कर वह सूची सौंप दी है, जो निहलानी से पहले की चीफ लीला सेमसन के राज में मेज की दराज में रख दी गई थी। इसके साथ ही पहलाज निहलानी देव आनंद की फिल्म 'सेंसर' के मंत्री और चीफ की तरह बॉलीवुड के रियल निर्माताओं के निशाने में आ गए हैं। अगर बॉलीवुड का कोई अनुराग कश्यप, विशाल भरद्वाज या करण जौहर सेंसर बोर्ड पर फिल्म बनाना चाहे तो वह अपने मुख्य विलेन का नाम पहलाज निहलानी ही रखना चाहेगा ।
जी हाँ ! पहलाज निहलानी निशाने पर हैं। बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं के भी और बोर्ड के सदस्यों के भी। बोर्ड के एक सदस्य और फिल्म निर्माता अशोक पंडित उन्हें 'अनार्किस्ट' कहते हैं। क्योंकि, अब सभी को, यहाँ तक कि सेंसर बोर्ड के सदस्यों को भी, पहले के निर्देश कुछ ज़्यादा स्पष्ट कर दिए गए हैं। 'कस वर्ल्डस' यानि बुरी-गन्दी भाषा, गाली गलौच, आदि फिल्मों में नहीं चलेगी। उन्होंने हिंदी के १५ और अंग्रेजी के १३ गंदे शब्दों की लिस्ट जारी की है, जिन्हे फिल्मों के संवादों में नहीं रखा जा सकता। अश्लीलता या कामुकता भी किस हद तक दिखाई जा सकेगी, वह काफी कुछ निहलानी और उनके सदस्यों पर निर्भर कर रहा है। आजकल के फिल्म निर्माता जैसी सस्ती भाषा वाली फ़िल्में बना रहे हैं, जिस प्रकार से फिल्मों मे कामुकता हावी है, नारी चरित्र को अपमानित किया जा रहा है, धर्म ख़ास को निशाना बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए पहलाज निहलानी को बॉलीवुड के फिल्मकारों के निशाने पर आना ही है।
लेकिन, यहाँ बॉलीवुड भूल जाता है कि पहलाज निहलानी खुद फिल्म निर्माता हैं। उन्हें फिल्म बनाने और फिल्म वालों की संस्थाएं चलाने का अनुभव है। वह पिछले ३२ सालों से फिल्म उद्योग में हैं। वह २००९ तक लगातार लगातार २९ साल तक एसोसिएशन ऑफ़ मोशन पिक्चर्स एंड टीवी प्रोग्राम्स प्रोडूसर्स के प्रेजिडेंट रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कोई डेढ़ दर्जन फ़िल्में बनाई हैं। उन्हें माध्यम की समझ है। उद्योग की समस्या भी समझते हैं। उनकी बतौर निर्माता फ़िल्में एक्शन और कॉमेडी वाली मनोरंजक फ़िल्में हुआ करती थीं। उन्होंने हथकड़ी, आंधी तूफ़ान, इलज़ाम, आग ही आग, पाप की दुनिया मिटटी और सोना, शोला और शबनम, आग का गोला, आँखे, अंदाज़, आदि सुपर डुपर हिट फ़िल्में बनाई हैं। उन्होंने अपनी फिल्म हिट कराने के लिए कभी सस्ते प्रचार या नायिका के अंग प्रदर्शन का सहारा नहीं लिया। गोविंदा और चंकी पाण्डेय जैसे एक्टरों का करियर उन्ही की फिल्मों से परवान चढ़ा।
देखा जाए तो पहलाज निहलानी के सेंसर बोर्ड चीफ बनाने के बाद माहौल सकारात्मक रूप से बदला है। उन्होंने अनुष्का शर्मा की फिल्म 'एनएच १०' में चरित्रों द्वारा इस्तेमाल की गई गालियों को हटाने के निर्देश दिए। यहाँ तक की हॉलीवुड फिल्म 'फ्यूरियस ७' जैसी बड़ी फिल्मों के भी गंदे शब्द म्यूट कर दिए गए। कामुकता से भरपुर हॉलीवुड फिल्म '५० शेड्स ग्रे' को जितने कट्स बताये गए हैं, उन्हें काटने के बाद फिल्म की वितरण संस्था को फिल्म को भारत में रिलीज़ बेकार लगता है । अनुराग कश्यप की सेक्स कॉमेडी फिल्म 'हंटर' का ट्रेलर लीला सेमसन के बोर्ड द्वारा पारित किया गया था । इस ट्रेलर से फिल्म गन्दी भाषा वाली, कामुक और महिलाओं को बेइज्जत करने वाली लगती थी । पहलाज निहलानी के बोर्ड ने अनुराग कश्यप से फिल्म को क्लीन कर लाने को कहा । अनुराग कश्यप को लगभग पूरी फिल्म फिर डब करानी पड़ी। नतीजे के तौर पर सिनेमाहाल में प्रदर्शित 'हंटर' कामुक बिलकुल नहीं थी, लेकिन विषय के लिहाज़ से प्रभावशाली थी। ऐसा भी नहीं कि पहलाज निहलानी की अध्यक्षता में सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं को परेशान कर रहा है। हॉलीवुड की फिल्म 'फ्यूरियस ७' को जहाँ वयस्कों का प्रमाण पत्र मिला था, वही हॉलीवुड फिल्म 'अवेंजर्स एज ऑफ़ उल्ट्रॉन' को दो हफ्ता पहले ही बिना किसी ख़ास कट के सार्वजनिक प्रदर्शन का प्रमाण पत्र दे दिया गया। सीरियल किसर के टाइटल से मशहूर इमरान हाशमी की विज्ञानं फंतासी फिल्म 'मिस्टर एक्स' को निर्माता महेश भट्ट और मुकेश भट्ट की मंशा के अनुरूप यू/ए सर्टिफिकेट फिल्म गया। सेंसर सर्टिफिकेशन का सिस्टम छह महीना पहले ऑन लाइन कर दिया गया था। पहलाज निहलानी ने इस बैकलॉग को तीन महीने में ख़त्म करने का फैसला किया है। उन्होंने बोर्ड में दलालों के दखल को बिलकुल ख़त्म कर दिया है।
पहलाज फिल्म निर्माताओं की समस्या के प्रति हमेशा सजग रहे हैं। लीला सेमसन के भ्रष्ट सेंसर बोर्ड की कटु आलोचना करने वाले और फिल्म पारित कराने का रेट कार्ड बताने वाले पहलाज निहलानी अब सेंसर बोर्ड की सर्वोच्च कुर्सी पर हैं। हालाँकि, कहा जा सकता है कि उन्हें यह कुर्सी बीजेपी संसद शत्रुघ्न सिन्हा का साला होने के करने मिली। लेकिन, अगर उन्होंने सेंसर बोर्ड को भ्रष्टाचार से पर सजग संस्था साबित कर दिया तो उन पर 'चीफ साला' का दाग नहीं लग पायेगा।
राजेंद्र प्रसाद कांडपाल
टीवी सीरियल के लिए एकता जैन का फोटोशूट (फोटोज)
एक्ट्रेस मॉडल एकता जैन ने नए धारावाहिक के लिए फोटो शूट कराया है । एकता जैन ने कई एड फ़िल्में, रैंप शोज़, टीवी एंकरिंग, सीरियल्स और फिल्मो में काम करने के बाद अब वापस दूरदर्शन के लिए एक धारावाहिक करने जा रहीं हैं । अभी इस सीरियल का टाइटल फाइनल नहीं हुआ है। लेकिन, वह इस धारावाहिक में अलग अलग किरदार में नज़र आएँगी । इसी के अनुरूप उन्होंने फोटोशूट भी करवाया है। इस सीरियल को भारती बना रही हैं । जानेमाने फोटोग्राफर विशाल सक्सेना ने एकता के इस फोटो शूट को किया है।
यह मदमस्त बरखा है !
सिंह मल्टीमीडिया क्रिएशन के बैनर तले बनी हिंदी फिल्म 'मदमस्त बरखा' २२ मई को रिलीज़ होगी । इस फिल्म के निर्देशक जसपाल सिंह हैं । फिल्म में लीना कपूर और टीवी एंकर एकांश भारद्धाज मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म की कहानी लिखी है संदीप राले ने और संगीत दिया है राज वर्मा ने। इस सस्पेंस थ्रिलर फिल्म की शूटिंग मुंबई ,पालघर और मनोर में हुई है । फिल्म की कहानी लीना कपूर और एकांश के इर्द गिर्द घूमती है । बरखा की शादी आर्मी अफसर रणबीर से होती है और शादी के बाद उसे बॉर्डर पे जाना पड़ता है । इस अकेलेपन के दौरान उसकी मुलाकात रणबीर के दोस्त आकाश से होती है। वह दोनों एक दूसरे के करीब आ जाते हैं। फिल्म में ट्विस्ट तब आता है जब रणबीर बॉर्डर से वापस आता है तो उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी का चक्कर उसके दोस्त आकाश से चल रहा है । सस्पेंस उस समय ज़्यादा गहराता जाता है, जब बरखा की लाश स्विमिंग पूल में मिलती है। आकाश इस खून का इलज़ाम रणबीर पर लगाता है। बरखा का खून किसने किया है ? जानने के लिए 'मदमस्त बरखा' में जाना होगा।
'स्पेक्ट्र' की शूटिंग पर लौटे डेनियल क्रैग
जेम्स बांड सीरीज की २४वी फिल्म 'स्पेक्ट्र' की लोकेशन शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। अब फिल्म के स्टूडियो शूट ही किये जा रहे हैं। फिल्म में जेम्स बांड का किरदार करने वाले अभिनेता डेनियल क्रैग लम्बे अवकाश के बाद पाइनवुड स्टूडियोज में फिल्म की शूटिंग के लिए वापस लौट आये हैं। डेनियल क्रैग अपने घुटनों के ऑपरेशन के लिए ५ अप्रैल को न्यूयॉर्क चले गए थे। इसके बाद से फिल्म के तमाम दृश्य बांड करैक्टर के बिना शूट किये जा रहे थे। पाइनवुड स्टूडियोज में फिल्म की शूटिंग जारी रहेगी। जून में फिल्म की फर्स्ट यूनिट फिल्म के कुछ ख़ास हिस्सों की शूटिंग करने मोरक्को जाएगी। मोरक्को में 'स्पेक्ट्र' की शूटिंग दिसंबर में भी हुई थी। जब डेनियल क्रैग ने उत्तर-पूर्व मोरक्को में यज्दा में ट्रैन में सफर करते जेम्स बांड को शूट किया गया था। यह ट्रेन रेगिस्तानी इलाके से गुजरती है। जून में मोरक्को में 'स्पेक्ट्र' की १० दिनों की शूटिंग टंगेर और कुछ रेगिस्तानी इलाकों में की जाएगी ।
Wednesday 29 April 2015
भारत में रिलीज़ होगी जैक्विलिन की श्रीलंकाई फिल्म
एक्ट्रेस जैक्विलिन फर्नांडीज़ को बॉलीवुड में मिली 'किक' का असर श्रीलंका तक हुआ है। इस श्रीलंकाई सुंदरी को श्रीलंका की फिल्म इंडस्ट्री ने घास तक नहीं डाली थी। जैक्विलिन को २००९ में बॉलीवुड में ब्रेक मिला सुजॉय घोष की फंतासी फिल्म 'अलादीन' से। फिल्म फ्लॉप हुई। जैक्विलिन की अगली फिल्म 'जाने कहाँ से आई है' भी फ्लॉप हुई। साजिद खान की फिल्म 'हाउसफुल' में आइटम 'आपका क्या होगा' करके जैक्विलिन को 'हाउसफुल २' की नायिका बनाने का मौका मिला। लेकिन, उससे पहले महेश भट्ट के बैनर की फिल्म 'मर्डर २' ने उन्हें बॉलीवुड में अपने पैर ज़माने के लिए ज़मीन दे दी। इस बीच, हालाँकि, जैक्विलिन के खाते में 'हाउसफुल २' और 'रेस २' जैसी फ़िल्में दर्ज़ हो चुकी थी। लेकिन, श्रीलंका तक उनके ग्लैमर की धमक पहुंचाने का काम किया साजिद नाडियाडवाला की सलमान खान की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'किक' ने। जैक्विलिन की डेब्यू श्रीलंकाई फिल्म का टाइटल 'अकॉर्डिंग टू मैथ्यू' है। डायरेक्टर चंद्रन रत्नम की यह फिल्म एक पादरी की रोमांस कथा है, जो अपनी बीवी और उसके प्रेमी का क़त्ल कर देता है। यह एक सत्यकथा पर फिल्म है। 'अकॉर्डिंग टू मैथ्यू' इंग्लिश भाषा में बनी फिल्म है। पर यह फिल्म भारत में रिलीज़ नहीं होगी। जैक्विलिन की अगली श्रीलंकाई फिल्म इंग्लिश और हिंदी में बनाई जाएगी। इस फिल्म को भारत में भी रिलीज़ किया जायेगा।
क्या फिर घायल होंगी मीनाक्षी शेषाद्रि ?
सनी देओल की १९९० की सुपर हिट फिल्म 'घायल' के सीक्वल की २५ साल बाद शुरुआत हो चुकी है। फिल्म को राजकुमार संतोषी नहीं खुद सनी देओल डायरेक्ट कर रहे हैं। यानि इस फिल्म में वह एक्टर डायरेक्टर और प्रोडूसर की भूमिका में हैं। फिल्म में सोहा अली खान को पहले ही ले लिया गया है। लेकिन, अब खबर है कि घायल की नायिका मीनाक्षी शेषाद्रि 'घायल वन्स अगेन' से हिंदी फिल्मों में वापसी कर सकती हैं। मीनाक्षी इस समय टेक्सास में एक बैंकर हरीश मैसूर और बच्चों के साथ सुखी विवाहित जीवन गुजार रही हैं। उन्हें २५ साल बाद सनी देओल के साथ फिल्म से कमबैक करने की क्या ज़रुरत आन पड़ी! मीनाक्षी शेषाद्रि एक सफल और सुलझी फिल्म अभिनेत्री थी। वह जानती हैं कि अब उन्हें बॉलीवुड में केवल माँ की भूमिकाएं ही मिल सकती हैं। सनी देओल और घायल वन्स अगेन जैसी एक्शन फिल्मों में अच्छी भूमिका के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। तभी तो जब फिल्म के निर्माताओं से पूछा जाये तो वह भी यही कहते हैं कि 'अभी कुछ पक्का नहीं है। हमारी मीनाक्षी से फ़ोन पर ही बात हुई है। उन्होंने कुछ पक्का नहीं कहा है '
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