Monday 28 September 2015

क्या सलमान खान का 'प्रेम' चोला सफल होगा ?

कोई साढ़े चार साल बाद सलमान खान के प्रेम की वापसी हो रही है. सलमान खान की सूरज बडजात्या के निर्देशन में फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' दीवाली वीकेंड पर १२ नवम्बर को रिलीज़ हो रही है. इस फिल्म में सलमान खान के एक करैक्टर का नाम प्रेम है. सलमान खान ने पिछली बार २०११ में रिलीज़ अनीस बज्मी की फिल्म 'रेडी' में प्रेम का रोल दिया था. लेकिन, प्रेम रतन धन पायो सलमान खान के प्रेम की घर वापसी भी होगी. सलमान खान को ऑन स्क्रीन प्रेम नाम सूरज बडजात्या ने ही अपने निर्देशन की पहली फिल्म 'मैंने प्यार किया' में दिया था. इस फिल्म के बाद सलमान खान प्रेम करैक्टर में हिट हो गए. उन्होंने 'मैंने प्यार किया' के बाद अंदाज़ अपना अपना, हम आपके हैं कौन, जुड़वां, दीवाना मस्ताना, बीवी नंबर वन, सिर्फ तुम, हम साथ साथ हैं, चल मेरे भाई, कहीं प्यार न हो जाये, नो एंट्री, पार्टनर, मारीगोल्ड: अन एडवेंचर इन इंडिया में भी प्रेम नाम वाले किरदार किये. प्रेम नाम सलमान खान की स्क्रीन इमेज पर फबता है, भोला, सीधा सादा, प्रेम करने वाला प्रेम. सलमान खान पर राजा, राजू और राज नाम भी फबते हैं. आकाश और समीर भी उन्ही के किरदार हैं. जुड़वाँ में उनके प्रेम और राजा नाम थे. सूरज बडजात्या के साथ उन्होंने आखिरी बार १९९९ में फिल्म हम साथ साथ हैं में प्रेम किरदार किया था. सूरज बडजात्या सलमान खान के साथ प्रेम किरदार लेकर कितना सफल रहे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मैं प्रेम की दीवानी हूँ में हृथिक रोशन और अभिषेक बच्चन के प्रेम भी फिल्म को हिट नहीं बना पाए. राजश्री की फिल्म विवाह में प्रेम का किरदार तो सफल हो गया, लेकिन एक विवाह ऐसा भी में यह बिलकुल फ्लॉप साबित हुआ.
क्या उम्मीद की जा सकती है कि सलमान खान का प्रेम सूरज बडजात्या के साथ मिल कर फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' को बड़ी हिट बना पायेगा !


Sunday 27 September 2015

भिन्न संस्कृतियों का टकराव है 'लव एक्सचेंज'

बॉलीवुड की रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों की परम्परा में निर्माता नाडिया की राज वी शेट्टी निर्देशित फिल्म 'लव एक्सचेंज' भी है  ।  यह कहानी हैं एक ही दफ़्तर में काम करने वाले युवा सिड और शानू की। दोनों एक  दूसरे को  बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं।  लेकिन, इसमे आड़े आती है उन दोनों की भिन्न संस्कृतियाँ।  सिड साठे परिवार से और शानू कपूर है। दोनों की शादी न हो, इसलिए  कपूर और साठे परिवार उनके सामने शर्त रखता है कि सिड पंजाबी कपूर परिवार में और शानू महाराष्ट्रियन साठे परिवार में तीन महीने तक रहेंगे ।  इसके बाद इस शादी के बारे में तय किया जायेगा।  क्या यह शादी होती है ! यही उत्सुकता दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच कर लाती है।  लेकिन, हिंदी फिल्मों का क्लाइमेक्स तो एक जैसा होता है।  पर दर्शक 'लव एक्सचेंज' देखने आएंगे यह देखने के लिए कि यह कैसे होता है।  इस फिल्म की रोमांटिक भूमिका में मोहित मदन और ज्योति शर्मा हैं।  सपोर्टिंग रोल में मनोज पाहवा, नीलू कोहली, शमा देशपांडे और राजू खेर हैं।  पिछले दिनों इस फिल्म का पोस्टर  अँधेरी के गणेश  पंडाल में रिलीज़ हुआ।  जब इस फिल्म की यूएसपी के बारे में निर्देशक राज शेट्टी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "प्यार तूफ़ान भी होता है और ठंडी  हवा का झोंका भी।"



आदित्य चोपड़ा की अगली फिल्म का नाम होगा 'बेफ़िक्रे'

'रब ने बना दी जोड़ी' के सात साल बाद निर्देशक आदित्य चोपड़ा किसी फिल्म का निर्देशन करने जा रहे हैं।  इस फिल्म को खुद आदित्य चोपड़ा ने लिखा है।  इस फिल्म का नाम 'बेफ़िक्रे' होगा।  इस बात का ऐलान आज रात ठीक बारह बजे उस समय किया, जब घडी की सुइयों ने आदित्य चोपड़ा के पिता यश चोपड़ा की ८३ वी वर्षगाँठ का ऐलान किया।  फिल्म का ऐलान आदित्य चोपड़ा के लिखित बयान के द्वारा हुआ, जो सोशल साइट्स पर 12AM पर जारी किया गया ।  इस बयान को आदित्य ने अपने पिता के साथ वार्तालाप के रूप में लिखा है।  इसमे वह अपने पिता को फिल्म के लिखने, उसे किसी दूसरे डायरेक्टर को देने के बजाय खुद डायरेक्ट करने के कारणों का खुलासा करते हुए उनसे राय माँगते है और यश चोपड़ा उन्हें फिल्म शुरू करने के लिए कहते हैं । फिलहाल, फिल्म का अन्य विवरण घोषित नहीं हुआ हैं।

Saturday 26 September 2015

यह बॉलीवुड स्टाइल फ्लर्टिंग है

बॉलीवुड को रील लाइफ में भी फ्लर्टिंग रास आती है। थ्रिलर फिल्मों के फन में उस्ताद अब्बास-मुस्तान की जोड़ी इस बार फ्लर्टिंग में हाथ आजमा रही है।  इस जोड़ी की फिल्म 'किस किस को प्यार करू' कहानी है चार नाम शिव, राम, किशन और कुमार वाले एक ही व्यक्ति की है, जिसकी एक ही अपार्टमेंट में रहने वाली तीन बीवियां है। अब होता क्या है कि वह तीन औरतों के  होते हुए भी चौथी से फ़्लर्ट करने लगता है।  यह बॉलीवुड स्टाइल की फ्लर्टिंग है कि एक ही आदमी चार चार औरतों से फ़्लर्ट करता है। 
फ्लर्टिंग कर बुरे फंसे 
बॉलीवुड फिल्मों में फ्लर्टिंग के रूप अनेक है।  कॉमेडी के लिहाज़ से एक आदमी दो या तीन औरते और इन दो या तीन औरतों के बीच फंसे आदमी की बेचारगी, दर्शकों को हंसा हंसा कर लोट पोट कर देती है।  स्टैंडअप कॉमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म 'किस किस को प्यार करू' के केंद्र में भी हास्य है।  ऎसी फिल्में इस प्रकार के अनैतिक संबंधों को हंसने हंसाने के लिए मान्यता देती हैं। कॉमेडी फिल्मों के बादशाह गोविंदा साजन चले ससुराल और सैंडविच में दो बीवियों के बीच फंसे पति बने थे।  दर्शक उनकी बेचारगी पर हँसता है। लेकिन, अंत में उनकी दोनों रील लाइफ बीवियां उनकी शादियों को मंज़ूरी दे देती हैं।  लेकिन, क्योंकि, मैं झूठ नहीं बोलता और डू नॉट डिस्टर्ब में गोविंदा उस  समय बुरे फंसते हैं, जब वह बीवी को छोड़ कर दूसरी औरत से रोमांस करने लगते हैं और रंगे हाथों पकड़े जाते हैं ।  आखिर में उन्हें अच्छे पति की तरह अपने रोमांस से तौबा करनी पड़ती है।  रियल लाइफ में उनके अच्छे दोस्त सलमान खान भी बीवी नंबर १ में बीवी करीना कपूर को छोड़ कर सुष्मिता सेन से प्रेम की पींगे मारने लगते हैं।  अब यह बात दीगर है कि गोविंदा की तरह उन्हें भी अपनी रील लाइफ प्रेमिका से तौबा करनी पड़ती है।  साजन चले ससुराल के गोविंदा की कहानी की तरह घरवाली बाहरवाली के अनिल कपूर की भी थी। नेपाल घूमने गए अनिल कपूर को रम्भा से शादी करनी पड़ती है।  दो बीवियों वाले हीरो की फ़िल्में नायक की हास्यास्पद स्थिति को दर्शाने वाली विशुद्ध कॉमेडी फ़िल्में हैं।  
बिरयानी  खाने की चाहत 
लेकिन, मुसीबत तब होती है जब घरवाली-बाहरवाली फ्लर्टिंग घर की दाल रोटी छोड़ कर बिरयानी का मज़ा लेना बन जाती है। तीन दोस्त विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदासानी अपनी पत्नियों से ऊबे हुए हैं।  आफताब की बीवी तारा शर्मा तो धार्मिक पृवृति की होने के कारण सेक्स के प्रति उदासीन है।  इस पर तीनों बहार की बिरयानी का मज़ा लेने निकल पड़ते हैं।  इंद्रकुमार की फिल्म मस्ती के यह तीनों लम्पट किरदारों को एक लड़की के कथित मर्डर के अपराध में फंसने के कारण बिरयानी खाने से तौबा करनी पड़ती है। अब यह बात दीगर है कि ग्रैंड मस्ती में यह तीनों किरदार के बार फिर बिरयानी खाने निकल पड़ते हैं।  बीवियों के होते हुए फ्लर्टिंग का एक ऐसा ही मसाला नो एंट्री में भी अनीस बज़्मी ने दिखाया था। बाहर की बिरयानी के शौक वाली थीम दर्शकों में हिट हुई।  
पति पत्नी और वह 
जब पति और पत्नी के बीच दूसरी औरत आती है तो कभी हंसी आती है तो कभी रोना भी।  डू नॉट डिस्टर्ब में अनिल कपूर और पति पत्नी और वह में संजीव कुमार कभी खुद को बीमार तो कभी पत्नी को बीमार बता कर दूसरी औरत से सहानुभूति बटोरते हैं।  उनका  यह प्रयास विशुद्ध रूप से दर्शकों को हंसाता है।  लेकिन, इस नायक को उस समय रोना पड़ता है, जब फिल्म की थीम गंभीर हो जाती है।  यश चोपड़ा की फिल्म 'दाग' में राजेश खन्ना अपनी दो बीवियों राखी और शर्मीला टैगोर के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं।  मासूम में तो नसीरुद्दीन शाह का पहली बीवी से एक बच्चा भी है।  पति पत्नी और तवायफ में पति और पत्नी के बीच तवायफ आ जाती है तो बड़ा ड्रामा  खड़ा हो जाता है। सिलसिला में पति अपने पहले प्यार में लट्टू हो जाता है।  इसी प्रकार की कभी कभी, तमाम फ़िल्में किसी न किसी सन्देश के साथ भावाभिनय के लिए देखी जाने वाली फ़िल्में बन गई थी।  
जब बन जाती है दूसरी औरत 
महेश भट्ट ने फिल्म अर्थ में दूसरी औरत के जरिये महिला अधिकारों की वकालत की थी।  जब पति अपनी पत्नी को छोड़ कर दूसरी औरत के पास चला जाता है तो औरत टूट सी जाती है।  लेकिन, अर्थ में महेश भट्ट पत्नी को अपने पैरों पर खड़े होने की सलाह देते हैं।  'आखिर क्यों' की नायिका स्मिता पाटिल भी अपने पति के अवैध सम्बन्धो पर सवाल उठाती है कि पति कैसे अवैध सम्बन्ध रख सकता है, जबकि औरत के लिए यह टैबू है।  गुलजार की फिल्म 'इजाज़त' का पति अपनी पूर्व महिला मित्र को  भूल नहीं पाता और उससे सम्बन्ध रखता है।  इस थीम पर दूसरी बहुत सी फ़िल्में बनी हैं। इन फिल्मों को इनके एक्टर्स का अभिनय मील का पत्थर साबित होता है।  
फिसल जाती है औरत ! 
हिंदी  फिल्मों ने औरत को भी फिसलते दिखाया है।  यह वह समय था, जब वीमेन लिब का  नारा पूरे संसार में गूँज रहा था। इसी दौर में हिंदी फिल्मों की नायिका भी फिसली।  एक बार फिर की फिल्म एक्टर सुरेश ओबेरॉय की बीवी दीप्ति नवल पति की उपेक्षा और लम्पटपन के कारण एक पेंटर में अपना सुख ढूढती है।  एक पल की शबाना आज़मी का पति फारूख शेख अपने काम में बहुत ज़्यादा व्यस्त रहता है।  ऐसी समय में शबाना आज़मी के जीवन में उसका पुरुष मित्र नसीरुद्दीन शाह आता है।  दोनों के सम्बन्ध हो जाते हैं।  माया मेमसाहब में भी दीपा शाही का डॉक्टर पति अपनी क्लिनिक में बिजी रहता है।  माया अपनी निजी ज़िंदगी  की बोरियत मिटाने के लिए कम उम्र के शाहरुख़ खान से सम्बन्ध बनाती है।  अस्तित्व की तब्बू एक बरसाती रात में अपने संगीत टीचर की  बाहों में आ समाती है।  इस सम्बन्ध से उनके एक लड़का होता है।  काफी साल बाद यह राज खुलता है तो उसका अवैध संबंधों से पैदा बेटा भी उसे निकाल देता है।  मर्डर की मल्लिका शेरावत भी पति को धोखा देकर अपने दोस्त से सेक्सुअल रिलेशन बनाती हैं।  जिस्म में एक बूढ़े आदमी की औरत बिपाशा बासु एक युवा वकील को अपने शारीरिक जाल में फंसा  कर पति की हत्या करवाती है।  यह सभी फ़िल्में बोल्ड कथानक, नायिका के सेक्स दृश्यों और चुम्बनों, आदि के कारण चर्चित हुई।  
बॉलीवुड में अडल्ट्री थीम पर फिल्मों की भरमार है।  बोलडनेस के लिहाज़ से ऐसा कथानक सभी को रास आता है।  यह कारण है कि लाइफ इन अ मेट्रो, चितकबरे, ज़हर, सलाम ए  इश्क़,  हैदर, साहब बीवी और गुलाम, बस एक पल, डार्लिंग,  हवस, आदि ढेरों फिल्मों में अवैध सम्बन्ध रखने वाले किरदार नज़र आते हैं।  दिलचस्प तथ्य यह कि ज़्यादातर फ़िल्में चर्चित हो जाती हैं और हिट भी। 

Friday 25 September 2015

निर्माता टी पी अग्रवाल और अभय सिन्हा ने इम्पा के चुनाव से पहले अपनी टीम मीडिया को बताई

टी पी अग्रवाल और अभय सिन्हा ने अँधेरी के द क्लब में पार्टी रखी जहाँ इन्होने अपनी टीम को मीडिया और मेहमानों से रूबरू करवाया।इस इवेंट में ५०० से ज़्यादा लोग आये। कॉमेडियन सुनील पाल ,रवि किशन ,मोनालिसा ,अनारा गुप्ता ,राजू मवानी ,विजय बंसल ,अमित ,अशोक पंडित ,दुर्गा प्रसाद और कई हिंदी व भोजपुरी जगत के कलाकार और निर्माता  आये। २९ सितंबर को होने वाले इम्पा एलेक्शन के बाद टी पी अग्रवाल की टीम का निम्नलिखित मुद्दों को उठाने का वादा किया -
 1.सेंसर बोर्ड के निरंकुश रवैये को मिनिस्ट्री ऑफ़ इंफोर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग और सरकारी महकमे तक पहुँचाना और विशेष रूप से सेंसर बोर्ड की कठोरता के विरुद्ध आवाज़ उठाना और अभिव्यक्ति के बुनियादी अधिकार को बचाना.
2. एनिमल वेलफेयर बोर्ड और इसके नियमों से लड़ना,जिनके कारण जानवरों के साथ फिल्म बनाना असंभव जैसी बात हो गई है.
3. डिजिटल प्लेयर्स से दाम कम करने के मामले को उठाना ,जिसमे शो का चार्ज,ट्रेलर दिखाने का चार्ज और डिजिटाइजेशन शामिल हैं इसमें यू एफ ओ का मामला भी है जो चार्ज बढ़ाता जा रहा है जिसके कारण छोटी फिल्मे रिलीज़ नहीं हो पातीं.
4. कॉर्पोरेट के खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ लड़ना जिन्होंने ९० प्रतिशत कारोबार को निगल लिया है और अब वह छोटे और स्वतंत्र निर्माताओं से बचे हुए १० प्रतिशत बिज़नस को भी छीन रहे हैं.
5. इम्पा हॉउस में एक प्रिविव थेटर बनाना ताकि मेंबर्स अपनी फिल्मे प्रति स्क्रीन मात्र ४५०० में दिखा सकें।
6. सच्ची प्रतिभाओं को इनाम से नवाज़ने के लिए एक सालाना अवार्ड्स नाइट्स का आयोजन।
7. गुजराती ,मराठी और भोजपुरी सहित सभी रीजनल भाषाओँ की फिल्मो के निर्माताओं की समस्याओं को हल करना ताकि सरकार से मिलने वाली सब्सिडी उन्हें प्राप्त हो सके.
8. दूरदर्शन के साथ निर्माताओं की समस्याओं को उजागर करना ,डीडी उर्दू,डीडी किसान और डीडी कश्मीर के प्रोग्राम एग्रिमेंट्स सहित प्रसार भारती के साथ विचाराधीन कई महत्वपूर्ण समस्याओं को उभारना। डीडी नार्थ ईस्ट और डीडी के दूसरे चैनल्स को खुलवाना। प्रसार भारती के प्रोग्राम में फंडिंग के लिए मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स को प्रेज़ेन्टेशन देना।
9. सभी सैटेलाईट चैनलों से उन फिल्मो के सैटेलाइट राइट्स लेने के बारे में बातचीत करना जिन्हे उन्होंने रोक रखा है जिस की वजह से छोटी फिल्मो और कम बजट की फिल्मो के लिए समस्याएं जन्म लेती हैं। चैनलों से फिल्म के प्रोमो कम चार्ज पर चलाने के सिलसिले में भी बात करनी है।
1०. मल्टीप्लेक्स थेटर्स से कम बजट वाली फिल्मो को दिखाने के सम्बन्ध में बातचीत करना।सेंसर बोर्ड द्वारा पास सभी फिल्मो को मल्टीप्लेक्स थेटर्स में दिखाया जाना अनिवार्य बनाया जाय क्योंकि इनके पास तीन या उनसे ज़्यादा स्क्रीन्स होते हैं और इन दिनों ज़्यादातर शहरों में सिंगल स्क्रीन थेटर नहीं होते। किसी भी कारोबार की मोनोपॉली करना कानून के ख़िलाफ़ है। मल्टीप्लेक्स ने एक अजीब स्थिति पैदा कर दी है और इंडिविजुअल प्रोड्यूसर्स का शोषण कर रहे हैं हम इनके खिलाफ लड़ेंगे .
11. इंडिविजुअल प्रोड्यूसर्स के लिए पब्लिसिटी डिस्प्ले चार्ज और मल्टीप्लेक्स थेटर के द्वारा ट्रेलर दिखाने का चार्ज जल्द से जल्द बंद होना चाहिए
122 के और 4 के चार्ज हफ्ते के हिसाब से लगाया जाना चाहिए मल्टीप्लेक्स में कुछ हफ्ते बाद इस चार्ज को कम किया जाना चाहिए ताकि रिलीज़ के तीन चार हफ्ते बाद छोटी फिल्मे प्रदर्शित हो सकें।
13 . प्रिंट मीडिआ विशेष रूप से टाईम्स ऑफ़ इंडिया से अनुकूल रेट के सिलसिले में बातचीत करना।
सभी सदस्यों के लिए क़ानूनी मदद उपलब्ध है एक ऑफिशियल एडवोकेट हैं और एक लीगल कन्सल्टन्ट की नियुक्ति हो चुकी है इससे सदस्यों को क़ानूनी सहायता लेने में मदद मिलेगी और वह भी बिना लीगल फ़ीस दिए हुए.

कॉमेडी की ज़बरदस्त डोज 'किस किस को प्यार करू'

हंसाने के लिए ज़रूरी नहीं ओवरडोज़।  ठीक ठाक, संतुलित सिचुएशन, संवाद और अभिनय का मिश्रण हो तो दर्शकों की हँसी रोके नहीं रुक सकती।  उन्हें तो हंसना ही है।  अब्बास-मुस्तन की न्रिदेशक जोड़ी 'किस किस को प्यार करू' में कुछ ऐसा ही इरादा जताते नज़र आती है।  एक कपिल शर्मा ! तीन बीवियां (साईं लुकुर, मंजरी फडनिस और सिमरन कौर मुंडी) ! यानि एक पति, तीन पत्नियाँ और चौथी वह (एली एवरम)!!! इन सबके बीच कई पात्र (कपिल शर्मा के माता-पिता सुप्रिया पाठक और शरत सक्सेना, वकील दोस्त करण वरुण शर्मा, कपिल शर्मा का बहरा साला बने अरबाज़ खान) . सब ज़बरदस्त हास्य की रचना करते हैं. वरुण शर्मा की साइंस का फंडा और अरबाज़ खान का बहरापन हंसा हंसा कर लोट पोट कर देता है। अकेले कपिल शर्मा, चाहे खड़े हों या बैठे हों, हंसाते हैं और सिर्फ हंसाते हैं. हर बीवी के साथ उनकी बेबसी दर्शकों को पेट पकड़ने के लिए मजबूर कर देती है. अब्बास-मुस्तन की निर्देशक जोड़ी का कपिल शर्मा का कॉमेडी त्रिकोण ज़बरदस्त है. लेकिन, इस तिकड़ी को
मक़बूल करती है अनुकल्प गोस्वामी और धीरज सरना की स्क्रीनप्ले और डायलाग राइटर जोडी। इन दोनों ने कपिल शर्मा की तीन बीवियों और वकील दोस्त के रहने के लिए कॉकटेल टावर्स की ईजाद की है।  हर बीवी के लिए हेड ऑफिस, ब्रांच ऑफिस और रीजनल ऑफिस का फंडा अपने आप में यूनिक और हास्य पैदा करने वाला है। अब्बास मुस्तन की जोड़ी की यह पहली कॉमेडी फिल्म है।  उन्होंने अपनी थ्रिलर फिल्मो की तरह दिलचस्प दृश्य रचना की है। कपिल शर्मा का ऑफिस जाते समय बिल्डिंग के नीचे से अपनी तीनों बीवियों को बाय बाय करना और वाचमैन का इस दृश्य को बड़े कौतूहल से देखना, कल्पनाशीलता का अच्छा नमूना है।  करवाचौथ के दिन कपिल शर्मा के चरित्र का एक ही समय अपनी पत्नियों के सामने आना भी हंसाने वाला यूनिक कल्पना है। गीत संगीत ठीक ठाक हैं। एली एवरम ने अपने निर्माताओं वीनस रिकार्ड्स एंड टेप के डिस्को गर्ल के पैसे बचवा दिए हैं।  वह क्लब गर्ल का जिम्मा भी उठाती हैं। इस फिल्म को कपिल शर्मा के लिए ही नहीं, किसी के लिए भी देख सकते हैं। एक बार तो ज़रूर देखी जा सकती है- किस किस को प्यार करू.