Friday 17 June 2016

फिल्म निर्माता बन नयी पारी की शुरुआत करेंगे इमरान हाश्मी

​इमरान हाश्मी एक सफल अभिनेता तो है ही साथ ही वे "किस ऑफ़ लाइफ" इस किताब से लेखक भी बन गए है,अब इमरान हाशमी अपने होम प्रोडक्शन इमरान हाश्मी फिल्म्स बैनर तले फिल्म का निर्माण कर बतौर फिल्म निर्माता नयी पारी शुरू करेंगे। 
इमरान हाशमी "मासेस के हीरो " के रूप में जाना जाता है हाल ही में प्रदर्शित हुई फिल्म अजहर ने यह साबित भी कर दिया।  फिल्म ने ८५ प्रतिशत से ज्यादा कारोबार मल्टीप्लेक्स में ८५ किया है। 
अभिनेता इमरान हाश्मी बेहद खुश है की टोनी पहले इंसान है जिन्हे इमरान ने बतौर निर्देशक इमरान हाश्मी फिल्म के लिए अप्रोच किया गया है। 
​इमरान और टोनी 
 
​जल्दी ही एक साथ
 एक रोमांचक 
​वेंचर के ​
लिए एक साथ
​ ​
​आएंगे
, जिसका विवरण 
​का ​
खुलासा 
​होना बाकी
 है।
फिल्म 
​का निर्माण 
 इमरान हाशमी फिल्म्स 
​तथा
 टोनी डिसूजा और नितिन के 
​ऑडबॉल
 मोशन पिक्चर्स के बैनर तले 
​निर्माण
 किया जाएगा।

फिल्म ध्रुवा के लिए जापानी मार्शियल आर्ट फॉर्म आइकिदो की ट्रेनिंग लेंगे राम चरण

टॉलीवुड सुपरस्टार राम चरण अपनी आगामी फिल्म ध्रुवा में आई पी एस  अफसर का किरदार निभाएंगे जिसके लिए वे अभी से ही कड़ी मेहनत कर रहे हैं, अपने किरदार को परफेक्ट बनाने के लिए वे जापानी मार्शियल आर्ट फॉर्म आइकिदो की ट्रेनिंग लेंगे. इस कला का मुख्य लक्ष्य  ये है की प्रैक्टिशनर्स   खुद के  बचाव  के लिए इस  कला का इस्तेमाल कर सकते है. राम चरण अपनी आगामी फिल्म में आई पी एस  अफसर का किरदार निभा रहे है और यह आर्ट फॉर्म इस किरदार के लिए बहुत ही सटीक होगा.
रामचरण अपने हर काम को परफेक्ट करने में विश्वास रखते है इसीलिए उन्होंने इस आर्ट फॉर्म को सीखने के लिए स्पेशल ट्रेनर को अपॉइन्ट कर रहे है.

बॉक्स ऑफिस पर 'उड़' न सकेगा यह 'पंजाब' !

पिछले दिनों अनुराग कश्यप और एकता कपूर के साथ बॉलीवुड के तमाम सितारे क्रिएटिव फ्रीडम का रोना रो रहे थे।  यह लोग बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंचे और कोर्ट को अस्थाई सेंसर बोर्ड बना कर फिल्म से सेंसर द्वारा लगाए गए गालियों के कट हटवा लाये।  इसलिए उड़ता पंजाब की समीक्षा की शुरुआत फिल्म में गालियों से।  खूब गालियाँ है।  चरसी भी गाली बक रहे हैं और पुलिस वाले भी।  लड़कियाँ औरते भी और आदमी तो बकेंगे ही।  पर एक बात समझ में नहीं आई।  निर्माताओं ने अंग्रेजी सब टाइटल में अंग्रेजी में Mother Fucker को Mother F***er और Sister Fucker को Sister F***ker कर दिया है। क्यों ? अंग्रेजी में माँ को चो... में परेशानी क्यों हुई कश्यप और चौबे को !
जहाँ तक पूरी उड़ता पंजाब की बात है, इसे फिल्म के फर्स्ट हाफ, अलिया भट्ट और दिलजीत दोसांझ के बढ़िया अभिनय के लिए देखा जा सकता है।  अलिया ने बिहारन मजदूरनी और दिलजीत दोसांझ ने एक सब इंस्पेक्टर के रोल को बखूबी जिया है।  शाहिद कपूर के लिए करने को कुछ ख़ास नहीं था।  अनुराग कश्यप ने उन्हें स्टार स्टेटस दिलाने के लिए साइन किया होगा।  करीना कपूर बस ठीक हैं।
अभिषेक चौबे ने अपने निर्देशन के लिए फिल्म की पटकथा सुदीप शर्मा के साथ खुद लिखी है।  मध्यांतर से पहले फिल्म पंजाब के युवाओं में ड्रग्स के चलन, पुलिस भ्रष्टाचार को बखूबी दिखाती है।  लेकिन, फिल्म में सभी डार्क करैक्टर देख कर पंजाब के प्रति निराशा होती है।  पता नहीं कैसे उड़ता पंजाब की यूनिट पंजाब में फिल्म शूट कर पाई! इंटरवल के बाद अभिषेक चौबे की फिल्म से पकड़ छूट जाती है।  पूरी फिल्म एक बहुत साधारण थ्रिलर फिल्म की तरह चलती है।  लेखक के लिए पंजाब की ड्रग समस्या का हल बन्दूक ही लगाती है।  क्या ही अच्छा होता अगर दिलजीत दोसांझ और करीना कपूर के करैक्टर अख़बार, चैनलों और अदालतों के द्वारा पंजाब के ड्रग माफिया का सामना करते।  लेकिन, अनुराग कश्यप इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाते।  संभव है कि लेखक जोड़ी की कल्पनाशीलता आम मसाला फिल्म लिखने से आगे नहीं बढ़ पाई हो।  फिल्म के कुछ दृश्य सचमुच स्तब्ध करने वाले हैं।  मसलन, अलिया भट्ट के करैक्टर को नशीले इंजेक्शन लगा लगा कर बलात्कार करने, ड्रग फैक्ट्री में नशीली दवाओं के निर्माण, करीना कपूर के करैक्टर की हत्या, आदि के दृश्य।  लेकिन, करीना कपूर की हत्या के बाद फिल्म हत्थे से उखड जाती है।  अभी तक सबूत जुटा रहा दिलजीत दोसांझ का करैक्टर एंग्री यंग मैन बन कर अपनो का ही खून बहा देता।
अनुराग कश्यप एंड कंपनी फिल्म के रशेज देख कर जान गई थी कि फिल्म में बहुत जान नहीं है। इसलिए, गालियों को बनाए रखने का शोशा छोड़ा।  कोई शक नहीं अगर सेंसर बोर्ड भी इस खेल में शामिल हो गया हो।  इसके एक सदस्य अशोक पंडित तो खुला खेल खेल रहे थे।
सुदीप शर्मा के संवाद ठीक ठाक है।  पंजाबी ज्यादा है।  अंग्रेजी सब टाइटल की ज़रुरत समझ में नहीं आई।  राजीव रवि के कैमरा और मेघा सेन की कैंची ने अपना काम बखूबी किया है।

लास्ट मूमेंट बताया गया कि लिप-लॉक करना है- संगीता चौहान

कई विज्ञापन फिल्मों में अपनी आकर्षक मुस्कान का प्रदर्शन कर चुकी संगीता चौहान आजकल अपनी एक बड़ी फिल्म की रिलीज़ की तैयारी में व्यस्त है । लव यू अलिया टाइटल वाली इस कन्नड़ फिल्म में संगीता को भूमिका चावला, वी रविचंद्रन और सुदीप जैसे बड़े सितारों के साथ अभिनय का मौका मिला है । फिल्म के डायरेक्टर इन्द्रजीत लंकेश साउथ के बड़े निर्देशकों में शुमार किये जाते हैं । लव यू अलिया कन्नड़ के अलावा हिंदी में भी डब कर रिलीज़ की जा रही है । पेश है संगीता चौहान से एक बातचीत-
लव यू अलिया क्या कोई सन्देश देने वाली फिल्म है ?
आजकल के परिवार में साथ खाने और बैठ कर बातचीत करने के रिश्ते ख़त्म हो चुके है । यह सम्बन्ध ट्वीट और मेसेज भेजने तक ही सीमित हैं । लव यू अलिया आधुनिक परिवार के सदस्यों के डिनर टेबल पर बैठ कर बातचीत करने और आपसी संबंधो, आदि पर गहराई से नज़र डालती है ।
अलिया के बारे में कुछ बताये ?  
अलिया तलाकशुदा माता-पिता की संतान है । उसे शादी जैसी संस्था पर कतई विश्वास नहीं । वह शादी करना नहीं चाहती । परिस्थितियां उसे महसूस कराती है । मैं इस मुख्य किरदार को करके खुद को । भाग्यशाली समझती हूँ । अलिया एक सीधी साडी लड़की है, जिसे संबंधों से जुड़ना पड़ता है और तब उसकी ज़िन्दगी में जटिलताएं पैदा होने लगती है । आपने अब तक जितने करैक्टर देखें हैं, अलिया उनसे काफी अलग है ।
इन्द्रजीत लंकेश दक्षिण के प्रतिष्ठित नाम है । उनके साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा ?
मैं उनकी कार्य शैली से बेहद प्रभावित हुई हूँ । उन्हें दक्षिण की फिल्मों का यश चोपड़ा कहा जा सकता है । मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे यह रोल मिला और लंकेश ने मुझ पर विश्वास किया ।  
क्या इस फिल्म के लिए कोई ख़ास ट्रेनिंग ली ?
मैंने नीरज कबी के साथ एक्टिंग की वर्कशॉप की । नीरज एक्टर भी हैं और एक्टिंग टीचर भी ।
शूटिंग के दौरान का कोई कठिन दौर ?
फिल्म में एक लिप-लॉक का सीन है । मुझे इसकी इत्तला बैंकाक में शूटिंग के दौरान आखिरी मौके पर दी गई । शुरू में मैं समझ नहीं पा रही थी कि इसे कैसे करूंगी । लेकिन, फिर कर लिया ।
आपकी दूसरी फ़िल्में ?
यह मेरी दूसरी फिल्म है । मेरी पहली फिल्म शार्पशूटर थी । मैंने अभी हिंगलिश में एक शॉर्ट फिल्म शूट की है । इसकी निर्देशक हीना डीसूजा हैं । इस फिल्म का वर्किंग टाइटल काफी जटिल था । इसलिए अभी टाइटल फाइनल होना है ।
आप इंडस्ट्री में किसे आदर्श मानती है ?
विद्या बालन मेरी रोल मॉडल हैं । उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर अपना एक यह मुकाम बनाया है । संघर्षों के बावजूद उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी । अभिनेताओं में आर माधवन और आमिर खान मेरे पसंदीदा है । 

अल्पना कांडपाल 

Thursday 16 June 2016

First Look of Bhushan Kumar’s Befikra starring Tiger Shroff and Disha Patani

When it comes to singles Bhushan Kumar seems to have gotten unstoppable. The producer is now coming out with his third single in just a month. T-Series recently launched two singles ‘Dillagi’ and ‘Tum Ho To Lagta hai’ which has been rising on the charts gaining its postion in the list of millions of view. While these songs are still trending the producer is now coming out with yet another single titled “Befikra” with the sensational pair, Tiger Shroff and Disha Patani. 
The song which is a peppy track has been shot in the beautiful city of love, Paris under the direction of Sam Bombay. The music to the song has been given by Meet Bros, the musical duo have even given their voice to the song along with Aditi Singh Sharma and lyrics has been penned down by Kumaar.

नई फिल्मों के पोस्टरों में फिल्म की नायिका को तरजीह






Wednesday 15 June 2016

बारह साल पहले एक थी सुरैया !

सुरैया का एक्टिंग करियर १९४१ में नानूभाई वकील की फिल्म ‘ताज महल’ में बालिका मुमताज महल के रोल से शुरू हुआ था। वह अपने मामा और चरित्र अभिनेता एम ज़हूर के साथ ताज महल की शूटिंग देखने के लिए मोहन स्टूडियो गई थी। नानूभाई वकील ने उन्हें देखा और नन्ही मुमताज का रोल दे दिया। इसके साथ ही सुरैया के बतौर अभिनेत्री करियर की शुरुआत हो गई। 
सुरैया अपने बचपन के दोस्तों राजकपूर और मदन मोहन के आल इंडिया रेडियो के बच्चों के प्रोग्राम में हिस्सा लिया करती थी। वहीँ, उन्हें संगीतकार नौशाद ने पहली बार सुना। उन्होंने सुरैया से पहली बार ए आर कारदार की फिल्म ‘शारदा’ के लिए पंछी जा पीछे रहा है मेरा बचपन गीत गवाया था। इस गीत को उस समय की बड़ी अभिनेत्री महताब पर फिल्माया गया था। महताब उम्र में सुरैया से काफी बड़ी थी।  वह सशंकित थी कि इस १३ साल की बच्ची की आवाज़ उन पर कैसे सूट करेगी। लेकिन,  नौशाद ने सुरैया से ही गीत गवाया।  इसके साथ ही सिंगिंग स्टार सुरैया का जन्म हुआ।  
स्टेशन मास्टर और तमन्ना जैसी फिल्मों के बाद सुरैया को गायिका अभिनेत्री के बतौर बड़ा ब्रेक मिला फिल्म हमारी बात में।  १९४५ में रिलीज़ फिल्म फूल ने सुरैया को बतौर गायिका अभिनेत्री ज़बरदस्त शोहरत दी। सुरैया की गायन की अग्नि परीक्षा हुई, नौशाद की संगीत से सजी फिल्म अनमोल घडी (१९४६) से। इस फिल्म में नूरजहाँ नायिका थी। फिल्म में नूरजहाँ ने जवां है मोहब्बत, आवाज़ दे कहाँ है, आ जा मेरी बर्बाद मोहब्बत के सहारे, मेरे बचपन के साथी और क्या मिल गया भगवान जैसे आल टाइम सुपर हिट गीत गाये थे . लेकिन, बाज़ी मारी सुरैया ने सोचा था क्या, क्या हो गया गीत से।  लोग इस गीत को सुनने के लिए बार बार फिल्म देखने आते थे और जैसे ही गीत ख़त्म होता हॉल से बाहर निकल जाते थे। 
सुरैया की तक़दीर बदली देश के विभाजन ने। देश विभाजन के दौरान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कई हस्तियाँ पाकिस्तान चली गई थीं।  इनमे नूरजहाँ भी एक थी। नूरजहाँ पाकिस्तान चली गई। लेकिन, सुरैया ने भारत रहना ही मंज़ूर किया। इसके बाद सुरैया का करियर बिलकुल बदल गया।  चूंकि, वह गा भी सकती थी, इसलिए वह फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद बन गई। उस समय की बड़ी अभिनेत्रियों नर्गिस और कामिनी कौशल पर सुरैया को तरजीह मिलने लगी। क्योंकि, यह अभिनेत्रियाँ अपने गीत नहीं गा सकती थी। जबकि, सुरैया की खासियत यह थी कि वह नूरजहाँ की तरह अच्छा गा सकती थी और नर्गिस और कामिनी कौशल की तरह बढ़िया अभिनय भी कर सकती थी। 
सुरैया को उनकी तीन फिल्मों ने हिन्दुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की बड़ी स्टार बना दिया। दो फ़िल्में प्यार की जीत (१९४८) और बड़ी बहन (१९४९) में सुरैया के नायक रहमान थे। तीसरी फिल्म दिल्लगी (१९४९) में वह श्याम की नायिका थी। यह तीनों फ़िल्में बड़ी म्यूजिकल हिट फ़िल्में थी। प्यार की जीत और बड़ी बहन के संगीतकार हुस्नलाल भगतराम थे, जबकि दिल्लगी का संगीत नौशाद ने दिया था। दिल्लगी के बाद नौशाद और सुरैया की जोड़ी जम गई। १९४७ से १९५० के बीच इन दोनों ने कोई ३० फ़िल्में बतौर संगीतकार और गायिका जोड़ी की। लेकिन, सुरैया की यह सफलता बहुत थोड़े दिन रही।  एक उभरती गायिका लता मंगेशकर ने सुरैया के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। यह सिलसिला शुरू हुआ नौशाद के संगीत निर्देशन में फिल्म अंदाज़ के गीत उठाये जा उनके सितम गीत से। सुरैया की हिट फिल्म ‘बड़ी बहन’ में लता मंगेशकर ने भी गीत गए थे। जहाँ सुरैया ने खुद पर फिल्माए गए गीत ओ लिखने वाले ने और बिगड़ी बनाने वाले गाये थे, वहीँ लता मंगेशकर ने सुरैया के साथ फिल्म की  सह नायिका गीता बाली के लिए दो गीत चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है और चले जाना नहीं गाये थे। इन चारों गीतों को ज़बरदस्त सफलता मिली। सुरैया जैसी स्थापित गायिका की मौजूदगी में मिली इस कामयाबी ने लता मंगेशकर को बतौर गायिका स्थापित कर दिया। इसके साथ ही सुरैया का सितारा भी धुंधलाने लगा। फिसलते करियर के दौरान भी सुरैया ने कुछ ऐसी फ़िल्में की, जिहोने सुरैया को शोहरत और सम्मान दोनों दिए। 
मिर्ज़ा ग़ालिब (१९५४) में सुरैया ग़ालिब की प्रेमिका और तवायफ मोती बाई के किरदार में थी। यह फिल्म सुपर हिट फिल्म तो साबित हुई ही, इस फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ फिल्म का स्वर्ण कमल जीता। इस फिल्म में सुरैया ने गुलाम मोहम्मद के संगीत निर्देशन में दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है और ये न थी हमारी किस्मत जैसे सदाबहार हिट गीत गाये।  इस फिल्म का सुरैया के लिए क्या महत्त्व रहा होगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने उनकी प्रशसा करते हुए कहा था कि तुमने मिर्ज़ा ग़ालिब की रूह को जिंदा कर दिया। सुरैया की आखिरी फिल्म रुस्तम सोहराब १९६३ में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में सुरैया के नायक पृथ्वीराज कपूर थे, जो बीस साल पहले की सुरैया की फिल्म इशारा में उनके नायक थे। इस फिल्म का गीत ये कैसी अजाब दास्ताँ हो गई सुरैया का गाया आखिरी गीत भी साबित हुआ। 
सुरैया ने अपने २० साल के फिल्म करियर में अपने समय के सभी बड़े अभिनेताओं मोतीलाल और अशोक कुमार से ले कर भारत भूषण तक के साथ अभिनय किया तथा के एल सहगल और तलत महमूद से लेकर मोहम्मद रफ़ी और मुकेश तक सभी गायकों के साथ युगल गीत गाये। उन्होंने लता मंगेशकर के साथ भी दो युगल गीत गाये। इनमे एक गीत संगीतकार हुस्नलाल भगतराम का संगीतबद्ध फिल्म बालम (१९४९) का ओ परदेसी मुसाफिर तथा दूसरा नौशाद का संगीतबद्ध फिल्म दीवाना (१९५२) का मेरे लाल मेरे चंदा तुम जियों हजारों साल था। दिलचस्प तथ्य यह था कि सुरैया ने गायन की कोई क्लासिकल ट्रेनिंग नहीं ली थी।  इसके बावजूद उन्होंने सचिन देव बर्मन का संगीतबद्ध क्लासिकल गीत गीत मन मोर हुआ मतवाला गाया था। यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह है कि बचपन के दोस्त मदन मोहन केवल एक फिल्म ख़ूबसूरत (१९५२) के लिए गीत गवाए। 
सुरैया के प्रति दर्शकों में पागलपन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छात्र उनकी फिल्म का पहले दिन का पहला शो देखने के लिए क्लास तथा ऑफिसों में काम करने वाले लोग दफ्तर छोड़ कर सिनेमाघरों के बाहर खड़े नज़र आते थे। अभिनेता धर्मेन्द्र ने एक बातचीत में बताया था कि उन्होंने सुरैया की फिल्म दिल्लगी ४० बार देखी थी। सुरैया जमाल शेख बॉलीवुड की ऎसी गायिका अभिनेत्री थी, जो अपने रिटायरमेंट लेने तक अभिनय करती रही और अपने गीत गाती रही। उनका आखिरी गाया गीत रुस्तम शोहराब फिल्म का 'ये कैसी अजाब दास्ताँ हो गई' था, जो उन पर ही फिल्माया गया था। इसके साथ ही सुरैया का बतौर एक्टर और सिंगर करियर ख़त्म हो गया।  ३१ जनवरी २००४ को वह एक थी सुरैया हो गई।