Saturday 12 February 2022

पेशवा के फैसले के खिलाफ क्यों काशीबाई ?

 

ज़ी टीवी के ऐतिहासिक धारावाहिक काशीबाई बाजीराव बल्लाळ में मराठा साम्राज्य की सबसे प्रतिष्ठित महिलाओं में से एक काशीबाई बाजीराव बल्लाळ की भूली हुई कहानी दिखाई जा रही है।



यह शो अपनी शुरुआत से ही दर्शकों का दिल जीत रहा, जहां नन्हीं काशीबाई (आरोही पटेल) और बाजीराव (वेंकटेश पांडे) की जोड़ी देश भर में खूब पसंद की जा रही है।



आने वाले एपिसोड्स में दर्शक देखेंगे कि किस तरह काशीबाई एक गद्दार को फांसी देने के फैसले का विरोध करती हैं और बालाजी को अपना पक्ष समझाती हैं।



पेशवा की सातारा यात्रा कई मुश्किलों और चुनौतियों से भरी थी। दरअसल, उनकी हत्या के लिए एक जाल बिछाया गया था। एक गुप्तचर की मदद से काशी को इस शातिर योजना के बारे में पता चल जाता है। पेशवा की सलामती की फिक्र में वो बाजीराव के पास जाती हैं और उन्हें इस बारे में बताती हैं क्योंकि बाजीराव के जरिए ही वो उनके पिता की जान बचा सकती हैं। फिर बाजीराव के सैनिक उस गद्दार को पकड़ लेते हैं और उसे हवेली लाया जाता है, जहां उसे फांसी देने का फैसला सुनाया जाता है। 


स षड्यंत्र को लेकर उत्सुक बाजीराव को यह जानकर आश्चर्य होता है कि असल में उस गद्दार की पत्नी ने ही काशी से इस षड्यंत्र के बारे में बताया था। इस बीच, इस फैसले के बाद उस गद्दार की पत्नी अपने पति के लिए दया की फरियाद करती है और उसकी जिंदगी की भीख मांगती हैं।



अपने दिल में दया की भावना लिए काशी एक समर्पित पत्नी को अपने पति के लिए फरियाद करते नहीं देख पातीं और बाजीराव के द्वारा सुनाए गए फैसले का विरोध करती हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि काशी के इस फैसले पर बाजीराव की क्या प्रतिक्रिया होगी।

Sunday 6 February 2022

हिंदी में भी रिलीज़ होगी पुनीत राजकुमार @PuneethRajkumar की फिल्म #James

 


कन्नड़ फिल्म अभिनेता पुनीत राजकुमार की अंतिम फिल्म जेम्स कन्नड़ के अतिरिक्त हिंदी, मलयालम, तमिल और तेलुगु में भी प्रदर्शित होगी.



कन्नड़ सुपरस्टार डॉक्टर राजकुमार के बेटे पुनीत की मृत्यु २९ अक्टूबर २०२१ को हो गई थी. कर्णाटक में पुनीत की मृत्यु हादसे के समान थी.



उन्हें सम्मान देने के लिए कर्णाटक के फिल्म वितरकों ने यह निर्णय लिया है कि कर्णाटक में १७ से २३ मार्च तक कोई भी दूसरी फिल्म प्रदर्शित नहीं की जायेगी. क्योंकि १७ अप्रैल को ही पुनीत राजकुमार की सैनिक भूमिका वाली फिल्म जेम्स प्रदर्शित हो रही है.



परन्तु, इस प्रकार से यह फिल्म हिंदी बेल्ट में रणबीर कपूर की शमशेरा और अक्षय कुमार की बच्चन पाण्डेय से टकराएगी.



फिल्म जेम्स के सॅटॅलाइट राइट्स १५ करोड़ में खरीदे गए हैं, जो किसी कन्नड़ फिल्म के लिए सबसे अधिक है.



जेम्स की निर्माण के दौरान ही पुनीत राजकुमार की मृत्यु हो चुकी थी. इसलिए उनकी डबिंग, उनके भाई शिवन्या राजकुमार ने की है.



अपनी एक फिल्म के चरित्र अप्पू के नाम से लोकप्रिय पुनीत की फिल्म जेम्स का टीज़र ११ फरवरी को ठीक ११ बज कर ११ मिनट पर रिलीज़ किया जाएगा. पुनीत की जेम्स की नायिका प्रिया आनंद और निर्देशक चेतन कुमार है.

लव हॉस्टल के विलेन बॉबी देओल



जी५ से स्ट्रीम होने जा रही डिजिटल फिल्म लव हॉस्टल के लव बर्ड्स सान्या मल्होत्रा और विक्रांत मैसी है. परन्तु सोशल मीडिया पर छाये हुए है फिल्म में नकरात्मक भूमिका करके बॉबी देओल.



बॉबी देओल ने सोशल मीडिया पर लव हॉस्टल में अपना  जो फर्स्ट लुक जारी किया है, उससे वह एक भाड़े के हत्यारे जैसे दिखाई दे रहे है.



इस चित्र के साथ बॉबी देओल की कमेंट्री कि क्या प्रेमी जोड़ा तमाम बाधाओं को पार करते हुए सफल होगा? यानि सान्या और विक्रांत के प्यार की बाधा बॉबी देओल ही है.



शंकर रमण निर्देशित इस फिल्म का निर्माण शाहरुख़ खान की संस्था रेड चिलीज द्वारा किया गया है.



बॉबी देओल की यह दूसरा वेब प्रोजेक्ट है, जिसमे वह नकारात्मक भूमिका कर रहे हैं. एम एक्स प्लेयर के शो आश्रम में बॉबी देओल ने एक आश्रम के बाबा की नकारात्मक भूमिका से काफी प्रशंसा बटोरी थी.



सीरीज क्लास ऑफ़ ८३ के बाद, रेड चिलीज के साथ बॉबी का यह दूसरा प्रोजेक्ट है. यह फिल्म २५ फरवरी से स्ट्रीम होने लगेगी. 

मेरी आवाज़ ही पहचान है- लता मंगेशकर



चार साल पहले, १६ जनवरी २०१५ की सुबह सुबह सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो रही थी  कि लता मंगेशकर नहीं रही। उनकी इस कथित मौत की खबर ने, लता मंगेशकर के प्रशंसकों को सदमे में डाल दिया। वह उनकी खैरख्वाही की जानकारी के लिए अपने अपने स्रोतों से संपर्क करने लगे। सोशल मीडिया पर, शोक संवेदना संदेशों की बाढ़ सी आ गई। खुद लता मंगेशकर के घर पर भी फ़ोन कॉल आने शुरू हो गए। इससे हैरान हो कर लता मंगेशकर के शुभचिंतकों को खुद ट्वीट कर अपनी सलामती से अपने प्रशंसकों को सूचित करना पडा। लेकिन....!



दीनानाथ की सबसे बड़ी बेटी
लता मंगेशकर का जन्म, ब्रिटिश शासन के इंदौर राज्य में इंदौर में २८ सितम्बर १९२९ को हुआ था। वह अपने पिता गायक, नर्तक और अभिनेता दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी शादी से उत्पन्न पांच बच्चों में सबसे बड़ी थी। लता मंगेशकर को, पांच साल की उम्र से ही, उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने संगीत दीक्षा देनी शुरू कर दी थी। लता ने, इसके अलावा अमान अली खान साहेब और अमानत खान से भी संगीत की शिक्षा ली।



काफी पतली और ऊंची आवाज़ के कारण रिजेक्ट
१९४० के दशक में, लता मंगेशकर ने, पार्श्व गायिकी में भाग्य आजमाने का फैसला किया। कहते हैं कि यह उनका गलत फैसला था। लेकिन, यह लता की मज़बूरी थी। पिता का देहांत हो जाने के बाद, परिवार की जिम्मेदारी किशोरवय की लता के कन्धों पर आ गई। उस समय नूरजहाँ और शमशाद बेगम का ज़माना था। इनकी नाक से निकली आवाज़ के सब दीवाने थे। इसलिए, उस समय कुछ प्रोजेक्ट से इसलिए उन्हें बाहर होने पडा कि उनकी आवाज़ काफी पतली और ऊंची पिच वाली है। उनकी आवाज़ को कर्ण-कटु बताया गया। १९४२ से १९४८ के बीच लता मंगेशकर को फिल्मो में अभिनय करने के लिए विवश होना पड़ा। उन्होंने आठ हिंदी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया। उनकी बतौर पार्श्व गायिका पहली फिल्म मराठी भाषा में किती हसाल (१९४२) थी। पर बाद में उनके गाये इस गीत को फिल्म से निकाल दिया गया।



गुलाम हैदर ने दिया ब्रेक
लता मंगेशकर को पहला ब्रेक संगीतकार गुलाम हैदर ने दिया। फिल्म थी मजबूर (१९४८) । अगले ही साल, यानि १९४९ में लता मंगेशकर की चार फ़िल्में महल, दुलारी, बरसात और अंदाज़ रिलीज़ हुई।  महल के गीतों ने लता मंगेशकर की आवाज़ की बदौलत तहलका मचा दिया। उनकी इन चारों फिल्मों में सभी गीत ज़बरदस्त हिट हुए। लता मंगेशकर भारत की स्वर कोकिला के तौर पर हमेशा हमेशा के लिए स्थापित हो गई। हालाँकि, शुरुआत में, नूरजहाँ से प्रभावित लता मंगेशकर ने नूरजहाँ को नक़ल करने की कोशिश की। लेकिन बाद में अपनी शैली में गायन शुरू कर दिया। इसके बाद से, लगातार चालीस साल तक, लता मंगेशकर ने फिल्म इंडस्ट्री में एकछत्र राज्य किया। उनकी आवाज़ के सामने शारदा, वाणी जयराम, सुमन कल्यानपुर, आदि जैसे नाम टिक नहीं सके। इसे लेकर उन पर एकाधिकार स्थापित करने का आरोप भी लगाया गया। १९८० के दशक के बाद, लता मंगेशकर ने गीत गाने कम कर दिए।



सभी समकालीन गायकों के साथ गायन
लता मंगेशकर ने अपने पूरे गायन करियर में, १४ भाषाओं के ३० हजार से ज्यादा गीत गाये हैं। इसके लिए उन्हें इतिहास की सबसे ज्यादा गीत गाने वाली गायिका माना जाता है। यह गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। लता मंगेशकर ने, हर पीढी के पुरुष और स्त्री  गायक-गायिकाओं के साथ यह गीत गाये। उन्होंने १९४० से १९७० के मध्य सुरैया, मोहम्मद रफी, आशा भोसले, उषा मंगेशकर, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना डे, हेमंत कुमार और महेंद्र कपूर के साथ गीत गाये। लता मंगेशकर के पुरुष सह गायकों में १९७६ में मुकेश और १९८० के दशक में पहले १९८० में मोहम्मद रफ़ी की मृत्यु हो गई और उसके बाद, १९८७ में किशोर कुमार भी चल बसे। इसके बाद भी लता मंगेशकर ने शब्बीर कुमार, शैलेन्द्र सिंह, नितिन मुकेश, मनहर उधास, अमित कुमार, मोहम्मद अज़ीज़, विनोद राठौर और एसपी बलासुब्रह्मन्यम के साथ गीत गाये। १९९० के दशक में, पंकज उधास, मोहम्मद अज़ीज़ के अलावा अभिजीत, उदित नारायण, कुमार शानू और सुरेश वाडकर के साथ लता के गाये गीत सुनने को मिले. २००५ और २००६ में लता मंगेशकर का पार्श्व गायन सोनू निगम अरु उदित नारायण के साथ मिलता है। इस दौर में उन्होंने जगजीत सिंह और गुरदास मान के साथ भी गीत गाये।



क्यों सिर्फ एक दिन स्कूल गई ?
क्या आप जानते हैं कि लता मंगेशकर को दुनिया के छः देशों से डॉक्टरेट की डिग्री मिली थी। लेकिन, इन छः विश्वविद्यालयों की डॉक्टर लता मंगेशकर ने सिर्फ एक दिन स्कूल का मुंह देखा था। इसके बाद वह कभी स्कूल नहीं गई। हालाँकि, उन्होंने हिंदी और मराठी के अलावा भी कई भाषों के गीत गाये। क्या आप जानना चाहते हैं कि लता मंगेशकर एक दिन के अलावा स्कूल क्यों नहीं गई !दरअसल, लता मंगेशकर के चार भाई-बहन हैं। इनमे, उनके बाद आशा भोसले एक बहन हैं। लता दीदी आशा भोसले को बहुत प्यार करती थी। इसलिए वह उन्हें हर समय साथ रखती थी। स्कूल में भी वह आशा को साथ ले जाती थी। स्कूल में उन्हें इसके लिए मना किया गया। इसलिए लता मंगेशकर ने अगले दिन ही स्कूल को अलविदा कह दिया।



लता मंगेशकर का सम्मान
लता मंगेशकर ने अपने गायिकी के दौर में कई पुरस्कार और सम्मान पाए। उन्हें, भारत सरकार ने भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया। उन्हें फ्रांस की सरकार ने ऑफिसर ऑफ़ द फ्रेंच लीजन ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया। उन्हें तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले। उन्हें, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड ने १५ बार सम्मानित किया। उन्हें अपनी श्रेष्ठ गायिकी के लिए ४ बार फिल्मफेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। ढेरों पुरस्कार जीतने वाली लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्कारों की स्थापना भी की गई। मध्य प्रदेश सरकार ने १९८४ में लता मंगेशकर अवार्ड की स्थापना की। बाद में, १९९२ में महाराष्ट्र सरकार ने भी लता मंगेशकर अवार्ड की स्थापना की।



बेसुरी नहीं होती कम्बख्त !
लता मंगेशकर की गायिकी की श्रेष्ठता का अंदाजा उनके बारे में दिग्गजों की टिप्पणियों से लगाया जा सकता है। उस्ताद बड़े गुलाम अली खान कहा करते थे, “कमबख्त कभी बेसुरी न होती।दिलीप कुमार तो उन्हें अपनी छोटी बहन मानते थे और खुदा की कुदरत का करिश्मा बताते थे।



४ फिल्मों का निर्माण ५ में संगीत
लता मंगेशकर ने चार फिल्मों का निर्माण भी किया था। उनके द्वारा निर्मित चार फिल्मों में एक मराठी फिल्म थी। तीन हिंदी फिल्मों में झांझर का निर्माण उन्होंने सी रामचंद्र के साथ किया था। दो हिंदी फिल्मों में कंचन गंगा और लेकिन थी। लता मंगेशकर ने पांच मराठी फिल्मों का संगीत भी तैयार किया था।



जब रो पड़े नेहरू
यह वाकया १९६२ के भारत-चीन युद्ध के बाद का है। इस युद्ध में भारत को चीन से करारी हार का सामना करना पड़ा था। पूरा देश शर्म, दुःख और रोष में डूबा हुआ था। उस समय प्रदीप ने श्रद्धांजलिस्वरुप एक गीत ऐ मेरे वतन के लोगों लिखा था। इसे सी रामचंद्र ने संगीतबद्ध किया था और लता मंगेशकर ने गाया था। एक सभा में, तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में, लता मंगेशकर ने गाया था। कहा जाता है कि इस गीत को सुन कर नेहरू की आँखों में आंसू आ गए थे।



लता मंगेशकर पर टीवी सीरियल और फिल्म
लता मंगेशकर और आशा भोसले के संबंधों पर एक सीरियल मेरी आवाज़ ही पहचान है बनाया गया था।  यह सीरियल २०१६ में एंड टीवी से प्रसारित हुआ था।  इस शो में अमृता राव और दीप्ति नवल ने लता मंगेशकर और अदिति वासुदेव और ज़रीना वहाब ने आशा भोसले के रील लाइफ किरदार किये थे।  इस शो के ९५ एपिसोड्स में, लता मंगेशकर के जीवन पर काफी प्रकाश पड़ता था। 




सोशल मीडिया पर सक्रिय लता मंगेशकर
नब्बे साल की लता मंगेशकर किसी युवा ट्विट्टेराती की तरह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती थी। उनके ट्विटर अकाउंट पर नियमित सन्देश अपलोड होते थे। किसी फ़िल्मी हस्ती के जन्मदिन और पुण्य तिथि पर वह अपना सन्देश डालना नहीं भूलती थी। वह भूले बिसरे संगीतकार दत्ता दवाजेकर की स्मृति पर भी सन्देश देती है तो सचिनदेव बर्मन के संगीत को भी याद करती थी। किसी के पुरस्कार-सम्मान जीतने और निधन की खबर पर बधाई और शोक संदेशों में लता मंगेशकर की वाल आगे रहती थी। वह राजनीतिक हस्तियों को भी याद करती। पंडित जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गाँधी सरदार पटेल की जन्मतिथि और पुण्यतिथि पर लता जी के सन्देश देखे जा सकते हैं तो वह प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी बधाई देती है। राहुल गांधी की भी उपेक्षा नहीं करती। 

हिंदी फिल्म संगीत को मधुर आवाज़ देने वाली लता मंगेशकर



स्वर कोकिला और हिंदी फिल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका लता मंगेशकर का जन्म २८ सितम्बर १९२९ को ब्रिटिश इंडिया के अंतर्गत सेंट्रल इंडिया एजेंसी के इंदौर राज्य के इंदौर में हुआ था। उनकी माँ का नाम शेवंती था। शेवंती
, पिता दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। लता का जन्म का नाम हेमा था। जिसे  बाद में बदल कर लता कर दिया गया। यह नाम पिता के एक नाटक भाव बंधन की किरदार लतिका से लिया गया था। पिता ने अपना उपनाम हार्डिकर से बदलकर मंगेशकर किया था, क्योंकि वह गोवा में अपने गाँव मंगेशी की याद बनाए रखना चाहते थे।



मास्टर विनायक की सरपरस्ती - लता के पिता पंडित दीनानाथ, रंगमंच के कलाकार और क्लासिकल गायक थे। लता के एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर और तीन बहने उषा मंगेशकर, आशा भोसले और मीना खादिकर हैं। लता अपने पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। लता ने पांच साल की उम्र से पिता के संगीतमय नाटको में अभिनय से शुरू कर दिया था। १९४२ में, पिता की मृत्यु के समय लता सिर्फ १३ साल की थी। परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी। इस पर उनके एक पारिवारिक मित्र मास्टर विनायक ने परिवार की देखभाल के साथ साथ लता मंगेशकर का अभिनेत्री और गायिका के तौर पर करियर शुरू करवाया ताकि लता परिवार की जिम्मेदारी ठीक से उठा सकें।



एक दिन स्कूल गई थी डॉक्टर लता मंगेशकर - दिलचस्प तथ्य है कि लता मंगेशकर ने कभी कॉलेज का मुंह नहीं देखा। वह केवल एक दिन स्कूल गई। लेकिन, उन्हें ६ विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली। कहा जाता है कि लता, अपने स्कूल के पहले दिन अपनी छोटी बहन आशा को साथ ले कर गई थी तथा  उन्होंने स्कूल के बच्चों को संगीत सीखना शुरू कर दिया था। इसके लिए उन्हें मना किया गया तो लता ने स्कूल ही हमेशा के लिए छोड़ दिया।



क्रिकेट पसंदीदा - उन्हें क्रिकेट देखना और बाइसिकल पर सवारी पसंद थी। वह मसालेदार भोजन और कोका कोला की शौक़ीन थी। जबकि, किसी गायक या गायिका के लिए यह वर्जित है। उनके पसंदीदा एक्टर दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन और देव आनंद तथा पसंदीदा अभिनेत्रियाँ नर्गिस और मीना कुमारी थी। पसंदीदा संगीतकारों में गुलाम हैदर, मदन मोहन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और ए आर रहमान के नाम शामिल हैं। वह गुलाम हैदर को अपना गॉड फादर मानती थी।



संगीत के शिक्षकलता मंगेशकर ने अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के अलावा उस्ताद अमानत अली खान, अमानत खान देवास्वले, गुलाम हैदर और पंडित तुलसीदास शर्मा से ली थी। लता मंगेशकर ने पहला पार्श्व गायन मराठी फिल्म गजाभाऊ (१९४३) में हिंदी गीत माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू से किया था। हालाँकि, लता मंगेशकर का गाया पहला गीत मराठी फिल्म किती हसाल (१९४२) का नाचू या गड़े, खयूल साडी मणि हौस भारी था, जो बाद में फिल्म से निकाल दिया गया। लता ने मास्टर विनायक की पहली हिंदी फिल्म बड़ी माँ (१९४५) में अपनी बहन आशा के साथ एक छोटी भूमिका भी की थी। मास्टर विनायक ही फिल्म अभिनेत्री नंदा के पिता थे।




गुलाम हैदर की भविष्यवाणी - गुलाम हैदर को लता मंगेशकर अपना गॉड फादर मानती थी। क्योंकि, गुलाम हैदर चाहते थे कि लता मंगेशकर उनके द्वारा संगीतबद्ध फिल्म शहीद (१९४८) के लिए गीत गाये। इसके लिए उन्होंने लता का परिचय फिल्म के निर्माता शशधर मुख़र्जी से कराया। लेकिन मुख़र्जी को लता की आवाज़ काफी बारीक और ऊंची पिच वाली लगी। उन्होंने लता की आवाज़ को रिजेक्ट कर दिया। इस पर गुलाम हैदर ने भविष्यवाणी की कि आने वाले सालों में फिल्म निर्माता और निर्देशक अपनी फिल्म में लता की आवाज़ का इस्तेमाल करने के लिए उनके पाँव पकड़ेंगे। लता का पहला गाया पहला गीत फिल्म मजबूर का दिल मेरा तोडा, मुझे कहीं का न छोड़ा था, गुलाम हैदर द्वारा ही संगीतबद्ध किया गया था।



नूरजहाँ से प्रभावित थी - लता के शुरूआती गीतों में उनकी गायन शैली नूरजहाँ से प्रभावित थी। लेकिन, बाद में उन्होंने इसे छोड़ कर अपनी मौलिक शैली में गाना शुरू कर दिया। एक बार दिलीप कुमार ने, लता द्वारा हिंदी/उर्दू गीतों को मराठी लहजे में गाने पर टिपण्णी की थी। इस पर लता ने शफी नाम के उर्दू शिक्षक से उर्दू की शिक्षा ली और उच्चारण में सुधार किया।



आयेगा आने वाला से शोहरत - लता को शोहरत मिली महल (१९४९) के गीत आएगा आने वाला आएगा से। इस फिल्म का संगीत खेमचंद प्रकाश ने तैयार किया था। लता मंगेशकर का गाया यह गीत हिंदी फिल्म जगत का सबसे कठिन गीत माना गया था। लेकिन, इस गीत को आज भी लता की गायिकी में सबसे सुंदर तरीके से गाया गया गीत माना जाता है।



सभी संगीतकारों और गायकों की प्रिय गायिका - लता मंगेशकर ने लगभग सभी समकालीन संगीतकारों के लिए गीत गाये। उन्होंने सबसे ज़्यादा ७१२ गीत लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल की जोड़ी की फिल्मों के लिए गाये। उन्होंने सचिन देव बर्मन, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, नौशाद, मदन मोहन, कल्यानजी आनंदजी, खय्याम, हुसनलाल भगतराम, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, आदि संगीतकारों के लिए गीत गाये। उन्हें राग आधारित गीत गाने में महारत हासिल थी. लता मंगेशकर के राग आधारित गीतों में बैजू बावरा का मुझे भूल गए सावरिया, दिल अपना और प्रीत पराई का अजीब दास्ताँ है ये, हम दोनों का अल्लाह तेरो नाम ख़ास उल्लेखनीय हैं। लता मंगेशकर ऎसी गायिका थी, जिन्होंने बाप और बेटा दोनों के संगीतबद्ध गीतों को आवाज़ दी। एसडी बर्मन के बेटे राहुल देव बर्मन की पसंदीदा आवाज़ आशा भोसले की थी। लेकिन, पंचमदा भी  रॉकी के क्या यही प्यार है, अगर तुम न होते के हमें और जीने की, मासूम के तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी और लिबास के सीली हवा छू गई गीत लता मंगेशकर से गवाने के लिए मज़बूर हुए। यश चोपड़ा, हमेशा अपनी फिल्म में लता का कोई न कोई गीत रखना चाहते थे। उनका मानना थी कि लता दीदी के गाने से उनकी फिल्म की सफलता सुनिश्चित हो जाती थी। लता मंगेशकर ने अपने ७ दशक लम्बे पार्श्व गायन करियर में मधुबाला, नर्गिस, वैजयंतीमाला और निम्मी से लेकर प्रीटी जिंटा तक अभिनेत्रियों के किरदारों के गीतों को अपनी आवाज़ दी।



रिकॉर्ड और विवाद - लता मंगेशकर का नाम सबसे ज़्यादा गीत रिकॉर्ड करवाने के कारण गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी कुछ समय तक दर्ज हुआ। लेकिन, मोहम्मद रफ़ी ने इस दावे का विरोध किया। लता और मोहम्मद रफ़ी के बीच रॉयल्टी को लेकर लम्बे समय तक तनातनी चली। लता पर यह भी आरोप लगा कि वह अपनी बहन आशा के साथ बॉलीवुड पर एकाधिकार बनाये रखना चाहती हैं। इसीलिए उन्होंने सुमन कल्याणपुर, शारदा, आदि की आवाज़ों को ज़मने नहीं दिया। संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन, शारदा से पार्श्व गायन कराने लगी तो लता और आशा भोसले ने उनके लिए गाना छोड़ दिया।



पुरस्कार और सम्मानउन्हें पद्मभूषण (१९६९), दादा साहेब फाल्के अवार्ड (१९८९), पद्मा विभूषण (१९९९), भारत रत्न (२००१) और भारत की स्वतंत्र की ६०वी वर्षगाँठ के अवसर पर वन टाइम अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट से नवाज़ा गया. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने उनके नाम पर संगीत के लता मंगेशकर अवार्ड स्थापित किये. २०१९ में लता मंगेशकर ने ९०वे जन्मदिन पर भारत सरकार ने उन्हें डॉटर ऑफ़ द नेशन से सम्मानित किया। उन्होंने तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म परिचय (१९७२), कोरा कागज़ (१९७४) और लेकिन (१९९०) के लिए मिला था. लेकिन के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का नेशनल फिल्म अवार्ड जीतने वाली सबसे ज्यादा उम्र की थी।
लता मंगेशकर ने चार फिल्मों का निर्माण किया। इनमे से एक मराठी और तीन हिंदी फ़िल्में झांझर, कंचन और लेकिन थी। उन्होंने कुछ मराठी फिल्मों के लिए संगीत रचना भी की।

अब हिंदी में रवि तेजा @RaviTeja_offl का तेलुगु खिलाड़ी




इसमें कोई संदेह नहीं कि अल्लू अर्जुन की पुष्पा द राइज के हिंदी बेल्ट में सफलता के बाद, दक्षिण की तमाम फिल्मों के हिंदी में डब हो कर प्रदर्शित होने का सिलसिला चल निकला है.



अब इस कड़ी में अभिनेता रवि तेजा की तेलुगु एक्शन क्राइम फिल्म खिलाडी का नाम भी जुड़ गया है.



रमेश वर्मा की लिखी और निर्देशित फिल्म खिलाड़ी, तेलुगु के साथ साथ हिंदी में भी ११ फरवरी यानि इस शुक्रवार सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने जा रही है.



अपनी हास्य शैली में एक्शन करने वाले अभिनेता रवि तेजा की खिलाड़ी में दोहरी भूमिका है.



फिल्म में एक्शन किंग अर्जुन सर्जा को शामिल कर लिए जाने के बाद फिल्म में दर्शकों की दिलचस्पी बढ़ गई है.


फिल्म में रवि तेजा के एक्शन को ग्लैमर का तड़का देने के लिए डिंपल हयाती और मिनाक्षी चौधरी को शामिल किया गया है.

राष्ट्रीय सहारा ०६ फरवरी २०२२