Sunday, 6 February 2022

मेरी आवाज़ ही पहचान है- लता मंगेशकर



चार साल पहले, १६ जनवरी २०१५ की सुबह सुबह सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो रही थी  कि लता मंगेशकर नहीं रही। उनकी इस कथित मौत की खबर ने, लता मंगेशकर के प्रशंसकों को सदमे में डाल दिया। वह उनकी खैरख्वाही की जानकारी के लिए अपने अपने स्रोतों से संपर्क करने लगे। सोशल मीडिया पर, शोक संवेदना संदेशों की बाढ़ सी आ गई। खुद लता मंगेशकर के घर पर भी फ़ोन कॉल आने शुरू हो गए। इससे हैरान हो कर लता मंगेशकर के शुभचिंतकों को खुद ट्वीट कर अपनी सलामती से अपने प्रशंसकों को सूचित करना पडा। लेकिन....!



दीनानाथ की सबसे बड़ी बेटी
लता मंगेशकर का जन्म, ब्रिटिश शासन के इंदौर राज्य में इंदौर में २८ सितम्बर १९२९ को हुआ था। वह अपने पिता गायक, नर्तक और अभिनेता दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी शादी से उत्पन्न पांच बच्चों में सबसे बड़ी थी। लता मंगेशकर को, पांच साल की उम्र से ही, उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने संगीत दीक्षा देनी शुरू कर दी थी। लता ने, इसके अलावा अमान अली खान साहेब और अमानत खान से भी संगीत की शिक्षा ली।



काफी पतली और ऊंची आवाज़ के कारण रिजेक्ट
१९४० के दशक में, लता मंगेशकर ने, पार्श्व गायिकी में भाग्य आजमाने का फैसला किया। कहते हैं कि यह उनका गलत फैसला था। लेकिन, यह लता की मज़बूरी थी। पिता का देहांत हो जाने के बाद, परिवार की जिम्मेदारी किशोरवय की लता के कन्धों पर आ गई। उस समय नूरजहाँ और शमशाद बेगम का ज़माना था। इनकी नाक से निकली आवाज़ के सब दीवाने थे। इसलिए, उस समय कुछ प्रोजेक्ट से इसलिए उन्हें बाहर होने पडा कि उनकी आवाज़ काफी पतली और ऊंची पिच वाली है। उनकी आवाज़ को कर्ण-कटु बताया गया। १९४२ से १९४८ के बीच लता मंगेशकर को फिल्मो में अभिनय करने के लिए विवश होना पड़ा। उन्होंने आठ हिंदी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया। उनकी बतौर पार्श्व गायिका पहली फिल्म मराठी भाषा में किती हसाल (१९४२) थी। पर बाद में उनके गाये इस गीत को फिल्म से निकाल दिया गया।



गुलाम हैदर ने दिया ब्रेक
लता मंगेशकर को पहला ब्रेक संगीतकार गुलाम हैदर ने दिया। फिल्म थी मजबूर (१९४८) । अगले ही साल, यानि १९४९ में लता मंगेशकर की चार फ़िल्में महल, दुलारी, बरसात और अंदाज़ रिलीज़ हुई।  महल के गीतों ने लता मंगेशकर की आवाज़ की बदौलत तहलका मचा दिया। उनकी इन चारों फिल्मों में सभी गीत ज़बरदस्त हिट हुए। लता मंगेशकर भारत की स्वर कोकिला के तौर पर हमेशा हमेशा के लिए स्थापित हो गई। हालाँकि, शुरुआत में, नूरजहाँ से प्रभावित लता मंगेशकर ने नूरजहाँ को नक़ल करने की कोशिश की। लेकिन बाद में अपनी शैली में गायन शुरू कर दिया। इसके बाद से, लगातार चालीस साल तक, लता मंगेशकर ने फिल्म इंडस्ट्री में एकछत्र राज्य किया। उनकी आवाज़ के सामने शारदा, वाणी जयराम, सुमन कल्यानपुर, आदि जैसे नाम टिक नहीं सके। इसे लेकर उन पर एकाधिकार स्थापित करने का आरोप भी लगाया गया। १९८० के दशक के बाद, लता मंगेशकर ने गीत गाने कम कर दिए।



सभी समकालीन गायकों के साथ गायन
लता मंगेशकर ने अपने पूरे गायन करियर में, १४ भाषाओं के ३० हजार से ज्यादा गीत गाये हैं। इसके लिए उन्हें इतिहास की सबसे ज्यादा गीत गाने वाली गायिका माना जाता है। यह गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। लता मंगेशकर ने, हर पीढी के पुरुष और स्त्री  गायक-गायिकाओं के साथ यह गीत गाये। उन्होंने १९४० से १९७० के मध्य सुरैया, मोहम्मद रफी, आशा भोसले, उषा मंगेशकर, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना डे, हेमंत कुमार और महेंद्र कपूर के साथ गीत गाये। लता मंगेशकर के पुरुष सह गायकों में १९७६ में मुकेश और १९८० के दशक में पहले १९८० में मोहम्मद रफ़ी की मृत्यु हो गई और उसके बाद, १९८७ में किशोर कुमार भी चल बसे। इसके बाद भी लता मंगेशकर ने शब्बीर कुमार, शैलेन्द्र सिंह, नितिन मुकेश, मनहर उधास, अमित कुमार, मोहम्मद अज़ीज़, विनोद राठौर और एसपी बलासुब्रह्मन्यम के साथ गीत गाये। १९९० के दशक में, पंकज उधास, मोहम्मद अज़ीज़ के अलावा अभिजीत, उदित नारायण, कुमार शानू और सुरेश वाडकर के साथ लता के गाये गीत सुनने को मिले. २००५ और २००६ में लता मंगेशकर का पार्श्व गायन सोनू निगम अरु उदित नारायण के साथ मिलता है। इस दौर में उन्होंने जगजीत सिंह और गुरदास मान के साथ भी गीत गाये।



क्यों सिर्फ एक दिन स्कूल गई ?
क्या आप जानते हैं कि लता मंगेशकर को दुनिया के छः देशों से डॉक्टरेट की डिग्री मिली थी। लेकिन, इन छः विश्वविद्यालयों की डॉक्टर लता मंगेशकर ने सिर्फ एक दिन स्कूल का मुंह देखा था। इसके बाद वह कभी स्कूल नहीं गई। हालाँकि, उन्होंने हिंदी और मराठी के अलावा भी कई भाषों के गीत गाये। क्या आप जानना चाहते हैं कि लता मंगेशकर एक दिन के अलावा स्कूल क्यों नहीं गई !दरअसल, लता मंगेशकर के चार भाई-बहन हैं। इनमे, उनके बाद आशा भोसले एक बहन हैं। लता दीदी आशा भोसले को बहुत प्यार करती थी। इसलिए वह उन्हें हर समय साथ रखती थी। स्कूल में भी वह आशा को साथ ले जाती थी। स्कूल में उन्हें इसके लिए मना किया गया। इसलिए लता मंगेशकर ने अगले दिन ही स्कूल को अलविदा कह दिया।



लता मंगेशकर का सम्मान
लता मंगेशकर ने अपने गायिकी के दौर में कई पुरस्कार और सम्मान पाए। उन्हें, भारत सरकार ने भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया। उन्हें फ्रांस की सरकार ने ऑफिसर ऑफ़ द फ्रेंच लीजन ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया। उन्हें तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले। उन्हें, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड ने १५ बार सम्मानित किया। उन्हें अपनी श्रेष्ठ गायिकी के लिए ४ बार फिल्मफेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। ढेरों पुरस्कार जीतने वाली लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्कारों की स्थापना भी की गई। मध्य प्रदेश सरकार ने १९८४ में लता मंगेशकर अवार्ड की स्थापना की। बाद में, १९९२ में महाराष्ट्र सरकार ने भी लता मंगेशकर अवार्ड की स्थापना की।



बेसुरी नहीं होती कम्बख्त !
लता मंगेशकर की गायिकी की श्रेष्ठता का अंदाजा उनके बारे में दिग्गजों की टिप्पणियों से लगाया जा सकता है। उस्ताद बड़े गुलाम अली खान कहा करते थे, “कमबख्त कभी बेसुरी न होती।दिलीप कुमार तो उन्हें अपनी छोटी बहन मानते थे और खुदा की कुदरत का करिश्मा बताते थे।



४ फिल्मों का निर्माण ५ में संगीत
लता मंगेशकर ने चार फिल्मों का निर्माण भी किया था। उनके द्वारा निर्मित चार फिल्मों में एक मराठी फिल्म थी। तीन हिंदी फिल्मों में झांझर का निर्माण उन्होंने सी रामचंद्र के साथ किया था। दो हिंदी फिल्मों में कंचन गंगा और लेकिन थी। लता मंगेशकर ने पांच मराठी फिल्मों का संगीत भी तैयार किया था।



जब रो पड़े नेहरू
यह वाकया १९६२ के भारत-चीन युद्ध के बाद का है। इस युद्ध में भारत को चीन से करारी हार का सामना करना पड़ा था। पूरा देश शर्म, दुःख और रोष में डूबा हुआ था। उस समय प्रदीप ने श्रद्धांजलिस्वरुप एक गीत ऐ मेरे वतन के लोगों लिखा था। इसे सी रामचंद्र ने संगीतबद्ध किया था और लता मंगेशकर ने गाया था। एक सभा में, तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में, लता मंगेशकर ने गाया था। कहा जाता है कि इस गीत को सुन कर नेहरू की आँखों में आंसू आ गए थे।



लता मंगेशकर पर टीवी सीरियल और फिल्म
लता मंगेशकर और आशा भोसले के संबंधों पर एक सीरियल मेरी आवाज़ ही पहचान है बनाया गया था।  यह सीरियल २०१६ में एंड टीवी से प्रसारित हुआ था।  इस शो में अमृता राव और दीप्ति नवल ने लता मंगेशकर और अदिति वासुदेव और ज़रीना वहाब ने आशा भोसले के रील लाइफ किरदार किये थे।  इस शो के ९५ एपिसोड्स में, लता मंगेशकर के जीवन पर काफी प्रकाश पड़ता था। 




सोशल मीडिया पर सक्रिय लता मंगेशकर
नब्बे साल की लता मंगेशकर किसी युवा ट्विट्टेराती की तरह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती थी। उनके ट्विटर अकाउंट पर नियमित सन्देश अपलोड होते थे। किसी फ़िल्मी हस्ती के जन्मदिन और पुण्य तिथि पर वह अपना सन्देश डालना नहीं भूलती थी। वह भूले बिसरे संगीतकार दत्ता दवाजेकर की स्मृति पर भी सन्देश देती है तो सचिनदेव बर्मन के संगीत को भी याद करती थी। किसी के पुरस्कार-सम्मान जीतने और निधन की खबर पर बधाई और शोक संदेशों में लता मंगेशकर की वाल आगे रहती थी। वह राजनीतिक हस्तियों को भी याद करती। पंडित जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गाँधी सरदार पटेल की जन्मतिथि और पुण्यतिथि पर लता जी के सन्देश देखे जा सकते हैं तो वह प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी बधाई देती है। राहुल गांधी की भी उपेक्षा नहीं करती। 

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