सालों की मेहनत और पारिवारिक ज़िन्दगी को दांव पर लगा कर डॉक्टर दीपंकर रॉय लेप्रोसी की वैक्सीन खोज लेते हैं। यह खबर आग की तरह चैनलों के माध्यम से फ़ैल जाती हैं। एक अंजाना सा जूनियर डॉक्टर वर्ल्ड फेम हो जाता है। इसके साथ ही डॉक्टर रॉय को प्रताड़ित करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। उससे स्पष्टीकरण पूछा जाता है कि लेप्रोसी वैक्सीन की खबर मीडिया में लीक कैसे हो गई। उसे प्रशासन से लेकर शासन के उच्च स्तर से फटकार मिलती है। साथ के डॉक्टर उसे अपमानित करने की कोशिश करते हैं। उसे दिल का दौरा पड़ता है। डॉक्टर का एक दूरस्थ गाँव में तबादला कर दिया जाता है। ऐसे समय में उसका साथ उसकी पत्नी और दो दोस्त ही देते हैं। तभी खबर आती है कि लेप्रोसी वैक्सीन की खोज अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कर ली है। इसके साथ ही एक डॉक्टर की मौत हो जाती है। यह कहानी है बांगला फिल्म डायरेक्टर तपन सिन्हा की १९९० में रिलीज़ फिल्म एक डॉक्टर की मौत की। यह फिल्म रामपद चौधरी की कहानी अभिमन्यु पर रामपद और तपन सिन्हा द्वारा लिखी गई थी। यह फिल्म नौकरशाही की तिकड़मों, सिस्टम द्वारा प्रतिभा को प्रताड़ित करने और मान्यता न देने की है। लेकिन, फिल्म यहां ख़त्म नहीं होती। डॉक्टर की मौत तब भी नहीं होती। फिल्म एक डॉक्टर की मौत मानवता की जीवंतता की कहानी है। फिल्म के ख़त्म होते होते डॉक्टर रॉय को जॉन एंडरसन फाउंडेशन का एक खत मिलता है, जिसमे उसे दूसरे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के साथ अन्य दूसरी बीमारियों की दवाएं खोजने का न्योता मिलता है। डॉक्टर रॉय अनुभव करते हैं कि उनकी मेहनत बेकार नहीं गई थी। वह इस न्योते को स्वीकार करने का मन बनाते हैं, क्योंकि वह मानव कल्याण के लिए काम करते रहना चाहते हैं। इस फिल्म में डॉक्टर रॉय की बीवी का किरदार शबाना आज़मी ने किया था। साथी डॉक्टर कुंडू का किरदार बांगला फिल्म अभिनेता अनिल चटर्जी कर रहे थे। आज के विश्व प्रसिद्ध बॉलीवुड एक्टर इरफ़ान खान ने डॉक्टर रॉय के दूसरे दोस्त का किरदार किया था। यह इरफ़ान के करियर की तीसरी फिल्म थी। फिल्म में डॉक्टर दीपंकर रॉय का किरदार अभिनेता पंकज कपूर ने किया था। पंकज कपूर का आज जन्मदिन (२९ मई १९६४) है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 29 May 2016
एक डॉक्टर की मौत को जीवंत करने वाले पंकज कपूर
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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