सुनील दत्त के लिए नर्गिस के मन में प्रेम पनपा निर्देशक मेहबूब खान की फिल्म मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान। इस फिल्म में नर्गिस, राजेंद्र कुमार और सुनील दत्त की माँ का किरदार कर रही थी। फिल्म के एक सीन में खलिहान में रखे अनाज के ढेर पर सूदखोर लाला के आदमी आग लगा देते हैं। नर्गिस का बदहवास किरदार इस आग में घुस जाता है। इस सीन को फिल्माए जाने के दौरान नर्गिस सचमुच आग में घिर गई। जब सेट पर मौजूद कोई भी शख्स नर्गिस को आग से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, सुनील दत्त आग के दरिया में कूद पड़े। फिल्म का रील लाइफ सीन, रियल लाइफ में भी सच साबित हो गया। बहरहाल, सुनील दत्त नर्गिस को तो बचा लाये, लेकिन खुद बुरी तरह से झुलस गए। उन्हें तेज़ बुखार हो गया। उस समय नर्गिस ने उनकी तीमारदारी की। इस दौरान नर्गिस और सुनील दत्त को लगा कि वह एक दूजे के लिए ही बने हैं। राजकपूर से प्रेम में धोखा खाई नर्गिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली और स्टारडम को अलविदा कह दिया। इसमें कोई शक नहीं कि नर्गिस- सुनील जोड़ी बनाने वाली फिल्म मदर इंडिया थी। लेकिन, सुनील दत्त तो बहुत पहले से नर्गिस के दीवाने थे। इसीलिए उन्हें रेडियो सीलोन में आरजे के कार्य के दौरान नर्गिस से इंटरव्यू का मौका मिला तो वह झट तैयार हो गए। अब यह बात दीगर है कि रेडियो सीलोन को यह प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ा। क्योंकि स्थापित अभिनेत्री नर्गिस का इंटरव्यू लेने गए युवा दत्त के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल सका। इसके बाद सुनील दत्त बिमल रॉय की फिल्म दो बीघा ज़मीन की शूटिंग के दौरान फिल्म के सेट पर नर्गिस से मिले। यह एक तरफा प्यार था। नर्गिस अपने स्टारडम और राजकपूर के साथ फिल्म और रोमांस में व्यस्त थी। अगर, मदर इंडिया के सेट पर आग नहीं लगती, नर्गिस इसके बीच न फंसती, सुनील दत्त उन्हें बचाने के प्रयास में खुद न झुलसते तो पता नहीं इस इकतरफे प्यार का क्या हश्र होता। सुनील दत्त की हृदयघात से मृत्य २५ मई २००५ को ७४ साल की उम्र में हो गई थी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday, 25 May 2016
जब नर्गिस के सामने गूंगे हो गए सुनील दत्त
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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