भारतीय शास्त्रीय संगीत का परिचय हिंदी फिल्मों के ज़रिये कराने वाले विजय भट्ट का आज जन्म हुआ था। १२ मई १९०७ को गुजरात के भावनगर जिले के एक रेलवे गार्ड के घर जन्मे बृजलाल जगनेश्वर भट्ट को फ़िल्मी दुनिया ने विजय भट्ट नाम से परिचित करवाया। विजय भट्ट की दो फिल्मों बैजू बावरा (१९५२) और गूँज उठी शहनाई (१९५९) को बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल हुई थी। इन फिल्मों की सफलता का राज था इनके शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत। बैजू बावरा ने मीना कुमारी को फिल्मफेयर अवार्ड दिलाया ही, वह और भारत भूषण हिंदी फिल्मों के बड़े सितारे भी बन गए। विजय भट्ट ने बेबी महजबीं को पहली बार अपनी फिल्म लेदरफेस में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौक़ा दिया। यहीं महजबीं आगे चलकर मीना कुमारी बनी और विजय भट्ट की फिल्म बैजू बावरा की नायिका भी। केपी भावे की मूक फिल्म विधि का विधान से बतौर स्क्रिप्ट राइटर इंडस्ट्री में प्रवेश पाने वाले विजय भट्ट ने राम राज्य (१९४२) जैसी फिल्म बनाई, जो महात्मा गांधी द्वारा देखी गई इकलौती फिल्म थी। कलकत्ता की कमर सुल्ताना को अमीता बनाने वाले विजय भट ही थे। वह कमर सुल्ताना को अपनी फिल्म चैतन्य महाप्रभु की नायिका बनाने जा रहे थे। लेकिन, फिल्म के लिए कमर सुल्ताना नाम की हीरोइन जंच नहीं रही थी। इसलिए, विजय भट्ट ने अख़बारों में विज्ञापन दे कर अपनी हीरोइन के नामकरण के लिए नाम मांगे। इसके बाद कमर सुल्ताना फिल्म चैतन्य महाप्रभु की अमीता बन सकी। फिल्म फ्लॉप हुई। लेकिन, विजय भट्ट का अमीता पर विश्वास जमा रहा। उन्होंने पांच साल बाद अमीता को गूँज उठी शहनाई फिल्म में राजेंद्र कुमार की नायिका के बतौर पेश किया। फिल्म हिट हुई। तुम सा नहीं देखा के बाद गूँज उठी शहनाई की सफलता ने अमीता को भी स्थापित कर दिया। विजय भट्ट ने प्रकाश पिक्चरस और प्रकाश स्टूडियो स्थापित कर कोई २३ फिल्मों का निर्माण किया। उनके एक बेटे प्रवीण भट्ट सिनेमेटोग्राफर हैं। प्रवीण भट्ट ने अपने पिता के निर्देशन में बनी फिल्म हिमालय की गोद में से डेब्यू किया। विक्रम भट्ट भी इन्हीं विजय भट्ट के पोते हैं। महेश भट्ट के पिता नानाभाई भट्ट ने बतौर प्रकाश पिक्चरस के साउंड रिकार्डिस्ट फिल्मों में कदम रखा। विजय भट्ट का देहांत ८६ साल की उम्र में १७ अक्टूबर १९९३ को हो गया।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday, 12 May 2016
महात्मा गांधी ने देखी थी विजय भट्ट की 'रामराज्य'
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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