१९८० का दशक। हिंदी फिल्मों के जुबली कुमार राजेंद्र कुमार का बेटा कुमार गौरव, विजयेता पंडित के साथ फिल्म लव स्टोरी ( १९८१) के बड़ी हिट हो जाने के बाद, युवा सुपरस्टार की तरह चमक रहा था। उसी समय, निर्माता दिनेश बंसल उनके पास फिल्म तेरी कसम का प्रस्ताव ले कर आये।
वह इस फिल्म से मेरठ की यास्मीन जोसफ का डेब्यू कराना चाहते थे। लेकिन, तब तक कुमार गौरव ने यह फैसला कर ले लिया था कि अब वह किसी नवोदित अभिनेत्री के साथ नहीं, बल्कि स्थापित अभिनेत्री के साथ ही फिल्म करेंगे।
यास्मीन के लिए यह बड़ा मौक़ा था। यास्मीन और निर्माता दिनेश बंसल ने कुमार गौरव को समझाने की लाख कोशिश की। पर कुमार टस से मस नहीं हुए। दिनेश बंसल ने, यास्मीन को निकाल कर किसी स्थापित अभिनेत्री को ले कर कुमार गौरव के साथ तेरी कसम बनाने के बजाय फिल्म को बंद कर देना उपयुक्त समझा ।
टूटी हुई यास्मीन मेरठ वापस लौट गई। अब यह बात दूसरी है कि यास्मीन को बॉलीवुड में चमकना था । राजकपूर, अपने सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर के साथ फिल्म राम तेरी गंगा मैली बना रहे थे । उन्हें इस फिल्म के लिए नए चेहरे की ज़रूरत थी । यास्मीन का किस्सा उनके सामने से गुजरा था । उन्होंने यास्मीन को मेरठ से बुला कर, मन्दाकिनी नाम दिया और फिल्म राम तेरी गंगा मैली की गंगा बना दिया । फिल्म जबरदस्त हिट हुई । मन्दाकिनी सुपरस्टार बन गई ।
लेकिन, तब तक कुमार गौरव का सितारा अस्त हो चुका था । उनकी फ़िल्में लगातार फ्लॉप हो रही थी । इसी समय निर्माता रोमू एन सिप्पी फिल्म जीवा का प्रस्ताव लेकर मन्दाकिनी के पास आये । इस फिल्म के नायक कुमार गौरव थे ।
इस बार कुमार गौरव को मन्दाकिनी के नाम पर कोई ऐतराज़ नहीं था । पर बदला लिया मन्दाकिनी ने । उन्होंने कुमार गौरव के साथ फिल्म जीवा करने से इनकार कर दिया । उन्होंने कुमार गौरव को हटाने की शर्त रख दी । इसके लिए वह अपना पारिश्रमिक कम करने के लिए भी तैयार हो गई.
निर्माता ने कुमार गौरव को हटा दिया । उनकी जगह संजय
दत्त आ गए, जो उस समय विधाता फिल्म से चमके ही थे । मन्दाकिनी ने इस प्रकार, कुमार
गौरव से अपना बदला ले लिया था ।
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