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Sunday 14 August 2022

इस साल भी देश से दूर बॉलीवुड !


स्वतंत्रता दिवस सप्ताहांत २०२२ में बॉलीवुड की दो फ़िल्में लाल सिंह चड्डा और रक्षा बंधन ११ अगस्त २०२२ को प्रदर्शित हुई है. लाल सिंह चड्डा
, हॉलीवुड की ऑस्कर पुरस्कार विजेता फिल्म फारेस्ट गंप की अधिकारिक रीमेक फिल्म है. इस फिल्म के मुख्य चरित्र लाल सिंह चड्डा का सफ़र दशकों लम्बा है. वह सेना में भी भर्ती होता है. पर लेखक अतुल कुलकर्णी ने इसे हॉलीवुड के चश्मे से लिखा है, क्योंकि, अमेरिकी सेना में ही मंदबुद्धि भर्ती हो सकते है. आमिर खान की अन्य दूसरी फिल्मों के तरह लाल सिंह चड्डा विवादित घटनाक्रम जोड़े हो सकती है. पर देश की बात नहीं कर सकती. वही अक्षय कुमार की फिल्म रक्षा बंधन भाई और उसकी चार बहनों के बीच के प्यार के प्यार की पारिवारिक कथा है. ऐसे कथानक में देश प्रेम का क्या काम ! मतलब साफ़ कि स्वतंत्रता दिवस साप्ताहांत में कोई भी देश प्रेम की फिल्म सिनेमाघरों में नहीं.




देश की बात नहीं - वास्तविकता तो यह है कि बॉलीवुड ने इस साल कोई भी ऎसी फिल्म नहीं बनाई, जो देश की बात करती हो, देश की समस्या से सरोकार रखती हो. द कश्मीर फाइल्स ने अवश्य कश्मीर के घटनाक्रम को परदे पर ला कर पूरे देश को झकझोर दिया था. देश प्रेम हिलोरे लेने लगा था. यह फिल्म अब तक कि सबसे अधिक कारोबार करने वाली फिल्म भी भी है. परन्तु, बॉलीवुड की अन्य दूसरी फ़िल्में अतीत को तो परदे पर उकेरती हैं, पर देश के सन्दर्भ में नहीं. गंगुबाई काठियावाड़ी, सम्राट पृथ्वीराज, शमशेरा, आदि अंग्रेजो के समय के भारत पर फिल्म थी. सम्राट पृथ्वीराज को अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर फिल्म थी. पर यह फ़िल्में दर्शकों के दिलों को छू तक नहीं सकी थी. उर्दू मिश्रित संवादों अरु गीतों ने फिल्म की आत्मा नष्ट कर दी थी.




ईमानदार मेजर - इस लिहाज से, २६/११ के मुंबई हमले पर फिल्म मेजर और स्पेस रिसर्च विज्ञानी नाम्बी नारायणन के जीवन पर फिल्म राकेट्री द नाम्बी इफ़ेक्ट अधिक ईमानदार फ़िल्में थी. यह फ़िल्में अपने कथ्य और तथ्यों की ईमानदारी के कारण दर्शकों को प्रभावित कर पाने में सफल हुई. परन्तु, सैन्य जीवन को एक्शन के नजरिये से देखना आदित्य रॉय कपूर को फिल्म राष्ट्र कवच ओम में भारी पडा. यह फिल्म अपनी बेईमानी के कारण दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सकी. कंगना रानौत की वैचारिक बेईमानी उनकी एजेंट फिल्म धाकड़ पर भारी पड़ी. फिल्म अच्छे एक्शन के बाद भी दर्शकों को सिनेमाघरों तक नहीं ला सकी. खबर लेखन और अभिनय में कच्ची तपसी पन्नू महिला क्रिकेटर मिताली राज पर फिल्म शाबास मिथु की लुटिया डुबो गई.




जोश कहाँ ! - इस साल प्रदर्शित होने वाली फिल्मों में भी कोई फिल्म जोश भरने वाली नहीं लगती. हालाँकि, इन फिल्मों की श्रंखला में कंगना रानौत की फाइटर पायलट पर तेजस, अक्षय कुमार की कभी विवादित रहे राम सेतु पर थ्रिलर फिल्म राम सेतु, देश प्रेम की आड़ में एक्शन फिल्म योद्धा तथा १९७१ के भारत पाकिस्तान युद्ध पर फिल्म पिप्पा के नाम उल्लेखनीय है. इन तमाम फिल्मों में किसी के भी सामान्य से अधिक प्रभाव छोड़ पाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.




दक्षिण से इतिहास - इस लिहाज से दक्षिण की फ़िल्में कहीं बहुत आगे हैं. निर्देशक एस एस राजामौली की फिल्म आर आर आर ने अंग्रेजो के खिलाफ जनजाति विद्रोह की घटना को जीवंत कर दिया था. यहाँ याद आ जाती है यशराज फिल्म की महँगी फिल्म शमशेरा, जो साधारण फिल्म बन कर रह जाती है. दक्षिण की फिल्मों ने भारत के प्राचीन इतिहास को परदे पर ला कर अखिल भारतीय दर्शकों को अपनी ओर खींचने का प्रयास कलिया है. बिम्बसार प्राचीन भारत के राजा बिम्बसार को आधुनिक सन्दर्भ में पेश करती थी. मणिरत्नम निर्देशित पोंनियिन सेल्वेन (पीएस१) भी चोल साम्राज्य के वैभव को भव्य तरीके से पेश कर रही है. एक तेलुगु फिल्म अखंड भी शिव नाम की महिमा को आधुनिक सन्दर्भ में बखूबी पेश करती थी.  

Sunday 31 July 2022

अक्षय कुमार बनाम आमिर खान या पति पत्नी टकराव !

बॉक्स ऑफिस, ११ अगस्त २०२२ को आयोजित युद्ध के लिए कमर कस चुका है. दोनों क्या तीनों ओर के योद्धा अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं. युद्ध के साजोसामान जुटाए जा रहे हैं. अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुँच बनाने के लिए पूरी तैयारी की गई है. स्वतंत्रता दिवस साप्ताहांत का यह टकराव आपने आप में अनोखा होगा. यह टकराव बॉलीवुड के दो बड़े अभिनेताओं और उनकी फिल्मों के बीच होगा. इन फिल्मों से पति से टकराएंगी पत्नी भी. न न पत्नी नहीं पूर्व पत्नी. क्या आप जानना नहीं चाहेंगे इस टकराव के बारे में?




भाई बहन का रक्षा बंधन - अपनी फिल्मों से, एक्शन कुमार की उपाधि पाने वाले अक्षय कुमार ने, निर्देशक आनंद एल राय के साथ अपनी दूसरी फिल्म रक्षा बधन के पूरी होते ही, फिल्म को ११ अगस्त २०२२ को प्रदर्शित किये जाने की घोषणा कर दी थी. भाई और उसकी बहनों के इस कथानक में अक्षय कुमार, अपनी रील लाइफ बहनों सहजमीन कौर, दीपिका खन्ना, सदिया खतीब और स्मृति श्रीकांत के भाई बने है. फिल्म में उनसे शादी करने की इच्छुक युवती की भूमिका भूमि पेडणेकर कर रही है. रक्षा बंधन शीर्षक वाली इस पारिवारिक फिल्म को रक्षा बंधन के दिन प्रदर्शित करना सर्वथा उचित निर्णय था.




आ टपका लाल सिंह चड्डा - परन्तु, बारिश में टपके की तरह आ टपके आमिर खान. उन्होंने, अपनी हॉलीवुड की फिल्म फारेस्ट गंप की हिंदी रीमेक फिल्म लाल सिंह चड्डा को भी ११ अगस्त को ही प्रदर्शित किये जाने की घोषणा कर टकराव की स्थिति पैदा कर दी. हालाँकि, आमिर खान की आदत ऐसा टकराव पैदा करते रहने की है. याद कीजिये २००१ में हुए लगान और ग़दर एक प्रेम कथा के टकराव को. वह अक्षय कुमार के साथ २००७ में भी ऐसा टकराव फिल्म तारे जमीन पर को एक्शन कॉमेडी फिल्म वेलकम के विरुद्ध ला कर ले चुके है. उन्होंने, इस मामले में अजय देवगन को भी नहीं बख्शा. अजय देवगन की कॉमेडी फिल्म दिल तो बच्चा है जी गणतंत्र दिवस साप्ताहांत का लाभ उठाने के लिए २१ जनवरी को प्रदर्शित होने जा रही थी. आमिर खान ने, अपनी हालिया तलाकशुदा पत्नी किरण राव की निर्देशित पहली फिल्म धोबी घाट को सामने ला कर अजय देवगन को अपनी फिल्म को २८ जनवरी को प्रदर्शित करने के लिए विवश कर दिया था. अब यह बात अन्यथा है कि आमिर खान की सभी फिल्में टकराव के बाद, दूसरे स्थान पर ही रही. धोबी घाट को तो दर्शकों ने पटक पटक कर धोया.




परदे हड़पने की कोशिश - वास्तव में, आमिर खान टकराव ही नहीं मोल लेते है, बल्कि परदे जीतने की जी तोड़ कोशिश करते है. २०११ में उन्होंने धोबी घाट के लिए परदे जुटाने के लिए हर प्रकार के पैंतरे आजमाए. वितरकों के लिए विशेष शो आयोजित किये गए. उन्होंने ललचाने की भरपूर कोशिश की. इसका नतीजा सामने आया. धोबी घाट को इतने अधिक स्क्रीन मिले कि अजय देवगन को अपनी फिल्म को हटाने के लिए विवश होना पडा. कुछ ऐसा ही इस बार भी हुआ है. बताते हैं कि आमिर खान ने, लाल सिंह चड्डा की खराब रिपोर्ट के बावजूद, फिल्म के लिए स्क्रीन जुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. ट्रेड के जानकार बताते हैं कि आमिर खान ने देश की सबसे बड़ी सिनेमा चेन पीवीआर को पटा लिया है. पीवीआर के पास अकेले ही देश के ५५ प्रतिशत परदे हैं. इनमे से ६५ प्रतिशत परदे आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा को मिलने जा रहे है. अर्थात, अक्षय कुमार को पूरे भारत में पीवीआर के ३५ प्रतिशत पर्दों के लिए मिनी युद्ध लड़ना होगा.




एकल परदे पर रक्षा बंधन - हालाँकि, आमिर खान ने लाल सिंह चड्डा के लिए अधिक से अधिक परदे हथिया लिए है. पर रक्षा बंधन के निर्माता अपनी फिल्म के प्रदर्शन की तिथि में बदलाव करने नहीं जा रहे. उन्हें अपनी फिल्म और अक्षय कुमार पर, बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज जैसी बड़ी असफलता के बाद भी पूरा भरोसा है. उनका ध्यान आमिर खान से न्याय युद्ध लड़ने के बजाय एकल छवि गृहों पर लगा हुआ है. फिल्म के निर्माता जी स्टूडियोज ने अपना पूरा ध्यान एकल पर्दा छविगृहों पर लगा दिया है. वह अधिक से अधिक एकल पर्दा छविगृहों पर नियंत्रण बनाना चाहते हैं. एकल पर्दा थिएटरों के दर्शकों पर अक्षय कुमार की अच्छी पकड़ भी है. अक्षय कुमार और भूमि पेडणेकर की जोड़ी टॉयलेट एक प्रेमकथा में पर्याप्त सफल हुई थी. इसके अतिरिक्त पर्व के माह में, लम्बे समय बाद कोई पारिवारिक फिल्म प्रदर्शित होने जा रही है. अक्षय कुमार और आनंद एल राय को विश्वास है कि दर्शक रक्षा बंधन के दिन भाई बहनों के स्नेह के कथानक पर फिल्म को देखने अवश्य आयेंगे.




बोझिल और ऊबाऊ चड्डा- आमिर खान और लाल सिंह चड्डा की राह सरल नहीं लगती. इस फिल्म का ट्रेलर पूरी फिल्म पर भारी पड़ रहा है. पूरी फिल्म का बोझ आमिर खान के कन्धों पर है. हालाँकि, फिल्म में करीना कपूर और विशेष भूमिका में तेलुगु फिल्म अभिनेता नाग चैतन्य है. पर सिख बने आमिर खान कॉमेडी करते हास्यास्पद लग रहे है. फिल्म काफी उकाताऊ और बोझिल लगती है. त्यौहार के अवसर पर मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति की कथा दर्शकों को कितने रास आयेगी, यह देखें वाली बात होगी.




पति के विरुद्ध पत्नी ! - परन्तु, लाल सिंह चड्डा की राह यशोदा भी कठिन बना सकती है. यशोदा, हरी-हरीश जोडी निर्देशित यशोदा साइंस फिक्शन एक्शन थ्रिलर फिल्म है. यह फिल्म तमिल और तेलुगु में एक साथ शूट हुई है. इस फिल्म को मलयालम और कन्नड़ के अतिरिक्त हिंदी में डब कर प्रदर्शित किये जाने की योजना है. यहाँ, सवाल यह है कि यशोदा किस प्रकार से लाल सिंह चड्डा की राह कठिन बना सकती है? वास्तव में, फिल्म की प्रमुख भूमिकाओं में पुष्पा द राइज की ऊ ऊ गर्ल सामंता रुथ है. उनका साथ उन्नी मुकुन्दन और वरलक्ष्मी शरदकुमार दे रही है. क्या आमिर खान के लिए पुष्पा की ऊ ऊ गर्ल इतना संकट पैदा कर सकती है. वास्तव में यह संकट सामंता को आमिर खान का नहीं, बल्कि सामंता का नाग चैतन्य को है. नाग चैतन्य से शादी करने के बाद, सामंता रुथ सामंता अक्किनेनी के नाम से जानी जाती है. बताते हैं कि आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा की शूटिंग के दौरान ही नाग ने सामंता से सम्बन्ध विच्छेद का निर्णय लिया. एक फिल्म समीक्षक का तो यहाँ तक कहना है कि आमिर खान ने ही नाग को सामंता से तलाक़ लेने के लिए लिए प्रेरित किया. यह घटनाक्रम नाग चैतन्य की फिल्म लाल सिंह चड्डा के सामंता की यशोदा से टकराव का बड़ा कारण बन जाता है.




अतीत साक्षी है -बॉक्स ऑफिस पर टकराव की बिसात बिछ चुकी है. अभी दूसरे पैंतरे भी अजमाए जायेंगे. पर आंकड़े भी गवाही देते है. यह आंकड़े २००७ में प्रदर्शित दो फिल्मों तारे जमीन पर और वेलकम के है. तारे जमीन पर ने पहले सप्ताह में कुल १६.५७ करोड़ का व्यवसाय किया था. वही अक्षय कुमार की कॉमेडी एक्शन फिल्म ने दुगुना से अधिक ये ३५ करोड़ का व्यवसाय किया था. यानि जोनर भारी पडा था. ऐसा ही कुछ लाल सिंह चड्डा और रक्षा बधन के साथ भी होने जा रहा है. लाल सिंह चड्डा लीक से हट कर, एक विकलांग चरित्र पर केन्द्रित फिल्म है. जबकि, रक्षा बंधन विशुद्ध पारिवारिक फिल्म है. ऎसी फ़िल्म बहुत अंतराल के बाद प्रदर्शित हो रही है. इस लिए कोई संदेह नही, यदि लाल सिंह चड्डा पर रक्षा बंधन भारी पड़ जाए. 

Sunday 24 July 2022

क्या फिर सफल होगा बॉलीवुड में डकैत ?

जब तक यह लेख प्रकाशित होगा, यशराज फिल्म्स की रणबीर कपूर, संजय दत्त और वाणी कपूर अभिनीत एक्शन फिल्म शमशेरा प्रदर्शित हो चुकी होगी. यह फिल्म कितनी सफल होगी, यह आज के सप्ताहांत के समाप्त होते होते स्पष्ट हो जाएगा. पर इस फिल्म की सफलता का महत्त्व रणबीर कपूर के लिए अत्यधिक है. एक तो उनकी यह फिल्म संजू (२०१८) के चार साल बाद, प्रदर्शित हो रही है. इस फिल्म में रणबीर कपूर पहली बार एक्शन और डकैत चरित्र कर रहे है. अगर यह फिल्म सफल होती है तो रणबीर कपूर रोमांटिक इमेज के अतिरिक्त फिल्में भी सफल बनाने वाले अभिनेता बन जायेंगे. इस फिल्म के बाद उनकी बॉक्स ऑफिस पर पकड़ मजबूत होगी. इसका सीधा प्रभाव उनकी आगामी फिल्म फंतासी ब्रहमास्त्र पार्ट १ शिवा पर भी पड़ेगा.




डाकू फिल्मों का भविष्यपरन्तु, शमशेरा का महत्त्व इसके जोनर के लिए भी है. यह फिल्म डकैत एक्शन फिल्म है. फिल्म के डकैत रणबीर कपूर दोहरी भूमिका में है. रणबीर कपूर के डकैत की सफलता इस जोनर की सफ़लता भी मानी जायेगी. क्या डकैत शमशेरा सफल होगा? क्या हिंदी फिल्मों में डकैत फिल्मो का सिलसिला जमेगा?




प्रारंभिक डाकू१९६० के दशक में. बॉलीवुड में, डकैत काफी लोकप्रिय हुआ करता था. हर बड़ा अभिनेता फिल्म के परदे पर मुंह ढंके हुए, आधी रात के बाद, घोड़े पर टकबक टकबक करता धुल उड़ता निकलता था. पर हिंदी फिल्मों के इस डाकू को पहली बार अलग रूप में फिल्म आवारा में देखा गया था. आवारा के डाकू जग्गा के एन सिंह बने थे. यह डाकू जज से बदला लेने के लिए उसकी गर्भवती पत्नी का अपहरण करता है और उसके बेटे को आवारा बना देता है. राजकपूर निर्देशित फिल्म अवारा का डाकू कहानी दिशा देने के लिए गढ़ा गया था. इसके बाद, दिलीप कुमार फिल्म आज़ाद में डाकू बने दिखाई दिए. महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया का बिरजू ऐसा लोकप्रिय डाकू चरित्र हुआ, जिसने सुनील दत्त के फिल्म जीवन को सुदृढ़ कर दिया.




डाकुओं का आत्म समर्पणमहात्मा गाँधी से प्रभावित विनोबा भावे ने भूदान यज्ञ चला कर जमींदारों से उनकी जमीन का दान करवाया, जिसे उन्होंने भूमिहीन किसानों में बांटा. १९६० में उनके प्रयत्नों से चम्बल के डाकुओं ने एक के बाद एक समर्पण करना शुरू कर दिया. इस समर्पण से सबसे अधिक प्रभावित हुए राजकपूर. कभी नेहरु की भारत की कल्पना के वशीभूत बूट पोलिश जैसी फिल्म बनने वाली राजकपूर ने विनोबा भावे के चम्बल के डाकुओं के समर्पण के कथानक पर फिल्म जिस देश में गंगा बहती है का निर्माण किया. इस फिल्म का निर्देशन राजकपूर की फिल्मों के छायाकार राधू कर्मकार ने किया था. राजकपूर डाकुओं को आत्मसर्पण के लिए प्रेरित करने वाले राजू बने थे. प्राण ने डाकू राका की भूमिका की थी. इस श्वेत श्याम फिल्म को बड़ी सफलता मिली. इस फिल्म के बाद, सुनील दत्त की फिल्म मुझे जीने दो भी डाकू कथानक पर प्रेरणात्मक फिल्म थी. सुनील दत्त दूसरी बार डाकू की भूमिका में थे.



जब नायक बने डाकूइन दो फिल्मों के बाद, बॉलीवुड में डाकू चरित्र पहली पसंद बन गया. तमाम बड़े फिल्म अभिनेता डाकू की काली नकाब में घोड़े पर धूल उड़ा रहे थे. १९६० के दशक के लोकप्रिय डाकू राजेंद्र कुमार फिल्म सूरज और दिलीप कुमार फिल्म गंगा जमुना थे. बाद में सुनील दत्त ने डाकू चरित्रों को अपनी फिल्मो प्राण जाये पर वचन न जाये और हीरा में जीवंत किया. अपने स्टाइल से परिचय देने वाले अभिनेता फ़िरोज़ खान ने फिल्म मेला में चमड़े की जैकेट पहन कर डाकू शक्ति सिंह को जीवंत किया. इसी प्रकार सत्तर के दशक में धर्मेन्द्र ने फिल्म समाधि और पत्थर और पायल में डाकू की भूमिकाएं की. अमिताभ बच्चन ने फिल्म गंगा की सौगंधराजेश खन्ना ने भोला भाला और धरम काँटा के बाद सनी देओल ने फिल्म डकैत और संजय दत्त ने जय विक्रान्ता में डाकू बन कर घुड़सवारी की. फिल्म मेरा गाँव मेरा देश में विनोद खन्ना ने डाकू चरित्र को बिलकुल नया अंदाज दिया. धर्म कांता में राजकुमार और लज्जा में अजय देवगन के डाकू चरित्र भी दर्शकों द्वारा पसंद किये गए.




रील में रियल डकैत - कुछ रियल डकैतों ने भी रील लाइफ में जगह बनाई. मोहम्मद हुसैन की सुल्ताना डाकू में दारा सिंह शीर्षक भूमिका में थे. महिला डकैत पुतली बाई पर दो फिल्मने १९७२ और १९९९ में बनाई गई. शेखर कपूर ने तो फूलन देवी पर फिल्म बैंडिट क्वीन बना कर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की. तिग्मांशु धुलिया की फिल्म पान सिंह तोमर में स्वर्गीय इरफ़ान खान शीर्षक भूमिका में थे. रामगोपाल वर्मा की डाकू फिल्म वीरप्पन चन्दन की लकड़ी के तस्कर वीरप्पन पर थी. २००६ में प्रदर्शित फिल्म वुंडेड इस लिहाज से अलग थी कि इस फिल्म में डकैत सीमा परिहार की भूमिका खुद सीमा परिहार ने की थी.




खलनायक भी डकैत - बॉलीवुड में केवल नायक अभिनेता ही डाकू नहीं बने, बल्कि डाकू खलनायकों ने भी बहुत लोकप्रियता प्राप्त की. इस लिहाज से शोले का गब्बर सिंह उल्लेखनीय है, जिससे अभिनेता अमजद खान ने अपने फिल्म जीवन की शुरुआत की थी. इस फिल्म के कालिया (बीजू खोटे) और साम्भा (मैक मोहन) भी काफी मशहूर हुए. इनके अलावा फिल्म प्रतिज्ञा में अजित, चुनौती में डैनी डैग्जोप्पा, लोहा और यतीम में अमरीश पुरी, चाइना गेट में मुकेश तिवारी, कच्चे धागे में कबीर बेदी, बैंडिट क्वीन मे निर्मल पाण्डेय भी अपनी खल भूमिकाओं में डाकू बने थे.


Sunday 17 July 2022

एक्टर से उद्यमी बने बॉलीवुड के सितारे



बॉलीवुड अब काफी बदल चुका है । इसके अभिनेता अभिनेत्रियों की सोच में क्रांतिकारी बदलाव आया है। अब वह फिल्मों से इतर दूसरे व्यसाय पर भी ध्यान देने लगे है. प्राचीन फिल्मों के सितारे अपनी फिल्मों की कमाई पर ही निर्भर करते थे. बेहिसाब खर्च किया करते थे. यही कारण था कि भगवान् दादा और भारत भूषण से लेकर अभिनेत्री परवीन बाबी को तक मुफलिसी की मौत मरनी पड़ी. शायद इसी से सबक लेते हुए आज के सितारों ने दूसरे व्यवसाय पर ध्यान देना शुरू कर दिया है. विशेष बात यह है कि उन्हें अपने इस प्रयास में सफलता भी मिल रही है. आइये बात करते हैं दूसरे उद्यमों में सफल प्रमुख नौ अभिनेता अभिनेत्रियों की.

सोनू सूद

इस साल, फिल्म उद्योग के सुपरमैन के रूप में उभरे सोनू सूद ने सभी की जरूरत के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए एक और पहल शुरू की है। 'इलाज इंडिया' नाम की यह पहल मूल रूप से केटो द्वारा विकसित एक हेल्पलाइन नंबर है, जो एशिया के सबसे अधिक देखा जाने वाला भरोसेमंद क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है. इस का उद्देश्य बाल रोगियों को चिकित्सा देखभाल और उपचार के साथ सहायता करना है।

ऋचा चड्ढा और अली फज़ल

बॉलीवुड के प्रसिद्ध जोड़ों में से एक अली फज़ल और ऋचा चड्ढा ने पिछले साल अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस पुश बटन्स शुरू किया है । निर्माता के रूप में उनकी पहली फिल्म 'गर्ल्स विल बी गर्ल्स' होगी। यह अंतरराष्ट्रीय फिल्म मार्केट में सभी का ध्यान आकर्षित कर रही है। रिचा, अली फज़ल और निर्देशक शुचि तलाती के साथ फिल्म उन महिलाओं के लिए अपनी तरह का पहला ऊष्मायन कार्यक्रम स्थापित कर रही हैं, जो फिल्म उद्योग में गैफर और सिनेमेटोग्राफर के रूप में काम करने की उम्मीद करती हैं। अंडरकरंट लैब नाम का यह कार्यक्रम वीमेन इन फिल्म एंड टेलीविजन एसोसिएशन इंडिया और लाइट एन लाइट के बीच एक संयुक्त साझेदारी है।

शेफाली शाह

सोशल मीडिया पर शेफाली शाह को फॉलो करने वाले जानते हैं कि उन्हें खाना बनाना और अपने रिश्तेदारों और सोशल सर्कल को खाना खिलाना बहुत पसंद है।  इसलिए जब उन्होंने २०२१ में एक हॉस्पिटैलिटी ट्रेड शुरू करने पर विचार किया.। इससे अहमदाबाद में जलसा का जन्म हुआ। यह उपक्रम शेफाली के लिए बेहद सफल साबित हो रहा है और अब उनके लिए एक साइड बिजनेस से ज़्यादा है।

सनी लियोनी

इंटरनेट की सबसे अधिक खोजी जाने वाली हस्ती, सनी लियोनी ने भी २०२१ में नॉन-फंजेबल टोकन मार्केटप्लेस के साथ उद्यमिता में हाथ आज़माया। उनका नया साइड बिज़नेस बहुत अच्छा कर रहा है। इससे यह साबित होता है कि सनी लीओन वास्तव में एक बहु-प्रतिभाशाली महिला है!

रकुल प्रीत सिंह

दक्षिण की फिल्मों में अपार लोकप्रियता हासिल करने के बाद,  रकुल प्रीत सिंह हिंदी फिल्म उद्योग में भी अच्छी तरह से स्थापित हो चुकी हैं। लेकिन शायद बहुत कम को पता होगा कि पिछले साल रकुल ने भी बिज़नेस में हाथ आज़माया है। उन्होंने अपने भाई अमन प्रीत सिंह के साथ 'स्टाररिंग यू' नाम से एक ऐप की शुरुआत की है, जो संघर्षरत अभिनेताओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देता है और उनकी प्रतिभा के अनुरूप काम देने का प्रयास करता है ।

मलाइका अरोरा

मलाइला अरोरा ने २०२१ में न्यूड बॉल्स नाम से अपनी खुद की डिलीवरी-ओनली फूड सर्विस शुरू की। उन्हें यह विचार महामारी के दौरान मिला था। उन्होंने जल्दी से इस पर काम शुरू भी कर दिया । उनके इस स्टार्ट-अप को अच्छी सफलता मिलती चली गई।

अभिषेक बनर्जी

अभिषेक बनर्जी ने ओटीटी शो और फिल्मों में छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिकाओं से दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हुए खुद की अपनी एक पहचान बना ली है।  इससे पहले कि उन्हें मुख्य भूमिकाओं का उचित हिस्सा मिलना शुरू हो गया। हाल ही में, उन्होंने श्वेताब सिंह के साथ संघर्षरत कलाकारों को अभिनय करने का बेहतर मौका देने के उद्देश्य से अपने प्रोडक्शन हाउस फ्रीक्स का प्रारंभ किया है।

दीपिका पादुकोण

बॉलीवुड की क्वीन, दीपिका पादुकोण २०२२ में अपना खुद का लाइफस्टाइल ब्रांड लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। बालों और त्वचा देखभाल उत्पादों से शुरू होकर, उनकी कंपनी रसायनों के उपयोग के बजाय प्राकृतिक उपचार पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह वास्तव में समय के अनुरूप विचार वाले व्यवसाय में निवेश करने जा रही है।

आलिया भट्ट

आलिया भट्ट को भी बिज़नेस में महारत हासिल लगती है। उन्होंने हाल ही में आइटीआइ कानपुर स्थित कंपनी फूल १ डॉट को में अपने निवेश की घोषणा की है। यह सर्कुलर इकोनॉमी पर केंद्रित है जो फूलों के कचरे को चारकोल मुक्त लक्जरी अगरबत्ती उत्पादों और अन्य वेलनेस उत्पादों में परिवर्तित करता है। निश्चित रूप से दिलचस्प इन्वेस्टमेंट है ।

Sunday 10 July 2022

दूसरी छमाही ख़ास होगी बॉलीवुड की स्टार पॉवर के लिए !

२०२२ का पहली छमाही बीत चुकी है. फिल्म प्रदर्शकों के चेहरों पर मुस्कान है. उनके चेहरे पर मुस्कान आने का प्रारंभ २५ दिसम्बर २०२२ से हो चुका था, जब अल्लू अर्जुन की तमिल फिल्म पुष्पा द राइज को बड़ी सफलता मिली थी. हालाँकि, इस सफलता के समय बॉलीवुड की फिल्म रणवीर सिंह की ’८३ असफल हो गई थी. यही कारण है कि बॉलीवुड की फिल्मों और सितारों की सफलता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता था. क्योंकि, हिंदी बेल्ट को बॉलीवुड के सितारों की फिल्मों की प्रतीक्षा रहती है.




बड़ी फ्लॉप - परन्तु, यह प्रतीक्षा २०२२ की पहली छमाही में भी समाप्त नहीं हुई थी. क्योंकि, इस छमाही में प्रदर्शित अक्षय कुमार की फिल्म बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज औंधे मुंह गिरी थी. जॉन अब्राहम की अटैक पार्ट १, शाहिद कपूर की जर्सी, अजय देवगन की रनवे ३४, रणवीर सिंह की जयेश भाई जोरदार और टाइगर श्रॉफ की हीरो पंथी २ की हीरोगिरी भी नहीं चल सकी थी. हालाँकि, इस छमाही में, द कश्मीर फाइल्स, अलिया भट्ट की गंगुबाई काठियावाड़ी, अनिल कपूर, वरुण धवन और किअरा अडवाणी की जुग जुग जियों और कार्तिक आर्यन और किअरा अडवाणी की भूल भुलैया २ को सफलता मिली थी. फिर भी बॉक्स ऑफिस को बाकी के बड़े सितारो की फिल्मो की प्रतीक्षा थी. विशेष रूप से जब अक्षय कुमार, रणवीर सिंह और टाइगर श्रॉफ असफल हो रहे थे. क्या यह प्रतीक्षा दूसरी छमाही मे पूरी हो सकेगी.




डकैत फिल्म की सफलता ! - दूसरी छमाही में, बॉलीवुड के बड़े सितारों अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ के अतिरिक्त आमिर खान, रणबीर कपूर और सलमान खान की फिल्में भी प्रदर्शित होंगी. यों तो बड़े सितारों, बजट और प्रोडक्शन के विचार से एक ऎसी ही फिल्म २२ जुलाई २०२२ को प्रदर्शित हो जायेगी. यह फिल्म रणबीर कपूर, संजय दत्त और वाणी कपूर की डकैत एक्शन फिल्म शमशेरा है. इस फिल्म से रणबीर कपूर पहली बार एक डकैत की भूमिका में तो होंगे ही, वह धुआंधार एक्शन भी कर रहे होंगे. फिल्म में उनकी दोहरी भूमिका है. अगर यह फिल्म, जैसी आशा की जा रही है, बॉक्स ऑफिस पर सफल होगी. इसके बाद, प्रदर्शित होने जा रही जॉन अब्राहम, अर्जुन कपूर, दिशा पटानी और तारा सुतारिया की फिल्म एक विलेन रिटर्न्स इस ट्रेंड पर मोहर लगा देती है तो समझिये कि बॉलीवुड की वल्ले वल्ले है.




अगस्त विशेष- इस लिहाज से, अगस्त का महीना बहुत विशेष होगा. इस महीने एक बड़ा टकराव होगा तथा कुछ बड़े सितारों और बजट वाली फ़िल्में प्रदर्शित होंगी. बॉक्स ऑफिस पर इस साल का बड़ा टकराव बॉलीवुड की दो बड़ी फिल्मों के मध्य होगा. इन फिल्मों से बॉलीवुड के दो बड़े सितारे अपनी फिल्मों के माध्यम से लोहा ले रहे होंगे. यह दो सितारे आमिर खान और अक्षय कुमार हैं. आमिर खान की कोई फिल्म लगभग चार साल बाद प्रदर्शित हो रही है. उनकी विगत फिल्म ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान २०१८ में प्रदर्शित हुई थी. पर यह फिल्म बड़ी फ्लॉप साबित हुई थी. इसलिए आमिर खान को स्थापित करना है कि वह अभी भी बॉक्स ऑफिस पर पकड़ रखते हैं. इसलिए, ११ अगस्त को, स्वतंत्रता दिवस साप्ताहांत पर प्रदर्शित होने जा रही हॉलीवुड की फिल्म फारेस्ट गंप की रीमेक फिल्म लाल सिंह चड्डा की सफलता, आमिर खान के लिए अति आवश्यक हो जाती है.




अक्षय कुमार की कड़ी परीक्षा - कुछ ऐसी ही परीक्षा अक्षय कुमार की भी है. इस साल, बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज की भारी भरकम असफलता के बाद, अक्षय कुमार के लिए फिल्म रक्षा बंधन की सफलता अनिवार्य लगती है. क्योंकि, अगर रक्षाबंधन भी बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज की राह चलीं तो अक्षय कुमार के लिए सिनेमाघरों में अपनी फ़िल्में लगाना कठिन हो जायेगा. लाल सिंह चड्डा से फिल्म का टकराव रक्षा बंधन की सफलता पर थोडा संदेह प्रकट करने वाला है. पर ऎसी ही दशा लाल सिंह चड्डा की भी है. लाल सिंह चड्डा को तो दर्शकों की उत्सुकता रक्षा बंधन से कम मिल रही है. जो शुभ संकेत नहीं है.




तेलुगु स्टार पॉवर - अगस्त में प्रदर्शित होने जा रही एक अन्य फिल्म विशेष महत्त्व वाली है. यह फिल्म दक्षिण के तेलुगु सितारे विजय देवेराकोंडा की है. विजय की तेलुगु फिल्मों के रीमेक अर्जुन रेड्डी की कबीर सिंह और एमएक्स १०० की फिल्म तड़प दर्शक देख चुके हैं. कबीर सिंह को तो हिंदी फिल्म दर्शकों ने भी काफी बड़ी सफलता दी थी. अब ऐसे ही सफ़ल विजय देवेराकोंडा पहली बार हिंदी दर्शकों के सामने अपनी स्टार पॉवर की आजमाइश करने आ रहे है. उनकी फिल्म लाइगर एक एक्शन फिल्म है. इस फिल्म में वह एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका कर रहे हैं, जिसमे टाइगर और लायन की मिली जुली शक्ति है. पिछले दिनों लाइगर का फर्स्ट लुक पोस्टर जारी हुआ था. इस पोस्टर में विजय आवक्ष नग्न थे. इस पोस्टर को सबसे सेक्सी पोस्टर माना गया है. इस विचार से, विजय देवेराकोंडा की पुरी जगनाथ निर्देशित फिल्म लाइगर की सफलता सुनिश्चित जैसी लगती है. ऎसी दशा में एक बार फिर दक्षिण के सितारे हिंदी बेल्ट पर अपनी पकड़ का प्रदर्शन करेंगे. लेकिन, बॉलीवुड के स्टारडम का क्या ? 

Sunday 3 July 2022

शाहरुख़ खान के तीस साल पर पठान !

पिछले सप्ताह, बॉलीवुड की फ़िल्मों में अपनी रोमांटिक नायक की छवि से प्रसिद्ध अभिनेता शाह रुख खान को इंडस्ट्री में 30 साल पूरे हो गए हैं. उनकी नायक अभिनेता के रूप मे पहली फिल्म दीवाना 25 जून 1992 को प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म में वह दिव्या भारती के साथ रोमांटिक नायक थे. हालाँकि, इस फिल्म से पहले, वह अभिनय के क्षेत्र में उनका कदम लेख टंडन के टेलीविज़न सीरियल दिल दरया से हुआ था. लेकिन, इस शो के निर्माण में देरी के कारण शाहरुख़ खान छोटे परदे पर सीरियल फौजी में एक फौजी की भूमिका में दिखाई दिए. खान ने, अभिमन्यु रॉय की भूमिका में घर घर में अपनी पहचाने बना ली. यही कारण था कि फिल्म दर्शक दीवाना के राजा सहाय को आसानी से पहचान गए.




बाजीगर बना  - खान को बड़ी सफलता मिली टिप्स की अब्बास मस्तान निर्देशित थ्रिलर फिल्म बाजीगर की एंटी हीरो भूमिका से. इस फिल्म में वह अपने पिता की मौत और बर्बादी का बदला लेने वाले बुरे नायक बने थे. फिल्म को बड़ी सफलता मिली. शाहरुख़ खान का करियर बन गया. हालाँकि, इससे पहले वह चमत्कार, राजू बन गया जेंटलमैन, दिल आशना है, माया मेमसाब, पहला नशा और किंग अंकल जैसी मामूली फिल्मों में दिलीप कुमार की नक़ल में अभिनय कर रहे थे.





नया मोड़ - शाहरुख खान के करिअर को नया मोड़ दिया यशराज फिल्म्स ने. हालाँकि, इस बैनर की फिल्म डर उन्हें बाजीगर वाले एंटी हीरो के रूप में स्थापित करती थी. परन्तु, इस फिल्म के क्लाइमेक्स मे, निर्देशक यश चोपड़ा ने फिल्म के नायक सनी देओल के मुकाबले शाहरुख़ खान के खल नायक को दर्शको की सहानुभूति दिलाने वाला सीक्वेंस फिल्मा दिया. पर यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा की निर्देशक के रूप मे पहली फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे ने, न केवल बॉलीवुड में एनआरआई का ट्रेंड स्थापित किया, बल्कि शाह रुख खान को रोमांस का बादशाह बना दिया.




करण अर्जुन पहले - यहाँ ध्यान रहे कि इस फिल्म से पहले, 1995 में ही प्रदर्शित राकेश रौशन निर्देशित फिल्म करण अर्जुन ने खान को एंटी हीरो की छवि से बाहर निकाल दिया था. इस फिल्म में वह सलमान खान के साथ पुनर्जन्म लेने वाले पिछले जन्म के दो भाइयों में से एक अर्जुन की भूमिका कर रहे थे.




चोपड़ाओ और जोहरों का संरक्षण - इसमें कोई दो राय नहीं कि यशराज बैनर, यश चोपड़ा, आदित्य चोपड़ा और करण जौहर ने शाह रुख खान को संरक्षण देते हुए, उनको सफल रोमांस फ़िल्मों का बादशाह बना दिया. यश चोपड़ा निर्देशित दिल तो पागल है, करण जोहर की निर्देशक के रूप में पहली फिल्म कुछ कुछ होता है, आदित्य चोपड़ा की मोहब्बतें और करण जोहर की कभी ख़ुशी कभी गम ने शाहरुख़ खान को रोमांस का बादशाह बना दिया. आज तक वह इसी छवि के सहारे बॉक्स ऑफिस पर राज कर रहे हैं.



२०१८ के बाद - २०१५ से शाहरुख खान निरंतर असफल फ़िल्मों के श्राप से जूझ रहे है. हैप्पी न्यू इयर की बड़ी सफलता देने वाले शाहरुख़ खान ने दिलवाले जैसी बड़ी असफल फिल्म भी दी है. वह फैन, रईस, जब हैरी मेट सजल और जीरो जैसी असफल फिल्मों के बादशाह बन चुके हैं. ऐसा लग रहा है कि शाहरुख़ खान का अब पतन हो गया है. क्योंकि, जीरो (२०१८) के बाद उनकी किसी भी फिल्म की घोषणा नहीं हुई. वह निर्माता के रूप में रेड चिलीज के अंतर्गत डिजिटल कंटेंट जरूर बनाते रहे.




तीन बड़ी फ़िल्में - हिंदी फिल्मों के दर्शक, जीरो के बाद, अब शाहरुख़ खान को तीन फिल्मों में छोटी भूमिकाओं में देख पायेंगे. आर माधवन की फिल्म राकेट्री द नाम्बी इफ़ेक्ट, आमिर खान और करीना कपूर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा और रणबीर कपूर की फंतासी फिल्म ब्रह्मास्त्र में वह मेहमान भूमिका निभाते दिखाई देंगे. २०१८ में जीरो के बाद शाहरुख़ खान की पूरी लम्बाई की भूमिका वाली कोई फिल्म अगले साल ही प्रदर्शित होगी. संभव है कि अगले साल उनकी तीन फ़िल्में प्रदर्शित हों.




तीस साल पर पठान - शाहरुख खान के फिल्म उद्योग में तीस साल पूरे होने पर यशराज बैनर ने सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में एक्शन फिल्म पठान का शाहरूख खान के चरित्र वाला मोशन पोस्टर जारी किया है! इस पोस्टर में शाहरुख़ खान बन्दूक भांजते मुस्लिम युवा की भूमिका कर तरह दिखाई देते हैं. क्या यशराज फिल्म्स, निर्माता आदित्य चोपड़ा, निर्देशक सिद्धार्थ 'वार' आनंद, दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम की २५ जनवरी २०२३ को प्रदर्शित होने वाली फिल्म पठान, शाहरुख खान को असफलता के इस दौर निकाल पाएगी?

Sunday 26 June 2022

बॉलीवुड फिल्मों के बदले हुए शीर्षक

झुण्ड, बच्चन पाण्डेय, अटैक पार्ट १, जर्सी, रनवे ३४, हीरो पंथी २, जयेश भाई जोरदार, धाकड़, सम्राट पृथ्वीराज, आदि बड़े बजट और सितारों वाली फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क जाने के बाद, बॉलीवुड सदमे में है. उसका दम घुट जाता यदि भूल भुलैया २ की हॉरर कॉमेडी में दर्शक सिनेमाघरों के चक्कर लगता नज़र न आता. हिंदी फिल्मों की यह असफलता, बॉलीवुड के बड़े सितारों और फिल्म निर्माता-निर्देशकों का घमंड और अपने दर्शकों के प्रति अवमानना की असफलता है.




भारी पड़ा मजाक - बॉलीवुड को ऐसा लगता था कि वह जैसा भी कचरा परोसेगा, उसे देखने दर्शक. सितारों के नाम पर सिनेमाघर तक जरूर पहुंचेगा. यह वही सितारे थे, जिन्होंने कभी न कभी हिन्दू धर्म, हिन्दुओं और राष्ट्रवाद का तिरस्कार किया था. इनकी फिल्मों के हिन्दुओं के विरुद्ध संवादों और दृश्यों की भरमार हुआ करती थी. एक धर्म विशेष उनका पसंदीदा हुआ करता था. यह सितारे हिन्दू धर्म, हिन्दुओं और राष्ट्रवाद का मजाक उड़ाते, दूसरे धर्म विशेष के साथ खड़े दिखाई देते थे. यही कारण था कि हिंदी फिल्मों का दर्शक बॉलीवुड की फिल्मो के बजाय दक्षिण या हॉलीवुड की फिल्मों की ओर मुड़ गया.




धर्म का मजाक उड़ाते अक्षय कुमार - इसी का नतीजा है अक्षय कुमार की बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज की असफलता के रूप में सामने आया. ढाई महीने के अंतराल में अक्षय कुमार की दो फिल्में धडाम हो गई. दरअसल, अक्षय कुमार पर बुरी बीती. वह अपनी फिल्मों लक्ष्मी और अतरंगी रे में अनावश्यक रूप से मुसलमान बने लव जेहाद के प्रतीक बन गए थे. लक्ष्मी में तो वह मंदिर के परिसर में घुसते दिखाई दिए थे. उन्होंने समय समय पर अपने साक्षात्कारों में हिन्दुओं के पूजा पाठ और अनुष्ठान का मजाक उड़ाया. शंकर भगवन पर दूध चढाने को दूध की बर्बादी बताया. ऐसा करते समय शायद वह यह भूल गए थे कि वह बॉलीवुड में सबसे अधिक संख्या में फिल्में कर रहे हैं. दर्शकों ने समय आते ही, उन्हें सबक सिखा दिया.




बदनाम कॉमेडियन का साथ - कंगना रानौत की असफलता थोड़ी भिन्न है. एक समय वह हिन्दुओं का भरपूर समर्थन पा रही थी. उन्होंने खुद को राष्ट्रवादी जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. यही कारण था कि जब उनका टकराव उद्धव ठाकरे सरकार से हुआ तो उन्हें पूरे भारत में समर्थन मिला. इससे कंगना को ऐसा लगा कि अब वह कुछ भी करेंगी तो लोग स्वीकार कर लेंगे. इसी भ्रम में कंगना रानौत ने अपने रियलिटी शो लॉकअप में, भगवान के देवी देवताओं का मजाक उड़ाने वाले मुस्लिम स्टैंड-अप की छवि सुधारने का बीड़ा उठा लिया. इस शो को मुनव्वर फारुकी ने जीता. यह साफ़ तौर पर हिन्दुओं को अच्छा सन्देश नहीं दे सका. यही कारण था कि इतनी खराब इमेज के साथ जब कंगना रानौत की एक एजेंट फिल्म धाकड़ प्रदर्शित हुई तो उसे दर्शकों के लाले लग गए. फिल्म के शो पर शो कैंसिल होने लगे. सबसे महंगे बजट ८५ करोड़ में बनी इस फिल्म ने अपने निर्माता को ७८ करोड़ का विशुद्ध घाटा दिया.




विरोधी छवि - कुछ ऎसी ही विरोधी छवि, दीपिका पादुकोण के कारण रणवीर सिंह की, अमिताभ बच्चन द्वारा ईद पर बधाई देने और हिन्दू त्यौहार पर चुप लगा जाने के कारण बनी. टाइगर श्रॉफ की फिल्म हीरो पंथी २ अपने निर्माता साजिद नाडियाडवाला के पूर्वाग्रह से ग्रसित स्क्रिप्ट और कथानक के कारण हुई. साजिद की फिल्मों में खुलेआम हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को कमतर बताया जाता है और यह धर्म मजाक का केंद्र होता है. यही कारण था कि हीरोपंथी २ के मुस्लिमपरस्त किरदार फिल्म को ले डूबे. अपनी इसी आदत के कारण निर्माता निर्देशक अनुभव सिन्हा ने अपनी फिल्म अनेक का बॉक्स ऑफिस पर बड़ा गर्क करवा लिया.




सहम गया बॉलीवुड - दर्शकों का यह रौद्र रूप देखा कर बॉलीवुड सहमा हुआ है. क्योंकि जहाँ बॉलीवुड की फ़िल्में असफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही थी. वह दक्षिण की आर आर आर और केजीएफ़ चैप्टर २ जैसी फिल्मों के डब संस्करण बॉक्स ऑफिस पर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे थे. शायद यही कारण है कि बॉलीवुड खुद को बदला हुआ दिखाना चाहता है. शायद इसी कारण से आदित्य रॉय कपूर की हिन्दुओं के धार्मिक प्रतीक ओम का अंग्रेजी टैग लाइन से परिचय करवाने वाली एक्शन फिल्म ओम द बैटल का शीर्षक बदल कर राष्ट्रवाद की भावना दिखाने वाला राष्ट्र कवच ओम कर दिया गया है. विद्युत् जामवाल की २०२० में एक खास धर्म के लोगों को खुश करने वाली फिल्म खुदा हाफिज के टाइटल में अग्नि परीक्षा की टैग लाइन जोड़ दी गई है. यह फिल्म खुदा हाफिज चैप्टर २ : अग्नि परीक्षा शीर्षक के साथ प्रदर्शित होगी. सिद्धार्थ मल्होत्रा की एक्शन फिल्म का नाम विशुद्ध हिंदी में योद्धा रखा गया है. टाइगर श्रॉफ अभिनीत फिल्म गनपत का शीर्षक भी आकर्षित करने के लिए है.




बदले शीर्षकों का लाभ ! -सवाल बड़ा यह है कि क्या अपने शीर्षकों के बल पर बॉलीवुड दर्शकों को आकर्षित कर पायेगा? क्या शीर्षक के कारण महेश भट्ट की बेटी अलिया भट्ट के साथ रणबीर कपूर की महँगी एक्शन फंतासी फिल्म ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा ऑफिस पर नये कीर्तिमान स्थापित कर पायेगी? विक्रम वेधा नाम वाली हृथिक रोशन की, भारत देश को अंग्रजो की देन बताने वाली सैफ अली खान के साथ फिल्म विक्रम वेधा हिट होगी? क्या सैफ अली खान के कारण प्रभास की राम भूमिका वाली फिल्म आदिपुरुष मेगा हिट हो पायेगी? क्या कंगना रानौत अपनी फिल्म के शीर्षक तेजस के बल बूते अपने चेहरे पर लगी कालिख पोंछ पाएंगी? क्या अक्षय कुमार की रक्षा बंधन और राम सेतु अपने हिन्दू शीर्षकों के कारण दर्शकों से बॉक्स ऑफिस गुलज़ार कर पाएंगी? क्या सलमान खान अपने सेक्युलर नाम वाले फिल्म कभी ईद कभी दिवाली से दर्शकों को लुभा पाएंगे ? सवाल बहुत से हैं. जवाब भविष्य के गर्भ में है. प्रतीक्षा कीजिये इनके बाहर आने की.