Sunday, 26 June 2022

बॉलीवुड फिल्मों के बदले हुए शीर्षक

झुण्ड, बच्चन पाण्डेय, अटैक पार्ट १, जर्सी, रनवे ३४, हीरो पंथी २, जयेश भाई जोरदार, धाकड़, सम्राट पृथ्वीराज, आदि बड़े बजट और सितारों वाली फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क जाने के बाद, बॉलीवुड सदमे में है. उसका दम घुट जाता यदि भूल भुलैया २ की हॉरर कॉमेडी में दर्शक सिनेमाघरों के चक्कर लगता नज़र न आता. हिंदी फिल्मों की यह असफलता, बॉलीवुड के बड़े सितारों और फिल्म निर्माता-निर्देशकों का घमंड और अपने दर्शकों के प्रति अवमानना की असफलता है.




भारी पड़ा मजाक - बॉलीवुड को ऐसा लगता था कि वह जैसा भी कचरा परोसेगा, उसे देखने दर्शक. सितारों के नाम पर सिनेमाघर तक जरूर पहुंचेगा. यह वही सितारे थे, जिन्होंने कभी न कभी हिन्दू धर्म, हिन्दुओं और राष्ट्रवाद का तिरस्कार किया था. इनकी फिल्मों के हिन्दुओं के विरुद्ध संवादों और दृश्यों की भरमार हुआ करती थी. एक धर्म विशेष उनका पसंदीदा हुआ करता था. यह सितारे हिन्दू धर्म, हिन्दुओं और राष्ट्रवाद का मजाक उड़ाते, दूसरे धर्म विशेष के साथ खड़े दिखाई देते थे. यही कारण था कि हिंदी फिल्मों का दर्शक बॉलीवुड की फिल्मो के बजाय दक्षिण या हॉलीवुड की फिल्मों की ओर मुड़ गया.




धर्म का मजाक उड़ाते अक्षय कुमार - इसी का नतीजा है अक्षय कुमार की बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज की असफलता के रूप में सामने आया. ढाई महीने के अंतराल में अक्षय कुमार की दो फिल्में धडाम हो गई. दरअसल, अक्षय कुमार पर बुरी बीती. वह अपनी फिल्मों लक्ष्मी और अतरंगी रे में अनावश्यक रूप से मुसलमान बने लव जेहाद के प्रतीक बन गए थे. लक्ष्मी में तो वह मंदिर के परिसर में घुसते दिखाई दिए थे. उन्होंने समय समय पर अपने साक्षात्कारों में हिन्दुओं के पूजा पाठ और अनुष्ठान का मजाक उड़ाया. शंकर भगवन पर दूध चढाने को दूध की बर्बादी बताया. ऐसा करते समय शायद वह यह भूल गए थे कि वह बॉलीवुड में सबसे अधिक संख्या में फिल्में कर रहे हैं. दर्शकों ने समय आते ही, उन्हें सबक सिखा दिया.




बदनाम कॉमेडियन का साथ - कंगना रानौत की असफलता थोड़ी भिन्न है. एक समय वह हिन्दुओं का भरपूर समर्थन पा रही थी. उन्होंने खुद को राष्ट्रवादी जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. यही कारण था कि जब उनका टकराव उद्धव ठाकरे सरकार से हुआ तो उन्हें पूरे भारत में समर्थन मिला. इससे कंगना को ऐसा लगा कि अब वह कुछ भी करेंगी तो लोग स्वीकार कर लेंगे. इसी भ्रम में कंगना रानौत ने अपने रियलिटी शो लॉकअप में, भगवान के देवी देवताओं का मजाक उड़ाने वाले मुस्लिम स्टैंड-अप की छवि सुधारने का बीड़ा उठा लिया. इस शो को मुनव्वर फारुकी ने जीता. यह साफ़ तौर पर हिन्दुओं को अच्छा सन्देश नहीं दे सका. यही कारण था कि इतनी खराब इमेज के साथ जब कंगना रानौत की एक एजेंट फिल्म धाकड़ प्रदर्शित हुई तो उसे दर्शकों के लाले लग गए. फिल्म के शो पर शो कैंसिल होने लगे. सबसे महंगे बजट ८५ करोड़ में बनी इस फिल्म ने अपने निर्माता को ७८ करोड़ का विशुद्ध घाटा दिया.




विरोधी छवि - कुछ ऎसी ही विरोधी छवि, दीपिका पादुकोण के कारण रणवीर सिंह की, अमिताभ बच्चन द्वारा ईद पर बधाई देने और हिन्दू त्यौहार पर चुप लगा जाने के कारण बनी. टाइगर श्रॉफ की फिल्म हीरो पंथी २ अपने निर्माता साजिद नाडियाडवाला के पूर्वाग्रह से ग्रसित स्क्रिप्ट और कथानक के कारण हुई. साजिद की फिल्मों में खुलेआम हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को कमतर बताया जाता है और यह धर्म मजाक का केंद्र होता है. यही कारण था कि हीरोपंथी २ के मुस्लिमपरस्त किरदार फिल्म को ले डूबे. अपनी इसी आदत के कारण निर्माता निर्देशक अनुभव सिन्हा ने अपनी फिल्म अनेक का बॉक्स ऑफिस पर बड़ा गर्क करवा लिया.




सहम गया बॉलीवुड - दर्शकों का यह रौद्र रूप देखा कर बॉलीवुड सहमा हुआ है. क्योंकि जहाँ बॉलीवुड की फ़िल्में असफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही थी. वह दक्षिण की आर आर आर और केजीएफ़ चैप्टर २ जैसी फिल्मों के डब संस्करण बॉक्स ऑफिस पर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे थे. शायद यही कारण है कि बॉलीवुड खुद को बदला हुआ दिखाना चाहता है. शायद इसी कारण से आदित्य रॉय कपूर की हिन्दुओं के धार्मिक प्रतीक ओम का अंग्रेजी टैग लाइन से परिचय करवाने वाली एक्शन फिल्म ओम द बैटल का शीर्षक बदल कर राष्ट्रवाद की भावना दिखाने वाला राष्ट्र कवच ओम कर दिया गया है. विद्युत् जामवाल की २०२० में एक खास धर्म के लोगों को खुश करने वाली फिल्म खुदा हाफिज के टाइटल में अग्नि परीक्षा की टैग लाइन जोड़ दी गई है. यह फिल्म खुदा हाफिज चैप्टर २ : अग्नि परीक्षा शीर्षक के साथ प्रदर्शित होगी. सिद्धार्थ मल्होत्रा की एक्शन फिल्म का नाम विशुद्ध हिंदी में योद्धा रखा गया है. टाइगर श्रॉफ अभिनीत फिल्म गनपत का शीर्षक भी आकर्षित करने के लिए है.




बदले शीर्षकों का लाभ ! -सवाल बड़ा यह है कि क्या अपने शीर्षकों के बल पर बॉलीवुड दर्शकों को आकर्षित कर पायेगा? क्या शीर्षक के कारण महेश भट्ट की बेटी अलिया भट्ट के साथ रणबीर कपूर की महँगी एक्शन फंतासी फिल्म ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा ऑफिस पर नये कीर्तिमान स्थापित कर पायेगी? विक्रम वेधा नाम वाली हृथिक रोशन की, भारत देश को अंग्रजो की देन बताने वाली सैफ अली खान के साथ फिल्म विक्रम वेधा हिट होगी? क्या सैफ अली खान के कारण प्रभास की राम भूमिका वाली फिल्म आदिपुरुष मेगा हिट हो पायेगी? क्या कंगना रानौत अपनी फिल्म के शीर्षक तेजस के बल बूते अपने चेहरे पर लगी कालिख पोंछ पाएंगी? क्या अक्षय कुमार की रक्षा बंधन और राम सेतु अपने हिन्दू शीर्षकों के कारण दर्शकों से बॉक्स ऑफिस गुलज़ार कर पाएंगी? क्या सलमान खान अपने सेक्युलर नाम वाले फिल्म कभी ईद कभी दिवाली से दर्शकों को लुभा पाएंगे ? सवाल बहुत से हैं. जवाब भविष्य के गर्भ में है. प्रतीक्षा कीजिये इनके बाहर आने की.

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