Wednesday 3 July 2013

आज रिलीज होगा सत्या 2 का फ़र्स्ट लूक

पंद्रह साल पहले आज ही के दिन 3 जुलाई को निर्देशक रामगोपाल वर्मा की फिल्म सत्या रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने मनोज बाजपई, उर्मिला मतोंदकर, जेडी चक्रवर्ती, शेफाली शाह, सौरभ शुक्ल, आदि के कैरियर को नयी दिशा दी थी। सौरभ शुक्ल ने इस गंगस्टेर फिल्म से अपनी कलम की ताक़त का प्रदर्शन किया था। भिखू म्हात्रे और कल्लू मामा के चरित्र cult कैरक्टर बन गए। रामगोपाल वर्मा की फिल्म मात्र दो करोड़ के बजेट से बनाई गयी थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर साढ़े पंद्रह करोड़ का बिज़नस किया था। सत्या के बाद रामगोपाल वर्मा ने दो अन्य गंगस्टेर फिल्में कंपनी और डी बनायीं। इन फिल्मों को गंगस्टेर त्रिलोजी कहा जाता है।
आज रामगोपाल वर्मा अपनी फिल्म सत्या 2 का फ़र्स्ट लुक रेलीज़  कर रहे हैं। इस फिल्म को उनकी 15 साल पहले की फिल्म सत्या का सेकुएल कहा जा रहा है। वर्मा ने इस फिल्म को इसी टाइटल के साथ तेलुगू में भी शूट किया है। सत्या की तरह सत्या 2 में भी नयी स्टार कास्ट है। अब देखने की बात यह होगी कि क्या सत्या की सत्या 2 भी हिट साबित होगी? क्या सत्या की नयी स्टार कास्ट की तरह सत्या 2 के नए चेहरे भी हिन्दी दर्शकों के जाने पहचाने चेहरे बन जाएंगे?


छोटी फिल्में... बड़ा धमाका

छोटी फिल्में आजकल बड़ी फिल्मों के मुकाबले ज्यादा आगे हैं। देखा जाये तो ये एक नया ट्रेंड बन चूका है। छोटी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर खूब कमाल दिखा रही हैं। अगर 2013 के 6 महीनों की बात करें तो इस बीच कई कम बजट वाली फिल्में आयीं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद से दुगना कमाया। इस सूची में कई फिल्में शामिल हैं जैसे- फुकरे, आशिकी, मेरे डैड की मारुति, कमांडो, एबीसीडी, काई पो चे, गो गोवा गोन आदि।  
हाल फिलहाल की फिल्में देखें तो फुकरे ने एक बहुत अच्छा उदाहरण दिया है कि एक छोटी फिल्म किस स्तर पर पहुँच सकती है। फुकरे एक छोटी बजट वाली फिल्म होने के साथ साथ नए कलाकारों को लेकर बनाई गयी फिल्म है। यहाँ तक की फिल्म के निर्देशक भी सिर्फ एक फिल्म पुराने हैं बॉलीवुड में। उस हिसाब से देखा जाये तो फिल्म ने ज़ोरदार धमाका मचाया है। बॉलीवुड में जहाँ सिर्फ बड़े बजट या बड़े सितारों की फिल्में चलने का चलन है वहां फुकरे जैसी फिल्म ने ये साबित कर दिया है कि अगर फिल्म की कहानी अच्छी हो और उसका सही तरीके से निर्देशन किया जाये तो दर्शकों को वो ज़रूर लुभाती हैं। फिल्म में भले ही सारे नए चहरे थे लेकिन उन सब ने अपने किरदारों को बहतरीन तरीके से निभाया। वहीँ निर्देशक मृगदीप सिंह लाम्बा ने भी अपने प्रतिभा को साबित किया। 
आशिकी 2 की बात करें तो इस फिल्म में भी 2 नए चहरे आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर ने काम किया है। फिल्म का निर्देशन मोहित सूरी ने किया है। इस फिल्म ने अपनी उम्मीदों और बजट के भी हिसाब से कई गुना ज्यादा बिजनेस किया। फिल्म ने धीरे धीरे सभी दर्शकों का दिल जीत लिया और फिल्म ने करोडों का आंकड़ा पार कर लिया। 
वहीँ यशराज की भी छोटे बजट वाली फिल्म मेरे डैड की मारुति में सारे नए कलाकार ही थे। फिल्म का निर्देशन आशिमा छिब्बर ने किया था जिनकी ये पहली फिल्म थी। इस फिल्म को भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा रिस्पोन्स मिला।
विपुल शाह की फिल्म कमांडो ने भी नए चहरों के साथ कुछ कम असर नहीं छोड़ा दर्शकों पर। ये एक ऐक्शन फिल्म थी जिसका निर्देशन दिलीप घोष ने किया था।
आने वाली फिल्मों में माना जा रहा है कि आनंद गांधी की शिप ऑफ़ थिसियस और नीरज पाण्डेय की अमन की आशा बॉक्स ऑफिस पर बड़ी छाप छोड़ेंगी।     

Tuesday 2 July 2013

घनचक्कर को बॉक्स ऑफिस पर आया चक्कर


घनचक्कर को बॉक्स ऑफिस पर चक्कर आना ही था। दिलचस्प बात यह थी कि विद्या बालन और इमरान  हाशमी  स्टारर इस फिल्म को बढ़िया वीकेंड भी नहीं मिला। इस फिल्म ने वीकेंड में 6.38, 6.45 और 7.15 के बिज़नस के साथ 19.98 करोड़ का बिज़नस किया। साफ तौर पर विद्या-इमरान जोड़ी द डर्टी पिक्चर वाला जादू नहीं जगा सकी। इससे एक बात और साफ हुई कि अगर फिल्म में एंटर्टेंमेंट एंटर्टेंमेंट और एंटर्टेंमेंट नहीं होगा, कोई विद्या बॉक्स ऑफिस को नहीं पढ़ा सकेगी। विद्या बालन और इमरान हाशमी की जोड़ी वाली यह फिल्म इन दोनों के बीच की ठंडक का शिकार हो गयी। विद्या बालन बेहद नॉन-स्टार्टर लग रही थीं। इमरान हाशमी जब तक स्मूचिंग नहीं करेंगे और अपनी हीरोइन को बिस्तर तक नहीं ले जाएंगे, दर्शकों उन्हे स्वीकार करने नहीं जा रहा। इससे पहले शंघाई भी उनकी अपनी सिरियल किसर इमेज तोड़ने के प्रयास का शिकार हो गयी थी । इमरान हाशमी को यह समझ लेना चाहिए कि आप बिना अभिनय के इमेज थाम कर ही सफल हो सकते हैं। हालांकि, इस फिल्म में इमरान की भूमिका काफी सशक्त और केन्द्रीय थी।
दूसरी ओर पहले सप्ताह में 34.98 करोड़ कमाने वाली दक्षिण के सुपर स्टार धनुष की फिल्म राँझना ने दूसरे वीकेंड में 10.75 करोड़ का बिज़नस किया और इस प्रकार कुल दस दिनों में 45 करोड़ से ऊपर का बिज़नस कर पाने में सफल हुई।


Friday 28 June 2013

घनचक्कर बनते दर्शक!

Emraan Hashmi & Vidya Balan at Ghanchakkar On The Sets
यूटीवी के सिद्धार्थ रॉय कपूर और रोनी स्क्रूवाला की जोड़ी लगता है इस बार चूक गयी। राजकुमार गुप्ता ने इनके लिए आमिर और नो वन किल्ड जेसिका जैसी बढ़िया फिल्में बनाई थी। नो वन किल्ड जेसिका को तो बॉक्स ऑफिस सक्सेस भी मिली तथा प्रशंसा और पुरुस्कार भी । इसलिए, परवेज़ शेख के साथ खुद राजकुमार गुप्ता की लिखी कथा पटकथा पर फिल्म बनाने के लिए यूटीवी की इस जोड़ी का राजी हो जाना, स्वाभाविक भी था। घनचक्कर के लिए इमरान  हाशमी विद्या बालन के साथ लिए गए थे। इस जोड़ी ने द डर्टी पिक्चर जैसी फिल्म दी थी। फिल्म में अमित त्रिवेदी की धुनों पर गीत अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे थे। फिल्म से इतने बड़े नाम जुड़े होने से दर्शकों की फिल्म से उम्मीदें भी बढ़ना स्वाभाविक था। पर यह नहीं कहा जा सकता कि घनचक्कर दर्शकों की ज़्यादा उम्मीदों का शिकार हो गयी। इस फिल्म में कमियों और खामियों का विश्व रेकॉर्ड बनाने की क्षमता है।
फिल्म की कहानी एक बैंक से 35 करोड़ की डकैती डालने की है। पंडित और हुसैन, संजय आत्रे को डरा धमका और लालच दे कर इस डकैती में तिजोरी खोलने के लिए राजी करते है। वह इसमे सफल भी हो जाते हैं। डकैती का पैसा अटैची में रखने के बाद पंडित इस पैसे को तीन महीने तक अपने पास ही रखने के लिए आत्रे से कहता है। अब होता क्या है कि संजय का आक्सीडेंट हो जाता है और वह भूलने की बीमारी का शिकार हो जाता है। सुनने में यह कहानी उम्मीदें जगाने वाली काफी उम्दा लगती है। पहली दो तीन रील तक यह उम्मीद कायम भी रहती है। लेकिन, इसके बाद फिल्म राजकुमार गुप्ता के हाथों से जो फिसलती है तो फिर फिसलती ही चली जाती है। अनावश्यक और बेसिर पैर की घटनाएँ घटती ही रहती हैं। संजय और उसकी पत्नी नीतू तथा पंडित और हुसैन के चार चरित्रों के साथ शुरू यह कहानी पात्रों के  बढ़ने के साथ हल्की पड़ती चली जाती है। कभी ऐसा लगता है कि कोई चौकाने वाला बढ़िया ट्विस्ट आने वाला है। मगर जो कुछ होता है वह फिल्म को कमजोर कर देता है। फिल्म के क्लाइमैक्स का खून खराबा भी अस्वाभाविक है।
सच कहा जाए तो एक अच्छी कहानी पर बढ़िया पटकथा लिखने में राजकुमार गुप्ता और शेख की जोड़ी बिल्कुल चूक गयी। शुरुआत करने के साथ ही वह बिखरते चले गए। इमरान हाशमी का संजय आत्रे का कैरक्टर प्रमुख है, पर उसे भी डिवैलप नहीं किया गया है कि वह तिजोरी खोलने के मामले में इतना मशहूर कैसे हो गया कि उसके पास बड़ी डकैती के प्रस्ताव आने लगे। पंडित और हुसैन किसी लिहाज से डकैत नहीं लगते। बल्कि, वह कमेडियन ज़्यादा महसूस होते हैं। दरअसल उनके कैरक्टर ही ऐसे लिखे गए हैं। राजकुमार गुप्ता न तो रफ्तार रख पाये, न थ्रिल का एहसास करा पाये। ऐसी फिल्मों में संगीत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, घनचक्कर में वह भी बेजान है।
दर्शक घनचक्कर को देखने अभिनेत्री विद्या बालन के चक्कर में गए थे। लेकिन, विद्या बालन को देख कर झल्लाहट पैदा होती हैं। वह फ़ैशन परास्त पंजाबन के बजाय किसी सर्कस की जोकर जैसी लगती है। वह इमरान हाशमी जैसे अभिनेता के सामने भी नहीं उभर पातीं। उन्होने अजीबो गरीब कपड़े पहने हैं। लेकिन, इनमे वह सेक्सी लगने के बजाय बेढंगी लगती हैं। घनचक्कर विद्या बालन के सबसे घटिया फिल्म कही जाएगी। विद्या के मुकाबले इमरान हाशमी का काम अच्छा है। डकैत बने नमित दासऔर राजेश शर्मा ने अपना काम अच्छी तरह से किया है। लेकिन, वह दर्शकों को हंसा पाने में नाकाम रहे हैं।
घनचक्कर को देख कर दर्शकों को चक्कर आ सकते हैं। वह खुद को ठगा महसूस कर सकते हैं । लेकिन, यह उनकी गलती है कि वह घनचक्कर को विद्या बालन की फिल्म के चक्कर में देखने जाते हैं। यह विद्या का Himalayan blonder है कि उन्होने घनचक्कर को अपने पति के चक्कर में साइन कर लिया। इससे विद्या के कैरियर को नुकसान ही होगा। दर्शक घनचक्कर को देखना चाहे तो देखें। लेकिन, अगर नहीं देखना चाहें तो बहुत बेहतर होगा।

Thursday 27 June 2013

क्या दर्शक लगाएँगे विद्या बालन की घनचक्कर के चक्कर !

 इस शुक्रवार बड़े पर्दे पर वन वुमन शो होगा। निर्माता निर्देशक और लेखक अजय यादव की थ्रिलर फिल्म भड़ास में इतना दम नज़र नहीं आता कि वह निर्देशक राजकुमार गुप्ता की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म घनचक्कर को बॉक्स ऑफिस पर चक्कर या टक्कर दे सके। पाकिस्तान की अभिनेत्री मीरा की भड़ास में वह बात नहीं कि वह विद्या बालन के घनचक्कर को चकरा सके । मतलब यह कहा जा सकता है कि इस हफ्ते   रिलीस हो रही दो हीरोइन ओरिएंटेड़ फिल्मों के बावजूद शो वन वुमन ही होगा। भड़ास की मीरा के बजाय घनचक्कर की विद्या बालन पूरे वीक पर्दे पर छाई रहेंगी। घनचक्कर में उनके हीरो इमरान हाशमी हैं, जो इस फिल्म से पहले विद्या बालन के साथ फिल्म द डर्टी पिक्चर्स में काम कर चुके हैं। इमरान हाशमी रश, राज़ 3 और एक थी डायन जैसी फिल्मों से खुद को एक अलग इमेज दे पाने में सफल हुए हैं। लेकिन, सबसे मुश्किल होगा विद्या बालन को दर्शकों पर अपनी पकड़ साबित करना। लगातार चार फिल्मों पा, इश्किया, नो वन किल्ड जेसिका, द डर्टी पिक्चर्स और कहानी से खुद के लिए पुरस्कार और सम्मान बटोरे ही, खुद के लिए दर्शकों में अपेक्षाएँ कुछ ज़्यादा ही जगा ली। हिन्दी फिल्मों का दर्शक, उनकी हर फिल्म से कुछ अलग और प्रभावशाली
देखने की उम्मीद करने लगा है। विद्या बालन ने अपनी हीरोइन ओरिएंटेड़ फिल्मों से खुद को स्टार एक्ट्रेस का खिताब बटोर रखा है। घनचक्कर में वह एक पंजाबी ग्रहणी की भूमिका में हैं। विद्या बालन ने बंगाली लड़की के रोल खूब किए हैं। द डर्टी पिक्चर्स में वह सिल्क स्मिथा बनीं थी। नो वन किल्ड जेसिका में वह ईसाई लड़की की भूमिका में थीं। अब वह पंजाबन के रोल में पूरे देश के दर्शकों को लुभाने के प्रयास में होंगी। राजकुमार गुप्ता के साथ घनचक्कर विद्या बालन की दूसरी फिल्म है। गुप्ता की फिल्म नो वन किल्ड जेसिका में रानी 0   के साथ विद्या बालन थीं। कहा जा सकता है कि राजकुमार गुप्ता और विद्या बालन एक हिट जोड़ा है। द डर्टी पिक्चर के बाद इमरान हाशमी भी उनके लकी जोड़े बन चुके हैं। ऐसी स्थिति में घनचक्कर की सफलता को ले कर विद्या के दुश्मन भी एक राय होंगे। लेकिन  विद्या बालन को घनचक्कर को खुद की फिल्म साबित करना होगा। यह तभी संभव होगा, जब फिल्म पूरी तरह से विद्या के इर्द गिर्द घूमती हो और उनका रोल काफी सशक्त हो। विद्या तो खैर बढ़िया अभिनेत्री हैं ही। ऐसे में घनचक्कर दर्शकों को सिनेमाघरों का चक्कर लगवाने वाली विद्या बालन की फिल्म साबित हो सकती है।



सीधे दर्शकों के दिल पर लगा धनुष का तीर


धनुष की कमान से छूटा तीर दर्शकों की दिलों पर सीधा लगा लगता है। दक्षिण के स्टार धनुष की फिल्म राँझना का वीकेंड कलेक्शन दर्शकों पर उनके प्रभाव को बताने वाला था। राँझना ने पहले दिन 5.12 करोड़ का बिज़नस किया था। दूसरे दिन यानि शनिवार को यह बढ़ कर 6.81 करोड़ तक पहुँच गया। सनडे को राँझना ने जंप मारा और कलेक्शन किया 8.15 करोड़। इस प्रकार से वीकेंड कलेक्शन 20.08 करोड़ का रहा। पैंतीस करोड़ के बजेट से बनी फिल्म का इतना कलेक्शन राँझना को हिट फिल्म की कैटेगरी में लाने के लिए काफी था। आम तौर पर वीक डेज़ में कलेक्शन गिरता है। पर सोमवार को राँझना की 3.80 करोड़ की कमाई, फिल्म का उत्साह बढ़ाने वाली थी। क्योंकि, मंगलवार को राँझना ने ज़ोर मारा और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर दस लाख ज़्यादा बटोर मारे। इस प्रकार से राँझना ने पहले पाँच दिनों में 27.83 करोड़ कमा डाले । उम्मीद की जा रही है कि राँझना का वीक 30 करोड़ से ऊपर जाएगा।
यह धनुष के अभिनय का जलवा था कि अनावश्यक इधर उधर भटकती कहानी वाली इस फिल्म से धनुष ने बांधे रखा। उनका हर मूवमेंट तालियाँ बटोर रहा था, उनकी डाइलॉग डेलीवेरी दर्शकों की सीटियाँ बटोर रही थी। अत्यंत साधारण चेहरे मोहरे वाला  दक्षिण का यह अभिनेता अपनी असाधारण अभिनय प्रतिभा और स्क्रीन प्रेजेंस के कारण उत्तर के दर्शकों का हीरो बन कर उभरा था।
यह राँझना के साधारण रोमैन्स का प्रभाव था कि रणबीर  कपूर और दीपिका पादुकोण  फिल्म यह जवानी है दीवानी के कदम यकायक थम से गए। फुकरे बॉक्स ऑफिस पर निठल्ला साबित हुआ। राँझना के साथ रिलीस दूसरी फिल्में एनिमी और शॉर्ट कट रोमियो को 10 प्रतिशत की ओपेनिंग तक नहीं मिल सकी। इन दोनों फिल्मों के एक करोड़ की कमाई करना भी मुश्किल लग रहा है। यह जवानी है दीवानी अपने चौथे वीकेंड में 183.19 करोड़ कमा चुकी थी। जबकि फुकरे ने दूसरे वीकेंड तक 28.12 करोड़ कमा लिए थे।


  

Saturday 22 June 2013

यह वर्ल्ड वार ज़ेड दर्शकों की भी है

जापान की ऊंची दीवार पर चढ़ते ज़ोमबीज  
यूएन का पूर्व कारिंदा गेरी लेन अपने परिवार के साथ फिलाडेल्फ़िया की भीड़ भरी सड़क पर चला जा रहा है। तभी कार ले रेडियो पर अजीबो गरीब घटनाओ का जिक्र होने लगता है। तभी सड़क पर अजीबो गरीब आवाज़ें आने लगती हैं। इसके साथ ही लोगों पर मुरदों का हमला होने लगता है। वर्ल्ड वार ज़ेड  का यह पहला  सीन  रहस्य, रोमांच और भय का ऐसा ताना बाना बुनता है, जो पूरी फिल्म में दर्शकों को जकड़े रहता है। वह गेरी के साथ दुनिया के उन देशों में जा कर चलते फिरते  मुरदों द्वारा फैलाई गयी तबाही और लाशों के ढेरो को देखता है। वह गेरी बने ब्रैड पिट के साथ मुरदों के आतंक का सामना करने की तैयारी करता है। यही कारण है कि अपने शरीर में घातक बीमारी के विषाणु इंजेक्ट कर, जोंबीज के बीच से निकल रहे ब्रैड पिट भारतीय दर्शकों की ज़बरदस्त तालियों के हकदार हो जाते हैं। ऐसी तालियाँ बॉलीवुड का कोई सलमान खान, शाहरुख खान या रितिक रोशन ही बटोर पाता है। फिल्म जब खत्म होती है तो दर्शकों के चेहरे भयमिश्रित खुशी से खिले नज़र आते हैं।
 इसे मोंस्टर'स बॉल, फाइडिग नेवर लैंड और क्वांटम ऑफ सोलेस जैसी फिल्मों के निर्देशक की कल्पनाशीलता का कमाल कहा जाना चाहिए कि वह Hollywood में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय जोंबीज की दुनिया को नष्ट करने की साजिश को स्वीकार्य बना पाते हैं। वह हर सीन कुछ इस प्रकार से पेश करते हैं कि दर्शक सुन्न बैठा सब कुछ देखता रहता है। उन्हे बीच बीच में उनके हीरो का हेरोईक कारनामा तालियाँ बजाने को प्रेरित करता है।   MatthewMichaelCarnahan और  J. Michael Straczynski  की कहानी पर चलते फिरते मुरदों के रोमांच को प्रभावशाली बनाने में Mathew Michael Carnhan, Drew Goddard और damon लिंदेलोफ की तिकड़ी ज़बरदस्त मोर्चा सम्हालती है। जापानियों द्वारा उठाई गयी ऊंची दीवार पर जोंबीज का चढ़ना दर्शकों के रोंगटे खड़ा कर देता है। ऐसे ही तमाम सींस में जब ज़िंदा लोग जीतते हैं, तो दर्शकों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं  रहता। बेन सेरेसिन अपने कैमरा के द्वारा जोंबियों के साथ रोमांचकारी दौड़ लगाते हैं। वह मार्क को ऐसा मुरदों का  संसार क्रिएट करने में भरपूर मदद करते हैं।  ऐसी फिल्मों में संगीत यानि बॅक ग्राउंड म्यूजिक का बड़ा महत्व होता है। Marco Beltrami अपने कंधों पर इस जिम्मेदारी को बड़ी मुस्तैदी से सम्हालते हैं। उनका संगीत डराता  ही नहीं, बल्कि रोमांच भी पैदा करता है। रोजर बार्टन और मट्ट चीज की एडिटिंग ने फिल्म की रफ्तार को सपोर्ट किया है।
दो सौ मिल्यन डॉलर में बनी और 116 मिनट लंबी इस फिल्म की जान ब्रैड पिट हैं। वह जहां एक पिता गेरी को अपने भवाभिनय से भिगोते हैं, वही एक जाबांज अधिकारी के रूप में हर हैरतअंगेज सीन को स्वाभाविक भी  बनाते हैं। उनके अभिनय का कमाल है कि दर्शक हर दृश्य से बंधा रहता है तथा हर इमोशन में उनके साथ होता है । ब्रैड पिट की पत्नी की भूमिका में मिरैले एनोस का अभिनय दिल को छूने वाला है। ब्रैड पिट को अन्य कलाकारों जेम्स बैज डेल, मेथ्यु फॉक्स, डेविड मोर्स, लुडी बोएकेन, आदि का खूब साथ मिला है।
अगर दर्शक चलते फिरते मुरदों से डरना चाहते हैं, रोमांचित होना चाहते हैं और उन पर मानवता की जीत दर्ज करना चाहते हैं, तो वर्ल्ड वार ज़ेड को देख कर इन खुशियों का मज़ा लूट सकते हैं।