Sunday 15 September 2013

'राम' पर भारी पड़ेगी संजय की 'लीला' !

                       फिल्म प्रेमियों की निगाहें  १५ नवम्बर को  'रामलीला' पर लगी होंगी।  हालाँकि, तब तक दशहरा ख़त्म हुए एक महीना बीत चुका होगा. लेकिन, संजय लीला भंसाली की फिल्म की प्रतीक्षा तो हर दर्शक को होती है. फिल्म रामलीला भंसाली का  शेक्सपियर के नाटक रोमियो एंड जूलिएट का गुजराती संस्करण है. इस फिल्म में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण  ने एक गुजराती जूलिएट लीला का रोल किया है. उनके रोमियो राम रणवीर कपूर बने है।  इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म पर सभी निगाहें अलग अलग कारणों से लगी होंगी। ब्लैक के बाद संजयलीला भंसाली कोई हिट फिल्म नहीं दे सके हैं. बड़े बजट और स्टार कास्ट के बावजूद भंसाली निर्देशित पिछली दो फ़िल्में सांवरिया और गुज़ारिश बुरी तरह से फ्लॉप हुई है. संजयलीला भंसाली के लिए राम लीला का सफल होना जीवन मरण के सामान है. इसके लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे. वह हर शॉट पर मेहनत कर रहे हैं. सेट को शानदार बनाने की पूरी कोशिश में है. पहले फिल्म की लीला के लिया संजय ने करीना कपूर का चुनाव किया था। करीना भी संजय की लीला बनने के लिए बेताब थी.  इसी दौरान करीना कपूर की सैफ अली खान के साथ संभावित शादी की पुख्ता खबरें आने लगीं। संजयलीला भंसाली फिल्म के लिए किसी कुंवारी अभिनेत्री को लेना चाहते थे. करीना ने उन्हें भरोसा दिलाया भी था कि वह शादी के बावजूद फिल्म पूरी होने तक माँ नहीं बनेंगी। लेकिन, संजय ने करीना को बाहर का रास्ता दिखा कर दीपिका पादुकोण को ले लिया।  यहाँ बिल्ली के भाग्य से छींका फुट गया. दीपिका पादुकोण की इस साल प्रदर्शित तीनों फ़िल्में रेस २, यह जवानी है दीवानी और चेन्नै एक्सप्रेस बॉक्स ऑफिस पर एक सौ करोड़ कमाने वाली फ़िल्में बन गयी. दीपिका की फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर ऎसी सफलता संजयलीला भंसाली की फिल्म के लिहाज़ से फायदेमंद है. फिल्म के हीरो रणवीर सिंह लीला के राम बन कर सौ करोड़ की तीन फिल्मों की नायिका के हीरो बन जायेंगे। लेकिन, राम लीला दीपिका पादुकोण की अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी। संजयलीला भंसाली की फिल्मों में नायिका का महत्व हीरो से अधिक होता है. कहा जा सकता है कि उनकी फिल्मे नायिका पर केन्द्रित होती है. इसलिए राम लीला का पूरा भार, रणवीर सिंह के बावजूद दीपिका के कन्धों पर होगा। रणवीर अभी तक खुद  को बॉक्स ऑफिस का विश्वसनीय अभिनेता नहीं बना पाए हैं. इसी साल प्रदर्शित फिल्म लुटेरा इसकी पुष्टि करती है।  ऐसे कमज़ोर अभिनेता के साथ दीपिका को काफी कुछ हीरो वाली ज़िम्मेदारी निभानी होगी. इसके अलावा बॉक्स ऑफिस का दबाव भी होगा। वह तीन तीन हिट और सुपरहिट फ़िल्में दे चुकी हैं. तब क्यों नहीं कोई यह सोचे कि दीपिका इस साल चौथी १०० करोडिया फिल्म भी देगी। 
                     बहरहाल, राम लीला का फर्स्ट लुक आँखों को ठंडक पहुंचाने वाला है. दीपिका पादुकोण सुर्ख घाघरे में काफी आकर्षक लग रही हैं. वैसे भी उनकी लम्बी टाँगे घाघरे को नयनाभिराम बनाती हैं. रणवीर सिंह एक गुजराती वारियर रोमियो की वेशभूषा में शानदार लग रहे हैं।  फिल्म के सेट भी महंगे और भव्य हैं. इनसे यह तो कहा ही जा सकता  है कि भंसाली एक क्लासिक फिल्म पेश करेंगे। अब यह क्लासिक फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बाजी मार ले जाए तो क्या कहने।
  


 

Saturday 14 September 2013

रूह फ़ना कर देने वाली हॉरर स्टोरी !

                         

                         आम तौर पर भयावनी फिल्मों में खून सने, जले हुए और विकृत चहरे दर्शकों को डराने के काम आते हैं. रामगोपाल वर्मा ने भूत फिल्म से साउंड के ज़रिये दर्शकों को डराने का सफल प्रयास किया था. निर्माता- निर्देशक  विक्रम भट्ट  मायने में अलग हैं. उनकी फिल्मों में डरावने चेहरों का महत्व  नहीं होता। वह ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि दर्शक सहमा सा रहता है. उनकी नयी फिल्म हॉरर स्टोरी बॉलीवुड फिल्मों की श्रंखला की सबसे बढ़िया और सही  मायनों में हॉरर फिल्म है.
                          सात दोस्तों की इस फिल्म की कहानी इतनी सी है कि वह सातों एक भुतिया होटल के एक haunted  कमरे में रात बिताने जाते हैं. वहां पहुंचाते ही सातों उस होटल में क़ैद हो जाते है. उसके बाद शुरू होता है एक के बाद एक उनका क़त्ल. यह क़त्ल करती है एक भटकती आत्मा।
                          फिल्म की कहानी में ऐसा कुछ नहीं है, जो नया हो. इसका नयापन है स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले। सात दोस्तों के होटल के अन्दर जाने के बाद एक एक सीन दहला देने वाला है. सब कुछ कल्पना से परे भयावना होता है. फिल्म के पत्र होटल के अन्दर जैसे जैसे आगे बढ़ाते हैं, दर्शकों के दिलों की धड़कने तेज़ होती जाती हैं. सिहरन सर से पैर तक महसूस होती है. आप पसीने से भी नहा जाते हैं. हॉरर फिल्मों को खासियत होती है दर्शकों का भय. अगर दर्शक डर महसूस करता है तो परदे का हॉरर सच साबित हो जाता है. हॉरर स्टोरी को देखता दर्शक सीन शुरू होने से पहले ही चीखने चिल्लाने लगता है. यह अपने महसूस किये जा रहे डर की अभिव्यक्ति  है. फिल्म के लेखक विक्रम भट्ट और मोहन आज़ाद अपने इस प्रयास में खासे सफल कहे जा सकते हैं. उन्होंने हर सीक्वेंस इस प्रकार से लिखा है कि एक दृश्य के ख़त्म होते ही दर्शक दूसरे दृश्य के भय से उलझ जाता है. निर्देशक आयुष रैना ने विक्रम भट्ट के स्क्रीनप्ले को अपनी कल्पनाशीलता के ज़रिये बहुत खूब उतारा है. फिल्म में नए चहरे लिए गए हैं. टीवी स्टार करण कुंद्रा नील, रविश देसाई मंगेश, हस्सन जैदी सम्राट, निशांत मलकानी अचिंत, नंदिनी वैद सोनिया, अपर्णा बाजपाई मैगी और राधिका मेनन ने नीना के अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. यह नए चहरे भय की अभिव्यक्ति अपने चेहरों से बखूबी कर ले जाते हैं,यही कारण है कि दर्शक डेढ़ घंटे तक एक पल भी चैन महसूस नहीं करता है.फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भय पैदा करने में कामयाब रहा है. एडिटिंग ने फिल्म को चुस्त बनाये रखा है.  हॉरर फिल्मों के शौक़ीन दर्शकों के लिए यह 'ज़रूर देखें' फिल्म है.

 

ग्रैंड मस्ती : बूब्स, एस और.……!

             
             जब निशाने पर औरत के अंग और उसके साथ सेक्स करने की कभी ख़त्म न होने वाली इच्छा हो तो वह ग्रैंड मस्ती है।  कम से कम, ग्रैंड मस्ती के निर्देशक इन्द्र कुमार और उनके तीन हीरो विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदासानी यही सोचते हैं.
             ग्रैंड मस्ती कहानी है ( अगर इसे आप कहानी कह सकें तो ) तीन किरदारों अमर, मीत मेहता और प्रेम चावला की. इन भूमिकाओं को हिंदी फिल्मों के लगभग असफल अभिनेताओं रितेश देशमुख, विवेक ओबेरॉय और आफ़ताब शिवदासानी ने किया है. यह तीनों सेक्स के भूखे है. हरदम अपनी अपनी पत्नियों को बिस्तर पर ले जाने की जुगत में रहते हैं. एक दिन उन्हें अपने कॉलेज SLUT, जिसे वह स्लत कहते हैं बुलावा आता है. यह तीनो अपना सारा कामकाज छोड़ कर कॉलेज की लड़कियों के साथ मौज मस्ती यानि सेक्स करने की इच्छा से जाते हैं. वहां क्या होता है यह अंत तक अश्लील हाव भाव और संवादों की दास्ताँ है. यह सब किया गया है सेक्स कॉमेडी के नाम पर.
              रितेश देशमुख का करियर सोलो हीरो फिल्म लायक नहीं रहा. विवेक ओबेरॉय अब खलनायक बनने की राह पर हैं. अफताब शिवदासानी तो अब नज़र ही नहीं आते. फिल्म में अभिनेत्रियों की भरमार है. सोनाली कुलकर्णी मराठी अभिनेत्री हैं. कायनात अरोरा और वह हिंदी फिल्मों में अपना भाग्य आजमा रही हैं. करिश्मा तन्ना टीवी के लिए याद की जाती है. कायनात अरोरा ने मार्लो की भूमिका में, मरयम ज़कारिया ने रोज और ब्रुन अब्दुल्लाह ने मैरी के रोल में केवल अपने अंगों को उभारने और उत्तेजक ढंग से पेश करने को ही एक्टिंग समझा है. सुरेश मेनन अब अश्लील मुद्राओं में द्वीअर्थी संवाद बोलने के महारथी बन गए हैं. जब फिल्म में इतने 'प्रतिभावान' और 'सेक्सी' लोग जुटे हों तो ग्रैंड मस्ती अश्लील होगी ही. फिल्म हर प्रकार की अश्लीलता का प्रदर्शन करती है.
                मिलाप जावेरी ने अपने संवादों और चरित्र चित्रण के जरिये औरत को सेक्स ऑब्जेक्ट के तौर पर पेश किया है, जो तीन नायकों की कामुक इच्छाओं को पूरा करने के लिए हर समय तैयार रहती हैं. फिल्म में इस प्रकार की कल्पनाशीलता है, ताकि औरत का उत्तेजक और कामुक स्वरुप उभरे। तीनो हीरो कामुक मुद्राओं में नज़र आते हैं. फिल्म के तमाम पुरुष किरदारों के जननांग असली या नकली तौर पर चैतन्य रहते हैं. फिल्म का अंत अनीस बज्मी की नक़ल में और प्रदीप रावत के किरदार के जननांगों के उठाने के साथ ख़त्म होती है.
                यह एक बेहद निराशाजनक, घटिया और कमोबेश पोर्नो टाइप की फिल्म है. रही  के पसंद आने कि  तो पूरी फिल्म के दौरान हर सीन और संवाद में आवारा  सीटियाँ,तालियाँ और चीख चिल्लाहट उभरती रही. इससे यह साबित होता है कि पोर्नो फिल्मों के शौक़ीन दर्शकों के लिए सेंसर बोर्ड ने अच्छा मसाला परोस दिया है. 

Thursday 12 September 2013

जॉनडे के साथ हॉरर स्टोरी और ग्रांड मस्ती


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Wednesday 11 September 2013

कृष ३ में भी रघुपति राघव

 दीपावली वीकेंड में रिलीज़ होने जा रही राकेश रोशन की फिल्म कृष ३ का प्रमोशन मीडिया में, ख़ास तौर पर, सोशल मीडिया में ज़बरदस्त तरीके से किया जा रहा है. इस फिल्म के नए टीज़र रघुपति राघव में अभिनेता हृथिक रोशन अपनी अद्भुत नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन करते नज़र आते हैं. बेशक, इसमे उनका साथ अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा तथा अन्य डांसर बखूबी दे रहे हैं. इस १५ सेकंड के टीज़र को यू-tube और ट्विटर पर ३.६० लाख लोगों द्वारा देखा जा चूका है. इस फिल्म का संगीत निर्देशक राकेश रोशन के भाई राजेश रोशन ने तैयार किया है. अपने संगीत की खासियत को बताते हुए राजेश रोशन कहते हैं, ''मेरा संगीत शराब की तरह है...जितनी पुरानी, उतना ज्यादा नशा. लोग मेरी पुरानी धुनों का आजतक मज़ा लेते हैं.'' यह फिल्म २००३ में रिलीज़ हृथिक रोशन की पहली विज्ञानं फंतासी फिल्म कोई मिल गया की तीसरी कड़ी है।  इस फिल्म का सीक्वल कृष २००६ में रिलीज़ हुआ था. कोई मिल गया में हृथिक की नायिका प्रिटी जिंटा थीं. कृष ३ में हृथिक की नायिका कृष की प्रियंका चोपड़ा ही हैं. इस फिल्म में हृथिक रोशन कृष के रूप में अपनी सुपर पॉवर का प्रदर्शन करते नज़र आयेंगे। पहले के दो भागों की तरह कृष ३ का पार्श्व संगीत सलीम सुलेमान की जोड़ी द्वारा ही तैयार किया गया है.  

Saturday 7 September 2013

अपूर्व लाखिया की ज़ंजीर में बंधे रामचरन

काम न आया संजय दत्त से हाथ मिलाना 
                    हर निर्देशक आनंद एल राज नहीं होता कि किसी धनुष को हिंदी दर्शकों का राँझना बना सके. अपूर्व लाखिया ऐसे निर्देशक नहीं। उन्होंने रामचरन को हिंदी  दर्शकों से introduce कराने के लिए चालीस साल पहले की फिल्म का रीमेक बनाया। उन्होंने एक पल नहीं सोचा कि सत्तर के दशक की कहानी आज के दर्शकों को क्यों कर पसंद आयेगी ! कहानी में फेरबदल  किया तो केवल यह कि विलेन  तेल माफिया था. बाकी कहानी पूरी की पूरी १९७३ की ज़ंजीर वाली घिसीपिटी थी. इस कहानी पर वह बढ़िया स्क्रीनप्ले बनवा कर नयापन ला सकते थे. मगर, स्क्रीनप्ले राइटर सुरेश नायर पुरानी ज़ंजीर से आगे नहीं सोच सके. अलबत्ता, माही गिल के किरदार से अश्लीलता भरने की कोशिश ज़रूर की गयी. देखा जाए तो अपूर्व लाखिया अमिताभ बच्चन से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने पहले ही यह मान लिया कि अमिताभ बच्चन के किरदार को दूसरा कोई नहीं कर सकता है. इसलिए, उन्होंने अपना सबसे बेहतर चुनाव रामचरन को लिया तो लेकिन, उनके साथ कोई मेहनत नहीं की. ऐसा लगा जैसे साउथ के इस सुपरस्टार को कुछ भी करते रहने की छूट दे दी गयी थी. अपूर्व ने रामचरन को इंस्पेक्टर विजय खन्ना के किरदार में ढालने की कोई कोशिश नहीं की. रामचरन के हावभाव और चाल ढाल पुलिस वाले बिलकुल नहीं लगे. हालाँकि, उन्होंने खुद के सक्षम एक्टर होने का प्रमाण दिया. अपूर्व ने संजय दत्त को महत्त्व देते हुए रामचरन के किरदार को कर दिया. एक पल को यह नहीं सोचा कि हिंदी दर्शक हीरो को हीरो बनाते देखना चाहता है. संजय दत्त को महत्त्व देने में अपूर्व यह नहीं याद रख सके कि अगर संजय में दम होता तो वह अपनी फिल्म पोलिसगिरी को हिट करा ले गए होते। माला के किरदार में प्रियंका चोपड़ा ने दम भरने की कोशिश ज़रूर कि उनका आइटम पिंकी झटके दार भी था. मगर बेदम लेखन ने प्रियंका को भी बेदम कर दिया. आयल माफिया बना तेजा का चरित्र प्रकाश राज कर रहे थे. लेकिन, समझ नहीं आया कि उन्हें कॉमिक टच देने की क्या ज़रुरत पद गयी थी. साउथ की फिल्मों में रामचरण के अपोजिट विलेन खूंखार होता है और इसे प्ले करने वाला अभिनेता लाउड एक्टिंग करता है. निश्चित रूप से माही गिल ने अश्लीलता का दामन थाम, लेकिन वह सेक्सी नहीं लग सकीं। संजय दत्त जब आते हैं, अपनी पंच लाइनों से तालियाँ बटोर डालते हैं.
                फिल्म में निर्देशक अपूर्व लाखिया, स्क्रीनप्ले राइटर सुरेश नायर ने अपना काम अच्छी तरह से अंजाम नहीं दिया. उनकी इस गलती का खामियाजा ज़ंजीर २.० भोगेगी ही, बेचारे रामचरन के माथे पर असफलता का दाग भी लग गया है. फिल्म संगीत के लिहाज से भी कमज़ोर है. एडिटर चिन २ सिंह फिल्म एडिटिंग में चिंटू ही साबित होते हैं.
                यह फिल्म सिंगल स्क्रीन ऑडियंस के लिए थी. यह ऑडियंस फिल्म देखने भी गया. लेकिन बाहर निकला निराश हो कर. ऐसे निराश दर्शक की प्रतिक्रिया काफी खतरनाक होती है. इसलिए कोई शक नहीं अगर बॉक्स ऑफिस पर ज़ंजीर ज़ल्दी टूट जाये. अफ़सोस रामचरन तेजा।

देसी रोमांस का बैंड बजाती फिल्म शुद्ध देसी रोमांस

परिणीती के कमीज़ के बटन खोलते सुशांत 
                  मनीष शर्मा बैंड बाजा बरात और लेडीज वर्सेज रिक्की बहल के बाद शुद्ध देसी रोमांस लेकर आते हैं, तो उनके प्रशंसक दर्शकों को उम्मीद बधती है कि उन्हें एक अच्छी मनोरंजक फिल्म देखने को मिलेगी. लेकिन, मनीष शर्मा अपनी पहले की फिल्मों की सफलता से इतने आत्म मुग्ध हो गए कि उन्होंने अपनी पहले की दोनों फिल्मों का कुछ न कुछ डाल लिया. बैंड बाजा बरात में मैरिज प्लानर की कहानी थी तो शुद्ध देसी रोमांस में शादी की बरात में अच्छे कपडे पहन कर अंग्रेज़ी बोलने वाले किरदार है. फिल्म के दौरान जब रघु शादी के मंडप पर लड़की छोड़ कर भाग जाता है और परिणीती पर डोरे डालने लगता है तो लेडीज वर्सेज रिक्की बहल की याद ताजा हो जाती है. हाँ, तो फिल्म की बात हो रही थी. अब होता यह है कि शादी की बरात में नाचने वाले ऐसे ही एक किरदार रघुराम की शादी की बरात जा रही है. उसमे शामिल होने के लिए अल्ट्रा मॉडर्न गायत्री आती है. ऐन शादी के वक़्त रघु को पेशाब लगती है और वह टॉयलेट से भाग खड़ा होता है. अगले ही सीन में रघु से गायत्री मिलती है. दोनों चालू पीस हैं.  गायत्री तीन चार लड़कों के साथ पहले भी सो चुकी है. वह और रघु भी एक साथ सोते है. दोनों शादी की दहलीज़ तक पहुंचते हैं कि इस बार गायत्री को पेशाब लगती है और वह टॉयलेट से फरार हो जाती है. अब रघुराम को मिलती है तारा। इस बार रघु उसकी और आकर्षित होता है. एक शादी में गायत्री भी मिल जाती है. दो लड़कियों की जद्दो जहद में फंसे रघु की फिल्म का अंत भी बाथरूम में होता है.
                      फिल्म  में कहानी नदारद है. मनीष शर्मा ने एक लड़का, दो लड़की, एक बाथरूम, एक बारात, धकाधक चुम्बन चाटन और सेक्स दृश्यों के सहारे दो घंटे से ज्यादा की फिल्म बना डाली है. यह सब सिचुएशन  और संवादों के सहारे इतनी बार दिखाया जाता है कि फिल्म का अंत इसी पर ख़त्म होता देख कर दर्शक  निराशा से भर उठता है. यशराज फिल्म्स से इतनी अधकचरी फिल्म की अपेक्षा नहीं की जाती। निर्माता आदित्य चोपड़ा को यह समझना होगा कि संवाद के सहारे बनी कोई फिल्म बिना दूल्हे की बारात जैसी होती है. एडिटर नम्रता राव अगर अपनी कैंची चलाती तो फिर पहले पेशाब प्रसंग के अलावा रिपीट हुए कोई दृश्य नहीं बचते. मनु आनंद का छायांकन जयपुर के खूबसूरत दृश्यों को दर्शकों के सामने लाता है. सचिन जिगर का संगीत यादगार नहीं कहा जा सकता. केवल एक दो धुनें ही ठीक बनी हैं. अभिनय की बात की जाए तो सुशांत को उनकी भोली शक्ल और पवित्र रिश्ता वाली इमेज के कारण लिया जाता है. सुशांत अपनी हर फिल्म में पवित्र रिश्ता के मानव को दोहराते हैं. परिणीती चोपड़ा भी सीमित प्रतिभा की अभिनेत्री है। इसलिए वह गायत्री के चरित्र को आराम से कर ले जाती हैं. वाणी कपूर को बहुत मौके नहीं मिले। पर वह अपने ग्लैमर से आकर्षित करती हैं. सबसे बढ़िया और स्वाभाविक काम उन बाथरूमों का रहा है, जो नेचुरल नज़र आते हैं.
                        शुद्ध देसी रोमांस छोटे शहरों और कस्बों के युवाओं की मानसिकता को ध्यान में रख कर बनायी गयी है. निर्देशक मनीष शर्मा जानते हैं कि  यह दर्शक घटिया और भद्दे शब्दों वाले संवादों पर तालियाँ और सीटियाँ बजाता है. उसे लौंडिया का लपक कर चुम्बन चमेटने  वाला हीरो रास आता है. जब हीरो हेरोइन को बिस्तर दे मारता है तो यह युवा कुर्सियां तोड़ने को तैयार हो जाता है. फिल्म में यही कुछ इफरात में है.
                         अगर  आप छोटे कस्बे वाली मानसिकता वाले दर्शक है और केवल संवादों के सहारे फिल्म देख सकते हैं तो यह फिल्म आपके ही लिए बनी है.