कबीर सदानंद की फिल्म फग्ली में अरफी लाम्बा आदित्य की भूमिका कर रहे हैं. वह पेशे से इंजीनियर हैं. लेकिन, फिल्म निर्माण और अभिनय में दिलचस्पी के कारण, कम से कम, एक बार अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं. यही दिलचस्पी उन्हें दिनेश ठाकुर के थिएटर ग्रुप में ले गयी। इसीलिए उन्होंने बॉलीवुड की ओर रुख किया. हालाँकि, पहली फिल्म डैनी बॉयल की स्लमडॉग मिलियनेयर हॉलीवुड से थी। यह फिल्म ऑस्कर पुरस्कारों तक पहुंची। पर फिल्म में अरफ़ी का रोल काफी छोटा था. फिल्म प्राग में उनकी भूमिका को सराहा गया। अब वह अन्य तीन अभिनेताओं के साथ फगली की लीड में हैं. जिमी शेरगिल, मोहित मारवाह और बृजेन्द्र सिंह की मौजूदगी में अरफी की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, इस पर ही उनका भविष्य टिका हुआ है. अरफी कहते हैं, "मैं जानता था कि मेरा सपना मेरी कड़ी मेहनत पर निर्भर करता है. इसीलिए में मुंबई आ गया. आगे कितना संघर्ष है, यह मुझे कभी विचलित नहीं कर सका." क्या इंजीनियर अरफी की मेहनत का पुल मुंबई में उनकी राह आसान बना पाएगी!
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday 22 May 2014
खुशनसीब घोडा, जिसकी सवार सोना ( सोनाक्षी सिन्हा ) !
सोनाक्षी सिन्हा आजकल अर्जुन कपूर के साथ फिल्म तेवर की शूटिंग में व्यस्त हैं. इस फिल्म के लिए मेले का एक सीन फिल्माया जाना था. इस हेतु काफी जानवर सेट पर लाये गए थे। तभी सोनाक्षी सिन्हा की नज़र एक घोड़े पर पड़ी. सोनाक्षी सिन्हा जब १० साल की थीं, घुड़सवारी किया करती थीं. बहुत काम लोग, ख़ास कर तेवर की यूनिट के लोग, जानते हैं कि उन्हें घुड़सवारी आती है। इसलिए जब उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा को घोड़े पर सवार होते देखा तो हक्के बक्के रह गए। लेकिन, सोनाक्षी आराम से उस ट्रेंड घोड़े पर सवार हो गयी और कोई दस मिनट तक घोडा लेकर मेले के सेट पर घूमती रही. क्या उनकी आगामी किसी फिल्म के घुड़सवार सोनाक्षी सिन्हा देखने को मिलेगी!
Monday 19 May 2014
जेनिफर लॉरेंस का योग कनेक्शन !
एक्स-मेन : डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट का इंडिया कनेक्शन क्या है? एक्स-मेन सीरीज की सातवीं फिल्म डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट में अभिनेता ह्यू जैकमैन एक बार फिर म्युटेंट लोगन/वॉल्वरिन के रोल में हैं। पर फिल्म में ख़ास चर्चा है ऑस्कर पुरस्कार विजेता अभिनेत्री जेनिफर लॉरेंस की, जो इस फिल्म में एक म्युटेंट मिस्टिक की भूमिका में है, जो नीले रंग की है तथा जिसे अपना शरीर बदल लेने की शक्ति है. दर्शक फिल्म में जेनिफर को अपना शरीर बिलकुल विपरीत दिशा में मोड़ते देख कर चकित रह जाएंगे. जेनिफर के शरीर का यह लचीलापन और फुर्ती चकित कर देने वाली है. यही एक्स-मेन डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट का इंडिया कनेक्शन भी है. जेनिफर ने अपनी इस भूमिका को सहजता से अंजाम देने के लिए योग कला का सहारा लिया. जेनिफर कहती हैं, "हमने कई फाइट सींस किये हैं. पर मिस्टिक का मूवमेंट ख़ास था। उसे गिरगिट की तरह चलना और मुड़ना था। इसके लिए हमने योग का सहारा लिया। मैं योग के द्वारा अपने शरीर को ठीक विपरीत दिशा में मोड़ सकी। " दर्शक मिस्टिक का यह योग प्रदर्शन एक्स-मेन डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट में २३ मई को इंग्लिश, हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषा में देख सकेंगे.
Sunday 18 May 2014
हॉरर फिल्मों रास्ते बॉलीवुड
आदित्य सिंह राजपूत का नाम 'काई पो चे' के सुशांत सिंह राजपूत की याद दिलाता है। लेकिन, क्या यह नाम आदित्य को हिंदी फिल्मों में सफलता भी दिला सकता है ! आदित्य बरास्ता कमर्शियल, हिंदी फिल्मों में आये हैं। वह लंचबॉक्स की निर्माता कंपनी एस्सेल विज़न और हैंडप्रिंट पिक्चर्स की फिल्म '३ एएम' से डेब्यू करने जा रहे हैं। इस फिल्म का निर्देशन विशाल महदकर कर रहे हैं , जो इससे पहले ब्लड मनी फिल्म का निर्देशन कर चुके हैं। आदित्य को यह फिल्म सोशल साइट ट्विटर के ज़रिये मिली। आदित्य बताते हैं, "विशाल सर ने ट्विटर पर कुछ पोस्ट किया था, जिस पर मैंने कमेंट्स किया था. उसके बाद मुझे उनकी फिल्म का ऑफर आया। पर इससे पहले मुझे ऑडिशन में १०० युवाओं को पछाड़ना पड़ा। मैं फिल्म में अपने रोल के बारे में इतना ही बता सकता हूँ कि मैं एक कॉलेज जॉक बना हूँ". ३ एएम एक हॉरर फिल्म है. आप तौर पर ऐसी फ़िल्में किसी एक्टर के लिए खतरा बन सकती हैं.ऐसे में आदित्य का खुद के लिए हॉरर फिल्म चुनना कितना समझदारी भरा फैसला हो सकता है? आदित्य हॉरर फिल्मों के शौक़ीन हैं. वह कहते हैं,"मैं हॉरर फिल्मों का शौक़ीन हूँ। वीराना, ईविलडेड, ऑर्फ़न और द कांजरिंग मेरी पसंदीदा फ़िल्में हैं. यह फ़िल्में आपकी नसों में सनसनी फैला देती हैं. मैं सेलुलाईड पर हॉरर करके उत्तेजित हूँ।"
Thursday 15 May 2014
मिस पोलैंड नतालिया जनोस्ज़ेक हिँदी फ़िल्म फ्लेम मे
हिंदी फिल्मों में विदेशी मेहमानों की आमद काफी बढ़ गयी है. बॉलीवुड अब केवल किसी मिस इंडिया का आकर्षण नहीं रहा. विदेशी मिस भी हिंदी में काम करना चाहती है. ऎसी ही एक मिस पोलैंड भी हैं। नतालिया जानेस्ज़ेक ने २०१३ में मिस पोलैंड का खिताब जीता था। वह चीन में आयोजित मिस बिकनी यूनिवर्स २०१३ की विजेता भी हैं। वह एक हॉलीवुड फिल्म में भी अभिनय कर चुकी हैं। नतालिया एक अच्छी डांसर भी हैं। वह २०१० में टोक्यो में आयोजित वर्ल्ड डांस कम्पीटीशन की विजेता हैं। अब मिस पोलैंड नतालिया निर्माता राजीव रुइया और वरुण सिंह की फिल्म फ्लेम में मुख्य भूमिका कर रही हैं। इस फिल्म के निर्देशक राजीव रुइया हैं।
माधुरी दीक्षित के लिये 'धक धक्' नहीं करता दिल
आज अभिनेत्री माधुरी दीक्षित का ४८ वां जन्मदिन है. तीस साल पहले माधुरी ने राजश्री प्रोडक्शंस की सुपर फ्लॉप फ़िल्म अबोध से अपने करियर की शुरुआत की थी. उस समय किसको मालूम था कि इस फ्लॉप मटेरियल को कभी ऎसी तेज़ाबी सफलता मिलेगी कि वह अगले तीन दशकों तक हिन्दी फ़िल्म दर्शकों के दिलों की धकधक बन जाएँगी। चंद्रा नार्वेकर उर्फ़ एन चन्द्रां की फ़िल्म तेज़ाब ने दुबली पतली काया वाली माधुरी दीक्षित को सुपर हिट कर दिया. इस फिल्म के बाद माधुरी दीक्षित के बही खाते में राम-लखन, त्रिदेव, परिंदा,.दिल, १०० डेज , साजन,बेटा, आदि सुपर हिट फ़िल्में दर्ज़ हो गयीं।
माधुरी दीक्षित एक ऐसा उदाहरण हैं कि समय बडा जालिम होता है। बीता हुआ कल वापस नहीं आ सकता. २००२ में, देवदास की सफलता के दौर में फ़िल्म की चंद्रमुखी माधुरी दीक्षित अमेरिकन ड़ॉक्टर श्रीराम नेने का घर बसाने के लिये बॉलीवुड छोङ कर चली गयी थीं. कुछ समय ऐसा लगा कि माधुरी के प्रशंसकों के दिलों ने धडकना बन्द कर दिया है। दर्शक माधुरी दीक्षित की दिल चीर देने वाली मुस्कान को भूलें नही थे। इसीलिए पांच साल बाद जब उन्होने यशराज बैनर की फिल्म के साथ दर्शकोँ से आजा नच ले कहा तो दर्शक सहज तैयार हो गये. मगर फ़िल्म आजा नच ले दर्शकोँ की अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी। फिल्म फ्लॉप हो गयी। इसे लोगों ने माधुरी दीक्षित के बजाय फ़िल्म की असफ़लता समझा। इसीलिये, जब छह साल बाद, माधूरी दीक्षित ने फिर बॉलीवुड का रुख किया तो फ़िल्म निर्माताओं ने खूली बाहों से उनका स्वागत किया. अयान मुखर्जी की फ़िल्म 'यह जवानी दीवानी' में उनका 'लहंगा' दर्शकों को पसन्द भी आया। इसके बाद माधुरी दीक्षित की बतौर नायिका डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का इंतज़ार किया जाने लगा. डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का रिलीज़ होना बन्द मुट्ठी खुल जाने के समान था. यह दोनों फिल्में दो महीने के अंतराल में रिलीज़ हुई और बुरी तरह से फ्लॉप हुई। माधुरी दीक्षित की कटीली मुस्कान दर्शकोँ के दिलों की धक धक नहीं बन सकी। इसके साथ ही साबित हो गया कि माधुरी अब बीता समय बन चुकी हैं।
माधुरी दीक्षित एक ऐसा उदाहरण हैं कि समय बडा जालिम होता है। बीता हुआ कल वापस नहीं आ सकता. २००२ में, देवदास की सफलता के दौर में फ़िल्म की चंद्रमुखी माधुरी दीक्षित अमेरिकन ड़ॉक्टर श्रीराम नेने का घर बसाने के लिये बॉलीवुड छोङ कर चली गयी थीं. कुछ समय ऐसा लगा कि माधुरी के प्रशंसकों के दिलों ने धडकना बन्द कर दिया है। दर्शक माधुरी दीक्षित की दिल चीर देने वाली मुस्कान को भूलें नही थे। इसीलिए पांच साल बाद जब उन्होने यशराज बैनर की फिल्म के साथ दर्शकोँ से आजा नच ले कहा तो दर्शक सहज तैयार हो गये. मगर फ़िल्म आजा नच ले दर्शकोँ की अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी। फिल्म फ्लॉप हो गयी। इसे लोगों ने माधुरी दीक्षित के बजाय फ़िल्म की असफ़लता समझा। इसीलिये, जब छह साल बाद, माधूरी दीक्षित ने फिर बॉलीवुड का रुख किया तो फ़िल्म निर्माताओं ने खूली बाहों से उनका स्वागत किया. अयान मुखर्जी की फ़िल्म 'यह जवानी दीवानी' में उनका 'लहंगा' दर्शकों को पसन्द भी आया। इसके बाद माधुरी दीक्षित की बतौर नायिका डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का इंतज़ार किया जाने लगा. डेढ़ इश्क़िया और गुलाब गैंग का रिलीज़ होना बन्द मुट्ठी खुल जाने के समान था. यह दोनों फिल्में दो महीने के अंतराल में रिलीज़ हुई और बुरी तरह से फ्लॉप हुई। माधुरी दीक्षित की कटीली मुस्कान दर्शकोँ के दिलों की धक धक नहीं बन सकी। इसके साथ ही साबित हो गया कि माधुरी अब बीता समय बन चुकी हैं।
मर्दानी रानी मुखर्जी
निर्देशक प्रदीप सरकार की फ़िल्म मर्दानी मे अभिनेत्री रानी मुखेर्जी एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं। इस भूमिका में उन्हें खूब एक्शन करने हैं और इसलिए काफी फ़िट भी रहना है। यशराज बैनर और निर्माता आदित्य चोपड़ा की फ़िल्म होने के बावजूद रानी मुख़र्जी फ़िल्म के लिये काफी मेहनत कर रही हैं। समुद्र के किनारे दौड़ लगाती रानी मुखेर्जी के इस चित्र को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आमिर खान और करीना कपूर के साथ २०१२ की दिवाली में रिलीज़ रीमा कागती की फ़िल्म तलाश : द आंसर लाइज वीथिन के बाद रानी के पास फ़िल्में नहीं रह गयी थीं. इसलिए स्वाभाविक तौर पर शरीर पर अतिरिक्त चर्बी चढ़नी ही थी। तलाश की पब्लिसिटी के दौरान करीना कपूर के साथ उनकी फोटो देख कर इस का अन्दाज़ा लगाय जा सकता है। देखिये इसी साल रिलीज़ होने जा रही मर्दानी को दर्शक कितना स्वीकार करते हैं।
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