Sunday 5 July 2015

बॉलीवुड फिल्मों में कव्वालियाँ

सलमान खान की ईद वीकेंड में रिलीज़ होने जा रही फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की क़व्वाली ‘भर दो झोली मेरी या मोहम्मद’ काफी चर्चा में हैं। इस क़व्वाली को परदे पर अदनान सामी ने गाया है। इस क़व्वाली को देखते समय सहसा पुराने ज़माने की क़व्वालियों की याद ताज़ा हो जाती है। कभी हिंदी फिल्मों का अटूट हिस्सा हुआ करती थी कव्वालियाँ। फ़िल्में चाहे सोशल हो या हिस्टोरिकल कव्वालियाँ होना ज़रूरी था। रोशन और नौशाद ने क़व्वालियों को परवान चढ़ाया। बरसात की रात, मुग़ल ए आज़म, ताजमहल, आदि फिल्मों की कव्वालियाँ काफी पसंद की गयी। आइये, आज एक नज़र डालते हैं फ़िल्मी क़व्वालियों, कव्वालों और क़व्वाली की ख़ास फिल्मों के बारे में-
क़व्वाली है क्या ?
क़व्वाली संगीत की एक शैली है। जो दक्षिण एशिया में परवान चढी। हिन्दुस्तानी क़व्वाली पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत और फारसी-इस्लामिक म्यूजिक का फ्यूज़न है। यह मुग़ल शासन काल में, फारस  और टर्की से संस्कृतिक आदान प्रदान के तहत भारत में आई। हालाँकि, कव्वाली का इतिहास काफी पुराना है, परन्तु क़व्वाली संगीत के शीर्ष पर कुछ दशकों में ही लोगों की जुबान पर चढी। बॉलीवुड में क़व्वाली को किसी मज़ार में या भक्ति संगीत के रूप में इसका उपयोग किया गया। कव्वाली की खासियत है कि यह जहाँ मजारो और मस्जिदों में इबादत है, वही मोहब्बत का पैगाम भी है। प्रेमी दिल इसके ज़रिये अपनी बात कह सके। 
मौला मेरे मौला (जोधा अकबर २००८)- आशुतोष गोवारिकर की ह्रितिक रोशन और ऐश्वर्य राय बच्चन की फिल्म ‘जोधा अकबर’ की यह कव्वाली अकबर को अल्लाह की इबादत में डुबो देती है। अकबर अपने आसन से उठ कर लोगों के बीच आकर नाचने लगता है। इस गीत का चित्रण बड़ा प्रभावशाली बन पडा था। यह अल्लाह के प्रति अकबर की इबादत थी। इस क़व्वाली को ए आर रहमान ने कंपोज़ किया था। 
फिर तुम्हारी याद आई ऐ सनम (रुस्तम सोहराब १९६३)- ऐतिहासिक फिल्म 'रुस्तम सोहराब' की इस कव्वाली का संगीत सज्जाद हुसैन ने तैयार किया था। इस कव्वाली को मोहम्मद रफ़ी और मन्ना डे ने गाया था। इस गीत को सोहराब के सैनिकों पर फिल्माया गया था, जो रात में आग के इर्द गिर्द बैठे गा रहे हैं । सोहराब (प्रेमनाथ) उदास सा किले की छत पर टहल रहा है और पार्श्व में यह कव्वाली गूँज रही है। यह कव्वाली काफी कुछ सोहराब की भावनाओं को व्यक्त करने वाली थी। 
जब रात है ऐसी मतवाली (मुग़ल ए आज़म १९६०)- 'मुग़ल ए आज़म' में नौशाद की धुन पर शकील बदायुनी के बोलों को लता मंगेशकर ने गाया था। यह गीत सलीम और अनारकली के मिलन का गीत है। इस गीत पर सलीम अनारकली का रोमांस बखूबी उभर कर आता है। मधुबाला की बेमिसाल खूबसूरती और दिलीप कुमार की आशिक निगाहें कव्वाली को अक्स दे रही थी। 
हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों ने (अल हिलाल १९५८)- यह बॉलीवुड की शुरुआत कव्वालियों में से है।  अल हिलाल फिल्म की इस कव्वाली को इस्माइल आजाद कव्वाल और उनके साथियों ने आवाज़ दी थी। बुलो सी रानी के संगीत पर शेवन रिज़वी ने बोल लिखे थे। इस मनोरंजक  कव्वाली को हिन्दुस्तानी कव्वाली की माँ कहा जा सकता है। बाद की तमाम कव्वालियाँ इस कव्वाली पर आधारित बनती चली गई। 
हम दीवानें तेरे दर से नहीं (नकली नवाब १९६२)- इस क़व्वाली में कव्वालों के चार दल मुकाबला कर रहे हैं। दो पार्टी पुरुष कव्वालों की है तथा दो महिला कव्वालों की।  इस क़व्वाली की खासियत यह है कि इसके एक ही बोलों को महिला और पुरुष दल अलग अर्थों में उपयोग करते हैं। 
अल्लाह ये अदा कैसी है इन हसीनों पे (मेरे हमदम मेरे दोस्त १९६८)- यह क़व्वाली मंगनी कर रहे मंगेतर को चिढाने के लिए गढ़ी गई है। इसे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने अपनी शैली में रचा है। इसे परदे पर मुमताज़ पर फिल्माया गया था। 
शरमाके यह क्यों सब पर्दानशीं (चौदहवीं का चाँद १९६०)- शमशाद बेगम और आशा भोंसले की गायी इस कवाली में भी टांग खिंचाई करते दिखाया गया है। यह क़व्वाली फिल्म चौदहवी का चाँद में वहीदा रहमान और रहमान पर फिल्माई गई है। 
मेरी दुनिया लुट रही थी (मिस्टर एंड मिसेज ५५, १९५५)- यह क़व्वाली हीरो की निराशा को उबारने वाली काफी हट कर है। इसमे गुरुदत्त सड़क पर अकेले निराश से चले जा रहे हैं। पार्श्व में यह क़व्वाली बज रही है। इस क़व्वाली में ओ पी नय्यर और मोहम्मद रफ़ी की जुगलबंदी कमाल की है। 
जानेमन इक नज़र देख ले (मेरे महबूब १९६३)- यह भी छेड़ छाड़ वाली क़व्वाली है। इस गीत में राजेंद्र कुमार से मोहब्बत करने वाली अमिता अपनी सहेली साधना के लिए कुर्बानी करती है। निकाह के मौके पर अपने आंसू छुपा कर वह इस क़व्वालीनुमा गीत को गा रही है। 
तेरी महफ़िल में किस्मत आजमा के हम भी देखेंगे (मुग़ल ए आज़म १९६०)- अनारकली (मधुबाला) और बहार (निगार सुल्ताना) के बीच मुकाबले वाली यह क़व्वाली है। यह दोनों अपनी गायिकी से शहजादा सलीम को प्रभावित करना चाहती है। हालाँकि, अनारकली अपनी मोहब्बत को लेकर इत्मीनान से है। 
ओ मेरी जोहरा ज़बीं (वक़्त १९६५)- बलराज साहनी यह क़व्वाली पारिवारिक समारोह में अपने दोस्तों के इसरार पर बीवी अचला सचदेव को छेड़ते हुए गाते हैं। इस क़व्वाली में अचला सचदेव का इठलाना शर्माना कमाल का है।  .
चांदी का बदन सोने की नज़र (ताज महल १९६३)- इस क़व्वाली में रोशन ने तबले, संगीत और तालियों का अच्छा उपयोग किया था। शाहजहाँ के दरबार में यह क़व्वाली बीना राय के हुस्न को ख़ास उभारती थी। 
जो ये दिल दीवाने (धर्मपुत्र १९६१)- एन दत्ता की धुन पर मोहम्मद रफ़ी ने इस क़व्वाली को गाया था। दुःख का प्रदर्शन करने वाली इस क़व्वाली में माँ अपने बच्चे को दूसरे की गोद में दे रही है। 
आज क्यों हमसे पर्दा है (साधना १९५८)- एन दत्ता ने इस क़व्वाली में एस बलबीर और मोहम्मद रफ़ी की आवाजों का उपयोग किया था। इस क़व्वाली में तवायफ वैजयंतीमाला अपना पेशा छोड़ चुकी है। लेकिन, उसके चाहने वाले उससे वापस आने के लिए कहते हैं। इस क़व्वाली में कमरे में छुपी तवायफ को बाहर निकालने के लिए यह क़व्वाली गई जा रही है। 
महंगाई मार गई (रोटी कपड़ा और मकान १९७४)- इस क़व्वाली में सामाजिक सरोकार उठाये गए हैं। बीच बीच में रोमांस भी है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और चंचल की गायी यह क़व्वाली अपने समय की मक़बूल और मशहूर क़व्वाली थी। 
निगाहें मिलाने को जी चाहता है (दिल ही तो है १९६३)- राजकपूर, नूतन और प्राण की फिल्म ‘दिल ही तो है’ की यह बड़ी शरारती कव्वाली है। इसमे राजकपूर नूतन को देखते हुए यह कव्वाली गा रहे हैं और पास बैठे प्राण कुढ़ रहे हैं। नूतन इठला और बलखा कर राज कपूर की शरारत का मज़ा लेते हुए, उसे नज़रंदाज़ जैसा कर रही है। इस कव्वाली की रचना रोशन ने की थी। बोल साहिर लुधियानवी के थे। 
कव्वालियों की बरसात की रात- भारत भूषण, मधुबाला, श्यामा, मुमताज़ बेगम और के एन सिंह की फिल्म बरसात की रात में कव्वालियों की भरमार थी। निगाह ए नाज़ के मारों का हाल क्या होगा, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, पहचानता हूँ खूब तुम्हारी नज़र को मैं, न तो कारवां की तलाश है, जी चाहता है चूम लूं, आदि जैसी कव्वालियाँ थी। इनमे से न तो कारवां की तलाश है को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। इस क़व्वाली को मन्ना डे, आशा भोंसले, एसडी बातिश और सुधा मल्होत्रा ने आवाज़ दी थी। रोशन का संगीत था। 
शकीला बानो भोपाली
भोपाल की शकीला बानो भोपाली को आज भी हिंदी फिल्मों की क़व्वाली का चेहरा के बतौर याद किया जाता है। क़व्वाली और शकीला जैसे एक दूसरे के लिए बने थे। उनका क़व्वाली गाने का अंदाज़ बिलकुल अलग और आकर्षक था।  वह बेहिचक अदाओं के साथ क़व्वाली गाती थी।  ऐसा स्वाभाविक भी था। क्योंकि, शकीला बानो भोपाली एक्ट्रेस भी थी। उन्होंने फिल्म चोरों की बारात की बरात से अपने फिल्म करियर की शुरुआत की थी। रामू दादा, रुस्तम ए बग़दाद, सेमसन, राका, गुंडा, दस्तक, हमराही, उनकी उल्लेखनीय फ़िल्में हैं। शकीला बानो भोपाली ने आठ साल की उम्र से भोपाल के छोटे फंक्शन में क़व्वाली गाना शुरू कर दिया था। दिलीप कुमार ने उन्हें देखा और बॉम्बे का न्योता दे दिया। ‘अब तुम पे छोड़ दिया है, जहर दे या जाम दे’ और ‘सहर का वक़्त है और जाम में शराब नहीं’ उनकी उम्दा क़व्वालियों में से थी। उन्हें हिंदुस्तान के दस कव्वालों में टॉप की माना जाता था। वह इकलौती महिला कव्वाल थी, जिन्हें भोपाल के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी पसंद किया जाता था। उन्होंने फिल्मों में ज्यादा कव्वालियाँ अकेले ही गायी। ख़ास उनकी क़व्वाली पर आधारित फिल्म ‘क़व्वाली की रात’ भी बनाई गई। वह १९८४ के गैस लीक कांड का शिकार होने वाली एक मरीज़ थी।  इस गैस कांड के बाद उनके फेफड़ों पर असर हुआ और वह कव्वाली गाने के लायक नहीं रही। उनका निधन १६ दिसम्बर २००२ को हार्ट अटैक से हो गया। 
कुछ और कव्वालियाँ
ज़ालिम मेरी शराब में (रेशमा और शेरा १९७१)
बड़ा लुत्फ़ था जब कुंवारे थे हम तुम (नूर ए इलाही १९७६)
पिया हाजी अली - (फिजा २०००)
तेरे दर ए आया दीवाना - (वीर ज़ारा २००४)
यह माना मेरी जान मोहब्बत सज़ा है (हँसते ज़ख्म १९७३)
पर्दा है पर्दा है - (अमर अकबर अन्थोनी १९७७)
शिर्डी वाले साईं बाबा - (अमर अकबर अन्थोनी १९७७)
है अगर दुश्मन दुश्मन- (हम किसी से कम नहीं १९७७)
वल्लाह रे वल्लाह - तीस मार खान 

पिंक पैंथर नहीं डायरेक्ट करेंगी एवा डूवेर्ने

सेल्मा डायरेक्टर अवा डूवेर्ने ने साफ़ कर दिया है कि वह ‘ब्लैक पैंथर’ का निर्देशन नहीं कर रही। पिंक पैंथर का निर्माण मार्वेल द्वारा किया जा रहा है। एक मगज़ीन को इंटरव्यू में अवा ने बताया कि फिल्म की कहानी को लेकर मार्वल और मेरे विचारों में काफी मतभेद था। मार्वल का काम करने का अपना तरीका है। अवा कहती हैं, “वह (मार्वेल) फैंटास्टिक हैं। दुनिया के लोग उनके काम को पसंद भी करते हैं। मुझे ख़ुशी है कि वह मेरे पास आये।” वैसे बताते चले कि वाकंडा राज्य के सुपर मैन ब्लैक पैंथर का किरदार अवा का पसंदीदा है। इसीलिए उनके दिमाग में ब्लैक पैंथर का एक खाका है। वह इसे अपने तरीके से पेश करना चाहती थी। जबकि, ब्लैक पैंथर मार्वेल कॉमिक्स का एक सुपर हीरो किरदार होने के नाते, मार्वेल के लोग उस पर अपना दृष्टिकोण रखते थे। इसलिए, बाद में क्रिएटिव डिफरेंस की स्थिति पैदा हो, उससे पहले ही प्रोजेक्ट से निकल जाना बेहतर समझा अवा डूवेर्ने ने। ताज़ा खबरों के अनुसार मार्वेल द्वारा ब्लैक पैंथर पर फिल्म का निर्माण चैडविक बोसमैन को मुख्य भूमिका मे लेकर शुरू कर दिया गया है। यह फिल्म ३ नवम्बर २०१७ को रिलीज़ होगी।

आल द वे के मार्टिन लूथर किंग अन्थोनी मैककी

आजकल, हॉलीवुड के रूपहले परदे पर मार्टिन लुथर किंग जूनियर हिट हैं। उनकी वोटिंग राइट्स के लिए १९६५ में की गई सेल्मा से मोंट्गोमेरी तक की मशहूर यात्रा पर निर्देशक अवा डूवेर्ने की फिल्म ‘सेल्मा’ में अभिनेता डेविड ओएलोवो ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर की भूमिका की थी। नाटक ‘आल द वे’ के रूपांतरण में अन्थोनी मैककी किंग जूनियर का रोल कर रहे हैं। एचबीओ के लिए इस टीवी फिल्म का निर्माण जे रोअच कर रहे हैं। इस फिल्म में अमेरिकी प्रेसिडेंट लिंडन बी जॉनसन का किरदार क्रेन्स्तों कर रहे हैं। यह फिल्म जॉन ऍफ़ कैनेडी की हत्या के बाद लिंडन बी जॉनसन द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति का पद सम्हालते ही सिविल राइट्स विधेयक पारित कराने की चुनौती को निबटते हुए दिखाती है। इस काम में मार्टिन लूथर किंग जूनियर अमेरिकी प्रेसिडेंट की मदद करते हैं। फिल्म प्रेसिडेंट और किंग के मधुर रिश्तों को दर्शाती है। ‘आल द वे’ की शूटिंग सितम्बर से शुरू होगी। अन्थोनी मैककी इस समय कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर में काम कर रहे हैं। उनकी फिल्म अवर ब्रांड इज क्राइसिस पूरी हो चुकी है। मैककी ११ दिसम्बर को फेस्टिवल कॉमेडी क्रिसमस में भी नज़र आयेंगे।  

रीस विदरस्पून लडेगी अश्लेज वॉर !

फिल्म ‘वाक द लाइन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर पाने वाली अभिनेत्री रीस विदरस्पून के पास ३९ साल की उम्र में भी अच्छी भूमिकाओं की कमी नहीं।  अच्छा विषय हो तो वह उस पर खुद फिल्म बनाने में नहीं चूकती।  पेनीलोप, गॉन गर्ल, हॉट परसूट और वाइल्ड जैसी फिल्मे प्रमाण हैं कि रीस को अच्छे विषय की चाहत हैं। अब वह फॉक्स २००० के साथ गेल त्ज़ेमच लेमन की किताब अश्लेज वॉर पर फिल्म बनाने जा रही हैं। इस फिल्म को द आयरन लेडी और सुफ़रागेट के राइटर अबी मॉर्गन लिख रहे हैं। यह किताब ऑप्स युद्धक्षेत्र में महिला सैनिकों की अनकही कहानी है, जिसमे अमेरिकी सेना स्पेशल ऑपरेशनस कमांड की कुछ महिला सैनिकों को अफगानिस्तान में युद्ध के लिए भेजती है। सीएसटी २ के नाम से जानी जाने वाली इस बटालियन के लिए महिला सैनिकों का चुनाव कठोरतम ट्रेनिंग के बाद किया जाता है। इस युद्ध में जाने वाली कमांड की लेफ्टिनेंट आश्ले वाइट थी, जो इस युद्ध में मारी जानेवाली सीएसटी २ की पहली सैनिक थी। इसी लेफ्टिनेंट आश्ले वाइट का किरदार रीस विदरस्पून करेंगी। रीस इस समय भी कई प्रोजेक्ट से जुड़ी हुई हैं। वह डेविड ई० केली की नई सीरीज बिग लिटिल लाइज में भी काम करेंगी। 

हॉट योग ट्रेनर हैं दीपिका पादुकोण

भारत के प्रधान मंत्री का योग दर्शन युवाओं को भाने लगा है। वह योग में रूचि दिखाने लगे हैं।  लेकिन, अगर इस योग में मसाला हो, वह भी गरम मसाला तो क्या कहने।  एक पोर्टल द्वारा कराये गए सर्वे में पाया गया है कि बॉलीवुड में रूचि रखने वाले 'योग इच्छुक' योग सीखना चाहेंगे, अगर योग ट्रेनर दीपिका पादुकोण हो। इस सर्वे में दीपिका पादुकोण को करीना कपूर खान के मुकाबले ज्यादा हॉट योग ट्रेनर पाया गया है। दीपिका को हॉट योग ट्रेनर बताने वाले ५५ प्रतिशत प्रशंसक थे। इस हॉटनेस के मामले में जीरो साइज से मशहूर करीना कपूर खान को केवल २२ प्रतिशत वोट ही मिले। बॉक्स ऑफिस 'क्वीन' कंगना रानौत की फिल्म तनु वेड्स मनु रिटर्न्स इस साल बॉक्स ऑफिस पर बेशक १५० करोड़ का बिज़नस कर ले गई हो। लेकिन, हॉट योग ट्रेनर के मुकाबले में उन्हें केवल १२ प्रतिशत वोट मिले। सबसे बुरी दशा में रही बॉलीवुड की स्टाइल डीवा सोनम कपूर, उन्हें केवल ३ प्रतिशत वोट और इस सर्वे में पांचवा स्थान मिला । उनसे ज्यादा ८ प्रतिशत वोट पाकर श्रीलंकाई सुंदरी और किक में सलमान खान की को-स्टार जेक्वेलिन फ़र्नान्डिस पांचवे स्थान पर रही। यहाँ बताना उचित होगा कि होमी अदजानिया की फिल्म 'कॉकटेल' के सेट पर सैफ अली खान अपनी को-स्टार दीपिका पादुकोण और डायना पैंटी को योग ट्रेनिंग करवाते नज़र आते थे।


'वेलकम बैक' के पोस्टर

Embedded image permalink

Saturday 4 July 2015

वीर दास और सुरवीन चावला का 'प्लान बी'

वीर दास और सुरवीन चावला को वी मोशन पिक्चर्स की थ्रिलर फिल्म 'प्लान बी' के लिए साइन किया गया है।  यह एक बैंक रॉबरी की कहानी है।  इस फिल्म में वीर दास और सुरवीन चावला सिंगापुर में रहने वाले आईटी प्रोफेशनल बने हैं, जो रॉबरी के षडयंत्र में फंसे नज़र आते हैं।  वीर दास की २०१४ में तीन फ़िल्में शादी के साइड इफेक्ट्स, रिवाल्वर रानी और अमित साहनी की लिस्ट रिलीज़ हुई थी।  इस समय उनकी सनी लियॉन के साथ फिल्म मस्तीज़ादे सेंसर के चंगुल में फांसी हुई है।  उनकी १९८४ के सिख  विरोधी दंगों पर फिल्म शूट हो रही है।  एक फिल्म संता बंता पोस्ट प्रोडक्शन की स्टेज पर है।  सुरवीन चावला की एक पंजाबी फिल्म 'हीरो : नाम याद रखी  पिछले दिनों ही रिलीज़ हुई है।  वह इस साल वैलकम बैक में आइटम गर्ल बनी नज़र आएंगी।  निर्देशक हरीश राउत की फिल्म प्लांट बी की शूटिंग इस सितम्बर में शुरू होगी तथा अगले साल रिलीज़ होगी।