रेसिडेंट ईविल : वेंडेटा, रेसिडेंट ईविल सीरीज की फिल्मों की एक कड़ी नहीं है। जापान में बायोहैजर्ड वेंडेटा टाइटल से रिलीज़ की जाने वाली इस फिल्म को इसके बावजूद यह मूल फ्रैंचाइज़ी की आरई ६ और आरई ७ के बीच की कड़ी बताया जा रहां है। यह फिल्म सीजी फिल्म की तीसरी कड़ी है। इससे पहले दो सीजी फ़िल्में रेसिडेंट ईविल :डिजनरेशन (२००८) और रेसिडेंट ईविल : डैमनेशन (२०१२) बनाई जा चुकी हैं। रेसिडेंट ईविल : वेंडेटा एक सीजी ३डी हॉरर फिल्म है। इस फिल्म की कहानी उसी यूनिवर्स की है, जिसमे वीडियो गेम सेट किया गया था। इस फिल्म में क्रिस रेडफील्ड और रेबेका चैम्बर्स के चरित्र नज़र आएंगे। इनके अलावा, कहानी में क्लेयर रेडफील्ड और लीओन स्कोट कैनेडी के करैक्टर भी शामिल होंगे। रेजिडेंट ईविल : वेंडेटा की कहानी के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन, यह फिल्म रेजिडेंट ईविल के मशहूर स्पेंसर मेन्शन पर ही दिखाई जाएगी। इस फिल्म का निर्माण जापान के शिमिज़ू और कैपकॉर्न स्टूडियो द्वारा किया जा रहा है। फिल्म के निर्देशक तकनोरी त्सुजीमोटो हैं। रेसिडेंट ईविल: वेंडेटा के अगले साल वसंत में रिलीज़ किये जाने की योजना है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday 28 September 2016
एरोगेंट है डॉक्टर स्ट्रेंज -बेनेडिक्ट कम्बरबैच
मार्वेल के सबसे ज़्यादा पसंदीदा कॉमिक्स करैक्टरो में डॉक्टर स्ट्रेंज एक है। इस करैक्टर पर एक टेलीविज़न फिल्म १९७८ में प्रसारित हो चुकी है। इस करैक्टर को केंद्र में रख कर एक एनिमेटेड फिल्म डॉक्टर स्ट्रेंज: द सॉर्सेरेर सुप्रीम २००७ में रिलीज़ हुई थी। अब यह करैक्टर पूरी लम्बाई की लाइव-एक्शन फिल्म में नज़र आने वाला है। डॉक्टर स्ट्रेंज टाइटल के साथ रिलीज़ होने जा रही है इस फिल्म में डॉक्टर स्ट्रेंज की भूमिका द हॉबिट सीरीज की फिल्मों में स्मॉग की भूमिका करने वाले एक्टर बेनेडिक्ट कम्बरबैच कर रहे हैं। डॉक्टर स्ट्रेंज एक न्यूरोसर्जन है। वह एक कार दुर्घटना में घायल हो जाने के बाद उसका बतौर सर्जन करियर ख़त्म हो जाता है। अपने हाथों के उपचार के दौरान डॉक्टर महसूस करता है कि अब उसके हाथों में अनोखी जादुई शक्ति आ गई है। अब वह इस ताकत के ज़रिये दुनिया के लिए खतरा बन रही दुष्ट ताकतों से टकरा सकता है। बेनेडिक्ट फिल्म की स्क्रिप्ट सुन कर अवाक रह गया था। बेनेडिक्ट कम्बरबैच बताते हैं, "एक एक्टर अच्छी स्क्रिप्ट का लालची होता है। सोने पर सुहागा डायरेक्टर स्कोट डेरिकसॉन डेर्रिकसन और निर्माता केविन फीज थे। स्क्रिप्ट की ख़ास बात थी साठ और सत्तर के दशक के करैक्टर को समकालीन सन्दर्भों के उपयुक्त बनाना।" डॉक्टर स्ट्रेंज सफल सर्जन है, इसलिए काफी कुछ अक्खड़ भी है। "लेकिन", कहते हैं कम्बरबैच, "यह अक्खड़ है, लेकिन हास्यपूर्ण भी है।" डॉक्टर स्ट्रेंज में चिवेटेल चूइटेल एजिओफॉर ने कार्ल मोर्डो, रेचल मैकएडम्स ने क्रिस्टीन पामर, मैड्स मिकेल्सन ने कैसिलियस और टिल्डा स्विन्टन ने अन्सिएंट वन का किरदार किया है। यह फिल्म ४ नवम्बर को रिलीज़ होगी।"
जुरैसिक पार्क के जेफ़ और सैम थॉर रैग्नारोक में
होती रहेगी २०२० के बाद भी 'स्टार वार्स'
लुकास फिल्म्स के लिए आगामी कुछ साल स्टार वार्स फिल्मों की व्यस्तता के रहेंगे। दिसम्बर में रोग वन अ स्टार वार्स स्टोरी रिलीज़ होनी है। इस सीरीज के एपिसोड ८ और एपिसोड ९ की रिलीज़ की तारीखें २०१७ और २०१९ के कैलेंडर में तय कर दी गई है। स्टार वार्स एपिसोड ८ अगले साल १५ सितम्बर को तथा २०१९ में २४ मई को स्टार वार्स एपिसोड ९ रिलीज़ होगी। इन दोनों के बीच इस स्टूडियो की स्टार वार्स के एक करैक्टर हान सोलो पर फिल्म रिलीज़ होगी। चालू दशक में स्टार वार्स स्टोरी की ट्राइलॉजी का खत्म हो जायेगा। लेकिन, स्टार वार्स फ्रैंचाइज़ी पर दूसरी फिल्मों का निर्माण नए दशक में भी जारी रहेगा। इस बात का खुलासा डिज्नी के सीईओ ने इन्वेस्टर्स कांफ्रेंस में किया। स्टूडियो ने २०२० तक की स्टार वार्स फिल्मों और उसके बाद की फिल्मों को रिव्यु करने के बाद यह तय पाया गया कि स्टार वार्स की तीसरी श्रंखला जारी रखी जाए। स्टार वार्स ट्राइलॉजी में यह तीसरी श्रंखला आकाश गंगा के इनाम के लिए मिशन पर जाने वाले गिरोह बोबा फेट का स्पिन ऑफ होगी। डिज्नी के सीईओ बॉब ईगर रोग वन की सफलता को लेकर मुतमईन हैं। लेकिन, यह फिल्म द फाॅर्स अवकेंस के मुकाबले कितनी सफल होगी, इसके बारे में कुछ कहना नहीं चाहते। वैसे, जहाँ तक पिछले दस सालों में स्टार वार्स फिल्मों को लेकर जो माहौल बना था, उसके लिहाज़ से द फाॅर्स अवकेंस लुकास फिल्म्स का बड़ा इम्तिहान थी। क्योंकि, स्टार वार्स फ़िल्में इसके दर्शकों में अजीब सा उत्साह पैदा कर देती हैं। बहरहाल, रोग वन इस फिल्म के डायरेक्टर गैरेथ एडवार्ड्स का बड़ा इम्तिहान होगा। हालाँकि, २००५ में एन्ड डे फिल्म से डायरेक्शन में उतरने वाले गैरेथ के खाते में मॉन्स्टर्स और गॉडजिला जैसी हिट फ़िल्में दर्ज हैं। लेकिन, उन्हें अपनी फिल्मों के बजाय द फाॅर्स अवकेंस की सफलता से मुकाबला करना हैं, जिसे जे जे अब्राम्स ने निर्देशित किया था।
Saturday 24 September 2016
क्या लुभा पायेगा नौ सौ साल पहले का रोमांस ?
राकेश ओमप्रकाश
मेहरा की फिल्म मिर्जया प्राचीन पंजाब की दुखद चार प्रेम
कथाओं में मिर्ज़ा और साहिबां के प्रेम की कहानी भी एक है। बाकी तीन दुखद प्रेम
कहानियों में सोहनी-महिवाल, हीर-रांझा और सस्सी-पुन्नू हैं। मिर्ज़ा खान खरल जनजाति के नेता वांझल खान का
बेटा था। वह खेवा के मुखिया मदनी की बेटी थी। दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने इस प्रेम
कहानी को समकालीन बनाने के लिए पुनर्जन्म पर बनाया है। इस फिल्म से अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्द्धन कपूर का डेब्यू हो रहा है। यह नायिका सैयमी खेर की भी डेब्यू फिल्म है। क्या पाकिस्तान सिंध और बलूचिस्तान में आज भी लोकप्रिय यह
दुखांत प्रेम कथा हर्षवर्द्धन और सैयमी का सुखद करियर बना पाएगी ? इसका जवाब तो फिल्म के रिलीज़ होने के बाद ही पता
चलेगा। लेकिन, इस लेख का उद्देश्य मिर्जया के बहाने उन प्रेम कथाओं और उन
पर बनी फिल्मों के बारे में जानना है, जो कभी अविभाजित हिंदुस्तान में फैली संस्कृति का हिस्सा थी।
मिर्ज़ा और साहिबां
मिर्ज़ा और साहिबां
मिर्ज़ा और साहिबां
की मोहब्बत की दुखद दास्ताँ पर कई लोक गीतों की रचना की गई और फ़िल्में बनाई गई ।
इस लिहाज़ से नूरजहाँ का गाया ‘मिर्ज़ा’ लोक गीत उल्लेखनीय
है। इस गीत को नूरजहाँ ने पंजाबी भाषा में बनी पाकिस्तानी फिल्म मिर्ज़ा जट के लिए
गाया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि मिर्ज़ा और साहिबान के रोमांस पर हिंदी में इक्का
दुक्का फ़िल्में ही बनी। यों कहा जा सकता
है कि दोनों ही देशों में पंजाबी भाषा में ही इस रोमांस को परदे पर उतारा गया। १९९२ में रिलीज़ रविंदर रवि की फिल्म
मिर्ज़ा जट और बलजीत सिंह देव की जिप्पी ग्रेवाल और मैंडी टखर की केंद्रीय भूमिका
वाली फिल्म मिर्ज़ा द अनटोल्ड स्टोरी ऎसी ही फ़िल्में है। बलजीत सिंह ने मिर्ज़ा और साहिबां की मोहब्बत को
आधुनिक सन्दर्भ में कॉमेडी और एक्शन से भरपूर एक अपराध कथा बना दिया। अब देखने वाली बात होगी कि राकेश ओमप्रकाश
मेहरा इस कथानक को किस अंदाज़ में पेश करते हैं।
सस्सी और पुन्नू
अविभाजित भारत में
लोकप्रिय कहानियों पर फिल्मों के मामले में सस्सी-पुन्नू का की कथा को भी बॉलीवुड
ने काफी नकारा है। भंबौर के राजा आदमख़ाँ
की बेटी सस्सी को नज़ूमी शाही खानदान के लिए श्राप बताते हैं। नतीजतन उसे लकड़ी की डलिया में रख कर चेनाब में
बहा दिया जाता है। सस्सी एक धोबी द्वारा पाली जाती है। इस पाकिस्तानी लोक कथा पर
हिंदुस्तान में ज़्यादा फ़िल्में पंजाबी भाषा में फ़िल्में बनाई गई। जगतराम पेशुमल अडवाणी ने
१९४६ में और १९६५ में शांति प्रकाश बख्शी ने सस्सी पुन्नू फिल्मों का निर्माण
किया। अडवाणी की फिल्म हिंदी पंजाबी में थी। एक अन्य फिल्म, पंजाबी भाषा में निर्देशक सतीश भाखरी ने किया था। इस फिल्म में सतीश कौल ने
पुन्नू और भावना भट्ट ने सस्सी की मुख्य भूमिका की थी। फिल्म में रवि का संगीत था।
पाकिस्तान में विभाजन के बाद इंडस्ट्री को जिलाने का काम किया इसी रोमांस कथा पर
फिल्म ने। १९४० में बनी फिल्म सस्सी इसी स्टार कास्ट के साथ १९५४ में फिर बनाई गई।
इसे जीए चिस्ती ने बनाया था। इसके बाद चिस्ती ने सबीहा और सुधीर को सस्सी और
पुन्नू बनाते हुए फिर सस्सी पुन्नू फिल्म
का निर्माण किया।
सोहनी और महिवाल
पंजाब के एक कुम्हार
की बेटी सोहनी और चरवाहे महिवाल के दुखद प्रेम प्रसंग को काफी बॉलीवुड फिल्मों में
अपनाया गया। १९२८ में दो फ़िल्में निर्देशक के पी भावे और आनंद प्रसाद कपूर ने
फिल्म सोहनी महिवाल ने बनाई। यह दोनों मूक फ़िल्में थी। १९३३ में हर्षदराय साकरलाल
मेहता की फिल्म सोहनी महिवाल में भीम और गौहर की केंद्रीय भूमिका थी। रोशन लाल
शोरे ने भी १९३९ में सोहनी महिवाल फिल्म का निर्माण किया। डायरेक्टर इश्वरलाल और
रविन्द्र जयकार की १९४६ में रिलीज़ फिल्म सोहनी महिवाल में बेगम पारा, राजा नवाथे की १९५८ में रिलीज़ फिल्म में भारत
भूषण और निम्मी ने तथा १९८४ में रिलीज़ उमेश मेहरा की फिल्म सोहनी महिवाल में सनी
देओल और पूना ढिल्लों ने महिवाल और सोहनी का किरदार किया था।
हीर और रांझा
बांसुरी बजाने में
माहिर पंजाबी जाट रांझा पड़ोस के गाँव की हीर पर मर मिटता है। इस दुखांत कथानक पर
भी फ़िल्में बनाई गई। दिलचस्प तथ्य यह था
कि यह ज़्यादातर फ़िल्में खूब सफल भी हुई। हीर और रांझा की प्रेम कथा पर मूक युग में ही
फिल्मों का निर्माण शुरू हो गया। सबसे
पहले १९२८ में फातमा बेगम ने जुबैदा को लेकर मूक फिल्म हीर राँझा का निर्माण
किया। इसके बाद १९२९ में आर एस चौधरी और
पेसी करानी की फिल्म हीर राँझा में दिनशा बिलमोरिया, रूबी मायेर्स, फारुखी और इस्माइल ने हीर रांझा की प्रेमकथा को पेश किया था। १९३१ में जगत राय
पेसुमल अडवाणी की फिल्म हीर रांझा में मास्टर फकीरा और शांति कुमारी के साथ हीर
रांझा का निर्माण किया। १९४८ में मुमताज़ शांति, गुलाम मोहमद को लेकर हीर रांझा बनी। ए आर करदार की पंजाबी
फिल्म हीर रांझा में रफ़ीक गजनवी और अनवरी बेगम ने रांझा और हीर के किरदार किये
थे। क्षितिज चौधरी और हरजीत सिंह की फिल्म
हीर राँझा: अ ट्रू लव स्टोरी में गायक
हरभजन मान ने रांझा और नीरू बजवा ने हीर का किरदार किया था। इससे पहले हरमेश
मल्होत्रा की फिल्म हीर राँझा (१९९२) में यह किरदार श्रीदेवी और अनिल कपूर ने किये
थे। प्रोडूसर डायरेक्टर पी ड़ी मेहरा की फिल्म इश्क खुदा है की कहानी भी हीर रांझा
पर ही थी। हीर रांझा की मोहब्बत की दास्ताँ को क्लासिक फिल्म का रूप दिया चेतन
आनंद ने। फिल्म थी हीर रांझा। फिल्म के रांझा राजकुमार थे तथा उनकी हीर प्रिय
राजवंश थी। पद्य शैली में इस फिल्म को
असफलता मिली।
अरब से आये लैला और मजनू
मोहब्बत की प्राचीन दुखांत कथाओं में अरब देश से आकर हिंदुस्तान में बेहद लोकप्रिय क़ैस और लैला मोहब्बत की दास्तान पर बनी हिंदी फिल्मों का ज़िक्र लाजिमी है। लैला के साथ मोहब्बत में पड़ कर क़ैस शायरी करने लगा। उसके शायरी और लैला के प्रति जूनून को देख कर लोगों ने उसे मजनूँ यानि पागल का खिताब दे दिया। मजनूं ने जब लैला के पिता से उसका हाथ माँगा तो पिता ने साफ़ मना कर दिया और लैला की शादी एक रईस व्यापारी के साथ कर दी। अब यह बात दीगर है कि लैला को यह शादी रास नहीं आई और वह बीमार हो कर मर गई । लैला के गम में दीवाना मजनू भी पहाड़ों पर शायरी गढ़ता हुआ मर जाता है। बॉलीवुड ने लैला मजनू की दास्ताँ पर ढेरों फ़िल्में बनाई हैं। १९२२ में लैला मजनू पर पहली मूक फिल्म रिलीज़ हुई। कांजीभाई राठौड़ की १९३१ में बनाई गई लैला मजनू में ग़ज़नवी और जहाँआरा कज्जन ने मजनू और लैला की दास्ताँ पहली बार परदे पर सवाक पेश की। दो साल बाद बी एस राजहंस ने एम् सूकी और फातिमा जैस्मिन को लेकर लैला मजनू बनाई। १९४५ में नज़ीर ने खुद मजनू और स्वर्णलता को अपनी लैला बना कर लैला मजनू का निर्माण किया। यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह कि याहू अभिनेता शम्मी कपूर के करियर की शुरुआत की तीसरी फिल्म लैला मजनू थी। इस फिल्म में मजनू बने शम्मी कपूर की लैला नूतन थी। वहीँ उनके बड़े भाई राजकपूर के बेटे ऋषि कपूर की एक बड़ी हिट फिल्मों में एच एस रवैल की फिल्म लैला मजनू का नाम शामिल है। १९७९ में रिलीज़ इस फिल्म में लैला की भूमिका रंजीता ने की थी। लैला मजनू की कहानी पर दक्षिण में भी फ़िल्में बनाई गई। इनमे १९४९ में रिलीज़ पी एस रामकृष्ण राव की फिल्म उल्लेखनीय है। इस फिल्म में ए नागेश्वर राव ने क़ैस और भानुमति रामकृष्ण ने लैला की भूमिका की थी। पी. भास्करन की १९६२ में रिलीज़ मलयालम फिल्म लैला मजनू में प्रेम नज़ीर ने मजनू और एल विजयलक्ष्मी ने लैला का किरदार किया था।
अरब से आये लैला और मजनू
मोहब्बत की प्राचीन दुखांत कथाओं में अरब देश से आकर हिंदुस्तान में बेहद लोकप्रिय क़ैस और लैला मोहब्बत की दास्तान पर बनी हिंदी फिल्मों का ज़िक्र लाजिमी है। लैला के साथ मोहब्बत में पड़ कर क़ैस शायरी करने लगा। उसके शायरी और लैला के प्रति जूनून को देख कर लोगों ने उसे मजनूँ यानि पागल का खिताब दे दिया। मजनूं ने जब लैला के पिता से उसका हाथ माँगा तो पिता ने साफ़ मना कर दिया और लैला की शादी एक रईस व्यापारी के साथ कर दी। अब यह बात दीगर है कि लैला को यह शादी रास नहीं आई और वह बीमार हो कर मर गई । लैला के गम में दीवाना मजनू भी पहाड़ों पर शायरी गढ़ता हुआ मर जाता है। बॉलीवुड ने लैला मजनू की दास्ताँ पर ढेरों फ़िल्में बनाई हैं। १९२२ में लैला मजनू पर पहली मूक फिल्म रिलीज़ हुई। कांजीभाई राठौड़ की १९३१ में बनाई गई लैला मजनू में ग़ज़नवी और जहाँआरा कज्जन ने मजनू और लैला की दास्ताँ पहली बार परदे पर सवाक पेश की। दो साल बाद बी एस राजहंस ने एम् सूकी और फातिमा जैस्मिन को लेकर लैला मजनू बनाई। १९४५ में नज़ीर ने खुद मजनू और स्वर्णलता को अपनी लैला बना कर लैला मजनू का निर्माण किया। यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह कि याहू अभिनेता शम्मी कपूर के करियर की शुरुआत की तीसरी फिल्म लैला मजनू थी। इस फिल्म में मजनू बने शम्मी कपूर की लैला नूतन थी। वहीँ उनके बड़े भाई राजकपूर के बेटे ऋषि कपूर की एक बड़ी हिट फिल्मों में एच एस रवैल की फिल्म लैला मजनू का नाम शामिल है। १९७९ में रिलीज़ इस फिल्म में लैला की भूमिका रंजीता ने की थी। लैला मजनू की कहानी पर दक्षिण में भी फ़िल्में बनाई गई। इनमे १९४९ में रिलीज़ पी एस रामकृष्ण राव की फिल्म उल्लेखनीय है। इस फिल्म में ए नागेश्वर राव ने क़ैस और भानुमति रामकृष्ण ने लैला की भूमिका की थी। पी. भास्करन की १९६२ में रिलीज़ मलयालम फिल्म लैला मजनू में प्रेम नज़ीर ने मजनू और एल विजयलक्ष्मी ने लैला का किरदार किया था।
शीरीं और फरहाद
ईरान से आई, ससानियां के राजा फरहाद और आर्मेनिया की राजकुमारी शीरीं की मोहब्बत की दास्तान पर भी बॉलीवुड ने फ़िल्में बनाई । होमी मास्टर ने १९२२ में मूक फिल्म शीरीं फरहाद बनाई। जे जे मदन ने १९३१ में निसार, शरीफा, जहाँआरा कज्जन और मोहम्मद हुसैन को लेकर शीरीं फरहाद का निर्माण किया। १९४५ में जयंत, गुलाम मोहम्मद रागिनी और ज़हूर शाह के साथ, अस्पी ईरानी ने मधुबाला को शीरीं और प्रदीप कुमार को फरहाद बना कर, ईरानी लोक कथा को अमर कर दिया।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने मिर्ज़ा और साहिबां की मोहब्बत की दास्तान को समकालीन रंग दिया है। देखने वाली बात यह होगी कि वह इस फिल्म को रोमांटिक अंदाज़ के साथ पेश करते हैं या एक्शन फिल्म बना कर। फिल्म के ट्रेलर तो ऐसा आभास देते हैं कि यह एक्शन से भरी फिल्म है। समकालीन कथानक होने के कारण इसमे गोला-बारूद भी दगेगा। क्या १२वी सदी में लिखी गई यह कहानी इक्कीसवी सदी के दर्शकों को लुभाएगी ?
राजेंद्र कांडपाल
बनेगा मैड मैक्स : फ्यूरी रोड का प्रेकुएल
जॉर्ज मिलर की १९७९ में शुरू मैड मैक्स फ्रैंचाइज़ी की तीसरी फिल्म मैड मैक्स : फ्यूरी रोड ने २०१६ के ऑस्कर पुरस्कारों में ६ अकादमी अवार्ड्स जीते थे। उस दौरान डायरेक्टर जॉर्ज मिलर ने कहा था कि उनके पास मैड मैक्स फ्रैंचाइज़ी के लिए दो फ़िल्में बनाने का मटेरियल है। हालाँकि, मैड मैक्स फ्यूरी रोड के प्रमोशन के दौरान उन्होंने एक छोटी फिल्म बनाने का इरादा बताया था। परंतु, एक अखबार ने अब सूत्रों के हवाले से यह बताया है कि मैड मैक्स सीरीज में अब प्रेकुएल फिल्म बनाई जाएगी। इस फिल्म का टाइटल मैड मैक्स : द वेस्टलैंड होगा। मिलर ही फिल्म के डायरेक्टर होंगे। इस फिल्म की शूटिंग इस साल के आखिर में ऑस्ट्रेलिया के ब्रोकन हिल फिल्म स्टूडियो में शुरू हो जाएगी। यहाँ बताते चले कि फ्यूरी रोड की शूटिंग भी इसी स्टुडिओं में होनी थी। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के १५ सालों के इतिहास में पहली बार वहां के रेगिस्तानी इलाकों में मूसलाधार बारिश हो गई। बहरहाल, फ्रैंचाइज़ी के प्रशंसकों में उत्सुकता इस बात को लेकर है कि द वेस्टलैंड की कहानी क्या होगी ? अखबार की बात माने तो फिल्म में चार्लीज़ थेरोन के बुरे करैक्टर फ्यूरिओसा पर केंद्रित कथा होगी। फिल्म के लिए टॉम हार्डी पहले से ही बुक हैं। मैड मैक्स को लगता है कि जीवित रहने के लिए अकेले घूमना ठीक होगा। लेकिन, वह फंस जाता है इम्परेटर फ़्यूरिओसा के डर से भाग रहे समूहों के बीच। इस फिल्म में इम्मोरटन जोए भी होगा, वारलॉर्ड मार्शल भी होने और दहला देने वाली निर्मम रोड वॉर भी।
छटी बार मिशन इम्पॉसिबल को पॉसिबल बनायेंगे टॉम क्रूज़
मिशन :इम्पॉसिबल के प्रशंसकों के लिए बढ़िया खबर है। इस फिल्म का छठा भाग बनाया जायेगा। ईथन हंट एक बार फिर रूपहले परदे पर अपने साहसिक कारनामे दिखायेगा। दो साल बाद, अभिनेता टॉम क्रूज़ फिर से ईथन हंट का चोला ओढ़े नज़र आएंगे। छठे मिशन : इम्पॉसिबल का ऐलान तो काफी पहले हो जाता। लेकिन, स्काईडांस और पैरामाउंट पिक्चर्स के बीच प्रॉफिट के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा था। लेकिन, अब सब सुलझा लिया गया है। एमआई ६ की शूटिंग जनवरी २०१७ से शुरू हो जानी चाहिए थी। पर अब यह बसंत से फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी। क्रिस्टोफर मैकुअरी इस फिल्म की स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं और निर्देशन भी करेंगे। मिशन :इम्पॉसिबल फ्रैंचाइज़ी की फिल्मों की खासियत रही है कि इसकी हर फिल्म पहली से बेहतर बनती जाती है। ऐसे में मिशन : इम्पॉसिबल रोग नेशन के लेखक- निर्देशक क्रिस्टोफर मैकुअरी की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह छठे मिशन :इम्पॉसिबल को टॉम क्रूज़ के साथ ज़्यादा बेहतर पॉसिबल करें।
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