भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Monday, 13 May 2013
दर्शक गो गोवा..गिप्पी गॉन!
इसके लिए किसी ज्योतिष की ज़रूरत नहीं थी। इसीलिए, रिलीज से पहले ही यह मान लिया गया था कि बॉक्स ऑफिस पर गो गोवा गॉन से गिप्पी पिछड़ जाएगी। वही हुआ भी। गो गोवा गॉन ने पहले दिन 3.75 करोड़ का बिज़नस किया। शनिवार को फिल्म ने मार्जिनल राइज़ किया और 4.30 करोड़ कमाए। सनडे का अच्छा फायदा गो गोवा गॉन को हुआ। इस फिल्म ने 5.25 करोड़ बटोरे और फ़र्स्ट वीकेंड कलेक्शन 13.30 करोड़ का हो गया। गो गोवा गॉन Bollywood की पहली ज़ोम-कॉम यानि ज़ोमबी - कॉमेडी फिल्म है। एक काल्पनिक चलता फिरता मुर्दा, जो तेज़ नहीं चल सकता । कमोबेश घिसट घिसट कर ही चल सकता है। ज़िंदा इंसान उसकी पकड़ से भाग सकता है, अगर डर उसके पैर न लड़खड़ा दे, वह भयभीत बुत सा खड़ा न रह जाए। ज़ाहिर है कि फिल्म के तमाम ज़िंदा चरित्र ज़ोमबी की पकड़ में अपने भय कारण आते थे और जान गँवाते थे। बॉक्स ऑफिस पर बिल्कुल ऐसा ही हुआ। गो गोवा गॉन की कहानी-पटकथा बिल्कुल घिसटती हुई थी। कई बार लड़खड़ाई भी । पर ज़ोमबी के भय ने, इस लड़खड़ाती फिल्म की पकड़ दर्शकों पर बनाए रखी। नतीजे के तौर पर फिल्म एक बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सफल हुई। हालांकि, फिल्म में वह सैफ अली खान भी थे, जिनकी फिल्म रेस2 ने इसी साल सौ करोड़ क्लब में कदम रखा है। सैफ के लिहाज से फिल्म का प्रदर्शन कमजोर लगता हो, पर फिल्म की लागत के लिहाज से यह कम नहीं लगता। फिल्म के निर्देशक द्वय यह दावा कराते हैं कि गो गोवा गॉन का बजेट सैफ की फिल्म के बजेट से काफी कम है। फिल्म को जहां सैफ के होने का फायदा हुआ, वहीं तीन दोस्तों की कहानी और कुनाल खेमू की कॉमेडी का फायदा भी हुआ। गंदी गलियों और अश्लील हाव भाव ने जहां फॅमिली को फिल्म से दूर रखा, वहीं चवन्नी छाप दर्शकों और युवा जोड़ों के लिए खाद पानी का काम किया। वैसे अगर गो गोवा गॉन में सैफ और कुनाल न भी होते, तो भी फिल्म का प्रदर्शन ठीक ही रहता। हिन्दी फिल्म दर्शक हॉरर और गलियों का दीवाना है।
गो गोवा गॉन और गिप्पी दोनों ही फिल्मों की नज़र मल्टीप्लेक्स दर्शकों पर थी। गिप्पी को तो खालिस मल्टीप्लेक्स दर्शकों को ध्यान में रख कर बनाया गया था। निर्माता करण जौहर की गिप्पी से बार बार स्टूडेंट्स ऑफ द इयर की बू आ रही थी। वही एक दूसरे की टांग खींचते, गाली गलौज करते, सेक्सी इशारे करते और सेक्स के नाबदान में गिरे कॉलेज के युवा। गिप्पी मोटी है, उसका मज़ाक उड़ता है। एक दिन वह तय करती है कि वह भी कॉलेज की खूबसूरत मानी जाने वाली लड़की जैसा बन कर दिखाएगी। कहानी में कोई नयापन नहीं था, सोनम नायर का विजन भी फिल्म में नज़र नहीं आया। वह उन मेट्रो लड़की लड़कों को, जो ज़ीरो साइज़ पर मरते हैं, तथा देह की अतिरिक्त कलोरी बहाने के लिए जिम में पसीना बहते हैं, यह समझा पाने में नाकामयाब रही कि मोटी लड़कियां भी सेक्स सिम्बल हो सकती हैं। फिल्म का शीर्षक भी आकर्षक नहीं था। नतीजतन, गिप्पी गो गोवा गॉन से मार खा गयी। इस फिल्म का, बॉक्स ऑफिस पर कलेक्शन 75 लाख, 1 करोड़ और 1.25 करोड़ के तीन दिनों के कलेक्शन के साथ 3 करोड़ रहा। ज़ाहिर है कि गिप्पी गो गोवा गॉन से काफी पीछे, ज़ोमबी की तुलना में लगभग घिसटती हुई चली। दर्शक मोटी गिप्पी की सेक्स अपील महसूस करने के बजाय, पूजा गुप्ता की संतुलित देह के पीछे घिसटते ज़ोमबी के पीछे लग गए।
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बॉक्स ऑफिस पर
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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